विकल्प बाजार

Option Trading Meaning in Hindi
ऑप्शन ट्रेडिंग की शुरूआत प्राचीन ग्रीस में हुई थी, जहां व्यक्ति जैतून की फसल पर अटकलें लगाते थे। आजकल आप ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है। सीख सकते है। और फारेक्स , स्टाॅक , वस्तुएं, बानॅड और स्टाॅक मार्केट सुचकांक जैसे अधिकांष बाजारों में विकल्प ट्रेडिंग रणनीतियों का उपयोग कर सकते है।
जो लोग ऑनलाइन ट्रेडिंग में भाग लेते है। उनके लिए सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक है। स्टाॅक विकल्प ट्रेडिंग । ऑनलाइन ऑप्शन ट्रेडिंग में यदि आप एक विकल्प अनुबंध खरीदते है। तो यह आप को भविष्य में किसी निष्चित तिथि से पहले या एक निर्धारित मुल्य पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने की अधिकार देता है। लेकिन कोई बाध्यता नहीं है।
Option Trading और अन्य उत्पादों के बीच सबसे बड़ा अंतर विकल्प बाजार यह है। कि विकल्प अनुंबधों की समाप्ति तिथियां होती है। इसका मतलब यह है। कि व्यापार पर अपेक्षित लाभ उस समय से स्पष्ट नहीं है। जब व्यापार शुरू किया जाता है। तो न केवल व्यापारी को सही दिषा चुनने की आवष्यकता होती है। उन्हें यह भी अनुमान लगाने की आवष्यकता होती है। कि बाजार कब तक उनकी दिषा में आगे बढ़ेगा साथ ही चाल की अपेक्षित अस्थिरता क्या होगा। एक विकल्प की कीमत अस्थिरता परिवर्तन ब्याज दरों में परिवर्तन आयतन और कई अन्य कारकों के ऊपर निर्भर है।
लेकिन इस ऑप्शन ट्रेडिंग गाइड इन में हम उतने जटिल सिद्धांतों में नहीं जायेंगें। फिलहाल आइए थोड़ा और गहराई से ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करें को समझें और व्यापार के विभिन्न प्रकारों के लिए उपलब्ध रणनीतियों के बारे में विकल्प बाजार थोड़ा और जानें।
ऑप्शन ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है।
सबसे पहले यह जानना जरूरी है। कि ऑप्शन ट्रेडिंग दो प्रकार की होती है।
कालॅ ऑप्शन क्या है।
एक कालॅ विकल्प खरीदने से खरीदार को एक पूर्व निर्धारित कीमत पर एक पूर्व निर्धारित तिथि में एक कंपनी के शेयरों को खरीदने का अधिकार मिलता है। लेकिन दायित्व नहीं कालॅ ऑप्शन ट्रेडिंग में विक्रता के पास दायित्व होती है। क्योंकि यदि काॅल खरीदार शेयर खरीदने का विकल्प लेने का फैसला करते है। तो काॅल लेखक अपने शेयरों को पूर्व निर्धारित मूल्य पर खरीदार को बेचने के लिए बाध्य है।
कालॅ विकल्प उदाहरण
मान लीजिए कि एक व्यापारी ने 180 के स्ट्राइक मूल्य के साथ एप्पल पर कालॅ विकल्प खरीदा जो छह सप्ताह के बाद समाप्त होने वाला था। इसका मतलब है। कि काॅल विकल्प खरीदने वाले व्यापारी को प्रति शेयर 180 का भुगतान कर उस विकल्प का उपयोग करने का अधिकार है।
पुट ऑप्शन क्या है।
पुट ऑप्शन खरीदने से खरीदार को अधिकार मिलता है। लेकिन बाध्यता नहीं की वो एक पूर्व निर्धारित स्ट्राइक मूल्य पर पूर्वनिर्धारित समय पर अंतर्निहित स्टाॅक को बेचें। पूट ऑप्शन में व्यापारी स्टाॅक की कीमत मेें गिरावट पर दावं लगा रहा है। और बाजार में अनिवार्य रूप से शाॅर्टिंग कर रहा है।
पुट ऑप्शन ट्रेडिंग उदाहरण
पुट क्या होता है और भी अच्छी तरह समझने के लिए आइए एक स्टाॅक विकल्प ट्रेडिंग उदाहरण देखें।
मान लीजिए कि टेस्ला प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है। और इस स्टाइक मूल्य पर पुट ऑप्शन की कीमत प्रति कॉन्ट्रैक्ट है। जो तीन महीने के समय में समाप्त हो रही है।
जैसा कि एक विकल्प अनुबंध 100 शेयरों के बराबर है। 1 पुट की लागत 600 है। 100 शेयर 1 पुट इसे विकल्प प्रीमियम के रूप में भी जाना जाता है। व्यापारी की टू ब्रेक इवन कीमत स्ट्राइक मूल्य कम पुट कीमत है। इस उदाहरण में योग होगा।
