क्रिप्टोकरेंसी क्या है

क्रिप्टोकरेंसी से बिलकुल अलग है आरबीआई की डिजिटल करेंसी, जानिए दोनों के बीच का मुख्य अंतर और खासियत
Digital Currency: आरबीआई रिटेल और होलसेल सेगमेंट में इस्तेमाल के लिए फेजवाइज तरीके से डिजिटल करेंसी पेश करेगा। इसकी शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के जरिए होगी।
Representations of cryptocurrency Bitcoin are seen in this picture illustration taken June 7, 2021. REUTERS/Edgar Su/Illustration
भारत को जल्द ही अपनी डिजिटल करेंसी मिलने वाली है। इसको लेकर भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई ने अपनी योजना का खुलासा किया है। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर टी रबि शंकर ने गुरुवार को कहा कि रिजर्व बैंक फेसवाइज तरीके से डिजिटल करेंसी पेश करने की योजना बना रहा है। सबसे पहले डिजिटल करेंसी को पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लॉन्च किया जाएगा।
देश में डिजिटल करेंसी को लेकर लंबे समय से तैयारी चल रही है। आरबीआई भी काफी समय से डिजिटल करेंसी लाने की बात कर रहा है। इसको लेकर कई बार संकेत दिए जा चुके हैं। दुनिया के कई अन्य देश भी डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी कर रहे हैं। आज हम आपको डिजिटल करेंसी के बारे वह सबकुछ बताने जा रहे हैं जो आप जानना चाहते हैं। साथ ही हम आपको डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर भी बताएंगे..
क्या होती है डिजिटल करेंसी?: यह एक प्रकार से प्रचलित करेंसी का वर्चुअल रूप होता है। इसको केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) भी कहा जाता है। डिजिटल करेंसी को केवल केंद्रीय बैंक जारी करता है। इसे सरकार की मान्यता प्राप्त होती है। फिजिकल करेंसी के मुकाबले इसकी वैल्यू में कोई अंतर नहीं होता है। उदाहरण के लिए 10 रुपए के नोट और 10 रुपए की डिजिटल करेंसी की वैल्यू बराबर होगी। डिजिटल करेंसी में बिना किसी रुकावट लेन-देन भी किया जा सकता है।
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क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?: क्रिप्टोकरेंसी एक अलग प्रकार की करेंसी होती है। यह अलग-अलग प्रकार की होती है। इसे वर्चुअल करेंसी भी कहा जाता है। सभी क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू अलग-अलग होती है और इसकी कीमतों में उतार चढ़ाव होता रहता है। क्रिप्टोकरेंसी मान्यता प्राप्त नहीं है। पिछले कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी का चलन बढ़ा है। इस समय पूरी दुनिया में करीब 4 हजार क्रिप्टोकरेंसी चलन में हैं। इसमें बिटकॉइन सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी है। भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी का चलन तेजी से बढ़ा है।
डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी में प्रमुख अंतर
- डिजिटल करेंसी को केंद्रीय बैंक जारी करता है। क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के जरिए तैयार की जाती है।
- डिजिटल करेंसी को केंद्रीय बैंक और उस देश की सरकार से मान्यता प्राप्त होती है। क्रिप्टोकरेंसी के पास केंद्रीय बैंक या सरकार की मान्यता नहीं होती है।
- डिजिटल करेंसी की वैल्यू स्थिर रहती है। क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू में बहुत उतार-चढ़ाव होता है।
- डिजिटल करेंसी को संबंधित देश की मुद्रा में बदला जा सकता है। क्रिप्टोकरेंसी में ऐसा नहीं हो पाता है।
अंतरमंत्रालीय समिति ने की थी डिजिटल करेंसी की सिफारिश: वित्त मंत्रालय ने 2017 में एक उच्च स्तरीय अंतरमंत्रालयी समिति की सिफारिश की थी। इस समिति को वर्चुअल या क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी पॉलिसी और कानूनी फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए कहा गया था। इस समिति ने देश में फिजिकल करेंसी की तरह डिजिटल करेंसी लाने की सिफारिश की थी।
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देश में डिजिटल करेंसी को लेकर लंबे समय से तैयारी चल रही है। आरबीआई भी काफी समय से डिजिटल करेंसी लाने की बात कर रहा है। इसको लेकर कई बार क्रिप्टोकरेंसी क्या है संकेत दिए जा चुके हैं। दुनिया के कई अन्य देश भी डिजिटल करेंसी लाने की तैयारी कर रहे हैं। आज हम आपको डिजिटल करेंसी के बारे वह सबकुछ बताने जा रहे हैं जो आप जानना चाहते हैं। साथ ही हम आपको डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी के बीच अंतर भी बताएंगे..
