अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें

भारत की क्रेडिट पर रिस्क सीमित
फिच रेटिंग्स ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा कि अमेरिका की सख्त मौद्रिक नीतियों (Monetary Policy Tightening) और वैश्विक स्तर बढ़ती महंगाई दर (High Inflation) से निपटने के लिए भारत तैयार है और उसके पास इस तरह के रिस्क के लिए पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार है. एजेंसी के मुताबिक बाहरी दबावों अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें से भारत की क्रेडिट को जो रिस्क है, वह बेहद सीमित है.
Pakistan Economic अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें Crisis: श्रीलंका के रास्ते पर पाकिस्तान की इकोनामी, खाली हो रहा विदेशी मुद्रा भंडार; जानें एक्सपर्ट की राय
आर्थिक बदहाली झेल रहे पाकिस्तान में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें रही हैं और लोग एक लीटर ईंधन के लिए 248 और 263 रुपये का भुगतान कर रहे हैं। बता दें पाकिस्तान 250 अरब अमेरिकी डालर से अधिक के कर्ज का सामना कर रहा है।
इस्लामाबाद, एजेंसियां। आर्थिक तंगी झेल रहे पाकिस्तान के लिए स्वतंत्र शासन के 75 साल काफी उथल-पुथल भरे और अशांत रहे हैं। सैन्य शासन और नागरिक सरकारों के बीच झूलता हुआ देश आज तक अपने किसी भी प्रधानमंत्री के पूरे पांच साल के कार्यकाल को देखने में विफल रहा है। इस राजनीतिक रस्साकशी ने राज्य के लिए विभिन्न आंतरिक चुनौतियों को जन्म दिया है, जो अपने गठन के समय एक उज्ज्वल भविष्य के लिए बहुत आश्वस्त और आत्मविश्वासी था। विशेष रूप से, पाकिस्तान की अस्थिरता के इतिहास में पिछले कुछ वर्षों में असाधारण रूप से गड़बड़ी हुई है, जिससे गंभीर आर्थिक अनिश्चितता पैदा हुई है। घटते विदेशी मुद्रा भंडार और बढ़ती मुद्रास्फीति के साथ, इस्लामिक गणराज्य अब आर्थिक पतन के कगार पर है। इस साल जून में पाकिस्तान में मुद्रास्फीति बढ़कर 21.3 प्रतिशत हो गई।
RBI के कदमों से विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट की रफ्तार कम हुई- रिपोर्ट
TV9 Bharatvarsh | Edited By: सौरभ शर्मा
Updated on: Aug 19, 2022 | 9:31 AM
भारतीय रिजर्व बैंक के हस्तक्षेप से मुद्रा बाजार में उतार-चढ़ाव के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार घटने की दर में कमी आई है. आरबीआई अधिकारियों के अध्ययन में यह कहा गया है. अध्ययन में 2007 से लेकर रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण मौजूदा समय में उत्पन्न उतार-चढ़ाव को शामिल किया गया है. केंद्रीय बैंक की विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप की एक घोषित नीति है. केंद्रीय बैंक यदि बाजार में अस्थिरता देखता है, तो हस्तक्षेप करता है. हालांकि, रिजर्व बैंक ने अभी तक रुपये के किसी स्तर को लेकर अपना कोई लक्ष्य नहीं दिया है.
ये भी पढ़ें
RBI आगे भी बढ़ा सकता है रेपो रेट, जानें केंद्रीय अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें बैंक ने अपने लेख में क्या कहा
ITR समय पर भरने के बावजूद देना पड़ सकता है 5000 का जुर्माना, क्यों? बचने का तरीका भी जान लें
भारत से लेकर चेक गणराज्य तक के घट रहे विदेशी मुद्रा भंडार, वैश्विक स्तर पर रिकॉर्ड 1 लाख करोड़ डॉलर की कमी
दुनिया भर में विदेशी मुद्रा भंडार (Foreign-Currency Reserves) में काफी तेजी से गिरावट आ रही है. इसकी वजह है कि भारत से लेकर चेक गणराज्य तक, कई देशों के केंद्रीय बैंकों ने अपनी-अपनी मुद्रा को समर्थन देने के लिए हस्तक्षेप किया है. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल वैश्विक मुद्रा भंडार लगभग 1 लाख करोड़ डॉलर या 7.8 प्रतिशत घटकर 12 लाख करोड़ डॉलर रह गया है. ब्लूमबर्ग ने इस डाटा को कंपाइल करना साल 2003 से शुरू किया था. विदेशी मुद्रा भंडार में यह तब से लेकर अब तक की सबसे बड़ी गिरावट है.
