विदेशी मुद्रा संकेत

विदेशी मुद्रा संकट से जूझ रहा पाकिस्तान, चीन ने एक साल में दिया दो अरब डॉलर से ज्यादा का ऋण
इस्लामाबाद। चीन ने विदेशी मुद्रा के संकट से बुरी तरह जूझ रहे अपने मित्र पाकिस्तान को उबारने के लिए दो अरब डॉलर से अधिक का ऋण मुहैया कराया है। द न्यूज़ की एक रिपोर्ट में गुरुवार को यह जानकारी दी गयी। वित्त विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि चीन सरकार ने …
इस्लामाबाद। चीन ने विदेशी मुद्रा के संकट से बुरी तरह जूझ रहे अपने मित्र पाकिस्तान को उबारने के लिए दो अरब डॉलर से अधिक का ऋण मुहैया कराया है। द न्यूज़ की एक रिपोर्ट में गुरुवार को यह जानकारी दी गयी। वित्त विभाग से जुड़े एक अधिकारी ने जानकारी दी है कि चीन सरकार ने एक साल में दाे अरब डॉलर से अधिक की आर्थिक मदद पाकिस्तान के लिए जारी की है।
उन्होंने एक बयान में कहा,“ चीन ने तीन बार पाकिस्तान को आर्थिक मदद जारी की है, पहली बार 500 मिलियन डॉलर की 27 जून 2022 को मदद विदेशी मुद्रा संकेत की गयी थी, इसके बाद 29 जून 2022 को 500 मिलियन डॉलर और 23 जुलाई 2022 को दो अरब डॉलर दिये गये। ” इस बीच, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने संकेत दिये हैं कि एक बार पर्याप्त आर्थिक मदद का आश्वासन सुनिश्चित होने के बाद अगस्त 2022 के अंत तक उसकी इस मामले में कार्यकारी बोर्ड मीटिंग बुलाने की संभावना है।
इस बीच पाकिस्तानी अधिकारियों को मित्र देशों सऊदी अरब, कतर और यूएई से चार अरब की वह आर्थिक मदद मिलने का इंतजार है जिसकी बात आईएमएफ ने की थी ताकि इसके बाद चालू वित्त वर्ष में सकल बाहरी आर्थिक जरूरत 35 अरब नौ करोड़ को पूरा करने का काम शुरू किया जा सके। इस बीच, पाकिस्तान को मित्र देशों से मदद जब तक मिल पायेगी, उसमें अभी समय है लेकिन पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार अभी ही खतरनाक रूप से निम्न स्तर पर पहुंच गया है।
स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के बाद अगस्त 2021 में 20 अरब डॉलर के आसपास था जो 22 जुलाई 2022 को घटकर मात्र आठ अरब पचास करोड़ के स्तर पर पहुंच गया। विदेशी मुद्रा भंडार में यह कमी विदेशी ऋण चुकाने और दूसरे भुगतान करने के कारण हुआ है।
यूबीएस सर्वे: डॉलर में घटते भरोसे का फायदा मिल रहा है चीन की मुद्रा युवान को
विश्लेषकों के मुताबिक बीती फरवरी में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने जिस तरह रूस की विदेशी मुद्रा को जब्त कर लिया, उससे सेंट्रल बैंकों का डॉलर के प्रति भरोसा घटा है। इसलिए अब वे अपने विदेशी मुद्रा भंडार में अलग-अलग मुद्राओं को जगह देना चाह रहे हैं.