क्या होती है डिजिटल करेंसी?: यह एक प्रकार से प्रचलित करेंसी का वर्चुअल रूप होता है। इसको केंद्रीय बैंक डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) भी कहा जाता है। डिजिटल करेंसी को केवल केंद्रीय बैंक जारी करता है। इसे सरकार की मान्यता प्राप्त होती है। फिजिकल करेंसी के मुकाबले इसकी वैल्यू में कोई अंतर नहीं होता है। उदाहरण के लिए 10 रुपए के नोट और 10 रुपए की डिजिटल करेंसी की वैल्यू बराबर होगी। डिजिटल करेंसी में बिना किसी रुकावट लेन-देन भी किया जा सकता है।
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क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?: क्रिप्टोकरेंसी एक अलग प्रकार की करेंसी होती है। यह अलग-अलग प्रकार की होती है। इसे वर्चुअल करेंसी भी कहा जाता है। सभी क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू अलग-अलग होती है और इसकी कीमतों में उतार चढ़ाव होता रहता है। क्रिप्टोकरेंसी मान्यता प्राप्त नहीं है। पिछले कुछ सालों में क्रिप्टोकरेंसी का चलन बढ़ा है। इस समय पूरी दुनिया में करीब 4 हजार क्रिप्टोकरेंसी चलन में हैं। इसमें बिटकॉइन सबसे पॉपुलर क्रिप्टोकरेंसी है। भारत में भी क्रिप्टोकरेंसी का चलन तेजी से बढ़ा है।
डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी में प्रमुख अंतर
- डिजिटल करेंसी को केंद्रीय बैंक जारी करता है। क्रिप्टोकरेंसी माइनिंग के जरिए तैयार की जाती है।
- डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी क्या है करेंसी को केंद्रीय बैंक और उस देश की सरकार से मान्यता प्राप्त होती है। क्रिप्टोकरेंसी के पास केंद्रीय बैंक या सरकार की मान्यता नहीं होती है।
- डिजिटल करेंसी की वैल्यू स्थिर रहती है। क्रिप्टोकरेंसी की वैल्यू में बहुत उतार-चढ़ाव होता है।
- डिजिटल करेंसी को संबंधित देश की मुद्रा में बदला जा सकता है। क्रिप्टोकरेंसी में ऐसा नहीं हो पाता है।
अंतरमंत्रालीय समिति ने की थी डिजिटल करेंसी की सिफारिश: वित्त मंत्रालय ने 2017 में एक उच्च स्तरीय अंतरमंत्रालयी समिति की सिफारिश की थी। इस समिति को वर्चुअल या क्रिप्टोकरेंसी से जुड़ी पॉलिसी और कानूनी फ्रेमवर्क तैयार करने के लिए कहा गया था। इस समिति ने क्रिप्टोकरेंसी क्या है देश में फिजिकल करेंसी की तरह डिजिटल करेंसी लाने की सिफारिश की थी।
cryptocurrency न्यूज़
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क्रिप्टोकरेंसी-बिटकॉइन आखिर है क्या? क्यों बन गई हैकर्स की पसंद?
मन में कई सवाल होंगे- ये बिटकॉइन, इथेरियम जैसी चीजें हैं क्या? हैकर्स की पसंद क्यों बन गए हैं? सबके जवब जानिए
हाल ही में पीएम मोदी के एक ट्विटर अकाउंट को हैकर्स ने हैक कर लिया और क्रिप्टोकरेंसी (बिटकॉइन) मांगने लगे. जुलाई में ट्विटर को एक बड़े क्रिप्टो हैक का सामना करना पड़ा था, जिसमें हाई-प्रोफाइल हस्तियों, राजनेताओं जैसे बराक ओबामा, एलन मस्क जैसी शख्सियतों के अकाउंट्स को हैक करके बिटकॉइन का प्रचार किया गया था.
