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एक सीमा के भीतर व्यापार कैसे करें?

एक सीमा के भीतर व्यापार कैसे करें?
अंग्रेजी संस्करण (English Version)

अपने खाते पर पैसे चुकाने में आने वाली समस्याएं ठीक करना

अगर आप Google Play से कुछ खरीदने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आपके चुकाए गए पैसे अस्वीकार कर दिए जाते हैं या उसकी प्रोसेस पूरी नहीं होती, तो ये तरीके आज़माकर देखें.

पेमेंट की जानकारी की पुष्टि करना

आपकी पेमेंट्स प्रोफ़ाइल बंद की जा सकती है. अपनी प्रोफ़ाइल को फिर से चालू करने के लिए, क्रेडिट/डेबिट कार्ड की जानकारी सबमिट करें.

    .
  1. सबसे ऊपर, सूचनाएं विकल्प को चुनें.
  2. अगर आपको कोई रेड अलर्ट मिला है, तो अपने क्रेडिट/डेबिट कार्ड की जानकारी डालें और टीम के जवाब का इंतज़ार करें.

पैसे चुकाने का कोई दूसरा तरीका आज़माना

अगर पैसे चुकाने के किसी तरीके में कोई समस्या है, तो आप किसी दूसरे तरीके का इस्तेमाल कर सकते हैं.

  1. अपने Android फ़ोन या टैबलेट पर, Google Play स्टोर ऐप्लिकेशन खोलें.
  2. उस आइटम पर वापस जाएं जिसे आप खरीदना चाहते हैं और कीमत पर टैप करें.
  3. पैसे चुकाने के मौजूदा तरीके पर टैप करें.
  4. पैसे चुकाने का काेई दूसरा तरीका चुनें या नया तरीका जोड़ें.
  5. अपनी खरीदारी पूरी करने के लिए, स्क्रीन पर दिए गए निर्देशों का पालन करें.

क्रेडिट और डेबिट कार्ड की गड़बड़ियों को ठीक करना

अगर आपको नीचे दिए गए गड़बड़ी के मैसेज में से कोई एक दिखाई देता है, तो समस्या शायद आपके क्रेडिट या डेबिट कार्ड में हो सकती है:

  • "पैसे चुकाने की प्रोसेस पूरी नहीं हो पा रही है: कार्ड में बैलेंस कम है"
  • लेन-देन पूरा नहीं हो पा रहा है. कृपया पैसे चुकाने के किसी दूसरे तरीके का इस्तेमाल करें"
  • "आपका लेन-देन पूरा नहीं किया जा सकता"
  • "लेन-देन पूरा नहीं हो पा रहा है: कार्ड की तारीख खत्म हो गई है"
  • "इस कार्ड की जानकारी को ठीक करें या किसी दूसरे कार्ड का इस्तेमाल करें"

इन गड़बड़ियों को ठीक करने के लिए, नीचे दिए गए तरीके आज़माकर देखें:

आम तौर पर, क्रेडिट कार्ड की समय-सीमा खत्म होने या पुराना बिलिंग पता होने की वजह से पेमेंट सही तरीके से नहीं हो पाता है. इस जानकारी को अपडेट करने के लिए Google Payments का इस्तेमाल करें:

जिन कार्ड की समय-सीमा खत्म हो चुकी है उन्हें हटाना या अपडेट करना

अगर क्रेडिट कार्ड की समयसीमा खत्म हो चुकी है, तो उनका इस्तेमाल करने से पेमेंट अस्वीकार किए जा सकते हैं. जिन कार्ड की समय-सीमा खत्म हो चुकी है उन्हें अपडेट करने के लिए:

  1. अपने Google खाते से https://pay.google.com में साइन इन करें.
  2. खरीदारी करने के लिए, पैसे चुकाने का अपना पसंदीदा तरीका चुनें.
  3. सूची में मौजूद पैसे चुकाने के तरीकों के खत्म होने की तारीख देखें.
  4. ऐसे किसी भी पैसे चुकाने के तरीके को हटाएं या अपडेट करें जिसकी तारीख खत्म हो चुकी है.

देखें कि आपके कार्ड का पता Google Payments में दिए गए पते से मेल खाता हो

अगर आपका क्रेडिट कार्ड किसी दूसरे पते पर रजिस्टर है, तो इस वजह से आपका पेमेंट अस्वीकार किया जा सकता है. पक्का करें कि पिन कोड आपके मौजूदा पते से मिलता हो.

  1. अपने Google खाते से https://pay.google.com में साइन इन करें.
  2. खरीदारी करने के लिए, पैसे चुकाने का अपना पसंदीदा तरीका चुनें.
  3. बदलाव करें पर क्लिक करें.
  4. पक्का करें कि सूची में मौजूद पता, आपके कार्ड के बिलिंग पते से मिलता हो.
  5. अगर ज़रूरी हो, तो पता अपडेट करें.

इसके बाद, फिर से खरीदारी करने की कोशिश करें.

