फिसलन क्या है

वैष्णव की शुद्ध आत्मा से सधी हुई आवाज़ आती है, ‘गांधी जी से बड़ा वैष्णव इस युग में कौन हुआ है। उनका प्रसिद्ध भजन है, वैष्णवजन तो तेणे कहिए, जे पीर पराई जाणे रे । तू होटल में रहने वालों की पीर रामझ और उसे दूर कर। इससे बड़ा वैष्णव धर्म क्या होगा?
वैष्णव की फिसलन का सारांश | हरिशंकर परसाई |
करोडपति वैष्णव ने भगवान विष्णु का एक भव्य मंदिर बनवाकर अपनी सारी जायदाद उनके नाम कर दी है। इसलिए सूदखोरी से लेकर कालाबाजारी के सारे काम उन्हीं के नाम पर होते हैं। वैष्णव नियमित रूप से दो घंटे विष्णु भगवान की पूजा करता है।
पूजा के बाद मसनद लगे गद्दीदार बिस्तरे वाली बैठक में आसन लगाकर वह धर्म से धंधो को जोड़ने की साधना करता है। धर्म से धंधे को जोड़ने को योग की संज्ञा देकर लेखक ने धर्म की आड़ में भ्रष्टाचार करने वाले व्यवसाइयों पर करारा व्यंग्य किया है।
वैष्णव के पास जब कर्ज लेने वाले आते हैं तो वह भगवान विष्णु का मुनीम बन जाता है। कर्ज लेने वाले से खाते में यह दर्ज करवाया जाता है – “ दस्तावेज लिख दी रामलाल वल्द श्यामलाल ने भगवान विष्णु वल्द नामालूम हो…।” विष्णु भगवान की वल्दियत इस लिए नहीं दर्ज की वल्दियत ठीक होगी।
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- वैष्णव की शुद्ध आत्मा से आवाज आयी | की संदर्भ सहित व्याख्या | हरिशंकर परसाई |
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फिसलन: क्या रीमा खुद को फिसलन से बचा सकी?
पति नरेन जब पत्नी रीमा के जन्मदिन पर शहर से बाहर होने के चलते नहीं पहुंच सका तो उस ने अपने सहयोगी अनिल को भेज दिया. अनिल से अपनापन पा कर रीमा भी उस की तरफ आकर्षित हो गई. नरेन की मौजूदगी में भी वह घर आता था, पर एक दिन अनिल की सचाई पता चली तो.
अनिल नरेन के साथ कभीकभी घर आ जाता था. वक्तबेवक्त नरेन के साथ उस के सहकर्मियों का आना रीमा को बड़ा खटकता था.
Himachal By Election: कहीं भारी फिसलन क्या है न पड़े तेल की फिसलन, जानिए क्या बन रहे हैं समीकरण
Himachal By Election मंडी संसदीय उपचुनाव में महंगे खाद्य तेल की फिसलन किस पर भारी पड़ेगी जनता 30 अक्टूबर को इस बात पर मुहर लगाएगी। उपचुनाव प्रचार में खाद्य तेल का मुद्दा पूरी तरह छाया रहा। इस बार पिछड़े व दुर्गम क्षेत्रों से रोचक फिसलन क्या है नतीजे देखने को मिलेंगे।
मंडी, हंसराज सैनी। Himachal By Election, मंडी संसदीय उपचुनाव में महंगे खाद्य तेल की फिसलन किस पर भारी पड़ेगी जनता 30 अक्टूबर को इस बात पर मुहर लगाएगी। उपचुनाव प्रचार में खाद्य तेल का मुद्दा पूरी तरह छाया रहा। इस बार पिछड़े व दुर्गम क्षेत्रों से रोचक नतीजे देखने को मिलेंगे। सत्ता पक्ष के लिए यह सेमीफाइनल उतना आसान नहीं दिख रहा, जितना माना जा रहा था। 2019 की तरह मुकाबला एकतरफा नहीं है। नतीजा चाहे जो मर्जी हो, कांग्रेस ने जिस मकसद से प्रतिभा सिंह को उपचुनाव के दंगल में उतारा था उसमें फिलहाल पार्टी कामयाब होती दिख रही है। उपचुनाव से पहले कई धड़ों में बंटी कांग्रेस एकसूत्र में नजर आई।
फिसलन ढलान (तार्किक गिरावट)