पीएम मोदी के ट्विटर अकाउंट को हैक करते वक्त हैकर्स ने लिखा था-
मैं आप सभी से कोविड -19 के लिए पीएम नेशनल रिलीफ फंड में उदारतापूर्वक दान देने की अपील करता हूं, अब भारत क्रिप्टो करेंसी के साथ शुरुआत करेगा, कृपया दान करें.ईटीएच (इथेरियम).
बिटकॉइन के बाद इथेरियम मार्केट कैपिटल का दूसरा सबसे बड़ा क्रिप्टोकरेंसी प्लेटफॉर्म है.
ऐसे में आपके मन में कई सवाल होंगे- ये बिटकॉइन, इथेरियम जैसी चीजें हैं क्या? हैकर्स की पसंद क्यों बन गए हैं? इनका रेगुलेशन कैसे होता है. एक-एक करके इन सवालों के जवाब तलाशेंगे.
वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी का मतलब क्या है ?
वर्चुअल या क्रिप्टो करेंसी एक तरह की डिजिटल करेंसी होती है, जिसे इनक्रिप्शन टेक्नोलॉजी की मदद से जेनरेट और रेगुलेट किया जाता है. इन करेंसी के क्रिएशन, निवेश, लेन-देन या फंड ट्रांसफर की प्रक्रिया में भारतीय रिजर्व बैंक या किसी भी दूसरे देश के बैंकिंग रेगुलेटर की प्रभावी भूमिका नहीं होती है. इन करेंसी पर न तो किसी देश की मुहर होती है और न ही इनके भुगतान के लिए किसी तरह की सॉवरेन यानी सरकारी गारंटी होती है.
दुनियाभर में बहुत सारी क्रिप्टो-करेंसी प्रचलित हैं, जिनमें बिटकॉइन सबसे मशहूर है.
उदाहरण से समझिए
गोल्ड एक धातु है जिसकी अपनी वैल्यू होती है. डॉलर कितना महंगा या सस्ता होगा यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था की हालत पर निर्भर होता है.रुपए का वैल्यू हमारी अर्थव्यवस्था से जुड़ा है. पाउंड की सेहत यूके की अर्थव्यवस्था पर निर्भर जबकि येन का जापान की अर्थव्यवस्था पर. इसके अलग बिटकॉइन की कोई अपनी वैल्यू नहीं होती है. इसका इस्तेमाल सट्टेबाजी के लिए होता है, इसी आधार पर ही इसके दाम बढ़ते-घटते रहते हैं. ज्यादा सट्टेबाजी को ज्यादा उतार-चढ़ाव.
बिटकॉइन की 'हैसियत' बढ़ रही है?
बिटकॉइन के चार्ट पर नजर डालें तो अब बिटकॉइन में रिकवरी देखने को मिल रही है. 2019 की शुरुआत में अपना लो बनाने के बाद बिटकॉइन में निचले स्तरों पर अच्छी रिकवरी देखने को मिलली है. मार्च में चौतरफा बिकवाली के बीच बिटकान में भी बिकवाली देखने को मिली थे लेकिन जिस तरह शेयर बाजार में खासी रिकवरी देखने को मिली. वैसी ही रिकवरी बिटकॉइन में देखने को मिली है. मार्च में बिटकॉइन 4500 डॉलर के स्तरों से अब 12000 डॉलर के स्तरों पर पहुंच गया है. जुलाई और अगस्त के महीने में बिटकॉइन में गजब की तेजी देखने को मिली है.
देश में इसकी कानूनी ‘हैसियत’ क्या है?
