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मार्किट आर्डर

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NSE Kya Hai पूरी जानकारी | NSE Kya Hai पूरी जानकारी

नमस्ते, दोस्तों आज के इस लेख में आपको NSE के बार में बताया है यदि आप इस लेख को पूरा पढ़ते है तो आपको किसी दूसरे लेख या यूटूब पर जाने की जरुरत नहीं होगी, क्योकि हमने आपके लिए NSE के बारे में काफी गहराई तक जानकर आपको सरल तरीके से समझाने की कोशिश की है. अब हम बात करते है की NSE क्या है?What is NSE – NSE क्या है?

जब भी आपने शेयर मार्केट में इन्वेस्ट करने के बारे में सोच होगा तो उसमे NSE की बात होती है और बहुत से ट्रेडर NSE के बारे में अधिक बातचीत करते है. आइये जानते है की आखिर nse होता क्या है और किस ट्रेडिंग मार्किट आर्डर के समय इसका क्या काम होता है.

NSE Full Form?

NSE Full Form Is = National Stock Exchange of India.

NSE Full Form ?

NSE का Full Form = “राष्ट्रीय शेयर एक्सचेंज ऑफ इंडिया” है.

NSE का क्या मतलब होता है – What is NSE ?

यह एक stock exchange है इसका पूरा नाम “नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया” लिमिटेड है इसे भारत का सबसे बड़ा वित्तीय बाजार माना जाता है. यह दुनिया के टॉप 10 शेयर मार्किट में एक है. इसकी स्थापना 1992 में हुई थी. भारत में इसका सबसे पहले भारत के मार्किट में इलेट्रॉनिक ट्रेडिंग में सुरु हुआ.

NSE में कंपनियो के share को लिस्ट करते है इसके बाद में share को खरीद/बेचकर अच्छा मुनाफा कमाते है. इसमें भारत की टॉप कंपनियो के share लिस्ट किये हुए है यह भारत की सबसे बड़ी दूसरी स्टॉक एक्सचेंज है.National Stock Exchnage of India

NSE भारत की पहली टर्मिनल वाली स्टॉक एक्सचेंज है इसमें हमें stock के खरीदी और बिक्री की कीमत को स्क्रीन पर दर्शाता है जिसे हम देख कर share के खरीने बेचने का कदम रखते है.

NSE का उद्देश्य क्या है? NSE Kya Hai

  1. सभी व्यक्ति को share market में इन्वेस्ट करने और share को बेचने व खरीदने की सुबिधा देता है.
  2. सुरक्षित तरीके से share को खरीदा और बेचा जा सकता है.
  3. शेयर बाजार में सभी को एक समान मानना.

ख़रीदे गय share को लम्बे समय तक सुरक्षित रखना.NSE का शेयर मार्किट में क्या कार्य होता है?

NSE Kya Hai – अब हम इसके कार्यो के बारे में विस्तार से समझेंगे. जब भी कोई व्यक्ति nse के दोवारा इन्वेस्ट करना चाहता है तो उसे सबसे पहले मार्किट आर्डर देना होता है इसके बाद कंप्यूटर का automated process होता है जिसके माध्यम से आपके आर्डर का मिलान होता है.

जब भी कोई व्यक्ति मार्किट में इन्वेस्ट करता है तो उसे आर्डर करने के बाद एक नंबर दिया जाता है जिसे यूनिट नंबर कहा जाता है. इस कंप्यूटर ट्रेडिंग में खरीदने और बेचने बाले का नाम नहीं दिखाया जाता है उसे गुप्त रखते है और ना ही खरीदने बाला व्यक्ति बेचने बाले व्यक्ति की कोई जानकारी रखता है

यह प्रोसेस बिलकुल सुरक्षित और गुप्त होता है.जैसे ही इन्वेस्टर का आर्डर एक्सचेंज मार्किट में पूरा होता है तो इन्वेस्टर को उसके डीमैट अकाउंट में खरीदने और बेचने का आर्डर दिखने लगता है.

इस तरह इन्वेस्टर को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज में लेन-देन बहुत ही सुरक्षित और साफ़ होता है. आप डीमैट अकाउंट को किसी भी ब्रोकर के दोवारा खोला जा सकता है. झा पर हमें ट्रेडिंग की भी सुविधा मिलेगी.