यदि अनुबंध की समाप्ति तिथि पर टेस्ला का अंतर्निहित स्टाॅक मूल्य 354 और 360 के बीच कारोबार कर रहा है। तो विकल्प में कुछ मूल्य होगा। लेकिन लाभ नहीं दिखाएगा। यदि शेयर की कीमत 360 के स्ट्राइक मूल्य से ऊपर रहती है। तो विकल्प फिर बेकार हो जाएगा। और व्यापारी पुट के लिए भुगतान की गई कीमत को खो देगा। यदि शेयर की कीमत 354 और उससे कम हो जाती है। तो व्यापारी लाभ में होने लगेगा।
ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करें।
विकल्प ट्रेडिंग विकल्प बाजार उदाहरण को सीखते समय एक विकल्प की कीमत पर सभी प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है।
विकल्प पारंपरिक प्रतिभूतियाँ है। जिसका अर्थ है। कि बहूत कम विकल्प वास्तव में समाप्त होते है। और आखिर में शेयर हस्तांतरित होता है। ऐसा इसलिए है। क्योंकि अधिकांष व्यापारी केवल अंतर्निहित संपत्ति की कीमत की गति पर सटा लगाने के लिए एक वाहन के रूप में उनका उपयोग करते है। हालाकिं सभी विकल्प अपनी अंतर्निहित परिसंपत्तियों कें मूल्य आंदोलन का अनुसरण नहीं करतें है। ऐसा इसलिए है। क्योंकि एक विकल्प का मूल्य समय के साथ कम हो जाता है।
यह अजीब लग सकता है। लेकिन इसी कारण से कई लोग खासकर शुरूआती व्यापारिया विकल्प ट्रेडिंग में पैसा खो देते है। इसीलिए विकल्प ट्रेडिंग रणनीतियों का उपयोग करते समय व्यापारियों के लिए यूनानियों को समझना महत्वपूर्ण है। डेल्टा, वेगा, गामा, थीटा।
ये सांख्यिकीय मूल्य है। जो एक विकल्प अनुबंध के व्यापार से जुड़े जोखिमों को मापते है।
डेल्टाः-
यह मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति की कीमत में बदलाव के लिए विकल्प की मूल्य संवेदनषीलता को मापता है। अर्थात यह उन बिंदुओं की संख्या है। जो अंतर्निहित परिसंपत्ति में प्रत्येक एक बिदुं परिवर्तन के लिए विकल्प की कीमत का स्थानांतरन को दिखाता है। अंतर्निहित परिसंपत्ति में एक बिंदु चाल हमेंषा आपके विकल्प मूल्य में एक बिदुं के कदम के बराबर नहीं होगी। डेल्टा मान काॅल विकल्पों के लिए 0 और 1 के बीच होती है। और पुट विकल्पों के लिए 0 और 1 के बीच होते है।
यह मूल्य अंतर्निहित संपत्ति की अस्थिरता मे। बदलाव के लिए विकल्प की स्वेदनशीलताको मापता है। यह अंतर्निहित बाजार की अस्थिरता में 1 परिवर्तन के जवाब में एक विकल्प की कीमत कितनी बदल जाएगी। उस राषि का प्रतिनिधित्व करता है।
यह मूल्य अंतर्निहित उपकरण के भीतर मूल्य परिवर्तन के जवाब में डेल्टा मूल्य की स्वेदनशीलता को मापता है।
थीटाः- यह मान किसी विकल्प के समय के क्षय को मापता है। विकल्प समाप्ति की तारीख के जितना करीब होता है उतना ही बेकार हो सकता है। थीटा प्रत्येक दिन एक सैद्धान्तिक डाॅलर मूल्य में विकल्प का मूल्य में घटौती मापता है।
स्प्रेड
ऑप्शन ट्रेडिंग अधिक लोकप्रिय है। क्योंकि यह एक व्यापारी को अपने जोखिम को सीमित करने की अनुमति देता है। इस प्रकार की रणनीति में एक व्यापारी एक साथ विकल्प खरीद और बेच सकते है। इसका उदाहरण एक बुल काॅल स्प्रेड है। जहां एक व्यापारी एक विषिष्ट स्ट्राइक मूल्य विकल्प बाजार पर एक काॅल खरीदते हैं जबकि वह एक ही समाप्ति के साथ एक ही साधन पर उच्च स्ट्राइक मूल्य पर समान काॅल बेचते है।
बाजार को बरकाने लायक विकल्प
कोविड-19 महामारी से उपजी आर्थिक महामंदी ने बाजारों में खलबली मचा दी है। इससे निपटने के लिए तरह-तरह की सरकारी राहतों के अलावा नोट छापकर बांटने तक के सुझाव दिए जा रहे हैं। क्या महात्मा गांधी, जिन्होंने 1930 की पिछली वैश्विक महामंदी को देखा-समझा था, इससे निपटने की कोई तजबीज दे सकते हैं? क्या बाजार को बरकाकर भी इस आर्थिक संकट का कोई निदान हो सकता है?
