शेयर बाजार की विशेषता

जलवायु एवं मिट्टी की विशेषता देखकर ही किया जाए पौधारोपण : बीएल मीणा
जागरण संवाददाता, हमीरपुर : शासन द्वारा नामित नोडल अधिकारी/प्रमुख सचिव सहकारिता बीएल मीणा की अध्यक्षता में आगामी पांच जुलाई को जिले में वृहद स्तर पर होने वाले पौधरोपण कार्यक्रम की तैयारियों के संबंध में कलेक्ट्रेट के कलाम सभागार में बैठक हुई। जिसमें उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड की जलवायु एवं मिट्टी की विशेषता के अनुसार ही जिले में पौधारोपण किया जाए।
बैठक में नोडल अधिकारी ने कहा कि सभी विभागों को पौधारोपण का जो भी लक्ष्य दिया गया है। उसे समयबद्ध ढंग पूरा करें। आज ही नर्सरी से पौधे लें तथा कल तक चिन्हित स्थलों पर पहुंचा दिए जाएं। पौधरोपण में खानापूर्ति किसी भी दशा में नहीं होनी चाहिए। पंचायत भवनों, नहर किनारे, खेतों की मेड़ों पर, तालाबों के किनारे, सार्वजनिक स्थल, सड़क किनारे व स्कूलों आदि में प्राथमिकता से पौधरोपण किया जाए। फलदार तथा औषधीय गुण वाले पौधे को प्राथमिकता दी जाए। पौधरोपण की कार्य योजना बनाकर कार्य किया जाए। उन्होंने कहा कि पौधरोपण करने के बाद वह प्रत्येक दशा में जीवित रहें इसके लिए प्रभावी ढंग से प्रयास किए जाएं। बंजर, ऊसर, ग्राम पंचायत की भूमि, खेल के मैदान पर भी प्राथमिकता से पौधरोपण कराया जाए। खेतों की मेड़ों पर पौधे लगाने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। बैठक के बाद नोडल अधिकारी ने कलेक्ट्रेट में एक पौधा भी रोपित किया। इस मौके पर डीएम डा.चंद्रभूषण, सीडीओ मथुरा प्रसाद मिश्रा, एडीएम रमेशचंद्र, राजेश कुमार यादव, प्रभागीय वनाधिकारी यूसी राय, एसडीएम सदर रवींद्र सिंह, डिप्टी कलेक्टर राजेश कुमार मिश्र, डीपीआरओ राजेंद्र प्रकाश समेत अन्य संबंधित अधिकारी मौजूद रहे।
शेयर बाजार के कार्य, विशेषताएँ, लाभ, सीमाये/दोष
शेयर बाजार से आशय उस बाजार से है जहां नियमित कम्पनीयों के अंशपत्र, ऋणपत्र, प्रतिभूति, बाण्ड्स आदि का क्रय विक्रय शेयर बाजार की विशेषता होता है। शेयर बाजार एक संघ, संगठन या व्यक्तियों की संस्था है जो प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय या लेनदेन के उद्देश्य हेतु सहायक नियमन व नियंत्रण के लिए स्थापित किया जाता है फिर चाहे वह निर्गमीत हो या न हो।
शेयर बाजार के कार्य
1. अनवरत बाजार उपलब्ध कराना- शेयर बाजार सूचीबद्ध प्रतिभूतियों के नियमित एवं सुविधापूर्ण क्रय-विक्रय के लिए एक स्थान है। शेयर बाजार विभिन्न अंशों, ऋणपत्रों, बॉण्ड्स एवं सरकारी प्रतिभूतियों के लिए तात्कालिक एवं अनवरत बाजार शेयर बाजार की विशेषता उपलब्ध कराता है इसके माध्यम से प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय मे उच्च कोटि की तरलता पाई जाती हैं क्योंकि इसके धारक जब भी चाहें, अपनी प्रतिभूतियों का नकद भुगतान प्राप्त कर सकते हैं।