NSE Kya Hai- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया की स्थापना सन 1992 में हुई थी.

NSE का मुख्यालय कहां है?

NSE Kya Hai – नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया का मुख्यालय मुंबई में स्थित है.

NSE Index का सूचकांक क्या है?

NSE का सूचकांक इंडेक्स निफ्टी है जिसको सभी लोग nifty 50 के नाम से जानते है.

NSE पर क्या क्या लिस्टेड है?

इसमें कंपनियों के शेयरस, डिबेंचर और सिक्योरिटी बॉन्ड्स आदि जानकारी लिस्ट की जाती है.

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के अध्यक्ष कौन है?

NSE Kya Hai – नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के अध्यक्ष राजीव महर्षि है.

भारत में कुल कितने स्टॉक एक्सचेंज हैं?

भारत में पहले स्टॉक एक्सचेंज 24 थे लेकिन अब 23 हो गय है.

शेयर बाजार की नियामक संस्था कौन है?

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफ इंडिया की स्थापना 12 अप्रैल, 1992 में हुई थी.

NSE से क्या होता है?

भारत का दूसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, NSE पर 1600 से ज्यादा कंपनिया लिस्टिड है, इसकी स्थापना 1992 में हुई थी. NSE के आ जाने से भारतीय शेयर बाजार में इलैक्टॉनिक एक्सचेंज सिस्टम की शुरुआत हुई. पहले शेयर बाजार का काम पेपर सिस्टम के जरिए हुआ करता था. NSE का बेंचमार्क इंडेक्स निफ्टी 50 है?

उत्पादन में तेजी: नए ऑर्डर मिलने से विनिर्माण गतिविधियां बढ़ीं, फरवरी में 54.9 पहुंच गया

पीएमआई का यह आंकड़ा क्षेत्र में मजबूत सुधार दर्शाता है। जनवरी में विनिर्माण पीएमआई 54.0 पर था। पीएमआई का 50 से ऊपर रहना विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा संकुचन दिखाता है। आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा कि बिक्री में निरंतर वृद्धि से फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में तेजी को बल मिला।

उत्पादन में तेजी (सांकेतिक तस्वीर)

नए आर्डर की संख्या बढ़ने और उत्पादन में तेजी से देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी में बढ़ गईं। मांग की अनुकूल स्थिति से इन गतिविधियों को समर्थन मिला है। इससे बुधवार को जारी आएचएस मार्किट का विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) फरवरी में बढ़कर 54.9 पहुंच गया।

पीएमआई का यह आंकड़ा क्षेत्र में मजबूत सुधार दर्शाता है। जनवरी में विनिर्माण पीएमआई 54.0 पर था। पीएमआई का 50 से ऊपर रहना विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा संकुचन दिखाता है। आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा कि बिक्री में निरंतर वृद्धि से फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में तेजी को बल मिला।

विनिर्माण का आंकड़ा फरवरी, 2022 में कंपनियों की परिचालन स्थिति में सुधार दर्शाता है। खरीद संबंधी गतिविधियां जारी रहने के साथ उत्पादन और नए ऑर्डर की संख्या में वृद्धि हुई है। हालांकि, कुछ ऐसी प्रमुख चिंताएं हैं, जो वृद्धि के लिए खतरा बनी हुई हैं। कच्चे माल की कमी के कारण लागत का दबाव ऊंचा बना हुआ है, जबकि आपूर्ति का समय एक बार फिर बढ़ गया। विनिर्माताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती बिक्री कीमतों में मामूली वृद्धि है। पिछले बकाया ऑर्डर की वजह से भारतीय विनिर्माताओं पर दबाव बढ़ा है। इससे मांग में तेजी के बावजूद रोजगार घटा है।

विस्तार

नए आर्डर की संख्या बढ़ने और उत्पादन में तेजी से देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी में बढ़ गईं। मांग की अनुकूल स्थिति से इन गतिविधियों को समर्थन मिला है। इससे बुधवार को जारी आएचएस मार्किट का विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) फरवरी में बढ़कर 54.9 पहुंच गया।

पीएमआई का यह आंकड़ा क्षेत्र में मजबूत सुधार दर्शाता है। जनवरी में विनिर्माण पीएमआई 54.0 पर था। पीएमआई का 50 से ऊपर रहना विस्तार और इससे नीचे का आंकड़ा संकुचन दिखाता है। आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा कि बिक्री में निरंतर वृद्धि से फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में तेजी को बल मिला।