दीपावली आने पर है। जीवन की कठिनाइयों को सह्य बनाने के लिए आदमी ने त्यौहारों की कल्पना की होगी। कठिनाइयां कम क्या हुईं यह तो पता नहीं, लेकिन त्यौहार खुद ही एक समस्या बन गये हैं, यह हम रोज देख रहे हैं। त्यौहार क्या हुए, बाजार का हमला हो गया।
छोटी-बड़ी कंपनियां महीनों पहले से त्यौहारों में दी जाने वाली छूटों की योजना बना लेती हैं और विज्ञापनों की बमबारी शुरू हो जाती है। एक या दो पीढ़ी पहले की बात करूं, तो होता यह था कि उपभोक्ता भी अपनी ख़रीदी त्यौहार के दिनों के लिए स्थगित रखता था। अब बाजार सांस लेने ही नहीं देता है। फ़िल्मी कलाकार अक्षय कुमार कहते हैं कि ‘रुको नहीं, कुछ-न-कुछ नया करते रहो;’ खिलाड़ी विराट कोहली कहते हैं कि ‘घड़ी हो या रिश्ते, फ़ास्ट ट्रैक पर बदलो!’
कोरोना काल में तो खरीदी का एक नया ही मतलब समझ में आ रहा है। सरकार हो कि प्रचार तंत्र कि कंपनियां कि दूकानें कि गली के नाके पर बना होटल, सभी सन्निपात में पड़े हैं कि उपभोक्ता अपने बिल से निकल क्यों नहीं रहा? लोग खर्चा करें इसके लिए बैंक कर्ज दे रहे हैं, सरकार योजनाएं दे रही है और उद्योग छूट दे रहे हैं, लेकिन उपभोक्ता मुंह फिरा कर बैठा है। उसकी नौकरी चली गई है या कभी भी चली जा सकती हैं। पगार कट कर आधी भी नहीं मिल रही है, और उसका बचत-खाता शून्य हो चुका है।
यह दूसरी या तीसरी बार ही हो रहा है, जब बाजार इस तरह से उपभोक्ता के दबाव में है। औद्योगिक व्यवस्था में अमूमन मंदी तब आती है, जब उत्पादन जरूरत से ज़्यादा हो जाए और उपभोक्ता की खरीदने की गति पिछड़ जाए, लेकिन यह मंदी अलग है। उपभोक्ता की खर्च करने की शक्ति ही कम हो गई है, इच्छाशक्ति भी चूक गई है। मांग न होने की वजह से उत्पादक उत्पादन तो घटाता जा रहा है, लेकिन मांग उससे भी तेजी से घट रही है। थोक उत्पादन की मजबूरी यह है कि एक हद के बाद उत्पादन घट नहीं सकता, कंपनियां दिवालिया ही हो सकती हैं। दुनिया ने ऐसी मंदी इससे पहले, प्रथम विश्वयुद्ध के बाद, 1930 के दौरान देखी गई थी। इसे महामंदी का नाम दिया गया था। इस मंदी पर शोध करने वालों को नोबल पुरस्कार भी मिला और आने वाले समय में 1930 की मंदी से मिली सीख से योजनाएं भी बनीं। योजनाएं बनती रहीं, मंदी अपनी जगह बनी रही। कोविड-19 की वजह से बनी इस मौजूदा मंदी को 1930 के बाद की सबसे विकट महामंदी माना जा रहा है।
आज पहल उत्पादक के हाथ में नहीं, उपभोक्ता के हाथ में है। उसे मनाया जा रहा है, तरह-तरह की छूट दी जा रही है। उसके खातों में पैसे डाले जा रहे हैं। कई तरह के विज्ञापन बन रहे हैं। लोग खर्च करेंगे, तभी लोगों के घर चलेंगे, रोज़गार पैदा होगा, लेकिन सवाल यह है कि क्या केवल खर्च करने से रोज़गार पैदा होता है? अगर ऐसा था तब तो मंदी आनी ही नहीं चाहिए थी। आज तो बाज़ारवाद, उपभोक्तावाद अपने चरम पर है। जो हमें नहीं चाहिए, वह भी हम ख़रीदते हैं। बाजार नई-नई ज़रूरतें पैदा करता है और हम उस पर खर्च भी करते हैं। फिर ऐसी मंदी क्यों आयी?
