करेंसी मार्किट

ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं

ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं

इंटर ट्रेडिंग क्या है?

इसे सुनेंरोकेंलिक्विड स्टॉक्स का अर्थ है कि किसी स्टॉक को कितनी आसानी से खरीदा या बेचा जा सकता है बिना स्टॉक के प्राइस को impact किये। मतलब जिन स्टॉक्स में बहुत सारे buyers और sellers interested होते हैं उन्हें High Liquidity stocks या लिक्विड स्टॉक्स कहते हैं।

ऑनलाइन ट्रेडिंग कैसे करे इन हिंदी?

इसे सुनेंरोकेंऑनलाइन ट्रेडिंग अकाउंट के लिए इंटरनेट कनेक्शंस पहली आवश्यकता है। सबसे पहले ब्रोकर के पास शेयर ट्रेडिंग अकाउंट खोलना होगा। उसके बाद सेविंग अकाउंट(Saving Account) और डिमैट अकाउंट(Demate Account) को शेयर ट्रेडिंग अकाउंट से लिंक करना होगा। आमतौर पर ब्रोकर्स के पास इसके लिए बैंकों का एक पैनल होता है।

शेयर मार्केट में ट्रेडिंग कैसे शुरू करें?

स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट कैसे शुरू करें?

  1. आप इन्वेस्ट कैसे करना चाहते हैं इस बारे में निर्णय ले रहे हैं
  2. डीमैट अकाउंट खोलना
  3. इन्वेस्टमेंट विकल्पों को समझना
  4. दीर्घकालिक इन्वेस्टमेंट पर ध्यान केंद्रित करें
  5. नियमित रूप से इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो का प्रबंधन

निफ़्टी में कैसे इन्वेस्ट करे?

Nifty Index Funds कैसे ख़रीदे?

  1. सबसे पहले Login करे –
  2. अब Profile सेक्शन में जाए और Manage पर क्लिक करे –
  3. आप जीतना फण्ड ऐड करना चाहते है उतनी राशि लिखे और Add Now पर क्लिक ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं करके पैसे जोड़ ले –
  4. फिर Home Page पर जायें और सर्च बॉक्स में लिखे – Nifty 50 Index Fund.
  5. उसके बाद आप दी गई लिस्ट में से अपने लिए फण्ड सेलेक्ट ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं कर ले|

निफ्टी 50 में निवेश कैसे करें?

इसे सुनेंरोकेंनिफ्टी में कैसे निवेश करें? निफ्टी में निवेश करने के लिए आप स्पॉट ट्रेडिंग, डेरिवेटिव ट्रेडिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं. स्पॉट ट्रेडिंग: निफ्टी में इन्वेस्टमेंट करने का सबसे आसान तरीका है बड़ी कंपनियों में निवेश करें. जैसे ITC, Gail और अन्य शानदार निफ्टी स्टॉक्स.

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trading tips in Hindi (Page 43)

तैयारी कितनी भी कर लें, शेयर बाज़ार की अनिश्चितता को खत्म नहीं किया जा सकता। कल तो दूसरी ही तरह की अनिश्चितता ने बाज़ार को घेर लिया। एनएसई ने टेलिकॉम सेवा देनेवालों की तरफ से उपजी समस्या के चलते ट्रेडिंग 11.40 बजे रोक दी। निफ्टी-50 सुबह 10.08 बजे के बाद अपडेट ही नहीं हो रहा था। बाज़ार जब शाम 3.30 बजे बंद होता है, तब जाकर सूचकांक अपडेट हुआ। अंततः ट्रेडिंग का समय 90 मिनट बढ़ाकर 5और और भी

भय व लालच का संतुलन और धन का प्रवाह

शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग से कमाई सुनिश्चित करने के लिए तीन खास बातें आपको पता होनी चाहिए। एक, बाज़ार में भय और लालच का संतुलन कैसा चल रहा है? दो, संस्थाओं व प्रोफेशनल ट्रेडरों का रुझान क्या है? तीन, विदेशी निवेशक संस्थाओं के धन का प्रवाह कैसा चल रहा है? इसलिए हर दिन बाज़ार बंद होने के बाद एनएसई की वेबसाइट पर जाकर देख लें कि डर व घबराहट से संबंधित इंडिया वीआईएक्स सूचकांक कितना बढ़ा/घटा है।और और भी