अगर निर्देशों के बाद गड़बड़ी के मैसेज में Google को कुछ और जानकारी सबमिट करने के लिए कहा जाता है, तो कृपया उसे सबमिट करें. इस जानकारी के बिना हम आपके खाते पर लेन-देन पूरा नहीं कर पाएंगे.

कभी-कभी ज़रूरी पैसे नहीं होने की वजह से लेन-देन अस्वीकार कर दिया जाता है. अपना खाता देखकर यह पक्का करें कि आपके पास खरीदारी पूरी करने के लिए ज़रूरी पैसे हैं.

आपके कार्ड में ऐसे खास प्रतिबंध हो सकते हैं जिनकी वजह से लेन-देन अस्वीकार किया जा सकता है. लेन-देन के बारे में पूछने के लिए, आपका कार्ड जारी करने वाले संस्थान से संपर्क करें और पता लगाएं कि उन्हें पेमेंट अस्वीकार किए जाने की वजह मालूम है या नहीं.

पैसे चुकाने के अन्य तरीकों (डायरेक्ट कैरियर बिलिंग, ऑनलाइन बैंकिंग, Google Play बैलेंस, उपहार कार्ड वगैरह) से जुड़ी गड़बड़ियां ठीक करना

अगर आपको यह मैसेज दिखता है, तो ऐसा इन वजहों से हो सकता है:

  • हमें आपकी पेमेंट्स प्रोफ़ाइल पर एक संदिग्ध लेन-देन दिखा है.
  • आपके खाते को धोखाधड़ी का शिकार होने से बचाने के लिए, हमें थोड़ी और जानकारी चाहिए.
  • ईयू (यूरोपीय संघ) कानून का पालन करने के लिए, हमें थोड़ी और जानकारी की ज़रूरत है (सिर्फ़ यूरोपियन यूनियन के सदस्य देशों के ग्राहकों के लिए).

इन समस्याओं को ठीक करने में मदद करने के लिए:

    पर जाएं.
  1. पेमेंट्स सेंटर में किसी भी गड़बड़ी या अनुरोध पर कार्रवाई करें.
    • अपना Google खाता इस्तेमाल करके कुछ भी खरीदने से पहले, आपको अपनी पहचान की पुष्टि करनी पड़ सकती है.
  2. पक्का करें कि आपका नाम, पता, और पैसे चुकाने की जानकारी अप-टू-डेट है.

अगर आपको डायरेक्ट कैरियर बिलिंग का इस्तेमाल करके पैसे चुकाने में समस्या आ रही है, तो नीचे दिए गए तरीकों को आज़माएं:

  • पक्का करें कि आप अपनी मोबाइल और इंटरनेट सेवा देने वाली कंपनी के नेटवर्क से सीधे तौर पर या वाई-फ़ाई से कनेक्ट हों.
  • पक्का करें कि आपने पैसे चुकाने के तरीके के तौर पर डायरेक्ट कैरियर बिलिंग की सेवा जोड़ ली हो.
  • पक्का करें कि आप स्थानीय मुद्रा का इस्तेमाल कर रहे हों.

अगर आपको अब भी समस्याएं आ रही हैं, तो मदद के लिए अपने मोबाइल फ़ोन पर नेटवर्क और इंटरनेट की सेवा देने वाली कंपनी से संपर्क करें.

अगर आपको पेमेंट के किसी दूसरे तरीके का इस्तेमाल करने में कोई समस्या आ रही है, तो उसे ठीक करने के लिए Google Payments पर जाएं.

  1. अपने Google खाते से https://pay.google.com में साइन इन करें.
  2. जानकारी मांगने वाली कोई भी सूचना या अनुरोध खोजें और जो भी जानकारी मांगी जाए उसे उपलब्ध कराएं.
  3. पक्का करें कि आपका पता अप-टू-डेट हो.
  4. देखें कि पैसे चुकाने के आपके पसंदीदा तरीके, सूची में मौजूद हैं या नहीं.

आपके कार्ड के चोरी होने की शिकायत की गई थी. कार्ड फिर से इस्तेमाल करने से पहले, आपको उसकी पुष्टि करनी होगी:

    पर जाएं और अपने खाते में साइन इन करें.
    1. अगर आपके पास एक से ज़्यादा खाते हैं, तो उस खाते में साइन इन करें जो धूसर किए गए कार्ड से जुड़ा है.

    अगर आप पैसे चुकाने के तरीके की फिर से पुष्टि करने की कोशिश करते हैं, तो:

    1. यह पक्का करें कि आप किस कार्ड की पुष्टि करना चाहते हैं.
    2. देखें कि आपने कितने समय पहले, अपने कार्ड की पुष्टि करने की कोशिश की थी.
      • अगर यह समय दो दिनों से कम है: दो दिनों तक इंतज़ार करें.
      • अगर यह समय दो दिनों से ज़्यादा है: अपने कार्ड का बिल देखें. आपको Google की ओर से लगाया हुआ एक अस्थायी शुल्क दिखेगा, जिसे "GOOGLE TEST" कहते हैं. साथ ही, आठ अंकों वाला एक कोड भी दिखेगा.

