विदेशी मुद्रा छोटे खाते क्या हैं

पीएस वोहरा
Updated Wed, 10 Aug 2022 11:47 PM IST
अमेरिकी डॉलर को रौंद रही रूस-चीन की स्ट्रैटजी: पुतिन ने सस्ता तेल बेचा, जिनपिंग ने सस्ता कर्ज बांटा; भारत भी अहम किरदार
24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला करते ही रूस पर प्रतिबंधों की बाढ़ आ गई। अमेरिकी डॉलर में कारोबार न कर पाने का संकट खड़ा हो गया। रूसी करेंसी रूबल की वैल्यू धड़ाम हो गई। रूस की इकोनॉमी तबाह होने की भविष्यवाणियां होने लगीं, लेकिन पुतिन तो जैसे इसी मौके के इंतजार में थे। उन्होंने जिनपिंग के साथ एक ऐसी स्ट्रैटजी को एक्टिवेट कर दिया, जिसकी तैयारी दोनों पिछले कई सालों से कर रहे थे। ये स्ट्रैटजी दुनिया से अमेरिका डॉलर के दबदबे को खत्म कर सकती है।
भास्कर एक्सप्लेनर में हम रूस-चीन की उसी स्ट्रैटजी को आसान भाषा में जानेंगे, लेकिन उससे पहले 2 सवालों के जवाब जान लेना जरूरी है.
सवाल- 1: अमेरिकी डॉलर दुनिया की सबसे मजबूत करेंसी कैसे बन गई?
मुद्रा और चालू खाते को लेकर भारत की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है
पिछले कुछ हफ्तों से, जब विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) द्वारा लगातार बाजार में बिकवाली का दौर जारी रहा, भारतीय रिजर्व बैंक भारतीय मुद्रा रुपये की विनिमयय दर को थामने की एक हारी हुई लड़ाई लड़ता दिखा.
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मुख्य तौर पर भारतीय ब्लूचिप कंपनियों के शेयरों की बिक्री है और भारतीय बाजार से 2.3 लाख करोड़ रुपये (लगभग 30 अरब अमेरिकी डॉलर) की बड़ी रकम निकाल ली है. इसने भारतीय रुपये पर और नीचे गिरने का भीषण दबाव बनाने का काम किया है.
रुपये में ऐतिहासिक गिरावट का दौर जारी है और यह आरबीआई द्वारा भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार से डॉलर की बिक्री करके इसे संभालने की कोशिशों को धता बताते हुए प्रति डॉलर 79 रुपये से ज्यादा नीचे गिर चुका है. सिर्फ एक पखवाड़े में ही रिजर्व बैंक ने 10 अरब अमेरिकी डॉलर की बिक्री की है.
पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली : पड़ोसी मुल्क में एशिया में दूसरी सबसे तेज मुद्रास्फीति दर, क्या हैं इसके मायने
पीएस वोहरा
Updated Wed, 10 Aug 2022 11:47 PM IST
इन दिनों वैश्विक चर्चा है कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी अस्थिर हो चुकी है। इसका मुख्य कारण पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में लगातार बढ़ रहा विदेशी ऋण है। यह स्थिति एशिया महाद्वीप में इसलिए भी चिंताजनक हो जाती है, क्योंकि कमोबेश इसी कारण एक अन्य पड़ोसी मुल्क श्रीलंका भी इन दिनों आर्थिक बर्बादी के कगार पर है। कुछ दिनों पहले पाकिस्तान सरकार ने कहा कि उसे आगामी वित्त वर्ष के लिए 42 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी, जिसमें से 21 अरब डॉलर तो विदेशी ऋण के भुगतान के लिए चाहिए।
विस्तार
