क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है?

सलाखों में पहुंचे एसपी व दम्पती
कोटा। घूसखोरी के मामले में गिरफ्तार निलंबित एसपी सत्यवीर सिंह, दलाल दम्पती फरहीन व निसार.
कोटा। घूसखोरी के मामले में गिरफ्तार निलंबित एसपी सत्यवीर सिंह, दलाल दम्पती फरहीन व निसार को सोमवार को जेल भेज दिया गया। रिमांड अवधि पूरी होने के बाद एसीबी ने सुबह तीनों को न्यायालय में पेश किया, जहां से 10 जून तक न्यायिक हिरासत में भेजने के आदेश हुए। इसके बाद इन्हें कोटा सेंट्रल जेल भेजा गया। बरसों पुरानी कोटा जेल के इतिहास में यह पहला मौका है, जब कोई आईपीएस वहां पहुंचा है। पेशी से जेल तक के घटनाक्रम पर राजस्थान पत्रिका टीम ने पूरी नजर रखी। पेश है आंखों देखी लाइव रिपोर्ट-
सुबह 7.20
पूर्व में पेशी के दौरान उपजे हालात के मद्देनजर एसीबी ने इस बार तीनों को सुबह जल्दी ही पेश करने का मानस बना लिया था
और यही सूचना शहर पुलिस को दी गई थी। कोर्ट परिसर में चप्पे-चप्पे पर पुलिसकर्मी थे। यहां करीब सौ पुलिसकर्मियों का घेरा
था। एसीबी के अधिकारी चार वाहनों से एसपी सहित तीनों को लेकर आए। बिना कोई क्षण गंवाए सीधे कोर्ट में दाखिल हो गए। भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय के न्यायाधीश अवकाश पर होने से अभियुक्तों को जिला न्यायालय में पेश किया गया।
सुबह 7.48
पेशी खत्म। कोर्ट द्वारा जेल भेजने के आदेश होने के बाद अभियुक्तों को वाहनों से जेल के बजाय पुलिस अन्वेषण भवन ले जाया गया। एसीबी की ओर से कहा गया कि न्यायालय से वारंट आने तक सुरक्षा कारणों से अभियुक्तों को यहां लाया गया है। करीब तीन घंटे तक अभियुक्तों को यहीं रखा गया। यह भवन पुलिस का गेस्ट हाउस है। यहां फरहीन व निसार से इनके बच्चे भी मिलने पहुंचे। कुछ बैग लाए और मुलाकात की।
सुबह 10.50
जेल में पहले से जाब्ता पहुंच चुका था। तीन वाहनों से एसीबी के अधिकारी अभियुक्तों को लेकर आए। गाडियों को सीधे गेट के करीब लगाया और तीनों का भीतर दाखिला करा दिया। दो अधिकारी गेट के बाहर खड़े हो गए, फिर इन्होंने कुछ देर बाद कागजात जेल में अंदर सौंपे। इसके बाद तीनों को विधिवत रूप से बंदी की जगह दे दी गई। यहां एसीबी के दो वरिष्ठ अधिकारियों सहित दर्जनभर कार्मिक आए थे।
बंदियों ने लगाए नारे, एसपी.. हाय-हाय
अभियुक्तों के जेल पहुंचने से पहले बड़ी संख्या में मीडियाकर्मी जेल पहुंच गए। इस दौरान जैसे ही बंदियों को पेशी के लिए निकाला जाता तो वे समझ जाते कि मीडिया वाले क्यों आए हैं? बंदियों ने एसपी के खिलाफ नारे लगाए।
मुझे जेल में जान का खतरा-एसपी
न्यायाधीश जी. आर. मूलचंदानी ने जैसे ही तीनों को जेल भेजने के आदेश दिए तो सत्यवीर सिंह की ओर से न्यायालय में एक प्रार्थना पत्र पेश किया गया। जिसमें कहा कि उनके कार्यकाल के कई संगीन प्रकरणों के मुल्जिम कोटा सेंट्रल जेल में हैं, जिनसे उन्हें जान का खतरा है। इस कारण मुझे कोटा केन्द्रीय कारागार की जगह अन्य किसी भी कारागार में भेजा जाए। प्रार्थना पत्र पर एसीबी के अधिकारियों ने तो कोई आपत्ति नहीं की, लेकिन लोक अभियोजक ने प्रार्थना पत्र पर जवाब के लिए समय चाहा। इस पर न्यायालय ने 5 जून को सुनवाई के तय किया। प्रार्थना पत्र पर आदेश होने तक कोटा जेल में ही रहेंगे।
"पांच-सात लाख में क्या रखा है, खूब खाओ"
जयपुर. खाना है तो खूब खाओ पांच सात लाख में क्या रखा है। कोटा में निलंबित एसपी सत्यवीर सिंह के लिए रिश्वत लेते पकड़े गए दलाल दम्पती निसार एवं फरहीन कुछ ऎसी ही सोच पर काम कर रहे थे और शहर के थानों में दर्ज मामलों की जांच बदलवाने के बदले "मोटी रकम" मांगते थे। एसीबी की तफ्तीश में खुलासे हो रहे हैं कि निलंबित एसपी सत्यवीर की सहमति से दलाल दम्पती जमीन विवाद मामलों के पीडितों एवं शहर में जुए सट्टे का गोरखधंधा चलानेवालों से उगाही करते थे। एसीबी पूछताछ में कोटा शहर के कई पुलिसकर्मियों की मिलीभगत की बात सामने आई है। पुराने मामलों की पत्रावलियों की जांच बदलने में संदिग्ध भूमिका पाए जाने के बाद इनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी।
जुए के गोरखधंधे में लाखों की बंधी!