विनिर्माण का आंकड़ा फरवरी, 2022 में कंपनियों की परिचालन स्थिति में सुधार दर्शाता है। खरीद संबंधी गतिविधियां जारी रहने के साथ उत्पादन और नए ऑर्डर की संख्या में वृद्धि हुई है। हालांकि, कुछ ऐसी प्रमुख चिंताएं हैं, जो वृद्धि के लिए खतरा बनी हुई हैं। कच्चे माल की कमी के कारण लागत का दबाव ऊंचा बना हुआ है, जबकि आपूर्ति का समय एक बार फिर बढ़ गया। विनिर्माताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती बिक्री कीमतों में मामूली वृद्धि है। पिछले बकाया ऑर्डर की वजह से भारतीय विनिर्माताओं पर दबाव बढ़ा है। इससे मांग में तेजी के बावजूद रोजगार घटा है।

देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी में बढ़ी : पीएमआई

नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) उत्पादन और नए आर्डर की संख्या बढ़ने से देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी माह के दौरान बढ़ी हैं। मांग की अनुकूल स्थिति से इन गतिविधियों को समर्थन मिला है। बुधवार को जारी मासिक सर्वेक्षण में यह कहा गया है। आएचएस मार्किट भारत विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) फरवरी माह में बढ़कर 54.9 अंक पर पहुंच गया। एक महीना पहले जनवरी में यह 54.0 पर था। यह क्षेत्र में मजबूत सुधार दर्शाता है। पीएमआई में आंकड़ा 50 से ऊपर रहने का अर्थ है क्षेत्र में विस्तार हुआ है जबकि 50 से नीचे रहने

आएचएस मार्किट भारत विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) फरवरी माह में बढ़कर 54.9 अंक पर पहुंच गया। एक महीना पहले जनवरी में यह 54.0 पर था। यह क्षेत्र में मजबूत सुधार दर्शाता है।

पीएमआई में आंकड़ा 50 से ऊपर रहने का अर्थ है क्षेत्र में विस्तार हुआ है जबकि 50 से नीचे रहने का मतलब इसमें गिरावट आई है।

सर्वेक्षण में कहा गया कि बिक्री में निरंतर वृद्धि से फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में तेजी को बल मिला।

आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा, ‘‘भारत के विनिर्माण क्षेत्र के लिए ताजा पीएमआई आंकड़ा फरवरी 2022 में कंपनियों की परिचालन स्थिति में सुधार दर्शाता है। खरीद संबंधी गतिविधियां जारी रहने के साथ उत्पादन और नए ऑर्डर की संख्या में वृद्धि हुई है।’’

उन्होंने कहा, "हालांकि कुछ ऐसी प्रमुख चिंताएं हैं, जो वृद्धि के मार्किट आर्डर लिए खतरा बनी हुई हैं। कच्चे माल की कमी के कारण लागत दबाव ऊंचा बना हुआ है, जबकि आपूर्ति का समय एक बार फिर बढ़ गया। हालांकि विनिर्माताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती बिक्री कीमतों में मामूली वृद्धि है।"

वहीं पिछले बकाया आर्डर की वजह से भारतीय विनिर्माताओं पर क्षमता दबाव बढ़ा है। इससे और मांग में तेजी के बावजूद रोजगार घटा है।

पटेल ने हालांकि कहा कि आर्डर बढ़ने से रोजगार का स्तर इस महीने के अंत तक बढ़ेगा और इससे क्षमता पर दबाव जारी रहेगा।

देश में विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी में बढ़ी : पीएमआई

नयी दिल्ली, दो मार्च (भाषा) उत्पादन और नए आर्डर की संख्या बढ़ने से देश के विनिर्माण क्षेत्र की गतिविधियां फरवरी माह के दौरान बढ़ी हैं। मांग की अनुकूल स्थिति से इन गतिविधियों को समर्थन मिला है। बुधवार को जारी मासिक सर्वेक्षण में यह कहा गया है। आएचएस मार्किट भारत विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) फरवरी माह में बढ़कर 54.9 अंक पर पहुंच गया। एक महीना पहले जनवरी में यह 54.0 पर था। यह क्षेत्र में मजबूत सुधार दर्शाता है। पीएमआई में आंकड़ा 50 से ऊपर रहने का अर्थ है क्षेत्र में विस्तार हुआ है जबकि 50 से नीचे रहने