ग्लोबल बाजार को जाने बगैर न चले लोकल

हमारा शेयर बाज़ार अब पूरी तरह ग्लोबल हो चुका है। इसलिए दिन की ट्रेडिंग शुरू करने से पहले दुनिया के बाज़ारों का हाल-चाल जान लेना चाहिए। अमेरिका का डाउ जोन्स और S&P-500 सूचकांक का कल का क्लोजिंग, आज सुबह ऑस्ट्रेलिया का S&P/ASX-200 सूचकांक (अपने समय से दोपहर तक) और एशिया में (दोपहर से पहले तक) जापान का निक्केई सूचकांक, कोरिया/हागकांग के बाज़ार की स्थिति के साथ-साथ सिंगापुर निफ्टी सूचकांक का हालचाल पता कर लेना चाहिए। इससे मोटाऔर और भी

काफी है चुनिंदा डेटा व रिस्क की पूरी समझ

विज्ञान में अधिकतम उपलब्ध डेटा की थाह में पहुंचकर ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाता है। उसी ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं से अगला एक्शन या कदम तय होता है। लेकिन ट्रेडिंग विज्ञान ही नहीं, कला भी है। ग्लोबल हो चुका शेयर बाज़ार हर दिन इतना डेटा फेंकता है कि उनका विश्लेषण बेहद परिष्कृत सॉफ्टवेयर ही कर सकता है। इंसान तो डेटा के इस अम्बार में डूबता-उतराता ही रह जाएगा और अंततः कन्फ्यूज़ हो जाएगा। वैसे भी बाज़ार में पक्का कुछ नहीं,और और भी

न अंदाज़ा, न किस्मत, न ही बिजनेस चैनल!

जो वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग का सार नहीं समझते, वे कभी इसे अंदाज़ का कमाल, किस्मत का खेल या सही बिजनेस टीवी चैनल का प्रताप बता सकते हैं। लेकिन हकीकत यह है कि शेयर बाज़ार में ट्रेडिंग शुद्ध रूप से दांव-पेंच का खेल है। आप औरों पर ज़रा-सा भी भारी पड़े तो बाज़ी आपके ही हाथ लगती है। यह अलग बात है कि लगातार स्टॉक्स पर काम करते-करते एक तरह का इन्ट्यूशन विकसित हो जाता है औरऔर और भी

अभ्यास से सीखें ट्रेडिंग का विज्ञान, कला भी

वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग में अपनी धार खुद विकसित करनी होती है। हम किसी की नकल नहीं कर सकते। पद्धति व तरीका तो सबसे पास समान होता है। उन्नीस-बीस का फर्क। इसे हमें अपनी बुनावट के हिसाब से कसना, साधना पड़ता है। ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं अंततः हमारे हुनर में निखार अभ्यास से आता है। यहां हर कोई अपनी ही गलतियों से सीखता हुआ आगे बढ़ता है। धीरे-धीरे एक दिन बाज़ार की प्रायिकताओं से खेलने और उनको साधने का विज्ञान सीखऔर और भी

छिपी है धार धन के प्रवाह की सही समझ में

ट्रेडिंग में अलग धार कैसे लाई जाए? इसके लिए पहले यह धारणा मन से निकाल देनी होगी कि सॉफ्टवेयर आधारित एल्गोरिदम ट्रेडिंग किसी इंसान के दिमाग को मात दे सकती है। फिर, बाज़ार के अलग-अलग सेगमेंट हैं। ज़रूरी नहीं कि हर तरफ हाथ-पैर मारा जाए। ध्यान रहे कि दो-चार दिन में शेयरों के भाव का बढ़ना-घटना उनकी तरफ आते या उनसे दूर जाते धन के प्रवाह पर निर्भर है। अगर कोई धन के आने-जाने का यह समीकरणऔर और भी