दुनिया भर के सेंट्रल बैंक अपनी रिजर्व करेंसी में चीन की मुद्रा युवान का हिस्सा बढ़ा रहे हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय कारोबार में अमेरिकी मुद्रा डॉलर के वर्चस्व के लिए खतरा पैदा हो रहा है। चीनी मुद्रा की बढ़ रही हैसियत को चीन की आर्थिक ताकत में बढ़ोतरी का संकेत भी समझा जा रहा है। ये बात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संपत्ति प्रबंधन करने वाली कंपनी- यूबीएस एसेट मैनेजमेंट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कही है।
यूबीएस बैंक से जुड़ी यह कंपनी हर साल मुद्रा भंडार प्रबंधन सर्वे रिपोर्ट जारी करती है। उसकी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 85 फीसदी बैंकों ने बताया कि उन्होंने युवान में या तो निवेश किया है, या ऐसा करने पर वे गंभीरता से विचार कर रहे हैं। ऐसी बात कहने वाले सेंट्रल बैंकों की संख्या पिछले साल 81 फीसदी थी। सेंट्रल बैंकों के विदेशी मुद्रा प्रबंधक अपने भंडार में अगले दस साल में युवान के हिस्से को औसतन 5.8 फीसदी तक ले जाने पर विचार कर रहे हैं। पिछले साल यह संख्या औसतन 5.7 फीसदी बताई गई थी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पिछले हफ्ते जारी अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि फिलहाल सेंट्रल बैंकों के भंडार में औसतन 2.9 फीसदी हिस्सा युवान का है।
सेंट्रल बैंकों का डॉलर के प्रति भरोसा घटा
विश्लेषकों के मुताबिक बीती फरवरी में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने जिस तरह रूस की विदेशी मुद्रा को जब्त कर लिया, उससे सेंट्रल बैंकों का डॉलर के प्रति भरोसा घटा है। इसलिए अब वे अपने विदेशी मुद्रा भंडार में अलग-अलग मुद्राओं को जगह देना चाह रहे हैं। वे ऐसी व्यवस्था चाहते हैं, जिससे अगर कभी अमेरिका प्रतिबंध लगाए, तो वे उससे ज्यादा प्रभावित न हों।
यूबीएस ने अपने इस सर्वे में प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले 30 देशों के सेंट्रल बैंक अधिकारियों से बातचीत की। ये बातचीत अप्रैल से जून के बीच की गई। इन देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में जून तक डॉलर का हिस्सा 63 फीसदी था। 2021 के जून में ये हिस्सा 69 फीसदी था। यूबीएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है- ‘यूक्रेन पर रूसी हमले, रूस के साथ चीन के करीबी संबंधों, और हाल के वर्षों में चीन में दर्ज हुई मजबूत आर्थिक वृद्धि के कारण बहु-ध्रुवीय विश्व बनने की चर्चा शुरू हो गई है। इसका अर्थ यह है कि अब दुनिया पर अमेरिका पूरा वर्चस्व नहीं रहा।’
युवान में बढ़ी दिलचस्पी
यूबीएस के सर्वे में शामिल 81 फीसदी अधिकारियों ने कहा कि बहु-ध्रुवीय दुनिया बनने का लाभ चीन की मुद्रा युवान को मिलेगा। 46 फीसदी अधिकारियों ने कहा कि उसका फायदा डॉलर को भी मिलेगा। यूबीएस के विश्लेषकों ने कहा है- ‘युवान का स्थिर गति से रिजर्व करेंसी के रूप में उदय विदेशी मुद्रा संकेत हो रहा है। उसमें दिलचस्पी बढ़ी है, फिर भी नंबर एक रिजर्व करेंसी के रूप में डॉलर की हैसियत को चुनौती देने के लक्ष्य से अभी वह बहुत दूर है।’
कुछ विश्लेषकों की राय है कि चीन में तानाशाही शासन के कारण कई निवेशक युवान में निवेश करने को जोखिम भरा समझते हैं। इसीलिए इस साल अमेरिकी सेंट्रल बैंक- फेडरल रिजर्व के ब्याज दर बढ़ाने के बाद से डॉलर दुनिया भर के निवेशकों की पहली पसंद बन गया है।
विस्तार
दुनिया भर के सेंट्रल बैंक अपनी रिजर्व करेंसी में चीन की मुद्रा युवान का हिस्सा बढ़ा रहे हैं। इससे अंतरराष्ट्रीय कारोबार में अमेरिकी मुद्रा डॉलर के वर्चस्व के लिए खतरा पैदा हो रहा है। चीनी मुद्रा की बढ़ रही हैसियत को चीन की आर्थिक ताकत में बढ़ोतरी का संकेत भी समझा जा रहा है। ये बात अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संपत्ति प्रबंधन करने वाली कंपनी- यूबीएस एसेट मैनेजमेंट ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कही है।
यूबीएस बैंक से जुड़ी यह कंपनी हर साल मुद्रा भंडार प्रबंधन सर्वे रिपोर्ट जारी करती है। उसकी ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 85 फीसदी बैंकों ने बताया कि उन्होंने युवान में या तो निवेश किया है, या ऐसा करने पर वे गंभीरता से विचार कर रहे हैं। ऐसी बात कहने वाले सेंट्रल बैंकों की संख्या पिछले साल 81 फीसदी थी। सेंट्रल बैंकों के विदेशी मुद्रा प्रबंधक अपने भंडार में अगले दस साल में युवान के हिस्से को औसतन 5.8 फीसदी तक ले जाने पर विचार कर रहे हैं। पिछले साल यह संख्या औसतन 5.7 फीसदी बताई गई थी। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने पिछले हफ्ते जारी अपनी एक रिपोर्ट में बताया था कि फिलहाल सेंट्रल बैंकों के भंडार में औसतन 2.9 फीसदी हिस्सा युवान का है।