शहर में जुआ सट्टा भी फरहीन की मर्जी से चलता था। निसार व फरहीन की मोबाइल ट्रांस्क्रिप्ट में सामने आया है कि जुए का गोरखधंधा चलानेवालों से हर माह लाखों रूपए बंधी ली जाती थी। जुआ चलानेवालों पर अगर पुलिस कार्रवाई करती थी तो फरहीन एसपी से शिकायत कर देती थी। एक एएसपी की कार्रवाई से परेशान होकर सत्यवीर ने कहा था कि वह "ईमानदारी का पुतला है, उसका कुछ नहीं हो सकता।"
. और मुस्कुराता निकला निसार
पूर्व में हुई पेशी के मुकाबले तीनों अभियुक्तों की चाल-ढाल और हावभाव में काफी बदलाव था। फरहीन का पति निसार तो पूरी तरह निश्चिंत नजर आया। अन्वेषण भवन से जेल रवाना करते वक्त उसके चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी, बल्कि वह मुस्कुराता हुआ निकला। जबकि एसपी व फरहीन चिंतामग्न थे।
वकील नहीं हुए उपस्थित
अदालतों में 365 दिन कामकाज के उच्चतम न्यायालय के प्रस्ताव के विरोध में अभिभाषक परिषद की ओर से सोमवार को न्यायिक कार्य स्थगित रखा गया था। इस कारण से अदालत में अभियुक्तों की ओर से किसी भी अधिवक्ता ने पैरवी नहीं की और न ही उपस्थित हुए। इस मामले में अब जमानत का प्रार्थना पत्र पेश किया जाएगा।
रात डेढ़ बजे पहुंची टीम
इससे पहले देर रात करीब डेढ़ बजे से ही एसीबी के अधिकारी तीनों अभियुक्तों को लेकर कोटा पहुंच गए। रात को अन्वेषण भवन में ही रखा गया और सुबह पेश किया गया। अन्वेषण भवन रात से ही पर्याप्त सुरक्षा बंदोबस्त किए गए थे।
"फरहीन की अच्छी राजनीतिक पहुंच"
इस मामले में एसीबी की ओर से न्यायालय में पेश दस्तावेज में तर्क दिया गया कि सत्यवीर सिंह कोटा में एसपी रहे हैं। फरहीन व निसार ने उनके साथ मिलीभगत कर कई प्रकरणों में नतीजों को प्रभावित किया है। एसपी महत्वपूर्ण पद है और फरहीन की भी अच्छी राजनीतिक पहुंच है। मुकदमे के अनुसंधान में समय लगेगा। साक्ष्य एकत्रित किए जाने हैं। ऎसे में मुल्जिमों को जमानत पर छोड़े जाने से गवाहों को प्रभावित करने व साक्ष्य खुर्द-बुर्द करने का पूर्ण अंदेशा है। इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज जाए।
यह है प्रकरण
एसीबी जयपुर की टीम ने सत्यवीर सिंह सहित तीनों को दो लाख रूपए की रिश्वत के आरोप में 27 मई को गिरफ्तार किया था। तीनों को अगले दिन भ्रष्टाचार निवारण न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें 2 जून तक रिमांड पर सौंप दिया था। रिमांड अवधि पूरी होने पर एसीबी अधिकारियों ने तीनों को दोबारा न्यायालय में पेश किया। एसीबी ने न्यायालय से तीनों अभियुक्तों को जेल भेजने की प्रार्थना की, जिसे न्यायालय ने स्वीकार कर लिया।
अनुसंधान अधिकारी ने डाला पड़ाव
मामले में अनुसंधान जयपुर एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक मनीष त्रिपाठी को सौंपा गया है। अभियुक्तों को जेल दाखिल कराने के बाद उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि प्रकरण में सभी पहलुओं पर अनुसंधान किया जाएगा। फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगा। आगामी कुछ दिनों तक एसीबी टीम कोटा में ही रहकर तफ्तीश करेगी।
अगले दशक की चुनौतियां
यह नये वर्ष और नये दशक का मेरा पहला कॉलम है। जब नया मिलिनियम शुरू हुआ था तो बड़ा रोमांच था। वक्त तेजी से गुजरा और मिलिनियम का पहला दशक निकल गया। सामान्यत: विश्व में यह दशक आतंकवाद के उफान और.