आएचएस मार्किट भारत विनिर्माण खरीद प्रबंधक सूचकांक (पीएमआई) फरवरी माह में बढ़कर 54.9 अंक पर पहुंच गया। एक महीना पहले जनवरी में यह 54.0 पर था। यह क्षेत्र में मजबूत सुधार दर्शाता है।

पीएमआई में आंकड़ा 50 से ऊपर रहने का अर्थ है क्षेत्र में विस्तार हुआ है जबकि 50 से नीचे रहने का मतलब इसमें गिरावट आई है।

सर्वेक्षण में कहा गया कि बिक्री में निरंतर वृद्धि से फरवरी में विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में तेजी को बल मिला।

आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री श्रेया पटेल ने कहा, ‘‘भारत के विनिर्माण क्षेत्र के लिए ताजा पीएमआई आंकड़ा फरवरी 2022 में कंपनियों की परिचालन स्थिति में सुधार दर्शाता है। खरीद संबंधी गतिविधियां जारी रहने के साथ उत्पादन और नए ऑर्डर की संख्या में वृद्धि हुई है।’’

उन्होंने कहा, "हालांकि कुछ ऐसी प्रमुख चिंताएं हैं, जो वृद्धि के लिए खतरा बनी हुई हैं। कच्चे माल की कमी के कारण लागत दबाव ऊंचा बना हुआ है, जबकि आपूर्ति का समय एक बार फिर बढ़ गया। हालांकि विनिर्माताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती बिक्री कीमतों मार्किट आर्डर में मामूली वृद्धि है।"

वहीं पिछले बकाया आर्डर की वजह से भारतीय विनिर्माताओं पर क्षमता दबाव बढ़ा है। इससे और मांग में तेजी के बावजूद रोजगार घटा है।

पटेल ने हालांकि कहा कि आर्डर बढ़ने से रोजगार का स्तर इस महीने के अंत तक मार्किट आर्डर बढ़ेगा और इससे क्षमता पर दबाव जारी रहेगा।

HSBC मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई जून में घटा

भारत के मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में जून के दौरान नरमी दर्ज हुई है. HSBC का बुधवार को जारी सर्वेक्षण के मुताबिक ऐसा कंपनियों द्वारा नई नौकरियों के संबंध में सतर्कता बरतने के मद्देनजर नए कारोबारी आर्डर में बढ़ोतरी कम होने के कारण हुआ.

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aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 01 जुलाई 2015,
  • (अपडेटेड 01 जुलाई 2015, 1:45 PM IST)

भारत के मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में जून के दौरान नरमी दर्ज हुई है. HSBC मार्किट आर्डर का बुधवार को जारी सर्वेक्षण के मुताबिक ऐसा कंपनियों द्वारा नई नौकरियों के संबंध में सतर्कता बरतने के मद्देनजर नए कारोबारी आर्डर में बढ़ोतरी कम होने के कारण हुआ.

सितंबर 2014 से अब तक की नए आर्डर में सबसे सुस्त बढ़ोतरी के बीच HSBC इंडिया का खरीद प्रंबंधक सूचकांक (पीएमआई) जून में 51.3 पर आ गया जो मई में 52.6 पर था. यह आंकड़ा तैयार करने वाली संस्था मार्किट की अर्थशास्त्री पॉलियाना डी लीमा ने कहा मई में उत्पादन और नए आर्डर में बढ़ोतरी के बाद जून का पीएमआई आंकड़ा भारत की आर्थिक वृद्धि में नरमी का संकेत देता है.

गौरतलब है कि पीएमआई, एक मिश्रित सूचकांक है जिसे विनिर्माण कारोबार की स्थिति के आंकलन के लिए तैयार किया गया है. सूचकांक का 50 से उपर रहना वृद्धि और इससे कम रहने का अर्थ है संकुचन होता है. लीमा ने बताया कि नए कारोबार में वृद्धि की गति उल्लेखनीय रूप से कमजोर रही. इसके अलावा विनिर्माता सतर्क रहे और कर्मचारियों की संख्या एक बार फिर अपरिवर्तित रही.

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