    यह खरीदारी करने के लिए, आप इस कार्ड का इस्तेमाल नहीं कर सकते. किसी और कार्ड का इस्तेमाल करके, फिर से खरीदारी करने की कोशिश करें.

    अगर सूची में वह कार्ड शामिल नहीं है जिसका आप इस्तेमाल करना चाहते हैं, तो नया कार्ड जोड़ने के लिए स्क्रीन पर दिए गए निर्देशों का पालन करें.

    चीन और भारत में सीमा पर तनाव लेकिन बढ़ता रहा व्यापार, कैसे?

    भारत-चीन व्यापार

    भारत और चीन के बीच लद्दाख सीमा पर हुई झड़प और इससे पैदा हुए गंभीर तनाव के बावजूद साल 2020 में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा. पिछले वित्तीय वर्ष में भी चीन भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर था.

    पिछले साल दूसरे स्थान पर अमेरिका और तीसरे पर संयुक्त अरब अमीरात था. भारत ने चीन से 58.7 अरब डॉलर का सामान आयात किया, जो अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात से आयात किए गए सामानों को मिलाकर भी ज़्यादा था, जबकि भारत ने चीन को 19 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया.

    गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की मृत्यु के बाद दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण माहौल हो गया था. चीन ने कुछ दिनों पहले ये माना है कि उसके भी चार सैनिक मारे गए थे. हालाँकि भारत का दावा है कि इसमें चीन के और ज़्यादा सैनिक हताहत हुए थे.

    गलवान की घटना के बाद दोनों देशों के बीच दोतरफ़ा व्यापार पर थोड़ा असर ज़रूर हुआ था, जो महामारी के कारण और भी प्रभावित हुआ था. लेकिन बहुत अधिक नहीं.

    भारत सरकार ने चीन से सभी निवेश पर रोक लगा दी थी, साथ ही 200 से अधिक चीनी ऐप्स पर सुरक्षा का कारण बता कर पाबंदी लगा दी गई थी, जिनमे लोकप्रिय ऐप टिकटोक, वीचैट और वीबो शामिल थे.

    आत्मनिर्भरता अभियान कितना असरदार?

    इमेज स्रोत, Getty Images

    दो देश,दो शख़्सियतें और ढेर सारी बातें. आज़ादी और बँटवारे के 75 साल. सीमा पार संवाद.

    पिछले साल मई में भारत सरकार ने आत्मनिर्भरता का अभियान चलाना शुरू किया था, जिसका उद्देश्य आयात को कम करना था, निर्यात को बढ़ाना और देश के अंदर मैन्युफ़ैक्चरिंग को बढ़ावा देना था, जबकि विशेषज्ञ कहते हैं कि ये अभियान चीन पर निर्भरता कम करने पर अधिक केंद्रित था.

    लेकिन ताज़ा व्यापारिक आँकड़े बताते हैं कि इन सब क़दमों के बावजूद चीन पर निर्भरता कम नहीं हो सकी है. आँकड़ों के अनुसार पिछले साल भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 77.7 अरब डॉलर का था, जो वाणिज्य मंत्रालय के एक सीमा के भीतर व्यापार कैसे करें? अस्थायी आँकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष के 85.5 अरब डॉलर से थोड़ा ही कम था.

    दूसरी तरफ़ भारत सरकार ने चीनी निवेश को दोबारा मंज़ूरी देने की मीडिया में आई ख़बर को ग़लत बताया है. वैसे भी चीन भारत में कभी भी एक भारी निवेशक नहीं रहा है. चीन ने 2013 से 2020 के बीच भारत में 2.174 अरब डॉलर निवेश किया था.

    ये राशि भारत में विदेशी निवेश का एक छोटा हिस्सा है. वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक़, साल 2020 में अप्रैल से नवंबर के बीच भारत में 58 अरब डॉलर से अधिक विदेशी निवेश आया था.

    दिल्ली में फ़ोर स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट में चीनी मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर फ़ैसल अहमद कहते हैं कि आत्मनिर्भरता का अर्थ ये नहीं है कि आयात बंद हो जाए या विदेशी निवेश देश में ना आए.

    इमेज स्रोत, Rasi Bhadramani

    वो कहते हैं, "आने वाले समय में चीन पर भारत की आयात निर्भरता अधिक बनी रहेगी. यह आवश्यक है कि हमें अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अपने लिए फ़ायदेमंद बनाने के बारे में सोचना चाहिए. यह हमारे आर्थिक हितों को अच्छी तरह से पूरा करेगा और साथ आत्मनिर्भरता का समर्थन करेगा."

    डॉक्टर फ़ैसल आगे कहते हैं, "भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए आवश्यक साधन के रूप में विदेशी निवेश (एफ़डीआई) हासिल करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है. हम मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में उत्पादन क्षमता बढ़ाना चाहते हैं. हम अपने लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने में उनकी मदद करनी चाहिए, ताकि वो ग्लोबल वैल्यू चेन (जीवीसी) में भाग ले सकें. इसके लिए एफ़डीआई ज़रूरी है. वास्तव में, एफ़डीआई अगर चीन से भी आए, तो ये आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों के विपरीत नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत भी चीन को अपना निर्यात 11% तक बढ़ाने में सक्षम है और विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी निवेश में वृद्धि से भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिलेगा."

