लिक्विडिटी रेशियो क्या है?

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HDFC Bank ने रिजर्व बैंक से मांगी राहत, 'SLR-CRR नियमों को धीरे-धीरे पूरा करने की इजाजत दी जाए'
HDFC बैंक ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) से अनुरोध किया है कि हाउसिंग डिवलपमेंट एंड फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (HDFC लिमिटेड) के साथ विलय के बाद लिक्विडिटी रेशियो क्या है? जरूरी नियामकीय शर्तों को उसे चरणों में पूरा करने की इजाजत दी जाए।
HDFC बैंक को विलय के बाद जिन रेगुलेटरी शर्तों को पूरा करना होगा, उसमे सबसे अहम स्टेच्युटरी लिक्विडिटी रेशियो (SLR) और कैश रिजर्व रेशियो (CRR) है। RBI नियमों के मुताबिक, बैंक को अपने कुल डिपॉजिट का कुछ हिस्सा सरकारी बॉन्डों में निवेश करना होता है, जिसे SLR कहते हैं। वहीं बैंक को कुल डिपॉजिट का कुछ हिस्सा हमेशा अपने पास लिक्विड स्थिति में रखना होता है, जिसे CRR कहते हैं। फिलहाल SLR 18 फीसदी और CRR 4 फीसदी है।
HDFC बैंक, देश का सबसे बड़ा प्राइवेट बैंक है। बैंक ने HDFC की कुछ संपत्तियों और लायबिलिटी को लेकर RBI से कुछ समय तक छूट की मांग की है।
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HDFC के चेयरमैन दीपक पारेख ने बताया, "बैंक ने RBI से अनुरोध किया है कि उसे SLR और CRR से जुड़े नियमों को चरणबद्ध तरीके से पूरा करने की इजाजत देने पर विचार किया जाए। साथ ही प्रायॉरिटी सेक्टर को कर्ज देने, कुछ संपत्तियों और लायबिलिटी को नियमों में शामिल करने और उससे जुड़ी कुछ सब्सिडियरी को लेकर चरणबद्ध तरीका अपनाने का अनुरोध किया गया है। RBI को 1 अप्रैल को लिखे लेटर में इनका अनुरोध किया गया है और RBI इस पर विचार कर रहा है।"
इससे पहले HDFC ने सोमवार सुबह में देश की सबसे बड़ी होम लोन कंपनी HDFC का देश के सबसे बड़े प्राइवेट बैंक HDFC बैंक में विलय का ऐलान किया था। इस मर्जर की लंबे समय से उम्मीद की जा रही थी।
फाइनेंशियल प्लानिंग में लिक्विडिटी की नहीं करें अनदेखी
आसान शब्दों में कहें तो आप जितनी आसानी से अपने एसेट या निवेश लिक्विडिटी रेशियो क्या है? को कैश में बदल लेते हैं, वहीं उसकी फाइनेंशियल लिक्विडिटी होती है. हर तरह के एसेट की फाइनेंशियल लिक्विडिटी अलग-अलग होती है. एसेट को कैश में बदलने की जरूरत तब पड़ती है जब आपको खर्च या निवेश करने के लिए पैसों की जरूरत होती है.
किसी एसेट को कैश में बदलने में जितना कम वक्त लगता है, लिक्विडिटी रेशियो क्या है? वह उतना ही ज्यादा लिक्विड होता है. बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट, सूचीबद्ध शेयर और ओपन-एंडेड म्यूचुअल फंड जैसे एसेट अपेक्षाकृत ज्यादा लिक्विड होते हैं.
Slipage Ratio: स्लिपेज रेशियो क्या है? रेवेन्यू और प्रॉफिट बढ़ने के बावजूद क्यों बैंकों की वित्तीय रिपोर्ट हो सकती है कमजोर
आमतौर पर कई निवेशक देखते हैं कि बैंक के शुद्ध मुनाफे में बढ़ोतरी हुई है और ब्याज आय में भी बढ़ोतरी हुई है लेकिन इसके बावजूद कुछ ब्रोकरेज फर्म लिक्विडिटी रेशियो क्या है? कहते हैं कि रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं रहा.