यह नये वर्ष और नये दशक का मेरा पहला कॉलम है। जब नया मिलिनियम शुरू हुआ था तो बड़ा रोमांच था। वक्त तेजी से गुजरा और मिलिनियम का पहला दशक निकल गया। सामान्यत: विश्व में यह दशक आतंकवाद के उफान और आतंकवादियों के खिलाफ विवादास्पद युद्धों के लिए याद किया जाएगा जिनका समापन अब तक नहीं हुआ है। दशक के शुरुआती हिस्से में दुनियाभर में बड़ी तेजी दिखाई दी, लेकिन पिछले वर्षों की आर्थिक मंदी ज्यादा दिन तक याद रहेगी।
वैश्विक आर्थिक मंदी बाजार में अत्यधिक विश्वास की वजह से हुई, जिसके पीछे भारी लालच, विकसित देशों में खराब नियमन दुस्साहस और अपने पूंजीगत साधनों को ज्यादा आंकने की वजह से हुई। आर्थिक मंदी के पहले दौर से तो दुनिया उबर चुकी है, हालांकि इसमें शक है कि इससे कुछ सीखा गया है। जिंदगी कुछ ज्यादा ही तेजी से ढर्रे पर आ गई है। दुनिया के सामने कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां इस नये दशक के नये वर्ष में ये हैं:
1. जान और माल की सुरक्षा, आतंकवाद के दैत्य और उससे भूराजनैतिक खतरों का मुकाबला।
2. खाद्य आपूर्ति की सुरक्षा, यह साफ हो गया है कि खाद्य पदार्थो की कीमतों में बढोतरी कोई फौरी घटना नहीं है। इसके पीछे आपूर्ति में कमी और खाद्य बाजार में अराजकता जैसे दूरगामी कारण हैं। मौसम में बदलाव जैसे प्रतिकूल कारणों के बावजूद खाद्य पदार्थो के उत्पादन को बढ़ाना बहुत आसान नहीं है। हमें आपूर्ति की प्रणाली और खाद्य संरक्षण को भी बेहतर करना होगा इसके लिए सही बाजार प्रणाली और शीत गृहों की व्यवस्था करना होगा।
3. जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिग के खिलाफ धरती की रक्षा : यह विवाद छोड़ भी दें कि क्या कोपेनहेगन समझौता पर्याप्त है या भारतीय प्रतिनिधियों ने राष्ट्रीय हितों की ठीक ठीक रक्षा की है या नहीं। जलवायु समझौते का कुछ भी क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है? हो लेकिन हमारे पास उसके परिणामों के साथ पटरी बिठाने के अलावा कोई चारा नहीं है। इसके बहुस्तरीय असर होंगे, जैसे खाद्यान्न रणनीति पर, ऊर्जा प्रबंधन,जनसंख्या के पुनर्वितरण और जीवन शैली में बदलाव पर।
मैं इन तीन कामों को नये दशक के लिए छूटे हुए काम मानता हूं। मैं वैश्विक आर्थिक तंत्र या व्यापार समझौतों की सफलता को इतना महत्वपूर्ण नहीं मानता। भारत इन प्रमुख चुनौतियों के सामने नये दशक में कहां खड़ा होगा? हमें कम से कम पांच कारकों को ध्यान में रखना होगा।
1. वैश्विक समृद्धि का स्तर जो भी हो हमने पिछले दशक में लगातार पांच सालोंे तक आठ प्रतिशत से ज्यादा की विकास दर देखी है। गरीबी निश्चित रूप से कम हुई है लेकिन कितनी कम हुई है यह विवादास्पद है। अभी अभी सौंपी गई तेंदुलकर कमेटी रिपोर्ट के मुताबिक गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले लोगों की तादाद 27 प्रतिशत नहीं बल्कि 37 प्रतिशत है। इस फर्क की वजह अलग अलग पैमाने हैं। यह मानना ही होगा कि विकास दर गरीबी उन्मूलन के लिए जरूरी है, लेकिन यह भी साफ है कि यह पर्याप्त नहीं है। इसलिये हमारी पहली चुनौती ऊंची वृद्धि दर को तेजी से गरीबी उन्मूलन के साथ जोड़ना है। स्वतंत्र आंकड़े बताते हैं कि भारत में विकास दरों और गरीबी में कमी का अनुपात चीन की अपेक्षा कम है। ऐसे में हमारी केन्द्रीय प्राथमिकता यह होनी चाहिये कि ऊंचे विकास और गरीबी में कमी के बीच बेहतर संतुलन कैसे बनाया जाये।
2. आतंकवाद के अलावा आंतरिक अशांति (माओवादी और नक्सलवादी ) की वजह से देश के बड़े हिस्से में प्रशासन करना दिनोंदिन कठिन होता जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि ‘ अराजकता के द्वारा सत्ता ’ में भरोसा करने वाले बहुत कम हैं और बहुसंख्य लोग सरकार से अपनी शिकायतों पर सही कार्रवाई और सरकारी ढांचे में बेहतर भागीदारी चाहते हैं। एक बहुआयामी और सुसंगत आंतरिक सुरक्षा रणनीति बनाना हमारी दूसरी बड़ी चुनौती है