    फ़िलहाल भारत चीन में बनी भारी मशीनरी, दूरसंचार उपकरण और घरेलू उपकरणों पर बहुत अधिक निर्भर है और ये चीन से आयात किए सामानों का एक बड़ा हिस्सा है. परिणामस्वरूप, 2020 में चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार अंतर लगभग 40 अरब डॉलर था. इतना बड़ा व्यापारिक असंतुलन किसी दूसरे देश के साथ नहीं है.

    इसके अलावा, डॉक्टर फ़ैसल अहमद के अनुसार, "आज की नई उभरती वैश्विक व्यवस्था में हमें अपने आर्थिक हित में भी इसे देखा जाना चाहिए. वैश्विक मामलों, विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक में, अमेरिका की बढ़ती भूमिका को देखते हुए यह हमारे रणनीति के लिए और साथ ही क्षेत्र में आर्थिक हितों को तेज़ी से सक्रिय करने का समय है."

    चीन और भारत में सीमा पर तनाव लेकिन बढ़ता रहा व्यापार, कैसे?

    भारत-चीन व्यापार

    भारत एक सीमा के भीतर व्यापार कैसे करें? एक सीमा के भीतर व्यापार कैसे करें? और चीन के बीच लद्दाख सीमा पर हुई झड़प और इससे पैदा हुए गंभीर तनाव के बावजूद साल 2020 में चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बना रहा. पिछले वित्तीय वर्ष में भी चीन भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर था.

    पिछले साल दूसरे स्थान पर अमेरिका और तीसरे पर संयुक्त अरब अमीरात था. भारत ने चीन से 58.7 अरब डॉलर का सामान आयात किया, जो अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात से आयात किए गए सामानों को मिलाकर भी ज़्यादा था, जबकि भारत ने चीन को 19 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया.

    गलवान घाटी में हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिकों की मृत्यु के बाद दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण माहौल हो गया था. चीन ने कुछ दिनों पहले ये माना है कि उसके भी चार सैनिक मारे गए थे. हालाँकि भारत का दावा है कि इसमें चीन के और ज़्यादा सैनिक हताहत हुए थे.

    गलवान की घटना के बाद दोनों देशों के बीच दोतरफ़ा व्यापार पर थोड़ा असर ज़रूर हुआ था, जो महामारी के कारण और भी प्रभावित हुआ था. लेकिन बहुत अधिक नहीं.

    भारत सरकार ने चीन से सभी निवेश पर रोक लगा दी थी, साथ ही 200 से अधिक चीनी ऐप्स पर सुरक्षा का कारण बता कर पाबंदी लगा दी गई थी, जिनमे लोकप्रिय ऐप टिकटोक, वीचैट और वीबो शामिल थे.

    आत्मनिर्भरता अभियान कितना असरदार?

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    दो देश,दो शख़्सियतें और ढेर सारी बातें. आज़ादी और बँटवारे के 75 साल. सीमा पार संवाद.

    पिछले साल मई में भारत सरकार ने आत्मनिर्भरता का अभियान चलाना शुरू किया था, जिसका उद्देश्य आयात को कम करना था, निर्यात को बढ़ाना और देश के अंदर मैन्युफ़ैक्चरिंग को बढ़ावा देना था, जबकि विशेषज्ञ कहते हैं कि ये अभियान चीन पर निर्भरता कम करने पर अधिक केंद्रित था.

    लेकिन ताज़ा व्यापारिक आँकड़े बताते हैं कि इन सब क़दमों के बावजूद चीन पर निर्भरता कम नहीं हो सकी है. आँकड़ों के अनुसार पिछले साल भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 77.7 अरब डॉलर का था, जो वाणिज्य मंत्रालय के अस्थायी आँकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष के 85.5 अरब डॉलर से थोड़ा ही कम था.

    दूसरी तरफ़ भारत सरकार ने चीनी निवेश को दोबारा मंज़ूरी देने की मीडिया में आई ख़बर को ग़लत बताया है. वैसे भी चीन भारत में कभी भी एक भारी निवेशक नहीं रहा है. चीन ने 2013 से 2020 के बीच भारत में 2.174 अरब डॉलर निवेश किया था.

    ये राशि भारत में विदेशी निवेश का एक छोटा हिस्सा है. वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक़, साल 2020 में अप्रैल से नवंबर के बीच भारत में 58 अरब डॉलर से अधिक विदेशी निवेश आया था.

    दिल्ली में फ़ोर स्कूल ऑफ़ मैनेजमेंट में चीनी मामलों के विशेषज्ञ डॉक्टर फ़ैसल अहमद कहते हैं कि आत्मनिर्भरता का अर्थ ये नहीं है कि आयात बंद हो जाए या विदेशी निवेश देश में ना आए.

