भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी

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भारतीय रिजर्व बैंक या आरबीआई अभी डिजिटल करेंसी- डिजिटल रुपी (होलसेल सेगमेंट) का पहला पायलट परीक्षण करने जा रहा है. इसे फिलहाल होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए लाया गया है. केंद्र सरकार जल्द डिजिटल रुपी को रिटेल सेगमेंट के लिए भी जारी करेगी.
CBDC: रिजर्व बैंक की डिजिटल करेंसी लांच, 275 करोड़ रुपये के 50 ट्रांजैक्शन हुए, जानिए बिटकॉइन की कैसे जगह लेगा सीबीडीसी
सीबीडीसी के पायलट परीक्षण में भाग लेने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी को चुना गया है.
नई दिल्ली: आरबीआई (RBI) की डिजिटल करेंसी सीबीडीसी (CBDC) की मंगलवार को शुरुआत हो गई. पहले दिन कई बैंकों ने सीबीडीसी वर्चुअल मनी का इस्तेमाल करते हुए सरकारी बॉन्ड से जुड़े करीब 50 ट्रांजैक्शन किए. इनकी कुल वैल्यू 275 करोड़ रुपये है. एसबीआई (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) और आईडीएफसी बैंक (IDFC Bank) ने सरकारी बॉन्ड के सेटलमेंट के लिए सीबीडीसी का पहले-पहल इस्तेमाल किया. आरबीआई ने आज से अपनी डिजिटल करेंसी- डिजिटल रुपी (होलसेल सेगमेंट) का पहला पायलट परीक्षण शुरू किया, इसमें नौ बैंक हिस्सा ले रहे हैं.
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भारतीय रिजर्व बैंक या आरबीआई अभी डिजिटल करेंसी- डिजिटल रुपी (होलसेल सेगमेंट) का पहला पायलट परीक्षण करने जा रहा है. इसे फिलहाल होलसेल ट्रांजेक्शन के लिए लाया गया है. केंद्र सरकार जल्द डिजिटल रुपी को रिटेल सेगमेंट के लिए भी जारी करेगी.
आरबीआई ने सोमवार को कहा था कि पायलट परीक्षण के तहत सरकारी प्रतिभूतियों में सेकेंडरी मार्केट लेनदेन का निपटान किया जाएगा. सीबीडीसी के पायलट परीक्षण में भाग लेने के लिए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी को चुना गया है.
आरबीआई ने कहा कि डिजिटल रुपी (होलसेल सेगमेंट) का पहला पायलट परीक्षण स्पेशल यूजर्स ग्रुप के बीच चुनिंदा स्थानों पर किया जा सकता है. यह ई-वाउचर-आधारित डिजिटल पेमेंट सॉल्यून e-RUPI हो सकता है.
सीबीडीसी का मुख्य उद्देश्य डिजिटल पेमेंट को और आसान और सुरक्षित बनाना है. e-RUPI को नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया ने वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के साथ मिलकर बनाया है.
e-RUPI एक कैश और कॉन्टैक्ट लैस पेमेंट मोड के तौर पर पेश किया गया है. यह क्यू-आर कोड और SMS स्ट्रिंग पर आधारित है जो ई-वाउचर के रूप में काम करता है.
सीबीडीसी की सर्विस के तहत यूजर को पेमेंट करने के लिए न तो कार्ड, डिजिटल पेमेंट ऐप और न ही इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस की जरूरत होगी. इससे ज़्यादा से ज़्यादा लोग डिजिटल रुपये का इस्तेमाल कर सकते हैं.
यह पेपर करेंसी के समान है, जिसकी सॉवरेन वैल्यू होती है. डिजिटल करेंसी की वैल्यू भी मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी और यह उसी तरह स्वीकार्य भी होने वाली है. सीबीडीसी केंद्रीय बैंक की बैलेंस शीट में लाइबिलिटी के तौर पर दिखाई देने वाली है.
RBI Cryptocurrency पर बैन लगाना चाहता है, रिज़र्व बैंक की डिजिटल करेंसी का क्या हुआ?
RBI Wants To Ban Cryptocurrency: जहां दुनिया के विकसित देश क्रिप्टो करेंसी को असली मुद्रा के रूप में स्वीकार कर चुके हैं वहीं भारतीय रिजर्व बैंक और केंद्र सरकार हाथ धो कर क्रिप्टो को बैन करने में तुली हुई है. RBI ने सरकार से सिफारिश की है कि भारत में क्रिप्टो पर बैन लगा दिया जाए, जबकि सरकार का कहना है कि Cryptocurrency पर प्रतिबन्ध लगाने के लिए अंतराष्ट्रीय सहयोग की जरूरत है.