3. भारत के युवा लोकतंत्र को सही दिशा दिखाने के लिए कल्पनाशील दृष्टि की जरूरत है। बदकिस्मती से हम बहुत सारा समय गंवा चुके हैं। मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा का अधिकार एक ऊंचा लक्ष्य है। हमने इसके लिए कानून तो बना लिया लेकिन पर्याप्त धन, सही ढांचा, शिक्षकों के प्रशिक्षण और सहज उपलब्धता और गुणवत्ता के लिए कई स्तरों पर सहकार की जरूरत है। हायर सेकेंड्री शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा चाहने वाले विद्यार्थियों की तादाद सिर्फ 9 प्रतिशत है और इसे सिर्फ 15 प्रतिशत तक ले जाने में हमें कम से कम 1500 नये केन्द्रीय विश्वविद्यालयों की जरूरत होगी। इस विशाल ढांचे के निर्माण के शिक्षकों के प्रशिक्षण और हमारी जरूरत के हिसाब से पुराने निर्थक नियमों को बदलने के लिए नये ढंग से सोचने की जरूरत होगी। उसी तरह हमारे प्राथमिक स्वास्थ्य तंत्र को सुधारने, तमाम संक्रामक रोगों के खिलाफ टीके उपलब्ध कराने, बेहतर मातृ स्वास्थ्य, बाल मृत्यु दर घटाने, पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने और ग्रामीण प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों को उपयोगी बनाने के लिए नयी शुरुआत की जरूरत होगी।
4. अनिवार्य जलवायु परिवर्तन से समन्वय बिठाने के लिए और कृषि की उत्पादकता को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लाने के लिए खेती में नई रणनीति की जरूरत होगी। गेहूं और चावल की परंपरागत क्षमता पर क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है? भरोसे क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है? क ो ग्लोबल वार्मिग की चुनौती के अनुरूप ढालना होगा। बदलती उपभोक्ता रुचियों के हिसाब से खाद्य उत्पादन को बदलना होगा। इसके लिए फसलों में परिवर्तन, दूध और मांस के उत्पादन, बरबादी को कम करने, खाद्य पदार्थो के संरक्षण के लिए सही बाजार व्यवस्था और शीत गृहों के निर्माण को इस रणनीति का हिस्सा बनाना होगा।
5. भारत को जीवन शैली में नए परिवर्तन भी करने होंगे। कम ऊर्जा के साथ तेज विकास को साधना बहुत मुश्किल है। इसके लिए आर्थिक गतिविधियों के तौर-तरीकों पर फिर से विचार करना होगा। कई क्षेत्रों मे टेक्नोलॉजी या तो नहीं है या बेहद महंगी है। कम ऊर्जा वाली टेक्नालॉजी तभी सफल होगी जब वह सस्ती होगी। हमारे अंतरराष्ट्रीय वार्ताकारों को वह कौशल दिखाना होगा जिससे हम नई चीजों को उचित दामों पर हासिल कर सकें और बौद्धिक सम्पदा अधिकारों के लिए बहुत ज्यादा धन का बोझ न पड़े। पिछले दशक में भारत के लिए खुश होने के लिए बहुत कुछ है। विकास दर बढ़ी है, बुनियादी ढांचा बेहतर हुआ है और हम बेहतर ढंग से दुनिया के साथ जुड़े हैं।
हमारी अंतरराष्ट्रीय भूमिका को भी दुनिया ने पहचाना है। हमारे यहां बेहतर राजमार्ग हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ती संचार सेवाएं हैं और हम अपनी युवा जनसंख्या और बौद्धिक क्षमता की वजह से तेजी से आगे बढ़ सके हैं। हमारे व्यापार उद्योग जगत की सफलता के साथ इन बातों को भी स्वीकार किया गया है लेकिन अब भी भारत की चुनौतियां कुछ पुरानी हैं और कुछ नई हैं। गरीबी उन्मूलन, युवा जनसंख्या को उपयोगी रोजगार, विकास के फलों का बेहतर बंटवारा, जलवायु परिवर्तन के साथ खुद को ढालने और एक बेहतर सामाजिक व्यवस्था बनाने के लिए हमें एक लंबे वक्त तक जुटना होगा। यह वक्त ही क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है? बतायेगा कि एक राष्ट्र की तरह इन नई और पुरानी जटिलताओं के साथ कैसे निपटते हैं।