ऐसे में गांधी हमें समझाते मिलते हैं कि केवल खर्च करने से रोज़गार पैदा नहीं होते हैं। खर्च कौन कर रहा है, कमाई कहां जा रही है और खर्च किन चीजों पर हो रहा है – यह पूरी कड़ी जब तक सही न हो, तब तक रोज़गार पैदा नहीं हो सकते। ये सब एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और एक-दूसरे के पूरक हैं। तब की और आज की महामंदी के अलावा दुनिया में तीसरी बार जब उपभोक्ता का दबाव बना था, वह काल था गांधी के स्वदेशी के प्रयोग का। यह एक रचनात्मक दबाव था और उसके परिणाम भी रचनात्मक थे। क्या गांधी के उसी सूत्र पर कोविड-19 की यह मंदी भी कस कर देखी जा सकती है?
पहला सवाल है कि खर्च कौन कर रहा है? अपनी बुनियादी जरूरत से थोड़ा अधिक खर्च केवल वह करता है जिसके पास पैसे का नियमित स्त्रोत बना हुआ है। इसलिए ज़रूरी है कि पैसा सबके पास नियमित पहुंचता रहे। अब इसे सरकार की तरफ से सीधे खाते में डाली जाने वाली रकम से जोड़िए, लेकिन ऐसी मदद लगातार संभव नहीं है। आधुनिक कुबेर अमेरिका की भी तिजोरी ख़ाली हो गई है !
सबके पास पैसे नियमित पहुंचें, इसका रास्ता है रोजगार ! लेकिन लगातार बढ़ते मशीनीकरण, थोक उत्पादन और आर्टिफ़िशल इंटेलीजेंस (एआई) के बढ़ते चलन से ज़्यादा-से-ज़्यादा काम मशीनें करेंगी तो नियमित और निश्चित रोज़गार इंसान को मिलना असंभव हो जाएगा।
अब दूसरा सवाल। खर्च की हुई कमाई कहां जा रही है? क्या आप मेरी इस बात से सहमत होंगे कि गरीब-से-गरीब का खर्च किया हुआ पैसा भी जाता उन्हीं के पास है, जिनके पास पहले से बहुत सारा पैसा है। साबुन, मंजन, क्रीम, कपड़ा, जूता, फ़ोन, कम्प्यूटर, यहां तक कि नमक, आटा, नाश्ता और पानी भी खरीदते हम हैं, लेकिन तिजोरी उनकी भरती है, जिनका खजाना पहले से ही भरा हुआ है।
अब आख़िरी सवाल। उपभोक्ता किन सामानों पर खर्च करता है? अमूमन हम उन्हीं सामानों पर खर्च करते हैं जिनका प्रचार होता हो। अगर हम पहले और दूसरे सवालों को ध्यान में रखते हुए तीसरे का जवाब खोजें, तो हमें पूरा जवाब मिलता है। सभी उस तालाब को भरते हैं, जिसमें पहले से पानी भरा हुआ होता है।
तब गांधी कहते हैं कि सभी की कमाई हो, ताकि सभी खर्च भी कर सकें और उपभोक्ता का खर्च किया हुआ एक-एक रुपया सभी में बंटे, ऐसी व्यवस्था संभव है। वे अपना चरखा आगे करते हैं : जो कातें, सो पहनें और जो पहनें, सो कातें ! मतलब माल भी, उत्पादन भी और उपभोक्ता भी एक ही हो गया – बाजार नहीं है, जरूरतें हैं और उन जरूरतों के अपने ग्राहक भी हैं। अपनी रोज की जरूरत का 80% से ज़्यादा सामान ऐसा है जो हम खुद उगा सकते हैं, बना सकते हैं और अपने पड़ोसी से खरीद सकते हैं। ताज़ा, पड़ोस में बना हुआ, शुद्ध, बिना मिलावट का सामान अपने पास मौजूद हो तो विज्ञापन वाला संदिग्ध सामान क्यों लें हम? गांधी कहते भर नहीं हैं, खादी-ग्रामोद्योग द्वारा उसे साकार भी कर दिखाते हैं।
जो कभी साकार हुआ था उसे फिर से आकार देने की चुनौती हम स्वीकार करें तो बाजार की नकेल हमारे हाथ में होगी। सबके पास पूंजी होगी और सबके पड़ोस में सामान होगा। तब ही कह सकेंगे हम : जागो, ग्राहक, जागो ! (सप्रेस)