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 96 अरब डॉलर घटा
उदाहरण के लिए, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल 96 अरब डॉलर घटकर 538 अरब डॉलर रह गया है. देश के केंद्रीय बैंक आरबीआई का कहना है अप्रैल से अब तक के वित्तीय वर्ष के दौरान भंडार में आई गिरावट में 67 प्रतिशत का योगदान एसेट वैल्युएशन बदलाव का है. इसका अर्थ है कि शेष गिरावट, भारतीय मुद्रा को आगे बढ़ाने के लिए केंद्रीय बैंक के हस्तक्षेप की वजह से है. रुपये में इस साल डॉलर के मुकाबले करीब 9 प्रतिशत की गिरावट आई है और पिछले अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें महीने यह रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया.
जापान ने 1998 के बाद पहली बार मुद्रा को समर्थन देने के लिए सितंबर में येन की गिरावट को धीमा करने के लिए लगभग 20 अरब डॉलर खर्च किए. इसका, इस साल जापान के विदेशी मुद्रा भंडार अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें के नुकसान में लगभग 19% हिस्सा होगा. चेक गणराज्य में मुद्रा हस्तक्षेप ने फरवरी से भंडार को 19% कम किया है. हालांकि गिरावट की भयावहता असाधारण है, लेकिन मुद्राओं की रक्षा के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का उपयोग करने की प्रथा कोई नई बात नहीं है. जब विदेशी पूंजी की बाढ़ आती है तो केंद्रीय बैंक डॉलर खरीदते हैं और मुद्रा की वृद्धि को धीमा करने के लिए अपने भंडार का निर्माण करते हैं. बुरे समय में वे इससे पूंजी निकालते हैं.
भारत का भंडार 2017 के स्तर से अभी भी 49% अधिक
ब्लूमबर्ग के मुताबिक, अधिकांश केंद्रीय बैंकों के पास अभी भी हस्तक्षेप जारी रखने अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें के लिए पर्याप्त शक्ति है. भारत में विदेशी मुद्रा भंडार अभी भी 2017 के स्तर अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें से 49% अधिक है, और नौ महीने के आयात का भुगतान करने के लिए पर्याप्त है. हालांकि कुछ केंद्रीय बैंक ऐसे भी हैं, जहां यह भंडार तेजी से खत्म हो रहा है. इस साल 42% की गिरावट के बाद, पाकिस्तान का 14 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार तीन महीने के आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है.
क्या 2030 तक दुनिया से गरीबी खत्म नहीं हो पाएगी? जानिए विश्व बैंक ने क्या कहा?
आरबीआई ने विदेशी मुद्रा लेनदेन पर जारी किए निर्देश, बैंक जल्द कर लें जोखिम से बचाव के उपाय
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई)
gnttv.com
- नई दिल्ली,
- 11 अक्टूबर 2022,
- (Updated 11 अक्टूबर 2022, 9:30 PM IST)
इसका मकसद विदेशी मुद्रा बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने किसी भी इकाई के पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए बगैर विदेशी मुद्रा में लेन-देन को लेकर बैंकों के लिए अपने कुछ दिशानिर्देशों में बदलाव किया है. इसका मकसद विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में अत्यधिक उतार-चढ़ाव से होने वाले नुकसान को कम करना है. आरबीआई ने मंगलवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि बैंकों को उन सभी प्रतिपक्षकारों के बिना हेज्ड विदेशी मुद्रा एक्सपोजर का आकलन करने की आवश्यकता होगी, जिनके पास किसी भी मुद्रा का एक्सपोजर है.