AAP को अब सिसोदिया की गिरफ्तारी का डर, CBI के बुलाने पर केजरीवाल ने जताई आशंका, भगत सिंह से की तुलना
इस मामले पर आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने कल पूछताछ के लिए तलब किया है। मैं यह विश्वास और जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि हम सभी निश्चित हैं कि उन्हें बीजेपी के इशारे पर सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया जाएगा।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई द्वारा तलब किये जाने पर सीएम अरविंद केजरीवाल ने उनकी गिरफ्तारी की आशंका जताई है। साथ ही केजरीवाल ने उनकी तुलना स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह से करते हुए इसे आजादी की दूसरी लड़ाई करार दिया है। सीएम केजरीवाल ने सीबीआई के समन के बारे में सिसोदिया के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए कहा कि जेल की सलाखों और फांसी की धमकी भगत सिंह की भावना को कभी नहीं रोक सकी। यह आजादी की दूसरी लड़ाई है। मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन हैं आज के भगत सिंह।
सीबीआई ने आबकारी नीति घोटाला मामले में पूछताछ के लिए सिसोदिया को सोमवार सुबह 11 बजे अपने मुख्यालय में तलब किया है। केजरीवाल ने ट्वीट में आगे कहा कि 75 साल बाद एक शिक्षा मंत्री ऐसा आया जो बेहतर शिक्षा से गरीबों को उम्मीद दे रहा है। करोड़ों लोगों की दुआएं आपके साथ हैं।
इस बीच, एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए आप प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने कल पूछताछ के लिए तलब किया है। मैं यह विश्वास और जिम्मेदारी के साथ कह सकता हूं कि हम सभी निश्चित हैं कि उन्हें बीजेपी के इशारे पर सीबीआई द्वारा गिरफ्तार किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, 'सीबीआई ने कल मनीष सिसोदिया को तलब किया है। यह पूरी साजिश पूर्व नियोजित और सुनियोजित है। सीबीआई के समन का आबकारी से कोई लेना-देना नहीं है, वह उन्हें अपने कार्यालय में बुलाएंगे और गिरफ्तार करेंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई-ईडी ने अब तक देश भर में 500 स्थानों पर छापेमारी की है। उन्हें सबूत का एक भी कतरा नहीं मिला है।'
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि सीबीआई सिसोदिया को गुजरात में उनके निर्धारित महीने भर के कार्यक्रमों को रोकने के लिए गिरफ्तार करेगी। लेकिन मैं बीजेपी को स्पष्ट करना चाहता हूं कि 'आप' आपकी रणनीति से बेपरवाह आपके सामने खड़ी है।
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1800 क्विंटल गेहूं धोखाधड़ी ने लिया नया मोड़, जांच दौरान हुआ यह खुलासा
अमृतसर (इंदरजीत): फूड सप्लाई विभाग के सरकारी गोदामों में 1800 क्विंटल गेहूं के मामले में एक नया मोड़ तब आया जब जांच के दौरान खुलासा हुआ है कि इंस्पेक्टर ने माल को गोदामों से बाहर निकाल कर उसमें हेराफेरी की है। पहले चर्चा थी कि सरकारी गोदामों से कम माल प्राप्त हुआ है। हालांकि 1800 क्विंटल गेहूं से छेड़छाड़ की गई है, लेकिन इसे गोदामों से कैसे निकाला गया? यह अभी भी रहस्य का विषय है। जिला फूड सप्लाई कंट्रोलर ने इस मामले में पुलिस को पहले ही सूचित कर दिया है और आरोपी पाए गए इंस्पेक्टर के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की अपील की है। विभागीय कार्रवाई करते हुए इंस्पेक्टर को कार्य से निलंबित कर दिया गया है। इसके साथ ही जिला फूड सप्लाई कंट्रोलर मैडम संजोगीता ने अपने कार्य क्षेत्र को अमृतसर से दूर फिरोजपुर रेंज में तबदील कर दिया है।