सेंट्रल बैंकों का डॉलर के प्रति भरोसा घटा
विश्लेषकों के मुताबिक बीती फरवरी में यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने जिस तरह रूस की विदेशी मुद्रा को जब्त कर लिया, उससे सेंट्रल बैंकों का डॉलर के प्रति भरोसा घटा है। इसलिए अब वे अपने विदेशी मुद्रा भंडार में अलग-अलग मुद्राओं को जगह देना चाह रहे हैं। वे ऐसी व्यवस्था चाहते हैं, जिससे अगर कभी अमेरिका प्रतिबंध लगाए, तो वे उससे ज्यादा प्रभावित न हों।
यूबीएस ने अपने इस सर्वे में प्रमुख अर्थव्यवस्था वाले 30 देशों के सेंट्रल बैंक अधिकारियों से बातचीत की। ये बातचीत अप्रैल से जून के बीच की गई। इन देशों के विदेशी मुद्रा भंडार में जून तक डॉलर का हिस्सा 63 फीसदी था। 2021 के जून में ये हिस्सा 69 फीसदी था। यूबीएस ने अपनी रिपोर्ट में कहा है- ‘यूक्रेन पर रूसी हमले, रूस के साथ चीन के करीबी संबंधों, और हाल के वर्षों में चीन में दर्ज हुई मजबूत आर्थिक वृद्धि के कारण बहु-ध्रुवीय विश्व बनने की चर्चा शुरू हो गई है। इसका अर्थ यह है कि अब दुनिया पर अमेरिका पूरा वर्चस्व नहीं रहा।’
युवान में बढ़ी दिलचस्पी
यूबीएस के सर्वे में शामिल 81 फीसदी अधिकारियों ने कहा कि बहु-ध्रुवीय दुनिया बनने का लाभ चीन की मुद्रा युवान को मिलेगा। 46 फीसदी अधिकारियों ने कहा कि उसका फायदा डॉलर को भी मिलेगा। यूबीएस के विश्लेषकों ने कहा है- ‘युवान का स्थिर गति से रिजर्व करेंसी के रूप में उदय हो रहा है। उसमें दिलचस्पी बढ़ी है, फिर भी नंबर एक रिजर्व करेंसी के रूप में डॉलर की हैसियत को चुनौती देने के लक्ष्य से अभी वह बहुत दूर है।’
कुछ विश्लेषकों की राय है कि विदेशी मुद्रा संकेत चीन में तानाशाही शासन के कारण कई निवेशक युवान में निवेश करने को जोखिम भरा समझते हैं। इसीलिए इस साल अमेरिकी सेंट्रल बैंक- फेडरल रिजर्व के ब्याज दर बढ़ाने के बाद से डॉलर दुनिया भर के निवेशकों की पहली पसंद बन गया है।
बजट से पहले इस सप्ताह विदेशी मुद्रा भंडार में आई गिरावट
Foreign exchange reserves: बजट से पहले वाली सप्ताह में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में 67.8 करोड़ डॉलर की गिरावट दर्ज की गई.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देश का विदेशी मुद्रा भंडार (India foreign exchange reserves) 21 जनवरी को समाप्त सप्ताह में 67.8 करोड़ डॉलर घटकर 634.287 अरब डॉलर रह गया. भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) के शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार 14 जनवरी को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.229 अरब डॉलर बढ़कर 634.965 अरब डॉलर हो गया था. जबकि तीन सितंबर, 2021 को समाप्त सप्ताह में यह रिकार्ड 642.453 के उच्च स्तर पर रहा था. आरबीआई के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार 21 जनवरी को समाप्त समीक्षाधीन सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आने की वजह कुल मुद्रा भंडार का अहम हिस्सा माने जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों (एफसीए) में गिरावट आना है. रिजर्व बैंक के आंकड़ों के अनुसार, इस सप्ताह में एफसीए 1.155 अरब डॉलर घटकर 569.582 अरब डॉलर रह गया. डॉलर में अभिव्यक्त किये जाने वाले विदेशी मुद्रा आस्तियों में विदेशी मुद्रा भंडार में रखे यूरो, पौंड और येन जैसे गैर-अमेरिकी मुद्रा के घट-बढ़ को भी शामिल किया जाता है.
इस सप्ताह स्वर्ण भंडार का मूल्य 56.7 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.337 अरब डॉलर हो गया. आलोच्य सप्ताह में अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (International Monetary Fund) विदेशी मुद्रा संकेत के पास विशेष आहरण अधिकार 6.8 करोड़ डॉलर घटकर 19.152 अरब डॉलर रह गया.अंतररराष्ट्रीय मुद्राकोष में देश का मुद्रा भंडार भी 2.2 करोड़ डॉलर घटकर 5.216 अरब डॉलर रह गया.
रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है. आरबीआई जब मॉनिटरी पॉलिसी विदेशी मुद्रा संकेत तय करता है तो उसके लिए यह काफी अहम फैक्टर होता है कि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार कितना है. जब आरबीआई के खजाने में डॉलर भरा होता है तो करेंसी को मजबूती मिलती है.
