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निवेश और अर्थव्यवस्था

निवेश और अर्थव्यवस्था
उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षो में भारत और फ्रांस के बीच महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सहयोग काफी बढ़ा है और हमारे सामरिक गठजोड़ में रक्षा, सुरक्षा, असैन्य नागरिक सहयोग, कारोबार एवं निवेश क्षेत्र महत्वपूर्ण स्तम्भ है।

हम कैसे निवेश करते हैं

यह एक व्यावहारिक ढांचा है जिसे वित्तीय और मानव संसाधनों के आधार पर ऊपर या नीचे बढ़ाया जा सकता है, और यह अपने संपूर्ण बंदोबस्ती की मांसपेशियों को फ्लेक्स करने में अनुभवी प्रभाव निवेशकों की सहायता कर सकता है।

McKnight Foundation सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय रूप से स्थायी समुदायों की ओर काम करने वाले गैर-लाभकारी संगठनों का समर्थन करने के लिए प्रति वर्ष $100 मिलियन से अधिक का अनुदान देता है। हम उच्च सकारात्मक प्रभावों के साथ निवेश में कम से कम $200 मिलियन का निवेश करेंगे। और हम अपने मिशन के साथ अपने $3 बिलियन एंडोमेंट का लाभ उठाने के लिए अन्य रोमांचक अवसर ढूंढ रहे हैं। हमारे द्वारा निवेश किए जाने वाले प्रत्येक $3 में से लगभग 200 McKnight के मिशन के अनुरूप है।

हमारा दृष्टिकोण उत्तोलन के चार बिंदुओं के आसपास व्यवस्थित है:

मालिक का मालिक

हम सार्वजनिक और निजी बाजारों में लाखों डॉलर की संपत्ति का मालिक हैं।

हम वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के एक उपभोक्ता हैं जो पर्यावरण, सामाजिक, और कॉर्पोरेट प्रशासन (ईएसजी) के मुद्दों पर एकीकृत सोच को बढ़ावा दे सकते हैं जो हमारे द्वारा किराए पर लिए गए संपत्ति प्रबंधकों के बीच हैं।

निगमों के शेयरधारक

हम निगमों के एक शेयरधारक हैं जो कंपनी को वोट देते हैं और ईएसजी प्रथाओं, रणनीति और जोखिम प्रबंधन के बारे में सवाल उठाते हैं।

हम एक संस्थागत निवेशक हैं जो दूसरों के साथ स्रोत सौदों के लिए काम करते हैं, बेहतर बाजार की स्थिति बनाते हैं, और हमारे विभागों से संबंधित सफलताओं और विफलताओं को साझा करते हैं।

एक केंद्रित रणनीति

हमारे प्रभाव निवेश को हमारे दो प्राथमिकता वाले अनुदान क्षेत्रों के लक्ष्यों के साथ निकटता से जोड़ना चाहिए: मिडवेस्ट क्लाइमेट एंड एनर्जी और भवन न्यायसंगत और समावेशी समुदाय मिनेसोटा में।

इस स्तर पर, हम केवल संयुक्त राज्य में निवेश कर रहे हैं।

भारत में निवेश

विश्व स्तर पर निवेशक समुदाय असमंजस में है। इस बीच विश्व अर्थव्यवस्था को लेकर भी कोई सकारात्मक पूर्वानुमान नहीं जताए जा रहे। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत तेजी से आर्थिक वृद्धि कर रहा है। देश की निवेश और अर्थव्यवस्था अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत है और दुनिया इस बात को मान रही है। देश इस समय जिस ऊंचाई पर …

विश्व स्तर पर निवेशक समुदाय असमंजस में है। इस बीच विश्व अर्थव्यवस्था को लेकर भी कोई सकारात्मक पूर्वानुमान नहीं जताए जा रहे। वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद भारत तेजी से आर्थिक वृद्धि कर रहा है। देश की अर्थव्यवस्था की नींव मजबूत है और दुनिया इस बात को मान रही है। देश इस समय जिस ऊंचाई पर है यहां से निरंतर आगे निवेश और अर्थव्यवस्था ही बढ़ना है।

मजबूत होती अर्थव्यवस्था के कारण विदेशी निवेशक देश में पूंजी निवेश को आतुर हैं। पिछले वर्ष भारत ने करीब 84 अरब डालर का रिकॉर्ड प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया था। तमाम देश इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि भारतीय अर्थव्यवस्था की जड़ें मजबूत हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को वैश्विक निवेशक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत इस समय अपने विकास को दुनिया के विकास में सहायक बनाने की प्रेरणा के साथ काम कर रहा है।