Slipage Ratio: बैंकों के तिमाही नतीजों लिक्विडिटी रेशियो क्या है? पर निवेशकों की निगाहें रहती हैं क्योंकि इसके आधार पर ही अपने निवेश को लेकर वे फैसला लेते हैं. आमतौर पर कई निवेशक देखते हैं कि बैंक के शुद्ध लिक्विडिटी रेशियो क्या है? मुनाफे में बढ़ोतरी हुई है और ब्याज आय में भी बढ़ोतरी हुई है लेकिन इसके बावजूद कुछ ब्रोकरेज फर्म कहते हैं कि रिजल्ट बहुत अच्छा नहीं रहा. ऐसा Slipage Ratio के चलते होता है. हाल ही में जून 2021 तिमाही के रिजल्ट का एक्सिस बैंक ने ऐलान किया था जिसके मुताबिक सालाना आधार पर उसके मुनाफे में 94 फीसदी और ब्याज आय में 11 फीसदी की उछाल दर्ज की गई थी. इसके बावजूद कुछ ब्रोकरेज फर्म के मुताबिक स्लिपेज बढ़ने के चलते नतीजे अनुमान से कम रहे. हालांकि ब्रोकरेज फर्मो नें इसे खरीदने की रेटिंग दी हुई है. स्लिपेज रेशियो वह दर है जिस पर गुड लोन बैड में बदल रहे हैं. किसी वित्त वर्ष में बैंक का एनपीए जिस दर से बढ़ता है, वह स्लिपेज है. बैंक मैनेजमेंट और बैंकिंग नियामक के अलावा रेटिंग एजेंसियां भी बैंक को रेटिंग देने के लिए स्लिपेज लिक्विडिटी रेशियो क्या है? रेशियो को महत्व देती हैं.
Slipage Ratio को ऐसे समझें
मान लीजिए कि किसी बैंक का ग्रॉस एनपीए पिछले वित्त वर्ष में 12 फीसदी था और बैड लोन बढ़ने के चलते इस वित्त वर्ष में यह बढ़कर 15 फीसदी हो गया तो इसे 3 फीसदी का स्लिपेज कहेंगे. स्लिपेज में तेज बढ़ोतरी का प्रोविजनिंग और नेट प्रॉफिट पर गहरा असर होता है.
एसेट क्वालिटी में कम स्लिपेज या कोई स्लिपेज न होना यह दर्शाता है कि बैंक ने कितने बेहतर तरीके से एसेट क्वालिटी को मैनेज किया है. जब एसेट क्लालिटी बढ़ती है तो लिक्विडिटी, रिस्क लेने की क्षमता और फंड की कम लागत जैसे फायदे भी होते हैं.
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इस तरह होता है आकलन
- स्लिपेज रेशियो गुड लोन के बैड होने की दर है. गुड लोन का मतलब होता है कि उसकी किश्त समय पर मिलती है लेकिन बैड लोन को लेकर बैंक को आय की उम्मीद कम रहती है या नहीं रहती है. अधिकतर मामलों में 90 दिनों तक अगर किसी लोन की किश्त नहीं मिलती तो बैंक उसे नॉन-परफॉर्मिंग एसेट की श्रेणी में रख देते हैं.
- स्लिपेज रेशियो के कैलकुलेशन के लिए वर्तमान वर्ष में एनपीए कितना बढ़ा और वर्ष की लिक्विडिटी रेशियो क्या है? शुरुआत में स्टैंडर्ड एसेट्स कितना था, इसके अनुपात को 100 से गुणा किया जाता है.
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सीआरआर या कैश रिजर्व रेशियो (नकद आरक्षित अनुपात) क्या होता है?
4 मई, 2022 को आरबीआई ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में 50 आधार अंकों की बढ़ोत्तरी कर 4.5% तक ला दिया, जो एक ऐसा कदम है जिससे ब्याज दरों पर दबाव पड़ने की संभावना है। हालांकि, इस कदम के पूरे असर को समझने के लिए हमें इस बात की अच्छी समझ होनी जरूरी है कि नकद आरक्षित अनुपात या सीआरआर क्या होता है।
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