जैसा कि हम जानते हैं भारत बड़े पैमाने पर आयात करता है. जब भी हम विदेशी से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजैक्शन डॉलर में होते हैं. ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है. अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है.
अगर विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आ रही है तो इसका मतलब होता है कि देश में बड़े पैमाने पर FDI आ रहा है. अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी निवेश बहुत अहम है. अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा डाल रहे हैं तो दुनिया को यह संकेत जाता है कि इंडियन इकोनॉमी पर उनका भरोसा बढ़ रहा है.
Forex Reserves: विदेशी मुद्रा भंडार 4.23 अरब डॉलर बढ़ा, गोल्ड रिजर्व में भी हुआ इजाफा
India Forex Reserves: 20 मई, 2022 को खत्म हुए सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 4.23 अरब डॉलर बढ़कर 597.509 अरब डॉलर हो गया.
- पीटीआई
- Last Updated : May 27, 2022, 21:43 IST
नई दिल्ली. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign Exchange Reserves/Forex Reserves) 20 मई को खत्म हुए सप्ताह में 4.23 अरब डॉलर बढ़कर 597.509 अरब डॉलर हो गया. भारतीय रिजर्व बैंक यानी आरबीआई (RBI) की ओर से शुक्रवार को जारी आंकड़ों में यह जानकारी दी गई है.
इससे पहले 13 मई को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार 2.676 अरब डॉलर घटकर 593.279 अरब डॉलर रह गया था. 6 मई को खत्म हुए सप्ताह में यह 1.774 अरब डॉलर घटकर 595.954 अरब डॉलर रह गया था.
3.825 अरब डॉलर बढ़ी एफसीए
आरबीआई के शुक्रवार को जारी साप्ताहिक आंकड़ों के मुताबिक, 20 मई को खत्म हुए सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में यह वृद्धि मुख्य रूप से फॉरेन करेंसी एसेट यानी एफसीए (Foreign Currency Assets) में आई बढ़ोतरी की वजह से हुई जो कुल मुद्रा भंडार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. रिजर्व बैंक ने कहा कि रिपोर्टिंग वीक में भारत की एफसीए (FCA) 3.825 अरब डॉलर बढ़कर 533.378 अरब डॉलर हो गई. डॉलर में बताई जाने वाली एफसीए में विदेशी मुद्रा भंडार में रखी यूरो, पाउंड और येन जैसी दूसरी विदेशी मुद्राओं के मूल्य में वृद्धि या कमी का प्रभाव भी शामिल होता है.
गोल्ड रिजर्व में इजाफा
आंकड़ों के मुताबिक, रिपोर्टिंग वीक में गोल्ड रिजर्व का मूल्य भी 25.3 करोड़ डॉलर बढ़कर 40.823 अरब डॉलर हो गया. रिपोर्टिंग वीक में इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड यानी एमआईएफ (IMF) में देश का एसडीआर यानी स्पेशल ड्राइंग राइट (Special Drawing Rights) 10.2 करोड़ डॉलर बढ़कर 18.306 अरब डॉलर हो गया. आईएमएफ में रखे देश का मुद्रा भंडार 5.1 करोड़ डॉलर बढ़कर 5.002 अरब डॉलर पहुंच गया.
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देश के विदेशी मुद्रा भंडार में फिर आई कमी, जानें कितना रह गया है?
रिजर्व बैंक की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, 04 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 12 करोड़ डॉलर कम होकर 470.73 अरब डॉलर रह गई।
देश के विदेशी मुद्रा भंडार में एक बार फिर कमी आई है। विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति, स्वर्ण, विशेष आहरण अधिकार (एसडीआर) और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास आरक्षित निधि घटने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार 4 नवंबर को समाप्त सप्ताह में 1.09 अरब डॉलर घटकर 529.9 अरब डॉलर रह गया, जबकि इसके पिछले सप्ताह यह 6.6 अरब डॉलर बढ़कर 531.1 अरब डॉलर पर रहा था।
रिजर्व बैंक की ओर से जारी साप्ताहिक आंकड़े के अनुसार, 04 नवंबर को समाप्त सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार के सबसे बड़े घटक विदेशी मुद्रा परिसंपत्ति 12 करोड़ डॉलर कम होकर 470.73 अरब डॉलर रह गई। इसी तरह इस अवधि में स्वर्ण भंडार में 70.5 करोड़ डॉलर की गिरावट आई और यह घटकर 37.06 अरब डॉलर हो गया।
आलोच्य सप्ताह एसडीआर में 23.5 करोड़ डॉलर की कमी हुई और यह घटकर 17.4 अरब डॉलर पर आ गया। इस अवधि में आईएमएफ के पास आरक्षित निधि 2.7 करोड़ विदेशी मुद्रा संकेत डॉलर घटकर 4.82 अरब डॉलर पर आ गई।
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