इन दिनों वैश्विक चर्चा है कि पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था काफी अस्थिर हो चुकी है। इसका मुख्य कारण पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था में लगातार बढ़ रहा विदेशी ऋण है। यह स्थिति एशिया महाद्वीप में इसलिए भी चिंताजनक हो जाती है, क्योंकि कमोबेश इसी कारण एक अन्य पड़ोसी मुल्क श्रीलंका भी इन दिनों आर्थिक बर्बादी के कगार पर है। कुछ दिनों पहले पाकिस्तान सरकार ने कहा कि उसे आगामी वित्त वर्ष के लिए 42 अरब डॉलर की आवश्यकता होगी, जिसमें से 21 अरब डॉलर तो विदेशी ऋण के भुगतान के लिए चाहिए।
12 अरब डॉलर चालू खाते के घाटे को पूरा करने के लिए तथा नौ अरब डॉलर आगामी वित्तीय वर्ष के अंतर्गत आवश्यक वस्तुओं के आयात के भुगतान के लिए। पाकिस्तान विद्युत की आवश्यक मांग भी पूरा नहीं कर पा रहा है, लगभग 7,800 मेगावाट की आपूर्ति नहीं हो पा रही है, जिसके फलस्वरूप आम आदमी का जीवन तथा व्यापार व कारखाने सभी प्रभावित हो रहे हैं। जुलाई के अंतिम सप्ताह में विदेशी मुद्रा भंडार में भी 756 अरब डॉलर की कमी दर्ज की गई है तथा विदेशी मुद्रा भंडार 85.75 करोड़ डॉलर ही है, जो डेढ़ माह के आयात भुगतान में ही सक्षम है।
हवाईअड्डे पर लैपटॉप बैग से 45 लाख की विदेशी मुद्रा मिली
नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। आईजीआई हवाईअड्डे पर लैपटॉप बैग में विदेशी मुद्रा छिपाकर ले जा रहे दो यात्रियों को सीआईएसएफ ने पकड़ा है। आरोपियों से अमेरिकी डॉलर के अलावा यूएई के दिरहम भी बरामद हुए विदेशी मुद्रा छोटे खाते क्या हैं हैं। बरामद मुद्रा की कीमत साढ़े 45 लाख रुपये बताई जा रही है। सीआईएसएफ ने पकड़े गए यात्रियों को कस्टम विभाग को सौंप दिया है।
सीआईएसएफ के प्रवक्ता असिस्टेंट आईजी अपूर्व पांडेय के अनुसार, सीआईएसएफ की सर्विलांस टीम गुरुवार को टर्मिनल-तीन में यात्रियों पर नजर रख रही थी। इस दौरान उन्होंने दो संदिग्ध यात्रियों मोशिन खान और असीम को जांच के लिए रोका। मोशिन दिल्ली से हैदराबद जा रहा था, जबकि असीम को दुबई जाना था। मोशिन ने अपना एक बैग असीम को दिया था, जिसे ऐसा विदेशी मुद्रा छोटे खाते क्या हैं करते हुए सीआईएसएफ जवानों ने देख लिया था। सीआईएसएफ जवानों ने बैग की जांच की तो उसमें विदेशी मुद्रा रखी हुई थी। बैग से 56200 डॉलर और 3200 यूएई के दिरहम बरामद हुए। इसके बाद मोशिन को भी पकड़ लिया गया।
1 साल पहले आरबीआई के पास 642 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार था जो अब 100 अरब डॉलर घटकर 545 अरब डॉलर रह गया है. केंद्रीय बैंक द्वारा रुपये की साख बचाने के लिए डॉलर विदेशी मुद्रा छोटे खाते क्या हैं को बेचने के बावजूद भारतीय करेंसी में कोई बहुत मजबूती नहीं दिख रही है.
- News18Hindi
- Last Updated : September 29, 2022, 07:20 IST
भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में एक साल में 100 अरब डॉलर की गिरावट आई विदेशी मुद्रा छोटे खाते क्या हैं है.
आरबीआई रुपये की साख को बचाने के लिए लगातार हस्तक्षेप कर रहा है.
जानकारों का मानना है कि साल के अंत तक यह अपने 2 साल के निचले स्तर पर पहुंच जाएगा.
नई दिल्ली. भारत का विदेशी मुद्रा भंडार (फॉरेक्स रिजर्व) दिसंबर तक 2 साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच सकता है. रॉयटर्स की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है. दरअसल, डॉलर के सामने रुपये की दिन-प्रतिदिन गिरती साख को बचाने के लिए आरबीआई लगातार हस्तक्षेप करते हुए डॉलर बेच रहा है.