ट्रेडिंग की अलग धार ही दिलाती जीत या हार

वित्तीय बाज़ार की ट्रेडिंग किताबी ज्ञान नहीं, बाज़ार की पल-पल बदलती व्यावहारिक हकीकत से चलती है। यहां हर पल लालच और डर की इंसानी भावनाएं हिलोर मारती रहती हैं। ठंडी गणनाओं पर काम करनेवाले ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर भी सक्रिय हैं। लेकिन उनके पीछे सक्रिय इंसान है और जीतता भी इंसान है अपनी धार की बदौलत। यह भी अकाट्य सच है कि हरेक इंसान की अपनी अलग धार ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं होती है। सारा कुछ पढ़ने, सीखने व जानने के बाद आपऔर और भी

किताबें, चैनल, गुरु भी, फिर भी ट्रेडिंग पस्त!

सालों-साल से यही कड़वा सच है कि शेयर बाज़ार में 95% (ज्यादातर रिटेल) ट्रेडर घाटे में रहते हैं, जबकि केवल 5% ट्रेडर कमाते हैं। ऐसा तब, जब इस समय ट्रेडिंग सीखने की किताबों से लेकर यू-ट्यूब चैनल भरे पड़े हैं। ट्रेडिंग सिखानेवाले गुरुओं की भी कमी नहीं जो खुद ट्रेडिंग से नहीं कमा पाते तो सिखाने का धंधा चलाने लगते हैं। हर छात्र से प्रतिमाह 35,000 से 50,000 रुपए। ऑनलाइन ट्रेडिंग एकेडमी तो डेढ़-दो लाख लेती है।और और भी

लालच घनघोर, सुरक्षित राह छोड़ रिस्की राह

इधर रिटेल निवेशक/ट्रेडर जहां एक तरफ शेयर बाज़ार में सीधा निवेश बढ़ा रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों से धन निकाल रहे हैं। दिसंबर 2020 में म्यूचुअल फंडों की इक्विटी स्कीमों से 13,121 करोड़ रुपए निकले थे, जबकि जनवरी 2021 में यह रकम 12,194 करोड़ रुपए रही है। सवाल उठता है कि क्या रिटेल निवेशकों का आत्मविश्वास इतना बढ़ गया है कि म्यूचुअल फंड का सुरक्षित रास्ता छोड़कर सीधे निवेश का जोखिम उठानेऔर और भी

निवेश – तथास्तु

भारत में शेयर बाज़ार से कमाने की कारगर रणनीति यही है कि ट्रेडर मौका देखे तो निवेशक बन जाए तो निवेशक को ज़रूरत पड़े तो ट्रेडर बन जाए। वैसे, दोनों के बीच बड़ी साफ विभाजन रेखा है। ट्रेडर हमेशा सटोरिया होता है। वह बहुत कम जानकारी जुटाकर अनजाने में छलांग लगाता है। वहीं, निवेशक कतई सटोरिया नहीं होता। वह जितना संभव है, उतना जानकर ही दांव लगाता है। वह जो भी शेयर खरीदे, उसके पीछे निष्पक्ष व […]

पेड सेवा

क्या आप जानते हैं?

जर्मन मूल की ग्लोबल ई-पेमेंट कंपनी वायरकार्ड ने बैंकिंग और इसके नजदीकी धंधों में अपने हाथ-पैर पूरी दुनिया में फैला रखे थे। फिर ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं भी उसका कद ऐसा नहीं है कि इसी 25 जून को उसके दिवाला बोल देने से दुनिया के वित्तीय ढांचे पर 2008 जैसा खतरा मंडराने लगे। अलबत्ता, जिस तरह इस मामले में …

अपनों से अपनी बात

भारतीय अर्थव्यवस्था बढ़ रही है और आगे भी बढ़ेगी। लेकिन कहा जा रहा है कि इसका लाभ आम आदमी को पूरा नहीं मिलता। अमीर-गरीब की खाईं बढ़ रही है। बाज़ार को आंख मूंदकर गालियां दी जा रही हैं। लेकिन बाज़ार सचेत लोगों के लिए आय और दौलत के सृजन ही नहीं, वितरण का काम भी …