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    वो कहते हैं, "आने वाले समय में चीन पर भारत की आयात निर्भरता अधिक बनी रहेगी. यह आवश्यक है कि हमें अंतरराष्ट्रीय व्यापार में अपने लिए फ़ायदेमंद बनाने के बारे में सोचना चाहिए. यह हमारे आर्थिक हितों को अच्छी तरह से पूरा करेगा और साथ आत्मनिर्भरता का समर्थन करेगा."

    डॉक्टर फ़ैसल आगे कहते हैं, "भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए आवश्यक साधन के रूप में विदेशी निवेश (एफ़डीआई) हासिल करने पर ध्यान देने की आवश्यकता है. हम मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में उत्पादन क्षमता बढ़ाना चाहते हैं. हम अपने लघु और मध्यम उद्यमों (एसएमई) को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने में उनकी मदद करनी चाहिए, ताकि वो ग्लोबल वैल्यू चेन (जीवीसी) में भाग ले सकें. इसके लिए एफ़डीआई ज़रूरी है. वास्तव में, एफ़डीआई अगर चीन से भी आए, तो ये आत्मनिर्भरता के सिद्धांतों के विपरीत नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि भारत भी चीन को अपना निर्यात 11% तक बढ़ाने में सक्षम है और विभिन्न क्षेत्रों में विदेशी निवेश में वृद्धि से भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा को भी बढ़ावा मिलेगा."

    फ़िलहाल भारत चीन में बनी भारी मशीनरी, दूरसंचार उपकरण और घरेलू उपकरणों पर बहुत अधिक निर्भर है और ये चीन से आयात किए सामानों का एक बड़ा हिस्सा है. परिणामस्वरूप, 2020 एक सीमा के भीतर व्यापार कैसे करें? में चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार अंतर लगभग 40 अरब डॉलर था. इतना बड़ा व्यापारिक असंतुलन किसी दूसरे देश के साथ नहीं है.

    इसके अलावा, डॉक्टर फ़ैसल अहमद के अनुसार, "आज की नई उभरती वैश्विक व्यवस्था में हमें अपने आर्थिक हित में भी इसे देखा जाना चाहिए. वैश्विक मामलों, विशेष रूप से इंडो-पैसिफिक में, अमेरिका की बढ़ती भूमिका को देखते हुए यह हमारे रणनीति के लिए और साथ ही क्षेत्र में आर्थिक हितों को तेज़ी से सक्रिय करने का समय है."

    भारत और चीन में सरहद पर तनाव पर व्यापार पहुँचा 100 अरब डॉलर पार

    मोदी और जिनपिंग

    इस साल भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर के एक विशाल आँकड़े को पार कर गया है लेकिन दोनों ओर इसकी ज़्यादा चर्चा नहीं है. वजह साफ़ है, पूर्वी लद्दाख़ में सैन्य गतिरोध के बाद से ही दोनों देशों के रिश्ते बेहद नाज़ुक दौर से गुज़र रहे हैं.

    समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़, साल 2001 में 1.83 अरब अमेरिकी डॉलर से शुरू हुआ यह द्विपक्षीय व्यापार इस साल के 11 महीनों के अंदर 100 अरब डॉलर का हो गया. यह दोनों देशों के व्यापार के लिए एक बड़ा मौक़ा है क्योंकि दोनों देशों ने अपने व्यापार के लिए रिश्तों को बेहतर किया है.

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    कितना हुआ व्यापार

    चीन के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ऑफ़ कस्टम्स (GAC) के पिछले महीनों के आँकड़ों के अनुसार, भारत-चीन का द्विपक्षीय व्यापार 114.263 अरब डॉलर का हो गया है जो कि जनवरी से नवंबर 2021 के बीच 46.4 फ़ीसदी तक बढ़ा है.

    भारत का चीन को निर्यात 26.358 अरब डॉलर का हो गया है जो हर साल 38.5 फ़ीसदी बढ़ा है और वहीं भारत का चीन से आयात 87.905 अरब डॉलर हो गया है जो 49 फ़ीसदी तक एक सीमा के भीतर व्यापार कैसे करें? बढ़ा है.

    एक ओर द्विपक्षीय व्यापार 100 अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर गया है, वहीं दूसरी ओर इन्हीं 11 महीनों के दौरान भारत का व्यापार घाटा भी तेज़ी से बढ़ा है. व्यापार घाटा का मतलब है कि भारत ने चीन से जितना सामान बेचा है, उससे ज़्यादा ख़रीदा है.

    व्यापार घाटा भारत के लिए एक बड़ी चिंता का विषय है जो कि 61.547 अरब हो गया है. यह इस साल 53.49 फ़ीसदी बढ़ा है.

    व्यापार घाटे पर भारत की चिंता के बावजूद इस रिकॉर्ड को वर्चुअली दर्ज किया गया. हालांकि इस पर कोई जश्न नहीं मनाया जा रहा है क्योंकि पूर्वी लद्दाख़ में सैन्य गतिरोध जारी है और इसके कारण दोनों देशों के संबंध पहले से अधिक सुस्त हैं.