जानकारी के अनुसार पिछले दिनों पता चला था कि अमृतसर जिला फूड सप्लाई विभाग के तहत सरकारी गोदाम से 1800 क्विंटल गेहूं के साथ छेड़छाड़ की गई है, जिससे जाहिर है कि गोदाम के अंदर माल कम होगा, लेकिन मामला यहीं खत्म नहीं होता। इस मामले में इंस्पेक्टर उनके साथियों ने सरकारी अनाज को गोदामों से सुरक्षित बाहर निकाल लिया। बाहर जाने के बाद इंस्पेक्टर डिपो होल्डरों को अनाज देने के बजाय कहीं बाहर से ही गायब हो गया। इस तरह के आरोप विभाग के अधिकारी लगा रहे हैं। उल्लेखनीय है कि पंजाब सरकार द्वारा आटा-दाल योजना के तहत गरीबों को खोए हुए गेहूं का स्टॉक मुफ्त बांटा जाना था।
रहस्यमयी बनी इंस्पेक्टर की स्थिति
इस मामले का सबसे बड़ा पहलू यह है कि इस मामले में आरोपी इंस्पेक्टर कहां है और जिसके बारे में विभागीय अधिकारियों ने भी पुलिस को कार्रवाई की सिफारिश की है? यह एक रहस्य बना हुआ है। गोदाम में काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि अगर उक्त इंस्पेक्टर की कोई गलती नहीं है तो वह आगे क्यों नहीं आ रहे हैं। विभाग के बाकी कर्मचारियों को भी डर है कि कहीं इस एक व्यक्ति के कारण की धांधली का नुकसान किसी निर्दोष कर्मचारी को न भुगतना पड़े।
जांच में बिना वजह परेशान हुए डिपो धारक
उल्लेखनीय है कि इस मामले में दूसरे शहर से आई फूड सप्लाई विभाग की टीम ने आनन-फानन में डिपो धारकों के बयान लेने शुरू कर दिए। इनमें 26 डिपो होल्डर्स के बयान दर्ज किए गए और उनकी वीडियोग्राफी की गई। डिपो धारकों की शिकायत है कि आरोपियों ने अनाज की खेप डिपो होल्डरों के ईमेल अकाउंट पर भेजी है, लेकिन डिलीवर नहीं हुई है। इस बात की पुष्टि जिला खाद्य आपूर्ति विभाग अमृतसर की कंट्रोलर मैडम संजोगिता ने भी की है। अब सवाल यह उठता है कि अगर माल गोदाम से निकल गया है और डिपो होल्डर के नाम से ई-वे बिल किया गया है, तो माल की मौजूदा स्थिति क्या है? क्योंकि. माल की इतनी बड़ी खेप को संभालना किसी भी आम अपराधी की ताकत के बाहर है।
इंस्पेक्टर के साथ बाहरी लोगों के होने की संभावना
विभागीय सूत्रों से पता चला है कि लापता 1800 क्विंटल गेहूं की कीमत करीब 40 लाख रुपए है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर कथित व्यक्ति ने इस माल को गायब करने की साजिश रची है, तो इस माल के वजन और आकार के कम से कम 18 ट्रक हैं। इतना बड़ी खेप उठाना किसी एक व्यक्ति का काम नहीं है। वहीं इस योजना में विभाग के किसी अन्य कर्मचारी या अधिकारी के शामिल होने की अभी कोई जानकारी नहीं है। इसका सीधा-सा मतलब है कि मुख्य आरोपी इंस्पेक्टर के अलावा बाहर से भी होंगे। इस मामले को लेकर जिला खाद्य आपूर्ति विभाग की कंट्रोलर संजोगीता का कहना है कि मामले की जांच में तेजी लाई जा रही है। जल्द ही नतीजे सामने आएंगे और आरोपी को पकड़ लिया जाएगा।
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पंजाब में जेलों की सुरक्षा में सेंध, सिस्टम हुआ तार-तार
जेएनएन, जालंधर। जेल. वो चारदीवारी वो नाम जहां अपराधियों को इसलिए भेजा जाता है कि वे सुधर जाएं। जेल से छूटें तो अच्छे नागरिक बनें। दोबारा अपराध की दुनिया में कदम न रखें, लेकिन आजकल जो हालात दिखाई दे रहे हैं उन्होंने जेल नाम की परिभाषा बदल दी है। जेल में नशा, जेल में ही जेल ब्रेक की साजिशें, जेल में ही अगले अपराध की रूपरेखा और जेल से गैंगस्टर नेटवर्क आपरेट किए जाने लगे हैं।