देश में क्रिप्टोकरेंसी के कारोबार पर किसी भी तरह का बैन नहीं है. हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा बैंकिंग प्रतिबंध लगाया गया है. राज्यसभा में इस संबंध में पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए वित्त और कॉरपोरेट कार्य राज्यमंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा था कि "वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मसलों से निपटने के लिए अलग से कोई कानून नहीं है. इस प्रकार आरबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, आयकर प्राधिकरण जैसे सभी संबद्ध विभाग और काननू का अनुपालन करवाने वाली एजेंसियां मौजूदा कानून के अनुसार कार्रवाई करती हैं."
हैकर्स की पसंद क्यों हैं?
2009 में लॉन्च हुए बिटकॉइन हैकर्स या साइबर अपराधियों को दो फायदे देते हैं. पहला कि ये एक डिसेंट्रलाइज्ड करेंसी की तरह काम करता है और इसमें बैंक या क्रेडिट कार्ड कंपनी जैसा कोई बिचौलिया नहीं होता और इस वजह से इस्तेमाल करने वाला गुमनाम रहता है. दूसरा बिटकॉइन को वर्चुअल वॉलेट्स में रख सकते हैं, जिनकी पहचान सिर्फ एक नंबर से होती है.
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क्रिप्टोकरेंसी में कैसे होता है लेनदेन, फिजिकल करेंसी के मुकाबले क्यों है कम सेफ, समझें बिल्कुल आसान भाषा में
सवाल उठता है कि क्रिप्टोकरेंसी में व्यक्ति ट्रांजैक्शन कैसे करता है. और इसे लेकर विवाद क्यों है कि इसमें ट्रांजैक्शन करना सुरक्षित नहीं है. आइए इन सवालों के जवाब आसान भाषा में जानते हैं.
सवाल उठता है कि क्रिप्टोकरेंसी में व्यक्ति ट्रांजैक्शन कैसे करता है. और इसे लेकर विवाद क्यों है कि इसमें ट्रांजैक्शन करना सुरक्षित नहीं है.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: राघव वाधवा
Updated on: Dec 16, 2021 | 1:07 PM
Cryptocurrency Explained: भारत में क्रिप्टोकरेंसी को लेकर पिछले कुछ समय से विवाद चल रहा है. देश में केंद्र सरकार संसद के मौजूदा सत्र में क्रिप्टोकरेंसी के रेगुलेशन के लिए बिल लाने की तैयारी कर रही है. पिछले कुछ समय से देश में क्रिप्टोकरेंसी निवेश के तौर पर लोगों के बीच एक बेहद लोकप्रिय विकल्प बन गया है. देश में बहुत से लोगों ने पिछले कुछ समय में क्रिप्टोकरेंसी में निवेश किया है. क्रिप्टोकरेंसी के निवेशकों की बड़ी संख्या को देखते हुए ही सरकार अब इसे रेगुलेट करने की तैयारी कर रही है.
अब सवाल उठता है कि क्रिप्टोकरेंसी में व्यक्ति ट्रांजैक्शन कैसे करता है. और इसे लेकर विवाद क्यों है कि इसमें ट्रांजैक्शन करना सुरक्षित नहीं है. आइए इन सवालों के जवाब आसान भाषा में जानते हैं.
क्रिप्टोकरेंसी क्या होती है?
क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांजैक्शन के बारे में जानने से पहले यह जान लेना जरूरी है कि क्रिप्टोकरेंसी होती क्या चीज है. क्रिप्टोकरेंसी कुछ अलग नहीं, बल्कि डिजिटल करेंसी होती है. इन डिजिटल करेंसी को क्रिप्टोग्राफी सिक्योर करती है, इसलिए इनका नाम क्रिप्टोकरेंसी पड़ा है.
क्रिप्टोग्राफी की बात करें, तो यह डेटा को ऐसे तरीके से स्टोर और ट्रांसमिशन करना होता है, जिससे केवल वे लोग ही उसे पढ़ सकते हैं, जिनके लिए उसे बनाया गया है. क्रिप्टोग्राफी से डेटा को चोरी से बचाया जाता है. इसका इस्तेमाल यूजर ऑथेंटिकेशन के लिए भी किया क्रिप्टोकरेंसी क्या है जा सकता है.
कैसे होता है क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांजैक्शन?