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भारतीय शेयर बाजार पर क्यों बढ़ा विदेशी निवेशकों का भरोसा? नवंबर में अब तक 19000 करोड़ रुपए लगाए
नवंबर महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने करीब 19,000 करोड़ रुपए की खरीदारी की है. इसके पहले अगस्त महीने में भी FPIs ने करीब 51,200 करोड़ रुपए की खरीदारी की थी. अमेरिका में महंगाई में कमी और डॉलर और बॉन्ड यील्ड में गिरावट से भी विदेशी निवेशकों की खरीदारी बढ़ी है.
घरेलू बाजार में विदेशी निवेशकों का भरोसा बढ़ा है. इस महीने अब तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में करीब 19,विकल्प बाजार 000 करोड़ रुपए का निवेश किया है. माना जा रहा है कि अमेरिका में महंगाई घटने और डॉलर में नरमी से विदेशी निवेशकों ने भारत की ओर रुख किया है. हालांकि, इसके संकेत पिछले महीने से ही मिलने शुरू हो गए थे. अक्टूबर में विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में केवल 8 करोड़ रुपए की बिकवाली की थी. इसके पहले सितंबर महीने में 7,624 करोड़ रुपए के शेयर बेचे थे.
इसके पहले विदेशी निवेशकों ने अगस्त महीने में कुल 51,200 करोड़ रुपए की खरीदारी की थी. जुलाई में ये खरीदारी करीब 5,000 करोड़ रुपए की थी. जुलाई से पहले विदेशी निवेशकों ने लगातार 9 महीने तक भारतीय बाजार में केवल बिकवाली की थी. पिछले साल अक्टूबर महीने से इस साल जून तक विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजार में बिकवाली की थी.
Geojit Financial Services के चीफ इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटेजिस्ट, वी के विजयकुमार का मानना है कि आने वाले दिनों में विदेशी निवेशकों की ये खरीदारी अभी और बढ़ने वाली है. अमेरिका में महंगाई में अब कमी आने का दौर शुरू हो चुका है. इसके अलावा डॉलर और बॉन्ड यील्ड में गिरावट देखने को मिल रही है. उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारतीय कंपनियों का ग्रोथ आउटलुक बेहतर नजर आ रहा है.
डिपॉजिटरी आंकड़ों से पता चलता है कि 1 से 11 नवंबर के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPIs) ने 18,979 करोड़ रुपए का निवेश किया है. इस साल अब तक FPIs का इक्विटी में आउटफ्लो बढ़कर 1.5 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है. अक्टूबर महीने में FPIs ने बिकवाली की थी लेकिन वैश्विक बाजार के सेंटीमेंट में सुधार के बाद इस बिकवाली में कमी आई. नवंबर महीने में FPIs की खरीदारी बढ़ी है.
Kotak Securities के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) - हेड, श्रीकांत चौहान ने कहा कि विदेशी निवेशकों की ये हालिया खरीदारी महंगाई में नरमी, ग्लोबल बॉन्ड यील्ड और डॉलर इंडेक्स में कमी आने की वजह से है. उन्होंने कहा कि वैश्विक उठा-पटक के बीच भी घरेलू बाजार में मजबूती रही है. हाल के दिनों में घरेलू इक्विटी बाजार में देखने को मिली है. विदेशी निवेशक इस मौके को खोना नहीं चाहते हैं.