इंटरनेट व मोबाइल इसका जरिया बनते हैं और पंजाब की जेलों में ये सब आसानी से उपलब्ध है। अपराध की नींव ही अब जेलों से रखी जाने लगी है। कुख्यात अपराधियों के हाथ में जेलों में मोबाइल धड़ल्ले से चलाए जा रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि ये लोग पकड़े नहीं जाते और कानून के रक्षक कार्रवाई नहीं कर रहे। सब कुछ हो रहा है। मोबाइल भी पकड़े जा रहे हैं और मोबाइल चलाने वाले भी पकड़े जा रहे हैं। बस, अगर कुछ हाथ नहीं लग रहा तो वो है इन अपराधियों तक मोबाइल पहुंचाने वाला नेटवर्क।
राज्य की इंटेलीजेंस भी इस नेटवर्क के आगे असहज नजर आ रही है, जेल प्रशासन मामले दर्ज करवाकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रहा है और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। पंजाब में कई ऐसी सनसनीखेज वारदातें हो चुकी हैं जिन्हें आतंकियों, गैंगस्टर्ज और आइएसआइ नेटवर्क ने उन लोगों के जरिए अंजाम दिलवा दिया जो लोग जेलों में बंद हैं। कहीं न कहीं जेलों से रची जाने वाली इन साजिशों के लिए मोबाइल फोन और इंटरनेट का जेलों से इस्तेमाल बड़ी भूमिका निभाता रहा है।
जेलों में मोबाइल का प्रयोग क्यों नहीं रुक रहा और जेलों में मोबाइल पहुंच कैसे रहे हैं, ये सवाल सिर उठाए खड़ा है। जिसका जवाब सरकार और जेल प्रशासन भी नहीं दे पा रहा है। कैदी जेलों से ही वाट्सएप और फेसबुक चला रहे हैं। मोबाइल के जरिए अपने गुर्गों को बाहर कहां, कौन सी वारदात करनी है फोन पर ही बताते है। जिसका नमूना पंजाब में हुई सात बड़ी हत्याओं का मामला है, जिसमें जेल में बैठा गैंगस्टर गुगनी ग्रेवाल हथियार सप्लाई कर रहा था, इसके अलावा रवि ख्वाजके और नाभा जेल ब्रेक जैसे कांड भी जेल के अंदर चल रहे मोबाइल की मदद से अंजाम दिए गए।
ऐसे पहुंचते हैं जेलों में मोबाइल और सुरक्षा पर खड़े होते हैं सवाल
सूत्रों की मानें तो जेल में बंद अपने परिजनों को मिलने आने वाले परिवारों से पहली मुलाकात में कैदी अगली बार मोबाइल लाने के लिए कहते हैं तो परिवार के लोग मोबाइल लाने के लिए अलग-अलग हथकंडे अपनाते हैं। कभी सब्जी के अंदर छिपाकर, तो कभी जूते के अंदर मोबाइल को फिक्स कर जेल के अंदर तक पहुंच जाते हैं। अगर ये सब न हो सके तो मुलाकात के वक्त कैदी परिजन को बैरक से बाहर आने का समय बता देते है। जिसके उन्हें अगले दिन जेल की दीवार के बाहर से मोबाइल अंदर फेंकने का समय और जगह बता देते हैं। इसके बाद उक्त शख्स मोबाइल बताए समय व स्थान पर अंदर फेंक देता है।
कई बार तो ज्यादातर कैदी पेशी के दौरान अपने साथ कुछ इस तरह से मोबाइल छिपाकर ले आते ही कि चैकिंग के बाद भी मोबाइल पकड़ा नहीं जाता। इन सबके बीच सवाल ये खड़े होते हैं कि क्या जेलों में चैकिंग की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है या चैकिंग के दौरान ही कुछ चीजों को अनदेखा कर दिया जाता है। जेल में क्या कोई भी, कुछ भी, कभी भी और कहीं से भी फेंक सकता है। यहीं नहीं सूत्रों की मानें तो जेल में मोबाइल कुछ मुलाजिमों की मिलीभगत से भी पहुंच रहे हैं। अगर वाकई ऐसा है तो जब मोबाइल पकड़े जाते हैं तो इसकी जांच क्यों नहीं की जा रही कि जिससे मोबाइल मिला उसे वह मोबाइल किसने दिया।
आंकड़े बयां करते हैं अलग कहानी
दैनिक जागरण ने पंजाब की विभिन्न जेलों में पिछले छह महीनों के दौरान पकड़े क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है? गए मोबाइल फोन के आंकड़े और दर्ज हुए मामलों की जानकारी हासिल की तो हैरानीजनक जानकारी सामने आई। इस अविधि के दौरान करीब 200 मोबाइल पकड़े गए और कैदियों 180 कैदियों पर मामले दर्ज हुए, जबकि जेल स्टाफ की मिलीभगत के कारण केवल आठ कर्मचारियों पर मामले दर्ज हुए।