2. मूल्य एवं विक्रय सम्बन्धी सूचना प्रदान करना-एक शेयर बाजार विभिन्न प्रतिभूतियो के दिन-प्रतिदिन के लेने देन का पूर्ण विवरण रखता है और मूल्य एवं विक्रय शेयर बाजार की विशेषता की मात्रा की नियमित सूचना प्रेस एवं अन्य संचार माध्यमों को देता रहता है वास्तव मे आजकल आप टी.वी. चैनल जैसे-सी.एन.बी.सी. जी न्यूज, एन.डी.टी.वी. और मुख्य खबरों (हेड लाइन) के माध्यम से विशिष्ट अंशों के विक्रय की मात्रा एवं मूल्यों के सम्बन्ध मे मिनट-मिनट की जानकारी प्राप्तर कर सकते है। यह निवेशकों को उन प्रतिभूतियों के क्रय-विक्रय के सम्बन्ध में शीघ्र निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है शेयर बाजार की विशेषता शेयर बाजार की विशेषता जिनके लेनदेन में वे इच्छुक है।
3. लेनदेन एवं निवेश में सुरक्षा प्रदान करना- शेयर बाजार में लनेदेन केवल उनके सदस्यों के मध्य पर्याप्त पारदर्शिता एवं नियमों विनियमों के कठोर मापदंड के अंतर्गत, जिसमें सुपुर्दगी व भुगतान का समय और प्रक्रिया भी निश्चित होती है, संपन्न होते है। यह शेयर बाजार में हुए लेनदेनों को उच्च कोटि की सुरक्षा प्रदान।
4. बचत की गतिशीलता एवं पॅूंजी नियंत्रण में सहायक- शेयर बाजार का कुशल कार्यप्रणाली एक सक्रिय एवं विकासशील प्राथमिक बाजार के लिए उपयोगी वातावरण का सृजन करती है स्कंध बाजार का अच्छा कार्य निष्पादन और अंशों के प्रति रूख नये निर्गमन बाजार को तेजी प्रदान करता है जिससे बचत को व्यावसायिक एवं औद्योगिक उपक्रमो में निवेश करने में गतिशीलता आती है केवल यही नहीं, बल्कि शेयर बाजार अंशों व ऋण-पत्रो के निवेश एवं लेनदेन में तरलता एवं लाभप्रदता प्रदान करता है।
5. कोष का उचित आबंटन- शेयर बाजार लेनदेन प्रक्रिया के फलस्वरूप कोषों का प्रवाह कम लाभ के उपक्रमों से अधिक लाभ के उपक्रमों की ओर होता है और उन्हें विकास का अधिक अवसर प्राप्त होता है अर्थव्यवस्था के वित्तीय स्त्रोतों का इस प्रकार से श्रेष्ठ आबंटन होता है।
भारत में रक्षात्मक स्टॉक क्या हैं?
एक रक्षात्मक स्टॉक वह है जो पूरे स्टॉक में उतार-चढ़ाव के बावजूद लाभांश के रूप में निरंतर रिटर्न सुनिश्चित करता हैमंडी. उत्पादों की निरंतर आवश्यकताओं के कारण, रक्षात्मक शेयर व्यापार चक्र के विभिन्न चरणों के दौरान स्थिरता बनाए रखते हैं।
रक्षात्मक स्टॉक की विशेषता
रक्षात्मक स्टॉक की एक प्राथमिक विशेषता यह है कि शेयर बाजार में कोई भी हलचल इसे प्रभावित नहीं करती है। इसलिए यह आर्थिक ढांचे के लिए वरदान और अभिशाप का काम करता है। इसके अलावा, के दौरानमंदी, आपके पोर्टफोलियो में रक्षात्मक स्टॉक होना एक आशीर्वाद है। बाजार की मंदी में भी, रक्षात्मक शेयरों की एक सूची स्थिर रिटर्न प्रदान करती है। हालाँकि, इस दौरान निवेशकों के लिए यह सुविधा एक दर्द बन जाती हैआर्थिक विकास क्योंकि वे उच्च रिटर्न प्राप्त करने की संभावना खो देते हैं।
यह विशेषता रक्षात्मक शेयरों को उनके निचले हिस्से से जोड़ती हैबीटा, जो 1 से कम है। उदाहरण के लिए, यदि स्टॉक का बीटा 0.5 है और बाजार में 10% की गिरावट आती है, तो रक्षात्मक स्टॉक में 5% की गिरावट होगी। साथ ही, इसी तरह, अगर बाजार में 20% की वृद्धि होती है, तो रक्षात्मक शेयरों में 10% की वृद्धि की उम्मीद की जाएगी।
बाजार में गिरावट के दौरान निवेशकों के सबसे अच्छे रक्षात्मक शेयरों में खर्च करने की संभावना है क्योंकि यह अस्थिरता के खिलाफ एक कुशन के रूप में सामने आता है। फिर भी, सक्रिय निवेशक बाजार शेयर बाजार की विशेषता में अपेक्षित वृद्धि के दौरान रिटर्न को अधिकतम करने के लिए उच्च स्टॉक बीटा में स्विच करते हैं।