इसके अलावा दुनिया की अन्य अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारतीय अर्थव्यवस्था में मंजबूती के संकेत मिल रहे हैं. कंपनियों की तिमाही नतीजों में भी इसके संकेत मिले हैं. डॉलर के मुकाबले रुपए में स्थिरता से भी विदेशी निवेशकों ने भारत की की ओर एक बार फिर रुख किया है.
घरेलू स्तर पर देखें तो RBI ने भी महंगाई पर लगाम लगाने के लिए लगातार जरूरी कदम उठाए हैं. टैक्स कलेक्शन जबरदस्त रहा है, घरेलू खपत में इजाफा हुआ है. इससे निवेशकों के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे बेहतर विकल्प के तौर पर उभरा है. कई बडे़ निवेश भी चीन छोड़कर भारत में आए हैं. फिलहाल चीन में राजनीतिक अनिश्चितता और अर्थव्यवस्था में सुस्ती देखने को मिल रही है. भारत के अलावा विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक फिलिपिंस, दक्षिण कोरिया, ताइवान और थाईलैंड में भी निवेश बढ़ा रहे हैं.
मनीमाजरा संडे कार बाजार के लिए सबसे सही विकल्प
चंडीगढ़ (राजिंद्र): संडे कार बाजार को शिफ्ट करने के लिए मेयर देवेश मोदगिल की तरफ से गठित कमेटी की मंगलवार को मीटिंग हुई। इसमें कमेटी ने सुझाव दिया कि मनीमाजरा सब ऑफिस के पास कार बाजार को शिफ्ट किया जा सकता है, जहां पर निगम को सुविधाएं मुहैया करवाने की जरुरत भी नहीं होगी। यहां 700 गाडिय़ों को पार्क की क्षमता है, जहां पर गाड़ी के ट्रायल और टैस्टिंग के लिए भी उचित स्पेस है।
कमेटी के चेयरमैन अनिल कुमार दुबे ने कहा कि उन्होंने मनीमाजरा, हल्लेामाजरा और सैक्टर-34 में कार बाजार को शिफ्ट करने के लिए विकल्प तलाशने हेतु तीनों जगह का दौरा किया है। इसमें यही सामने आया है कि हल्लोमाजरा साइट कार बाजार के लिए फिट नहीं बैठती है। एक तो ये रेजिडैंशियल एरिया के नजदीक है, दूसरा यहां पर ट्रैफिक की भी समस्या है।
ये लोगों की पहुंच से भी बाहर है, इसलिए यहां पर डीलर काम करने से इंकार कर रहे हैं, क्योंकि उनका व्यापार प्रभावित हो रहा है। उन्होंने कहा कि बच्चे और पशु इस एरिया के पास घूमते रहते हैं, इसलिए कार बाजार के लिए सबसे सही जगह मनीमाजरा ही रहती है, जहां इसे शिफट किया जा सकता है।
हल्लोमाजरा में पार्क कर सकते हैं हैवी व्हीकल
अनिल कुमार दुबे ने कहा कि मौजूद कार बाजार हल्लोमाजरा की साइट का इस्तेमाल हैवी व्हीकल्स की पार्किंग के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जहां पर टूरिस्ट बस, स्कूल बस और अन्य प्राईवेट हैवी व्हीकल्स को पार्क किया जा सकता है, जिससे कि निगम को राजस्व भी प्राप्त होगा। अब कमेटी के इस सुझाव पर निगम हाउस की मीटिंग में चर्चा की जाएगी।
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Option Trading Meaning in Hindi
ऑप्शन ट्रेडिंग की शुरूआत प्राचीन ग्रीस में हुई थी, जहां व्यक्ति जैतून की फसल पर अटकलें लगाते थे। आजकल आप ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है। सीख सकते है। और फारेक्स , स्टाॅक , वस्तुएं, बानॅड और स्टाॅक मार्केट सुचकांक जैसे अधिकांष बाजारों में विकल्प ट्रेडिंग रणनीतियों का उपयोग कर सकते है।