इससे एक सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या शेष मामलों में किसी कर्मचारी की कोई भूमिका नहीं रही या जेलों की सुरक्षा ही तार-तार है। क्यों इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा और कैदियों को मोबाइल व इंटरनेट देने वाले हाथ किसके हैं? ताजा मामलों में 23 नवंबर को लुधियाना की महिला जेल से चार मोबाइल मिले। इससे पहले 21 नंवबर को चैकिंग के दौरान 11 मोबाइल, 28 अक्तूबर को छह मोबाइल और 22 अक्तूबर को दो मोबाइल मिले थे।
हाल ही में जेल से मोबाइल पर ये हुआ
-- बठिंडा की सेंट्रल जेल जेल में बंद डबल मर्डर केस के आरोपी ललित कुमार उर्फ लाली ने फिरोजपुर निवासी गवाह को फोन पर धमकी देकर पुलिस व जेल प्रबंधन में खलबली मचा दी। आनन-फानन में पुलिस ने देर रात सर्च करके उसके कब्जे से सैमसंग कंपनी का मोबाइल फोन बरामद कर उसके खिलाफ मामला दर्ज किया।
-- फरीदकोट जेल में गैंगस्टर से राजनीतिज्ञ बने लक्खा सिधाना ने फेसबुक पर लाइव होकर किसानों और सरकार को ही नसीहत दे डाली। पराली के मुद्दे पर सिधाना ने कहा था कि किसानों को ऐसा नहीं करना चाहिए और सरकार को भी इसका हल ढूंढना चाहिए। बाद में उस पर मामला दर्ज हुआ और साथ में उसे मोबाइल उपलब्ध करवाने वाले जेल स्टाफ सदस्य पर भी केस दर्ज किया गया।
-- इससे पहले भी कई बार गैंगस्टर जेलों में जन्मदिन मनाने औदि के वीडियो फेसबुक पर डालते रहे हैं।
ऐसे हैं सुरक्षा में छेद
मैक्सिमम सिक्योरिटी जेल नाभा में लगे जैमर 4जी नेटवर्क जाम करने में नाकाम हैं। फास्ट इंटरनेट के लिए मोबाइल कंपनियों ने 4जी लांच किया। इसके बाद ही 27 नवंबर 2016 को नाभा जेल ब्रेक हुई थी। जेल ब्रेक होने के पीछे एक बड़ी वजह जेल के अंदर मोबाइल फोन इस्तेमाल होना बताया गया था।
जेल के जैमर सिर्फ 3जी और 2जी नेटवर्क जाम करते हैं, मगर जेल में बैठे गैंगस्टर 4जी नेटवर्क वाले फोन व सिम कार्ड इस्तेमाल करते थे। एक साल पहले जेल ब्रेक के बाद लगातार हो रही गिरफ्तारियों के दौरान गैंगस्टर्स द्वारा 4जी नटवर्क के इस्तेमाल का खुलासा हुआ था। जेल में जैमर को 4जी नेटवर्क को जाम करने योग्य बनाने के लिए नया सॉफ्टवेयर इंस्टाल करने का काम अभी भी अधर में है।
एडीजीपी जेल इकबाल प्रीत सहोता से सीधी बात
-- क्या जेल की सुरक्षा इतनी कमजोर है कि कोई भी अंदर आकर कैदी को मोबाइल दे जाता है या पेशी पर गया कैदी आसानी से मोबाइल अंदर ले आता है?
जवाबः नहीं एेसा एकदम नहीं हैं। जेल के अंदर जाने वाले हर शख्स की तलाशी ली जाती क्या सलाखों के अंदर तेजी या मंदी है? है। जेल स्टाफ पर भी नजर रखी जा रही है। पेशी पर कई बार कैदी से मिलने वाले लोग जरूर मोबाइल देने की कोशिश करते हैं, जानकारी में आते ही मोबाइल जब्त कर लिए जाते हैं।
-- मोबाइल मिलने पर कैदी पर मामला दर्ज कर लिया जाता है? क्या जेल स्टाफ सदस्यों की भूमिका की कभी जांच नहीं करवाई जाती?
जवाबः एकदम सही बात है, जेल स्टाफ सदस्यों पर कड़ी निगरानी शुरू कर दी गई है। उनके खिलाफ भी कारवाई करने के आदेश दिए गए हैं।
-- पिछले छह महीने में 200 मोबाइल पकड़े जा चुके हैं, कैसे जेल में पहुंचे इसकी जांच की गई? जांच में क्या निकला?
जवाबः हां हर मामले की जांच की जा रही है। अभी तक रिपोर्ट मेरे पास नहीं आई है। कुछ मामलों में कैदियों के परिजनों ने मोबाइल दिए थे। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट तौर पर कुछ कहा जा सकता है। चूंकि एेसे तमाम मामले हैं इसलिए जेल प्रशासन नए सिरे से जांच करवा रहा है।
-- नाभा मैक्सिमम जेल में एक साल बाद भी 4जी सिग्नल को जाम करने में असमर्थ है, ऐसा क्यों?
जवाबः जैमर जब लगे थे तो मोबाइल नेटवर्क की पुरानी तकनीकी थी। उसके हिसाब से लगाए गए थे। उस समय के हिसाब से जैमर एकदम फिट थे और काम कर रहे थे, लेकिन अब इस बारे में जेल प्रशासन ने पूरा प्लान तैयार कर लिया है। सरकार को मंजूरी के लिए भेजा गया है।