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प्रवृत्ति की रणनीति

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Amit Shah on Terrorism

मैनपुरी उपचुनाव : अपराधियों पर पुलिस की रहेगी पैनी नजर

अमृत विचार, इटावा। मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव को देखते हुए सीमावर्ती जिला भिंड मध्य प्रदेश और इटावा के अधिकारियों की बैठक हुई। इसमें अपराधियों पर कड़ी नजर रखते हुए अवैध शराब की बिक्री पर पैनी नजर रखे जाने की रणनीति बनी। यहां सुमेर सिंह किला पर भिंड के अपर जिलाधिकारी प्रवीण फुल्पगार, अपर पुलिस अधीक्षक कमलेश कुमार के अपर जिलाधिकारी जय प्रकाश, अपर पुलिस अधीक्षक कपिल देव सिंह के मध्य समन्वय बैठक हुई।

बैठक में अपर पुलिस अधीक्षक ने निर्वाचन से सम्बन्धित संक्षिप्त विवरण पुस्तिका उपलब्ध कराते हुए अपेक्षा की कि इस पुस्तिका में भिण्ड एवं इटावा के आपराधिक प्रवृत्ति के व्यक्तियों को विस्तृत विवरण है। इनअपराधियों पर सतत् नजर बनाये रखना आवश्यक है। उन्होने बताया कि जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में पांच बैरियर लगाये गये है। इसके अलावा आवश्यकतानुसार पिकेट भी लगाये जा रहे है।

अपर पुलिस अधीक्षक ने सीमावर्ती क्षेत्रों के थानाध्यक्षों को निर्देश दिये कि वह अपने क्षेत्र के सीमावर्ती थानों के थानाध्यक्षों से भी एक समन्वय बैठक आवश्य कर लें। भिंड के अपर जिलाधिकारी भिण्ड एवं अपर पुलिस अधीक्षक ने आश्वस्त किया कि वह अपने क्षेत्र में भी बैरियर लगवा कर सघन चैकिंग करायेगें और इसके अलावा निर्वाचन का सकुशल सम्पन्न कराने में हर सम्भव प्रयास करेगें।

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रायपुर कालम आफ द रिकार्ड : अंडे पर टकराए नौकरशाह

अंडा खिलाने की योजना बनते ही विभाग के अफसरों में दो-फाड़ होती दिख रही है। इस विवाद को देखते हुए एक बड़े साहब ने तो कमाल ही कर दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेज दिया कि सोया चिक्की के साथ बच्चों को हम रागी और मोटा अनाज खिलाएंगे।

रायपुर कालम आफ द रिकार्ड : अंडे पर टकराए नौकरशाह

रायपुर। नौकरशाहों के बीच मनमुटाव और टकराव होना तो आम बात है। मगर प्रदेश के स्कूल शिक्षा विभाग में इन दिनों जो टकराव सुनने को मिल रही है वह अंडे पर केंद्रित है। अंडा यहां मनमुटाव का मुख्य वजह बन गया है। दरअसल, विभाग के लिए एक नए-नवेले अफसर बच्चों को अंडा खिलाने की बात पर जिद कर रहे हैं। वहीं एक अन्य अधिकारी थोड़ा धार्मिक प्रवृत्ति के कारण अंडे से अपना कदम पीछे कर रहे हैं।

अंडा खिलाने की योजना बनते ही विभाग के अफसरों में दो-फाड़ होती दिख रही है। इस विवाद को देखते हुए एक बड़े साहब ने तो कमाल ही कर दिया। उन्होंने मुख्यमंत्री को प्रस्ताव भेज दिया कि सोया चिक्की के साथ बच्चों को हम रागी और मोटा अनाज खिलाएंगे। इस पत्र से अंडा गायब हो चुका है। तीन अधिकारियों के बीच में अंडा फूटने की कगार पर है। सवाल यह है कि आखिर बच्चों को इसका लाभ कब मिलेगा?

अदालतों को बदनाम करने का चलन बढ़ रहा है: सुप्रीम कोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक जज को कथित तौर पर बदनाम करने के लिए दो वकीलों समेत अन्य को अवमानना ​​नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संभव है कि जज ने ग़लत आदेश दिया हो, जिसे बाद में रद्द किया जा सकता है, लेकिन उन्हें बदनाम करने के प्रयास की अनुमति नहीं दी जा सकती. The post अदालतों को बदनाम करने का चलन बढ़ रहा है: सुप्रीम कोर्ट appeared first on The Wire - Hindi.