इक्विटी डेरिवेटिव्स मार्केट की बारीकियां

ईटी की पाठशाला में आज हम आपको इक्विटी डेरिवेटिव्स के बारे में बताने जा रहे हैं।

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3. यानी निफ्टी का F&O डेरिवेटिव निफ्टी फ्यूचर्स होगा? बैंक निफ्टी के भी वैसे ही F&O कॉन्ट्रैक्ट होंगे?
जी हां। F&O में ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं न सिर्फ इंडेक्स के फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट, बल्कि ऑप्शंस भी होते हैं। चुनिंदा स्टॉक्स के फ्यूचर्स और ऑप्शंस, दोनों डेरिवेटिव्स होते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी स्टॉक ऑप्शंस में बड़े पैमाने पर ट्रेडिंग होती हो। अधिकांश गतिविधियां इंडिविजुअल स्टॉक फ्यूचर्स में होती हैं।

4. फ्यूचर्स और ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स क्या होते हैं?
फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट क्लाइंट्स को अंडरलाइंग सिक्योरिटी को मौजूदा भाव पर भविष्य में खरीदने-बेचने का अधिकार देता है। ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट में भी इसी तरह बायर्स को फ्यूचर में तय दाम पर अंडरलाइंग सिक्योरिटी की खरीद-फरोख्त करने के अधिकार मिलते हैं, लेकिन उन पर इसकी कोई बंदिश नहीं होती। अगली बार फ्यूचर्स एंड ऑप्शंस के बारे में तफसील से बताया जाएगा।

5. किन एक्सचेंजों पर F&O कॉन्ट्रैक्ट्स में ट्रेड करने की सुविधा मिल रही है?
NSE और BSE, दोनों ही कैश सेगमेंट के अलावा स्टॉक और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग फैसिलिटी ऑफर करते हैं। MCX, NCDEX और ICEX पर कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग होती है।

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DNA Hindi Money Guide : कैसै किया जाता है NIFTY या SENSEX में निवेश

DNA Hindi Money Guide : कैसै किया जाता है NIFTY या SENSEX में निवेश

डीएनए हिंदी: हर कोई चाहता है कि वह शेयर बाजार के बेहतरीन स्टॉक्स में निवेश करे और उसे अच्छा खासा मुनाफा हो. अगर हम आपको ये बताएं कि आप स्टॉक्स की जगह निफ्टी और सेंसेक्स में निवेश करके मुनाफा कमा सकते हैं तो सोचिए कितना फायदा मिलेगा. निफ्टी और सेंसेक्स में निवेश करने को लेकर बहुत से लोगों के मन में भ्रांतियां हैं कि इसमें कैसे निवेश करें? क्या ये फायदा देगा भी या नहीं? ये दोनों ही किसी भी म्यूचुअल फंड से ज्यादा फायदा देने में सक्षम हैं.

उदाहरण के लिए निफ्टी एक इंडेक्स है जिसमें नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में टॉप 50 कंपनियां शामिल हैं. दूसरी तरफ सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) है जिसमें टॉप 30 बैरोमीटर है. ये अलग-अलग सेक्टर्स से जुड़े हुए शानदार प्रदर्शन करने वाली कंपनियों के ब्लू-चिप स्टॉक हैं.

अगर आप भी निफ्टी में निवेश करने की प्लानिंग कर रहे हैं तो आइए जानते हैं कि इसमें निवेश करने से पहले आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कैसे निवेश कर सकते हैं?

इन्वेस्टमेंट के लिए लक्ष्य

अपने फाइनेंशियल गोल को पाने के लिए आपको पहले यह पता करना होगा कि आप किस चीज को ध्यान में रखकर निवेश कर रहे हैं. जैसे बेटी की शादी, पढ़ाई या घर बनाने के लिए. ऐसा करने से निवेश बेहतर हो जाता है.