रक्षात्मक स्टॉक शेयर बाजार की विशेषता के लाभ
- रक्षात्मक शेयरों का एक महत्वपूर्ण लाभ यह है कि वे अन्य शेयरों की तुलना में कम जोखिम के साथ दीर्घकालिक लाभ प्रदान करते हैं।
- एक समूह के रूप में, रक्षात्मक शेयरों में उच्च . होता हैशार्प भाग शेयर बाजार की तुलना में पूरी तरह से।
- बाजार को मात देने के लिए कई जोखिम उठाना जरूरी नहीं है। रक्षात्मक शेयरों के साथ नुकसान को सीमित करना अधिक प्रभावी है।
रक्षात्मक शेयरों की कमियां
- रक्षात्मक शेयरों की कम अस्थिरता के परिणामस्वरूप बुल मार्केट के दौरान कम लाभ हो सकता है और बाजार को गलत तरीके से देखने का चक्र हो सकता है।
- कई निवेशक बुल मार्केट में खराब प्रदर्शन के साथ बढ़ती निराशा के कारण रक्षात्मक शेयरों को छोड़ देते हैं, जब उन्हें उनकी सबसे अधिक आवश्यकता होती है।
- बाजार में मंदी के बाद, कभी-कभी निवेशक देर से आने पर भी रक्षात्मक शेयरों में भाग लेते हैं। बाजार के अलग-अलग समय के दौरान ये असफल प्रयास हैं और निवेशकों के लिए रिटर्न दरों को कम कर सकते हैं।
भारत में रक्षात्मक शेयरों की सूची 2021
2021 के वर्ष के लिए शीर्ष 5 रक्षात्मक स्टॉक कंपनियों की सूची नीचे दी गई है।
कंपनी | बाज़ार आकार | % YTD लाभ | शेयर की कीमत |
---|---|---|---|
हिंदुस्तान यूनिलीवर | INR 5658 बिलियन | 0.53% | INR 2408 |
आईटीसी लिमिटेड | INR 2473 बिलियन | -3.85% | INR 200.95 |
एवेन्यू सुपरमार्केट (Dmart) | INR 1881 बिलियन | 4.89% | INR 2898.65 |
नेस्ले इंडिया | INR 1592 बिलियन | -10.24% | INR 16506.75 |
डाबर इंडिया | INR 959.37 बिलियन | -10.24% | INR 542.40 |
नोट: ये स्टॉक मूल्य 13-मई-2021 के अनुसार हैं
निष्कर्ष
कुल मिलाकर, रक्षात्मक स्टॉक वे हैं जिनका बाजार में बदलाव के बावजूद लगातार प्रदर्शन होता है। रक्षात्मक क्षेत्रों में शेयरों की तलाश के लिए यह एक उत्कृष्ट शुरुआत है। फिर भी, किसी व्यक्तिगत स्टॉक की प्रासंगिक विशेषताओं के प्रति चौकस रहना उसके सटीक रक्षात्मक प्रदर्शन का सुझाव देने के लिए आवश्यक है। रक्षात्मक स्टॉक धन को संरक्षित करने और आपको मंदी और इसके नुकसान से बचाने में भी सहायक होते हैं। लेकिन वे सुपर-पावर्ड ग्रोथ की पेशकश नहीं करते हैं।
महाकुंभ से पहले अत्याधुनिक सिक्योरिटी सिस्टम कवच से लैस होगा दिल्ली हावड़ा ट्रैक, पढ़िए क्या है विशेषता
ट्रेन हादसे रोकने के लिए रेलवे समय-समय पर योजनाओं और तकनीकों का इस्तेमाल करता है। अब ट्रेनों में ट्रेन कॉलिजन अवायडेंस सिस्ट यानी कवच लगाने की दिशा में पहली प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और प्रथम चरण का आवंटन हो गया है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। भारतीय रेलवे में ट्रेन और पैसेंजर की सुरक्षा की दिशा में इस सदी का सबसे बड़ा बदलाव किया जा रहा है। ट्रेनों की सुरक्षा के लिए एक अत्याधुनिक भारतीय तकनीक को लागू किया जा रहा है।
ट्रेन हादसे रोकने के लिए रेलवे समय-समय पर योजनाओं और तकनीकों का इस्तेमाल करता है। उसी दिशा में ट्रेनों में ट्रेन कॉलिजन अवायडेंस सिस्टम (टीसीएएस) यानी कवच लगाने की दिशा में पहली प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है शेयर बाजार की विशेषता और प्रथम चरण का आवंटन भी हो गया है।