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    रिकॉर्ड व्यापार पर सवाल और नाज़ुक रिश्ते

    रक्षा विश्लेषक ब्रह्मा चेलानी ने इस व्यापार बढ़ोतरी पर सवाल खड़े करते हुए ट्वीट किया है.

    अपने ट्वीट में चेलानी ने कहा है, "चीन के सीमा अतिक्रमण के बीच मोदी सरकार साल 2021 में चीन के साथ व्यापार में 50 फ़ीसदी की बढ़ोतरी को कैसे सही ठहराती है, जिसमें जनवरी और नवंबर के बीच में 61.5 अरब डॉलर का सरप्लस चीन के पक्ष में है जो कि चालू वित्तीय वर्ष में भारत के लगभग कुल रक्षा ख़र्च के बराबर है."

    पिछले साल पाँच मई को भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध शुरू हुआ था जिसके बाद पैंगोंग लेक इलाक़े में दोनों के बीच हिंसक झड़पें हुईं और दोनों देशों के कई जवान मारे गए. धीरे-धीरे दोनों देशों ने अपने-अपने इलाक़े में कई हज़ार जवानों और भारी हथियारों की तैनाती कर दी.

    कई बार की सैन्य और कूटनीतिक बातचीत के बाद दोनों पक्षों ने इस साल फ़रवरी में पैंगोंग लेक के उत्तर और दक्षिण से और अगस्त में गोगरा एरिया में पीछे हटना शुरू कर दिया था.

    31 जुलाई के बीच दोनों पक्षों के बीच 12वें राउंड की बातचीत हुई थी. कुछ दिनों के बाद गोगरा में दोनों सेनाओं ने अपनी डिसएंगेजमेंट की प्रक्रिया पूरी कर ली थी. इसको क्षेत्र में शांति और संयम की दोबारा बहाली की दिशा में काफ़ी महत्वपूर्ण माना गया था.

    पहाड़ी क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हर पक्ष ने सीमा पर 50 से 60 हज़ार जवान तैनात किए हुए हैं.

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    इस संघर्ष की स्थिति में सबसे बड़ी उम्मीद की किरण WMCC (परामर्श और समन्वय के लिए कार्य तंत्र) रही जिसके तहत दोनों देश के विदेश मंत्री और शीर्ष सैन्य कमांडर संपर्क में रहे और तनाव को नियंत्रित किया.

    लद्दाख़ गतिरोध ने केवल व्यापार को छोड़कर बाक़ी सभी रिश्तों को ठप सा कर दिया था.

    दोनों देशों की राय

    इस साल नवंबर में सिंगापुर में एक पैनल डिस्कशन में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा था कि भारत और चीन अपने संबंधों में 'विशेष रूप से ख़राब हिस्से' से गुज़र रहे हैं क्योंकि बीजिंग ने कई कार्रवाइयों से समझौतों का उल्लंघन किया है, जिसका अभी भी उसके पास कोई 'ठोस जवाब' नहीं है.

    लद्दाख़ सीमा गतिरोध का स्पष्ट संदर्भ देते हुए उन्होंने कहा था, "हम अपने संबंधों में ख़ासकर एक बुरे भाग से गुज़र रहे हैं क्योंकि उन्होंने ऐसी कई कार्रवाइयां की हैं, जिनसे समझौतों का उल्लंघन हुआ है और उनके पास अभी भी उसका ठोस जवाब नहीं है और संकेत देता है कि कुछ सोचने की ज़रूरत है कि वे हमारे संबंधों को कहाँ लेकर जाते हैं लेकिन ये जवाब उनको देना है."

    चीन में भारत के पूर्व राजदूत विक्रम मिस्री ने भी इस मुद्दे को उठाया था. 6 दिसंबर को उनके एक सीमा के भीतर व्यापार कैसे करें? वर्चुअल विदाई कार्यक्रम के दौरान चीनी विदेश मंत्री वांग यी के आगे मिस्री ने कहा था कि चुनौतियों के कारण भारत-चीन संबंधों की बड़ी संभावनाओं को हार मिली है.

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    भारत में चीन के पूर्व राजदूत विक्रम मिस्री

    दो देश,दो शख़्सियतें और ढेर सारी बातें. आज़ादी और बँटवारे के 75 साल. सीमा पार संवाद.

    लद्दाख़ गतिरोध का ज़िक्र करते हुए मिस्री ने वांग से कहा था, "हमारे संबंधों में संभावनाएं और चुनौतियां शामिल हैं और यहां तक कि पिछले साल कुछ चुनौतियां सामने आईं जिसने रिश्तों में हमारी संभावनाओं को अपने क़ब्ज़े में ले लिया था.

    जनवरी 2019 में मिस्री ने भारत के राजदूत के रूप में पद को संभाला था. यह ज़िम्मेदारी उन्हें तब मिली थी जब कूटनीतिक कोशिशों के ज़रिए दोनों देश 2017 के डोकलाम गतिरोध से बाहर आए थे.