डीमैट अकाउंट खोलें

  • एक स्टॉकब्रोकर चुनें जो आपके लिए डीमैट अकाउंट खोलने में मदद करेगा.
  • ऑनलाइन ऑफलाइन दोनों तरीके से आप स्टॉकब्रोकर से संपर्क कर सकते हैं.
  • केवाईसी (KYC) शर्तों को कंप्लीट करें.
  • वेरिफिकेशन प्रक्रिया को कंप्लीट करें और आप सेट हैं.

निफ्टी में कैसे निवेश करें?

निफ्टी में निवेश करने के लिए आप स्पॉट ट्रेडिंग, डेरिवेटिव ट्रेडिंग का इस्तेमाल कर सकते हैं.

स्पॉट ट्रेडिंग: निफ्टी में इन्वेस्टमेंट करने का सबसे आसान तरीका है बड़ी कंपनियों में निवेश करें. जैसे ITC, Gail और अन्य शानदार निफ्टी स्टॉक्स. इन सभी में इन्वेस्टमेंट करने के बाद जब एक समय बाद इनकी कीमत बढ़ जाती है तो आपको मुनाफा भी बेहतर होगा.

डेरिवेटिव ट्रेडिंग: डेरिवेटिव फाइनेंशियल कॉन्ट्रैक्ट्स होता है. यह एक आधारभूत परिसंपत्ति से अपना मूल्य प्राप्त करते हैं. ये स्टॉक, कमोडिटीज, करेंसीज आदि हो सकते हैं.


साल 2000 से लेकर अब तक निफ्टी 50 में कितना अंतर आया?

  • साल 2000 में निफ्टी 1313 रुपये पर बना हुआ था.
  • साल 2005 में यह 2,836.55 रुपये पर था.
  • साल 2010 में इसका स्तर बढ़कर 5,948 रुपये पर आ गया.
  • साल 2015 में यह 7,761.95 रुपये पर देखा गया.
  • साल 2020 में यह बढ़कर 13,258.55 रुपये पर आ गया.
  • आज यानी कि हाल के वक्त में यह 16,630.45 रुपये पर ट्रेडिंग कर रहा है.

अब तक के रिकॉर्ड के मुताबिक इसमें 1,766.91 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है.

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इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म

वित्त में, एक इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जिसे ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के रूप में भी जाना जाता है , एक कंप्यूटर सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसका उपयोग वित्तीय उत्पादों के लिए एक वित्तीय मध्यस्थ के साथ नेटवर्क पर ऑर्डर देने के लिए किया जा सकता है । विभिन्न वित्तीय उत्पादों ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं का व्यापार मंच द्वारा, एक वित्तीय मध्यस्थ के साथ संचार नेटवर्क पर या सीधे व्यापार मंच के प्रतिभागियों या सदस्यों के बीच किया जा सकता है। इसमें स्टॉक , बॉन्ड , मुद्राएं , कमोडिटी , डेरिवेटिव और अन्य जैसे उत्पाद शामिल हैं, जिसमें वित्तीय मध्यस्थ, जैसे दलाल , बाजार निर्माता शामिल हैं, निवेश बैंक या स्टॉक एक्सचेंज । इस तरह के प्लेटफॉर्म इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग को किसी भी स्थान से उपयोगकर्ताओं द्वारा किए जाने की अनुमति देते हैं और पारंपरिक फ्लोर ट्रेडिंग के विपरीत खुले चिल्लाहट और टेलीफोन आधारित ट्रेडिंग का उपयोग करते हैं । कभी-कभी ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म शब्द का इस्तेमाल अकेले ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर के संदर्भ में भी किया जाता है।

इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म आम तौर पर लाइव बाजार मूल्यों को स्ट्रीम करते हैं, जिस पर उपयोगकर्ता व्यापार कर सकते हैं और अतिरिक्त व्यापारिक उपकरण प्रदान कर सकते हैं, जैसे चार्टिंग पैकेज, समाचार फ़ीड और खाता प्रबंधन कार्य। कुछ प्लेटफॉर्म विशेष रूप से व्यक्तियों को वित्तीय बाजारों तक पहुंच प्राप्त करने की अनुमति देने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं जिन्हें पहले केवल विशेषज्ञ व्यापारिक फर्मों द्वारा ही एक्सेस किया जा सकता था। उन्हें तकनीकी विश्लेषण के आधार पर विशिष्ट रणनीतियों को स्वचालित रूप से व्यापार करने या उच्च आवृत्ति व्यापार करने के लिए भी डिज़ाइन किया जा सकता है ।

इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म आमतौर पर मोबाइल के अनुकूल होते हैं और विंडोज, मैक, लिनक्स, आईओएस और एंड्रॉइड के लिए उपलब्ध होते हैं।

'ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म' शब्द का इस्तेमाल आमतौर पर ' ट्रेडिंग सिस्टम ' के साथ भ्रम से बचने के लिए किया जाता है, जो कि वित्तीय सर्किलों के भीतर ऑर्डर निष्पादित करने के लिए उपयोग किए जाने वाले कंप्यूटर सिस्टम के बजाय अक्सर ट्रेडिंग पद्धति या रणनीति से जुड़ा होता है । [१] इस मामले में प्लेटफ़ॉर्म का उपयोग एक प्रकार के कंप्यूटिंग सिस्टम या ऑपरेटिंग वातावरण जैसे डेटाबेस या अन्य विशिष्ट सॉफ़्टवेयर के लिए किया जाता है।

लेन-देन पारंपरिक रूप से दलालों या प्रतिपक्षों के बीच मैन्युअल रूप से नियंत्रित किया जाता है। हालाँकि, 1970 के दशक से शुरू होकर, लेन-देन का एक बड़ा हिस्सा इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर चला गया है। इनमें इलेक्ट्रॉनिक संचार नेटवर्क , वैकल्पिक व्यापार प्रणाली , " डार्क पूल " और अन्य शामिल हो सकते हैं । [2]

पहले इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म आमतौर पर स्टॉक एक्सचेंजों से जुड़े थे और दलालों को निजी समर्पित नेटवर्क और डंब टर्मिनलों का उपयोग करके दूरस्थ रूप से ऑर्डर देने की अनुमति देते थे । प्रारंभिक सिस्टम हमेशा लाइव स्ट्रीमिंग मूल्य प्रदान नहीं करते थे और इसके बजाय दलालों या ग्राहकों को एक आदेश देने की अनुमति देते थे जिसकी पुष्टि कुछ समय बाद की जाएगी; इन्हें ' उद्धरण के लिए अनुरोध ' आधारित प्रणालियों के रूप में जाना जाता था ।

ट्रेडिंग सिस्टम लाइव स्ट्रीमिंग कीमतों और ऑर्डर के तत्काल निष्पादन के साथ-साथ अंतर्निहित नेटवर्क के रूप में इंटरनेट का उपयोग करने की अनुमति देने के लिए विकसित हुआ, जिसका अर्थ है कि स्थान बहुत कम प्रासंगिक हो ऑनलाइन ट्रेडिंग में डेरिवेटिव क्या हैं गया। कुछ इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म ने स्क्रिप्टिंग टूल और यहां तक ​​​​कि एपीआई में भी व्यापारियों को स्वचालित या एल्गोरिथम ट्रेडिंग सिस्टम और रोबोट विकसित करने की अनुमति दी है । [ उद्धरण वांछित ]

इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के क्लाइंट ग्राफिकल यूजर इंटरफेस का उपयोग विभिन्न ऑर्डर देने के लिए किया जा सकता है और इसे कभी-कभी ट्रेडिंग टर्रेट भी कहा जाता है (हालांकि यह इस शब्द का दुरुपयोग हो सकता है, क्योंकि कुछ व्यापारियों द्वारा उपयोग किए जाने वाले विशेष पीबीएक्स फोन का उल्लेख करते हैं)।

2001 से 2005 की अवधि के दौरान, ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के विकास और प्रसार ने समर्पित ऑनलाइन ट्रेडिंग पोर्टल्स की स्थापना को देखा, जो एक संस्थान की पेशकश तक सीमित होने के बजाय कई इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के विकल्प के साथ इलेक्ट्रॉनिक ऑनलाइन स्थान थे। [ उद्धरण वांछित ]

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