क्रिप्टो बैन में भारत को इंटरनेशनल सपोर्ट कभी नहीं मिलने वाला क्योंकि ऑस्ट्रेलिया-अमेरिका जैसे देशों ने इसे असली मुद्रा मान लिया है. लेकिन भारत की एक ऐसा देश है जो क्रिप्टो को खराब मान रहा है. कुछ दिन पहले ही केंद्र सरकार ने क्रिप्टो को रेगुलेट करने के लिए बिल जारी किया था जिसमे इन्वेस्टर पर 30% टैक्स थोंप दिया गया था. उसके बाद से अबतक निवेशकों को करोड़ों रुपए का घाटा हो चुका है.
सरकार भारत में क्रिप्टो बैन करके मानेगी
ऐसा कहा जा रहा है कि भारत सरकार इस मानसून सत्र में क्रिप्टो सेक्टर को विनियमित करने के लिए कानून ला सकती है. हालांकि ऐसा कोई बिल लिस्ट नहीं किया गया है. सरकार क्रिप्टो को लेकर कन्फ्यूज है लेकिन इतना पक्का है कि गैर इकोनॉमिस्ट RBI के गवर्नर और निर्मला सीतारमण सहित पीएम मोदी क्रिप्टो के पक्ष में बिलकुल नहीं हैं.
RBI क्रिप्टो में बैन चाहता है
RBI Cryptocurrency पर पूरी तरह प्रतिबन्ध लगाना चाहता है, इसके लिए उसने सरकार से कई बार शिफारिश की है. लेकिन भारत में क्रिप्टो को बैन करना भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी उतना आसान नहीं है। इसके लिए सभी बड़े देशों की भागीदारी जरूरी है.
RBI की डिजिटल करेंसी का क्या हुआ
देश में क्रिप्टो बैन करके RBI रुपए की डिजिटल करेंसी का लॉलीपॉप देश के इन्वेस्टर पर चिपकना चाहता है. RBI Digital Currensy के लिए काम कर रहा है. RBI के डिप्टी गवर्नर टी रबी शंकर के अनुसार, सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) प्राइवेट क्रिप्टोकरेंसी के अस्तित्व को खत्म कर सकती है। डिजिटल करेंसी भी ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी पर आधारित होगी।
2023 की शुरुआत में पेश हो सकती है देश की आधिकारिक डिजिटल मुद्रा
RBI on Cryptocurrency: भारतीय रिजर्व बैंक की फिनटेक की ओर से पेश किए जाने वाले नए प्रोडक्ट्स और सर्विस से जुड़े लाभ और रिस्क पर कड़ी नजर है।
- सीबीडीसी सरकार समर्थित डिजिटल मुद्रा होगी।
- साल 2023 की शुरुआत में CBDC पेश हो सकती है।
- 25वीं FSR में आरबीआई गवर्नर ने क्रिप्टो को खतरा बताया था।
नई दिल्ली। हाल ही में भारत के केंद्रीय बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि क्रिप्टोकरेंसी (Cryptocurrency) एक स्पष्ट खतरा है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने वित्त वर्ष 2022-23 के बजट में सीबीडीसी पेश किरने की घोषणा की थी। अब केंद्रीय बैंक के कार्यकारी निदेशक (फिनटेक) अजय कुमार चौधरी ने जानकारी दी है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) होलसेल और रिटेल सेगमेंट में चरणबद्ध तरीके से सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा (CBDC) के क्रियान्वयन को लेकर काम कर रहा है।
सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा के लिए वित्त विधेयक (Finance Bill 2022) पारित होने के साथ आरबीआई कानून, 1934 में संबंधित धारा में जरूरी बदलाव किए गए। इंडस्ट्री एसोसिएशन फिक्की के PICUP फिनटेक सम्मेलन भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी को संबोधित करते हुए अजय कुमार चौधरी ने कहा कि फाइनेंस बिल के पारित होने के साथ भारतीय रिजर्व बैंक पायलट आधार पर सीबीडीसी का क्रियान्वयन करने की स्थिति में आ गया है।
क्या है सीबीडीसी?