अब क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांजैक्शन को समझ लेते हैं. डिजिटल करेंसी का ट्रांजैक्शन वॉलेट के जरिए किया जाता है, जैसा बैंक अकाउंट में होता है. हालांकि, उस मामले में वॉलेट कंट्रोल में रहता है. इस वॉलेट में दो एड्रेस होते हैं- पब्लिक एड्रेस और प्राइवेट एड्रेस. पब्लिक एड्रेस वह होता है, जिसमें आप फंड भेजते हैं. तो, एक वॉलेट से दूसरे में डिजिटल क्रिप्टोकरेंसी क्या है करेंसी को भेजते हुए, भेजने वाले को रिसीवर के वॉलेट का पब्लिक एड्रेस चाहिए होता है. वे उस पब्लिक एड्रेस को डालेंगे, और क्रिप्टोकरेंसी को उस एड्रेस को भेजेंगे.
फिर जब रिसीवर को उस वॉलेट में क्रिप्टोकरेंसी मिलेगी, तो उसे पासवर्ड या प्राइवेट key की जरूरत होती है. जब आप एक वॉलेट से दूसरे में ट्रांजैक्शन भेजते हैं, तो वह ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी द्वारा सिक्योर होती है.
क्रिप्टोकरेंसी में ट्रांजैक्शन फिजिकल करेंसी जितना सुरक्षित नहीं
जब हम फिजिकल करेंसी जैसे रुपये के साथ ट्रांजैक्शन करते हैं, और एक से दूसरे व्यक्ति को पैसे भेजते हैं, तो बैंक यह चेक करता है कि क्या पैसे भेजने वाले के पास बैंक अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस मौजूद है या नहीं. इसके बाद ही बैंक उस ट्रांजैक्शन को मंजूरी देता है. बैंक केंद्रीय अथॉरिटी है. वह इस बात को सुनिश्चित करता है कि ट्रांजैक्शन सफलतापूर्वक पूरा हो जाए. इस ट्रांजैक्शन में हम बैंक पर पूरी तरह भरोसा करते हैं कि वह सही चीज करेगा.
क्रिप्टोकरेंसी में ऐसा विश्वास नहीं रहता है. अगर व्यक्ति क्रिप्टोकरेंसी भेजना चाहता है, तो उस ट्रांजैक्शन का वेरिफिकेशन, यानी जिसमें यह देखा जाता है कि अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस मौजूद है, यह वेरिफिकेशन हजारों कंप्यूटर करते हैं, जो समान ऐलगोरिदम चला रहे हैं. इसलिए, दुनिया भर में मौजूद हजारों कंप्यूटर वही चीज को सुनिश्चित करते हैं, जो फिजिकल करेंसी में बैंक करता है.
क्योंकि इसमें हजारों कंप्यूटर शामिल हैं, इसे हम विकेंद्रित कहते हैं. न कि रुपये कि तरह, जिसमें बैंक ट्रांजैक्शन सफल तौर पर हो जाए, यह सुनिश्चित करता है. इसलिए, क्रिप्टोकरेंसी को विकेंद्रित करेंसी कहते हैं. और जो टेक्नोलॉजी ट्रांजैक्शन को सुनिश्चित करती है, उसे ब्लॉकचैन कहा जाता है.
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते समय सतर्क रहना क्यों जरूरी है?
क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते समय जिस बात के बारे में जानकारी रहना जरूरी है, वह है कि इसमें आपका निवेश शून्य हो सकता है. ऐसा इसलिए, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी बहुत ज्यादा जोखिम वाला, अनरेगुलेटेड निवेश होता है क्रिप्टोकरेंसी क्या है और भविष्ट में इसकी डिमांड अस्थायी तौर पर खत्म हो सकती है और आप अपने पूरे निवेश को खो सकते हैं.
दूसरी बात, आपको ऐसे ऑप्शन्स में ट्रेड उस समय तक नहीं करना चाहिए, जब तक आपको सही तौर पर यह नहीं पता है, कि उनका मतलब क्या है. अगर आप बाजार में नए निवेशक हैं, तो क्रिप्टोकरेंसी आपके लिए अच्छा विकल्प नहीं है, क्योंकि इसमें काफी उतार-चढ़ाव बना रहता है.