    यह गतिरोध साल 2018 में वुहान में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति के बीच पहले अनौपचारिक शिखर सम्मेलन और 2019 में चेन्नई में दूसरे शिखर सम्मेलन में एक लंबे-चौड़े विकास के एजेंडे के बाद समाप्त हुआ था. हालांकि फिर पूर्वी लद्दाख़ का गतिरोध शुरू हो गया.

    नई दिल्ली लौटने से पहले मिस्री ने मीडिया के साथ की गई अनौपचारिक बातचीत में याद किया था कि कैसे मोदी और जिनपिंग ने चेन्नई सम्मेलन के दौरान दो महत्वपूर्ण पहल को लेकर उम्मीद की थी और उसे लागू करने पर सहमति जताई थी.

    दोनों देशों ने हाई लेवल इकोनॉमिक एंड ट्रेड डायलॉग (HETD) तंत्र स्थापित करने का फ़ैसला किया था जिसकी अध्यक्षता चीन के उप-प्रधानमंत्री और भारत के विदेश मंत्री करते.

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    भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर

    यह द्विपक्षीय व्यापार और व्यापार साझेदारियों समेत भारत के व्यापार घाटे के मुद्दों को भी देखता.

    चीन ने इस तरह का उच्च स्तरीय तंत्र केवल अमेरिका के साथ रिश्ते सुधारने के लिए स्थापित किया हुआ था.

    इसके साथ ही दोनों नेताओं ने साल 2020 को इंडिया-चाइना कल्चरल पीपल टू पीपल एक्सचेंज का साल घोषित करने का फ़ैसला किया था जिसके तहत दोनों देशों के बीच विभिन्न स्तरों पर आदान-प्रदान के लिए 70 कार्यक्रम आयोजित किए जाते. इनमें एक दूसरे की विधायिका, राजनीतिक दलों, सांस्कृतिक एवं युवा संगठनों और सेनाओं को समझना था.

    चीन आधुनिक हथियारों की रेस में दुनिया को पछाड़ देगा

    दुर्भाग्य से पूर्वी लद्दाख़ गतिरोध के बाद दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ा और दोनों पहल नाकाम हो गईं.

    दोनों देशों के संबंधों पर चीन का क्या मानना है, इस विषय पर वांग ने मिस्री के साथ बैठक के दौरान कहा था कि बिना आपसी संबंधों के दोनों पक्षों को साथ लाना बेहद कठिन है यहां तक कि अगर बीच में कोई पहाड़ न भी हो.

    उन्होंने कहा, "चीन और भारत को एक दूसरे का साझेदार और दोस्त बनना चाहिए" न कि एक दूसरे के लिए कोई ख़तरा.

    पर्यवेक्षकों का मानना है कि डोकलाम और लद्दाख़ गतिरोध भारत-चीन संबंधों को मौलिक रूप से फिर से कायम करने की एक चेतावनी है जिसमें संबंधों को दोबारा एक नए प्रतिमान और रणनीतिक ढांचे से बनाया जाए.

    वहीं घरेलू स्तर पर चीन में सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ चाइना (CPC) की नवंबर में एक हाई प्रोफ़ाइल सभा हुई जिसमें बीते 100 सालों में पार्टी की बड़ी उपलब्धियों को लेकर एक 'ऐतिहासिक प्रस्ताव' पास किया गया. इसमें राष्ट्रपति शी जिनपिंग को रिकॉर्ड रूप से तीसरी बार राष्ट्रपति पद देने के लिए भी रास्ता साफ़ किया गया था.

    पार्टी के 100 सालों के इतिहास में यह अपनी तरह का तीसरा 'ऐतिहासिक प्रस्ताव' था. पहले के प्रस्ताव पार्टी के संस्थापक माओत्से तुंग और उनके उत्तराधिकारी डेंग सियोपिंग के नेतृत्व में जारी हुए थे. CPC की 19वीं केंद्रीय कमिटी के छठवें पूर्ण सत्र में इस प्रस्ताव की समीक्षा की गई और इसे स्वीकार किया गया.

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    एक सीमा के भीतर व्यापार कैसे करें?

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      मुख्य आयुक्त के डेस्क से


      व्‍यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के सरकार के एजेन्‍डा के अनुसार सभी हितधारकों को निरन्‍तर प्रोत्‍साहन देने एवं सहायता करने के लिए केन्‍द्रीय अप्रत्‍यक्ष कर एवं सीमाशुल्‍क बोर्ड के अधीन एक फील्‍ड संरचना के नाते दिल्‍ली सीमाशुल्‍क जोन वचनबद्ध है। लागू टैरिफ तथा व्‍यापार नीतियों के अनुसार न्‍याय संगत एवं पारदर्शी तरीके से राजस्‍व वसूली के लिए हम प्रयासरत हैं। हमारी कार्य योजना के हिस्‍से के रूप में, एक ओर हम व्‍यवसायियों को उनकी लागत प्रतिस्‍पर्द्धात्‍मकता को बढ़ाने, स्‍वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्‍साहित करने तथा परस्‍पर विश्‍वास का निर्माण करने में उनकी मदद करने का प्रयत्‍न करते हैं और वहीं दूसरी ओर शुल्‍क चोरी, वाणिज्यिक धोखाधड़ी तथा तस्‍करी गतिविधियों को रोकने के उपाय करने के लिए भी संघर्षरत हैं । पूर्ण संदेश यहां पढ़ें