जो लोग ऑनलाइन ट्रेडिंग में भाग लेते है। उनके लिए सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक है। स्टाॅक विकल्प ट्रेडिंग । ऑनलाइन ऑप्शन ट्रेडिंग में यदि आप एक विकल्प अनुबंध खरीदते है। तो यह आप को भविष्य में किसी निष्चित तिथि से पहले या एक निर्धारित मुल्य पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने की अधिकार देता है। लेकिन कोई बाध्यता नहीं है।
Option Trading और अन्य उत्पादों के बीच सबसे बड़ा अंतर यह है। कि विकल्प अनुंबधों की समाप्ति तिथियां होती है। इसका मतलब यह है। कि व्यापार पर अपेक्षित लाभ उस समय से स्पष्ट नहीं है। जब व्यापार शुरू किया जाता है। तो न केवल व्यापारी को सही दिषा चुनने की आवष्यकता होती है। उन्हें यह भी अनुमान लगाने की आवष्यकता होती है। कि बाजार कब तक उनकी दिषा में आगे बढ़ेगा साथ ही चाल विकल्प बाजार की अपेक्षित अस्थिरता क्या होगा। एक विकल्प की कीमत अस्थिरता परिवर्तन ब्याज दरों में परिवर्तन आयतन और कई अन्य कारकों के ऊपर निर्भर है।
लेकिन इस ऑप्शन ट्रेडिंग गाइड इन में हम उतने जटिल सिद्धांतों में नहीं जायेंगें। फिलहाल आइए थोड़ा और गहराई से ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करें को समझें और व्यापार के विभिन्न प्रकारों के लिए उपलब्ध रणनीतियों के बारे में थोड़ा और जानें।
ऑप्शन ट्रेडिंग कितने प्रकार की होती है।
सबसे पहले यह जानना जरूरी है। कि ऑप्शन ट्रेडिंग दो प्रकार की होती है।
कालॅ ऑप्शन क्या है।
एक कालॅ विकल्प खरीदने से खरीदार को एक पूर्व निर्धारित कीमत पर एक पूर्व निर्धारित तिथि में एक कंपनी के शेयरों को खरीदने का अधिकार मिलता है। लेकिन दायित्व नहीं कालॅ ऑप्शन ट्रेडिंग में विक्रता के पास दायित्व होती है। क्योंकि यदि काॅल खरीदार शेयर खरीदने का विकल्प लेने का फैसला करते है। तो काॅल लेखक अपने शेयरों को पूर्व निर्धारित मूल्य पर खरीदार को बेचने के लिए बाध्य है।
कालॅ विकल्प उदाहरण
मान लीजिए कि एक व्यापारी ने 180 के स्ट्राइक मूल्य के साथ एप्पल पर कालॅ विकल्प खरीदा जो छह सप्ताह के बाद समाप्त होने वाला था। इसका मतलब है। कि काॅल विकल्प खरीदने वाले व्यापारी को प्रति शेयर 180 का भुगतान कर उस विकल्प का उपयोग करने का अधिकार है।
पुट ऑप्शन क्या है।
पुट ऑप्शन खरीदने से खरीदार को अधिकार मिलता है। लेकिन बाध्यता नहीं की वो एक पूर्व निर्धारित स्ट्राइक मूल्य पर पूर्वनिर्धारित समय पर अंतर्निहित स्टाॅक को बेचें। पूट ऑप्शन में व्यापारी स्टाॅक की कीमत मेें गिरावट पर दावं लगा रहा है। और बाजार में अनिवार्य रूप से शाॅर्टिंग कर रहा है।
पुट ऑप्शन ट्रेडिंग उदाहरण
पुट क्या होता है और भी अच्छी तरह समझने के लिए आइए एक स्टाॅक विकल्प ट्रेडिंग उदाहरण देखें।
मान लीजिए कि टेस्ला प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है। और इस स्टाइक मूल्य पर पुट ऑप्शन की कीमत प्रति कॉन्ट्रैक्ट है। जो तीन महीने के समय में समाप्त हो रही है।
जैसा कि एक विकल्प अनुबंध 100 शेयरों के बराबर है। 1 पुट की लागत 600 है। 100 शेयर 1 पुट इसे विकल्प प्रीमियम के विकल्प बाजार रूप में भी जाना जाता है। व्यापारी की टू ब्रेक इवन कीमत स्ट्राइक मूल्य कम पुट कीमत है। इस उदाहरण में योग होगा।