रेड सिग्नल नहीं पार करेंगी ट्रेनें
महाकुंभ से पहले प्रयागराज मंडल में कवच प्रणाली से लैस ट्रेनें ट्रैक पर दौड़ती नजर आएंगी।। इस तकनीक से ट्रेनें लाल सिग्नल पार नहीं करेंगी। रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्स आर्गेनाइजेशन (आरडीएसओ) ने इसे विकसित किया है। इस तकनीक का प्रयोग ट्रेन और स्टेशन दोनों स्थानों पर होगा।
दो चरणों में होगा कार्य
उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल में महाकुंभ के पहले कवच प्रणाली काम करने लगेगी। दो चरणों में इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जाएगा इसके लिए कुल 358.91 करोड़ रुपये खर्च होंगे। पहले चरण की टेंडर प्रक्रिया पूरी हो गई है और टेंडर करनेक्स-केईसी कंसट्रक्शन को मिला है। इसी महीने में दूसरे चरण के टेंडर प्रक्रिया का आवंटन भी पूरा हो जाएगा।
मिशन रफ्तार का हिस्सा
मिशन रफ्तार के तहत दिल्ली हावड़ा रूट पर ट्रेनों को 160 किमी की रफ्तार से चलाने की तैयारी चल रही है। ऐसे में संरक्षण को लेकर ही कवच तकनीक को अपनाया जा रहा है। इससे घने कोहरे में लाल सिग्नल न देख पाने की समस्या खत्म होगी। ट्रेनों की लेटलतीफी कम होगी और ट्रेनों की टकराहट शून्य होगी। कभी ट्रेन बेपटरी हुई तो ट्रेन के इंजन रुकते ही 10 सेकेंड के अंदर एक इमरजेंसी मैसेज तीन किमी के दायरे में प्रत्येक ट्रेनों में पहुंच जाएगा, जिससे संबंधित लाइन पर आ रही ट्रेनें तत्काल जहां होंगी रोकी जा सकेंगी।
स्पीड बढ़ी तो खुद लगा देगा ब्रेक
कवच तकनीक इतनी अधिक एडवांस है कि यह ट्रेन संचालन को बहुत ही सुगम बना देगा। कवच तकनीक ट्रेन के लोको इंजन व स्टेशन पर लगेगी। दोनों सूचनाओं का आदान-प्रदान करेंगे। स्टेशन की सूचना चालक को और लोको इंजन की सूचना स्टेशन को मिलेगी। सेक्शन में ट्रेन की अधिकतम स्पीड निर्धारित होगी और उससे अधिक अगर स्पीड बढ़ती है तो यह तकनीक खुद ही ब्रेक लगा देगी।
इसके अलावा लाल सिग्नल आने, लेवल क्रासिंग का गेट के खुला होने, ओवर स्पीड पर यह सिस्टम अलार्म बजा देगा। अगर अलार्म पर लोको पायलट ने ब्रेक नहीं लगाई तो आटोमेटिक ब्रेक लगेगी।
दो चरणों में लगेगा कवच
प्रयागराज मंडल में दो चरणों में शेयर बाजार की विशेषता कवच लगाया जाना है इसमें पहला चरण छिपियाना बुजुर्ग से कानपुर तक होगा। इसमें- 179.95 करोड़ रुपए की लागत आएगी। जबकि दूसरा चरण कानपुर से पं. दीनदयाल उपाध्याय जं के बीच लगेगा और इसकी लागत178.96 करोड़ रुपए आएगी।
क्या कह रहे हैं अधिकारी
उत्तर मध्य रेलवे के सीपीआरओ डाक्टर शिवम शर्मा कहते हैं कि इस प्रणाली के आने से परिचालन में संरक्षा की दिशा में बहुत बड़ा परिवर्तन होगा। ट्रेन की संरक्षा सशक्त होगी। ट्रेनों को 160 किमी की रफ्तार से दौड़ाने की प्रक्रिया के साथ यह लागू होगा। अगर लोको पायलट सिग्नल नहीं देख पाएगा तब यह सिस्टम खुद ही ब्रेक लगा देगा।
कवच प्रणाली को लेकर टेंडर प्रक्रिया चल रही है। एनसीआर में प्रोजेक्ट मैनेजमेंट यूनिट इसकी देखरेख करेगी और उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक प्रमोद कुमार खुद इसकी निगरानी कर रहे हैं।