      मुख्‍य आयुक्‍त की डेस्‍क से –

      व्‍यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने के सरकार के एजेन्‍डा के अनुसार सभी हितधारकों को निरन्‍तर प्रोत्‍साहन देने एवं सहायता करने के लिए केन्‍द्रीय अप्रत्‍यक्ष कर एवं सीमाशुल्‍क बोर्ड के अधीन एक फील्‍ड संरचना के नाते दिल्‍ली सीमाशुल्‍क जोन वचनबद्ध है। लागू टैरिफ तथा व्‍यापार नीतियों के अनुसार न्‍याय संगत एवं पारदर्शी तरीके से राजस्‍व वसूली के लिए हम प्रयासरत हैं। हमारी कार्य योजना के हिस्‍से के रूप में, एक ओर हम व्‍यवसायियों को उनकी लागत प्रतिस्‍पर्द्धात्‍मकता को बढ़ाने, स्‍वैच्छिक अनुपालन को प्रोत्‍साहित करने तथा परस्‍पर विश्‍वास का निर्माण करने में उनकी मदद करने का प्रयत्‍न करते हैं और वहीं दूसरी ओर शुल्‍क चोरी, वाणिज्यिक धोखाधड़ी तथा तस्‍करी गतिविधियों को रोकने के उपाय करने के लिए भी संघर्षरत हैं ।

      आधुनिक जोखिम आधारित प्रबन्‍धन प्रणाली तथा गैर घुसपैठ जॉच तकनीक के प्रयोग के माध्‍यम से व्‍यापार सुविधा को बढा़ने की सरकार की समग्र नीति निर्देशों के हिस्‍से के रूप में सीमाशुल्‍क ड्यूटी संग्रहण, तस्‍करी एवं कर धोखाधड़ी की रोकथाम तथा सीमा नियंत्रण उपायों को लागू करने से संबंधित प्राथमिक कार्य को जोन में कार्यान्वित किया जा रहा है । आस्‍थगित शुल्‍क भुगतान, 24*7 निकासी, व्‍यापार सुविधा के लिए सिंगल विन्‍डो इन्‍टरफेस (स्विफ्ट) जैसे उपायों द्वारा कार्गो के प्रवास समय(ड्वेल टाइम) में कमी, निर्यात प्रक्रियाओं के सरलीकरण, ऑथराइज्‍ड इकोनोमिक आपरेटर्स(एईओ) योजना, बिल ऑफ एन्‍ट्री को अग्रिम दायर करना, कम डॉक्‍यूमेंटेशन तथा ई-संचित के माध्‍यम से दस्‍तावेजों को ऑन लाईन दायर करना और अन्‍य आधुनिक व्‍यापार प्रथाऍं आयात एवं निर्यात वस्‍तुओं की शीघ्र निकासी को सुगम बनाने के साधन के रूप में काम करते हैं। इसी प्रकार से, इंदिरा गॉधी अन्‍तर्राष्‍ट्रीय हवाई अड्डा ,दिल्‍ली के आगमन एवं प्रस्‍थान टर्मिनल में यात्रियों एवं बैगेज की सीमाशुल्‍क निकासी को सुगम बनाने एवं विनियमित करने के लिए , हम अन्‍तर्राष्‍ट्रीय यात्रियों की पात्रता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म के उपयोग के साथ-साथ जोखिम आधारित यात्री प्रोफाईलिंग का अधिक से अधिक प्रयोग कर रहे हैं ।

      व्‍यावसायिक कुशलता को विकसित करते हुए और दैनिक कार्य वातावरण में अधिक जिम्‍मेदारी के भाव को बढ़ावा दे कर हम सर्विस डिलीवरी के उच्‍च मानकों के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। दिए गए कार्य को स्‍वतन्‍त्र एवं निष्‍पक्ष तरीके से ईमानदारी, पारदर्शिता एवं उद्देश्‍यपरकता के साथ करने के लिए हम सतत रूप से प्रयत्‍नशील हैं। हमारे देश की भौगोलिक एवं आर्थिक सीमाओं की सुरक्षा करते हुए राष्‍ट्र निर्माण के प्रति समग्र जिम्‍मेदारी के हिस्‍से के रूप में हमारे अधिकारियों की वचनबद्ध एवं समर्पित टीम कर संग्रहण की सांविधिक भूमिका को निभाने एवं दूसरे सम्‍बद्ध कानूनों को लागू करते हुए व्‍यापारियों की समस्‍याओं का हल तलाशने के लिए सदैव तत्‍पर है।

      हमारी कार्य प्रणाली में और अधिक सुधार के संबंध में किसी भी सुझाव का सदैव स्‍वागत है। आप ई-मेल के माध्‍यम से अथवा हमारे किसी कार्यालय में आ कर किसी कठिनाई अथवा शिकायत को हमारे ध्‍यान में ला सकते हैं ।

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