यदि अनुबंध की समाप्ति तिथि पर टेस्ला का अंतर्निहित स्टाॅक मूल्य 354 और 360 के बीच कारोबार कर रहा है। तो विकल्प में कुछ मूल्य होगा। लेकिन लाभ नहीं दिखाएगा। यदि शेयर की कीमत 360 के स्ट्राइक मूल्य से ऊपर रहती है। तो विकल्प फिर बेकार हो जाएगा। और व्यापारी पुट के लिए भुगतान की गई कीमत को खो देगा। यदि शेयर की कीमत 354 और उससे कम हो जाती है। तो व्यापारी लाभ में होने लगेगा।
ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करें।
विकल्प ट्रेडिंग उदाहरण को सीखते समय एक विकल्प की कीमत पर सभी प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है।
विकल्प पारंपरिक प्रतिभूतियाँ है। जिसका अर्थ है। कि बहूत कम विकल्प वास्तव में समाप्त होते है। और आखिर में शेयर हस्तांतरित होता है। ऐसा इसलिए है। क्योंकि अधिकांष व्यापारी केवल अंतर्निहित संपत्ति की कीमत की गति पर सटा लगाने के लिए एक वाहन के रूप में उनका उपयोग करते है। हालाकिं सभी विकल्प अपनी अंतर्निहित परिसंपत्तियों कें मूल्य आंदोलन का अनुसरण नहीं करतें है। ऐसा इसलिए है। क्योंकि एक विकल्प का मूल्य समय के साथ कम हो जाता है।
यह अजीब लग सकता है। लेकिन इसी कारण से कई लोग खासकर शुरूआती व्यापारिया विकल्प ट्रेडिंग में पैसा खो देते है। इसीलिए विकल्प ट्रेडिंग रणनीतियों का उपयोग करते समय व्यापारियों के लिए यूनानियों को समझना महत्वपूर्ण है। डेल्टा, वेगा, गामा, थीटा।
ये सांख्यिकीय मूल्य है। जो एक विकल्प अनुबंध के व्यापार से जुड़े जोखिमों को मापते है।
डेल्टाः-
यह मूल्य अंतर्निहित परिसंपत्ति की कीमत में बदलाव के लिए विकल्प की मूल्य संवेदनषीलता को मापता है। अर्थात यह उन बिंदुओं की संख्या है। जो अंतर्निहित परिसंपत्ति में प्रत्येक एक बिदुं परिवर्तन के लिए विकल्प की कीमत का स्थानांतरन को दिखाता है। अंतर्निहित परिसंपत्ति में एक बिंदु चाल हमेंषा आपके विकल्प मूल्य में एक बिदुं के कदम के बराबर नहीं होगी। डेल्टा मान काॅल विकल्पों के लिए 0 और 1 के बीच होती है। और पुट विकल्पों के लिए 0 और 1 के बीच होते है।
यह मूल्य अंतर्निहित संपत्ति की अस्थिरता मे। बदलाव के लिए विकल्प की स्वेदनशीलताको मापता है। यह अंतर्निहित बाजार की अस्थिरता में 1 परिवर्तन के जवाब में एक विकल्प की कीमत कितनी बदल जाएगी। उस राषि का प्रतिनिधित्व करता है।
यह मूल्य अंतर्निहित उपकरण के भीतर मूल्य परिवर्तन के जवाब में डेल्टा मूल्य की स्वेदनशीलता को मापता है।
थीटाः- यह मान किसी विकल्प के समय के क्षय को मापता है। विकल्प समाप्ति की तारीख के जितना करीब होता है उतना ही बेकार हो सकता है। थीटा प्रत्येक दिन एक सैद्धान्तिक डाॅलर मूल्य में विकल्प का मूल्य में घटौती मापता है।
स्प्रेड
ऑप्शन ट्रेडिंग अधिक लोकप्रिय है। क्योंकि यह एक व्यापारी को अपने जोखिम को सीमित करने की अनुमति देता है। इस प्रकार की रणनीति में एक व्यापारी एक साथ विकल्प खरीद और बेच सकते है। इसका उदाहरण एक बुल काॅल स्प्रेड है। जहां एक व्यापारी एक विषिष्ट स्ट्राइक मूल्य पर एक काॅल खरीदते हैं जबकि वह एक ही समाप्ति के साथ एक ही साधन पर उच्च स्ट्राइक मूल्य पर समान काॅल बेचते है।