'महामारी के दौरान फ्रांसीसी कंपनियों का निवेश भारतीय अर्थव्यवस्था में विश्वास को दर्शाता है'

रिस्टर ने भारत फ्रांस वाणिज्य एवं उद्योग परिसंघ (आईएफसीसीआई) द्वारा आयोजित भारत फ्रांस-कारोबारी सम्मान (आईएफबीए) के चौथे संस्करण में पुरस्कार प्रदान करने के बाद यह बात कही ।

आईएफसीसीआई के बयान के अनुसार, इस कार्यक्रम में भारत स्थित फ्रांस की एयरोस्पेस, रक्षा, ऊर्जा, उपभोक्ता उत्पाद आदि क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियों के कारोबारियों ने हिस्सा लिया । इसमें 12 श्रेणियों में पुरस्कारों की घोषणा की गई थी और दोनों देशों से 100 आवेदन प्राप्त हुए थे ।

कार्यक्रम में फ्रांस के विदेशी कारोबार मंत्री रिस्टर ने कहा कि कोविड-19 महामारी के वैश्विक प्रभाव के बावजूद फ्रांसीसी कंपनियों ने भारत में काफी निवेश किया है जो भारतीय अर्थव्यवस्था में उनके विश्वास को दर्शाता है।

एल.आई.सी. में निवेश कर चीन भारत की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने की फिराक में

चीन हर उस जगह, क्षेत्र या देश में होता है जहां से पैसा बनाया जा सकता है। चीन उसूल नहीं सिर्फ पैसा देखता है या यूं कहें कि चीन का उसूल ही पैसा है, चाहे वह व्यापार से आए, किसी देश के खनिजों का दोहन कर के आए या फिर उस देश को अपने कर्ज जाल में फंसाकर आए। कुछ ऐसी ही चालें चीन भारत के निवेश और अर्थव्यवस्था साथ भी चल रहा है, जो एक तरफ भारत से दुश्मनी कर उसकी जमीन को हड़पना चाहता है तो दूसरी तरफ भारत के बाजार में अपना वर्चस्व बनाकर यहां से सारा पैसा चीन ले जाना चाहता है। लेकिन भारत चीन द्वारा अपने किसी भी क्षेत्र में प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से हो रहे निवेश को लेकर लगातार चौकन्ना है और उसे किसी न किसी बहाने रोक रहा है क्योंकि चीन भारत को आर्थिक क्षेत्र में पटखनी देने के हर पैंतरे आजमा रहा है।

मदन सबनवीस का कॉलम: अर्थव्यवस्था बेशक आगे बढ़ रही है, लेकिन वृद्धि के लिए निवेश और उपभोग का बढ़ना भी जरूरी

मदन सबनवीस, चीफ इकोनॉमिस्ट, केयर रेटिंग्स - Dainik Bhaskar

इस साल के लिए GDP ग्रोथ का अनुमान -8% है, जो चौथी तिमाही में नकारात्मक वृद्धि की ओर इशारा करता है। यह चिंताजनक है क्योंकि अर्थव्यवस्था के बढ़ने और तीसरी तिमाही में वृद्धि 0.4% रहने के बाद उम्मीद थी कि चौथी तिमाही में तेजी आएगी। चिंता के 2 कारण हैं। पहला, विभिन्न राज्य संक्रमण के नए मामलों के चलते लॉकडाउन की घोषणा कर रहे हैं, जिनका चौथी तिमाही की धीमी वृद्धि की गणना में ध्यान रखा गया।

दूसरा, इस नकारात्मक वृद्धि का बड़ा कारण ‘कुल कर’ घटक में तेज गिरावट है, क्योंकि ग्राॅस वैल्यू ऐडेड (GVA) के 2.5% बढ़ने की उम्मीद है। इसका मतलब है कि टैक्स कलेक्शन पर दबाव बना रहेगा। वित्तीय वर्ष 2020-21 में उपभोग और निवेश दोनों में गिरावट रही है, जो वृद्धि के 2 साधन हैं। गिरावट क्रमश: 6% और 10.6% है। इसे बदलना होगा। तीसरी तिमाही में निवेश और उपभोग में सकारात्मक वृद्धि दिखी, हालांकि उपभोग 1% ही बढ़ा।

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