अनौपचारिक तर्क में , फिसलन ढलान एक झुकाव है जिसमें कार्रवाई के एक पाठ्यक्रम को उन आधार पर ऑब्जेक्ट किया जाता है जिन्हें एक बार लिया जाता है, इससे कुछ अवांछित परिणाम नतीजे तक अतिरिक्त फिसलन क्या है कार्रवाइयां होती हैं। फिसलन ढलान तर्क और डोमिनोज़ फॉलसी के रूप में भी जाना जाता है ।
जैकब ई। वैन फ्लीट कहते हैं, "फिसलन ढलान एक झूठ है," ठीक है क्योंकि हम कभी नहीं जानते कि घटनाओं की पूरी श्रृंखला और / या एक निश्चित परिणाम विशेष रूप से एक घटना या कार्रवाई का पालन करने के लिए निर्धारित किया जाता है।
आम तौर पर, लेकिन हमेशा नहीं, फिसलन ढलान तर्क का प्रयोग डर रणनीति के रूप में किया जाता है "( अनौपचारिक तार्किक पतन , 2011)।
नीचे उदाहरण और अवलोकन देखें। और देखें:
उदाहरण और अवलोकन
- "समाचार कहानियों से न्याय करने के लिए, पूरे देश में भारी बारिश के बाद सैन फ्रांसिस्को के समान आ रहा है। प्रेस में, वाक्यांश 'फिसलन ढलान' बीस साल पहले की तुलना में सात गुना अधिक आम है। यह एक सुविधाजनक तरीका है वास्तव में कार्रवाई की आलोचना किए बिना कार्रवाई के कुछ तरीकों के सख्त प्रभावों की चेतावनी के बारे में चेतावनी दी गई है, जो कि इसे पाखंडियों का पसंदीदा काम करता है: 'ऐसा नहीं है कि ए के साथ कुछ भी गलत है, आपको याद है, लेकिन ए बी की ओर ले जाएगा, फिर सी, और इससे पहले कि आप इसे जानते हों, हम ज़ेड में हमारी बगल तक पहुंच जाएंगे। "
(जेफ नुनबर्ग, "ताजा हवा" पर टिप्पणी, राष्ट्रीय सार्वजनिक रेडियो, 1 जुलाई, 2003) - " फिसलन ढलान की कमी केवल तभी प्रतिबद्ध होती है जब हम बिना किसी औचित्य या तर्क के स्वीकार करते हैं कि एक बार पहला कदम उठाए जाने के बाद, दूसरों का पालन करने जा रहे हैं, या जो भी पहले चरण को औचित्य साबित करेगा, वास्तव में बाकी को उचित ठहराएगा। नोट, भी, जो कुछ ढलान के निचले हिस्से में छिपे हुए अवांछनीय परिणाम के रूप में देखते हैं, वे वास्तव में बहुत वांछनीय मान सकते हैं। "
(हॉवर्ड कहने और नैन्सी कैवेंडर, लॉजिक एंड समकालीन रेटोरिक, 8 वां संस्करण, वाड्सवर्थ, 1 99 8)
Himachal By Election: कहीं भारी न पड़े तेल की फिसलन, जानिए क्या बन रहे हैं समीकरण
Himachal By Election मंडी संसदीय उपचुनाव में महंगे खाद्य तेल की फिसलन किस पर भारी पड़ेगी जनता 30 अक्टूबर को इस बात पर मुहर लगाएगी। उपचुनाव प्रचार में खाद्य तेल का मुद्दा पूरी तरह छाया रहा। इस बार पिछड़े व दुर्गम क्षेत्रों से रोचक नतीजे देखने को मिलेंगे।
मंडी, हंसराज सैनी। Himachal By Election, मंडी संसदीय उपचुनाव में महंगे खाद्य तेल की फिसलन किस पर भारी पड़ेगी जनता 30 अक्टूबर को इस फिसलन क्या है बात पर मुहर लगाएगी। उपचुनाव प्रचार में खाद्य तेल का मुद्दा पूरी तरह छाया रहा। इस बार पिछड़े व दुर्गम क्षेत्रों से रोचक नतीजे देखने को मिलेंगे। सत्ता पक्ष के लिए यह सेमीफाइनल उतना आसान नहीं दिख रहा, जितना माना जा रहा था। 2019 की तरह मुकाबला एकतरफा नहीं है। नतीजा चाहे जो मर्जी हो, कांग्रेस ने जिस मकसद से प्रतिभा सिंह को उपचुनाव के दंगल में उतारा था उसमें फिलहाल पार्टी कामयाब होती दिख रही है। उपचुनाव से पहले कई धड़ों में बंटी कांग्रेस एकसूत्र में नजर आई।