एसपीडी को प्रथम श्रेणी अधिकृत डीलरों की तरह उपयोगकर्ताओं को विदेशी मुद्रा बाजार अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें की सभी सुविधाएं प्रदान करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है. यह अनुमति नियमों और अन्य दिशानिर्देशों के अधीन है.
इस साल अब तक डॉलर के मुकाबले रुपया लगभग 11% गिरा है और हाल के हफ्तों में रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है. आरबीआई ने कहा कि बैंकों को कम से कम सालाना सभी संस्थाओं के विदेशी मुद्रा एक्सपोजर (एफसीई) का पता लगाना होगा. संशोधित नियम 1 जनवरी, 2023 से प्रभावी होंगे. आरबीआई के अनुसार यदि किसी इकाई के यूएफसीई से संभावित नुकसान 75% से अधिक है, तो बैंकों को उस इकाई के लिए कुल जोखिम भार में 25 प्रतिशत अंक की वृद्धि प्रदान करने की आवश्यकता होगी.
अमेरिका को चेतावनी. भारत पर भरोसा, Fitch ने कहा- किसी भी बाहरी झटके से निपटने को तैयार
aajtak.in
- नई दिल्ली,
- 20 अक्टूबर 2022,
- (अपडेटेड 20 अक्टूबर 2022, 11:09 AM IST)
भले ही देश का विदेशी मुद्रा भंडार (Forex Reserves) कम हुआ हो और अमेरिकी डॉलर की तुलना में भारतीय करेंसी रुपया (Rupee Fall) टूटता जा रहा हो, लेकिन फिर भी भारत किसी भी बाहरी झटके अपने विदेशी मुद्रा बाजार को जानें से निपटने में सक्षम है. ये हम नहीं कह रहे बल्कि वैश्विक रेटिंग एजेंसी फिच रेटिंग्स (Fitch Ratings) का ऐसा मानना है. एक ओर जहां फिच ने भारत की तारीफ की है, तो मंदी के बढ़ते जोखिम को लेकर अमेरिका को हाल ही में चेतावनी दी है.
सम्बंधित ख़बरें
तीन साल तक जांच, अब इन कंपनियों पर CCI ने ठोका 392 करोड़ का जुर्माना
Stock Market की खराब शुरुआत, Tata Motors के शेयर टूटे, रिलायंस में उछाल
दुबई में मुकेश अंबानी ने खरीदा एक और घर, पहले वाले से दोगुनी कीमत
Diwali पर दौड़ पड़ता है ये बिजनेस, केवल 10 हजार से कर सकते हैं शुरू
Elon Musk के परफ्यूम की ताबड़तोड़ बिक्री, देखते ही देखते हो गया Sold Out
सम्बंधित ख़बरें
पिछले सप्ताह फॉरेक्स रिजर्व में सुधार
भले ही लंबे समय बाद भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में सुधार देखने को मिला है. लेकिन अभी भी यह भारतीय रिजर्व बैंक के तय लक्ष्य 600 अरब डॉलर के काफी नीचे है. साल 2022 के बीते नौ महीनों में देश के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 100 अरब डॉलर की कमी देखने को मिली है. इसमें गिरावट के सिलसिले के बीच आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि विदेशी मुद्रा भंडार बाजार में अनिश्चितता के बावजूद मजबूत बना हुआ है.
इस साल आई इतनी गिरावट
पीटीआई के मुताबिक, भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इस साल लगातार गिरा है. रिपोर्ट में साल की शुरुआत से सितंबर महीने कर का डाटा पेश करते हुए कहा गया कि देश के फॉरेक्स रिजर्व में जनवरी 2022 से सितंबर 2022 के बीच 101 अरब डॉलर की गिरावट आ चुकी है. फिच का कहना है कि फिलहाल भारत के पास 533 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार किसी भी बाहरी झटके से सामना करने के लिए पर्याप्त है.