आगे उन्होंने कहा कि, 'आरबीआई होलसेल और रिटेल खंड में सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्रा के चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वयन करने के लिए काम कर रहा है।' उल्लेखनीय है कि सीबीडीसी डिजिटल मुद्रा है। लेकिन इसकी प्राइवेट डिजिटल मुद्रा या क्रिप्टोकरेंसी से तुलना नहीं की जा सकती है। पिछले एक दशक में भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी क्रिप्टोकरेंसी तेजी से बढ़ी है।
क्रिप्टोकरेंसी से अलग है सीबीडीसी
प्राइवेट डिजिटल मुद्रा का कोई जारीकर्ता नहीं है। यह किसी व्यक्ति के लोन या देनदारियों का प्रतिनिधित्व नहीं करती है। मालूम हो कि देश की आधिकारिक डिजिटल मुद्रा अगले साल की शुरुआत में पेश की जा सकती है। डिजिटल मुद्रा मौजूदा प्राइवेट कंपनी द्वारा संचालित इलेक्ट्रॉनिक वॉलेट की तरह ही होगी।
तेजी से विकसित हो रहे डिजिटल पेमेंट सेक्टर में फिनटेक की भूमिका पर अधिकारी ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने नवोन्मेष को बढ़ावा दिया है।
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RBI on Cryptocurrency: रिजर्व बैंक ने क्रिप्टोकरेंसी को बताया स्पष्ट खतरा, कहा- यह एक सट्टेबाजी है जिसका कोई आधार नहीं
आरबीआइ ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी को एक करेंसी नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि इसकी निगरानी करने वाला कोई नहीं है। ये ना तो वित्तीय परिसंपत्तियां हैं और ना ही ऋण प्रपत्र हैं। यह कई तरह के जोखिम को जन्म दे सकता है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: क्रिप्टोकरेंसी को लेकर आरबीआइ के विचार में कोई बदलाव नहीं आया है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर डा. शक्तिकांत दास का साफ तौर पर मानना है कि क्रिप्टोकरेंसी एक साफ तौर पर दिखने वाला खतरा है। गुरुवार को जारी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) में यह बात उन्होंने कही है। उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि इससे उत्पन्न खतरे से देश के वित्तीय सेक्टर को बचाने के लिए आरबीआइ उचित कदम भी उठाएगा।
कोई नया नहीं है विचार
आरबीआइ का यह विचार कोई नया नहीं है लेकिन इस रिपोर्ट में उसने अपनी बात और ठोस तरीके से रखी है। माना जा रहा है कि हाल के हफ्तों में दुनियाभर में क्रिप्टोकरेंसी के भाव में जिस तरह से गिरावट देखी गई है, उसकी वजह से भी आरबीआइ अब ज्यादा सतर्क होगा। आरबीआइ गवर्नर ने क्रिप्टोकरेंसी के संदर्भ में कहा है कि यह एक सट्टेबाजी है जिसका कोई आधार नहीं है और जो सिर्फ अनुमान के आधार पर एक बढ़िया नाम रखकर प्रचारित किया जा रहा है।
कई तरह के जोखिम को दे सकता है जन्म
रिपोर्ट में आरबीआइ ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी को एक करेंसी नहीं माना जाना चाहिए क्योंकि इसकी निगरानी करने वाला कोई नहीं है। ये ना तो वित्तीय परिसंपत्तियां हैं और ना ही ऋण प्रपत्र हैं। यह कई तरह के जोखिम को जन्म दे सकता है। पूर्व में भी जब निजी तौर पर करेंसी चलाने की कोशिश की गई है तो उसके काफी खराब परिणाम देखने को मिले हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि क्रिप्टोकरेंसी की वजह से मौजूदा वित्तीय ढांचे को सेंध लग सकती है। यह कई विकासशील देशों के लिए उनकी संप्रभु मौद्रिक नीति के लिए चुनौती बनने का खतरा है।
छह साल के निचले स्तर पर बैंकों का एनपीए
आरबीआइ के अनुसार, मार्च 2022 में बैंकों का सकल नान-परफार्मिंग असेट (एनपीए) छह साल के निचले स्तर भारतीय रिज़र्व बैंक और क्रिप्टो करेंसी 5.9 प्रतिशत पर आ गया है। मार्च 2023 तक यह और घटकर 5.3 प्रतिशत पर आ सकता है। हालांकि, आरबीआइ ने चेताया है कि अगर मैक्रोइकोनमिक हालात खराब होते हैं एनपीए बढ़ सकता है।