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के एक जज को कथित तौर पर बदनाम करने के लिए दो वकीलों समेत अन्य को अवमानना ​​नोटिस जारी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संभव है कि जज ने ग़लत आदेश दिया हो, जिसे बाद में रद्द किया जा सकता है, लेकिन उन्हें बदनाम करने के प्रयास की अनुमति नहीं दी जा सकती.

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि अदालतों को बदनाम करने की ‘प्रवृत्ति’ बढ़ रही है. इसके साथ ही न्यायालय ने मछली पकड़ने के अधिकारों के पट्टे से संबंधित एक मामले में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश को कथित तौर पर बदनाम करने के लिए दो अधिवक्ताओं सहित अन्य को अवमानना ​​नोटिस जारी किया.

शीर्ष अदालत ने इस बात पर कड़ी आपत्ति जताई कि अदालतों को कथित रूप से बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है.

न्यायालय ने कहा कि कोई न्यायाधीश ‘गलती से परे” नहीं है और संभव है कि उन्होंने गलत आदेश पारित किया हो, जिसे बाद में रद्द किया जा सकता है, लेकिन न्यायाधीश को बदनाम करने के प्रयास की अनुमति नहीं दी जा सकती है.

जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एएस ओका की पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, ‘अदालतों को बदनाम करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है.’

पीठ मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा अगस्त में पारित आदेश के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी. उस पीठ में उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश भी शामिल थे.

पीठ ने एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) और याचिकाकर्ता की ओर से याचिका दायर करने वाले वकील को भी नोटिस जारी किया और उनसे यह स्पष्ट करने को कहा कि क्यों नहीं उनके खिलाफ अदालत की अवमानना की कार्रवाई शुरू की जानी चाहिए.

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि वह याचिका में सुधार करेंगे.

शीर्ष अदालत की पीठ ने कहा, ‘कोई आदेश सही हो सकता है, गलत भी हो सकता है. समस्या यह नहीं है, वो है जो आपने कहा, जिसने हमें परेशान किया.’ जब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि यह उनकी ओर से एक ‘कानूनी गलती’ है, तो पीठ ने कहा, ‘आपके इस एडवेंचर के कारण वादी को भुगतना पड़ेगा.’

वकील ने कहा कि वह 35 साल से वकालत कर रहे हैं और आग्रह किया, ‘कृपया, मेरा भविष्य बर्बाद न करें.’ इस पर पीठ ने वकील से यह कहते हुए हलफनामा दायर करने को कहा कि अदालत ने अवमानना नोटिस जारी किया है. शीर्ष अदालत ने कहा, ‘आप जो मर्जी कहकर बच नहीं सकते हैं.’

पीठ ने कहा कि एओआर सिर्फ याचिका पर हस्ताक्षर करने के लिए नहीं है. पीठ ने कहा, ‘क्या हम केवल दस्तखत करने के लिए एओआर बना रहे हैं? उन्हें यह स्पष्ट करना होगा.’

पीठ ने जोड़ा, ‘किसी जज ने गलत आदेश पारित किया हो सकता है. हम इसे अलग रख सकते हैं. एक न्यायाधीश की राय उसका विचार है. हम चूक से परे नहीं हैं. हम भी गलतियां कर सकते हैं.’

जब वकील ने आग्रह किया कि उन्हें याचिका में संशोधन करने की अनुमति प्रवृत्ति की रणनीति दी जाए, तो पीठ ने कहा कि जब तक हलफनामा दायर नहीं किया जाता है, तब तक वह इसकी अनुमति नहीं देगी. शीर्ष अदालत ने मामले को दिसंबर में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.

आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक है आतंकवाद का वित्तपोषणः शाह

आतंकवाद से ज्यादा खतरनाक है आतंकवाद का वित्तपोषणः शाह

नई दिल्ली (New Delhi), 18 नवंबर . केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शुक्रवार (Friday) को आतंकवाद के वित्तपोषण को आतंकवाद से कहीं अधिक खतरनाक करार देते हुए कहा कि आतंकवाद का सपोर्ट सिस्टम आतंकवाद के बराबर ही दुनिया के लिए खतरा है. उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मिलकर इसे रोकने का आह्वान किया.

शाह ने यहां आतंकवाद के वित्तपोषण का मुक़ाबला विषय पर तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ मंत्रीस्तरीय सम्मेलन के ‘आतंकवाद और आतंकवादियों को वित्त उपलब्ध कराने की वैश्विक प्रवृत्ति’ विषय पर प्रथम सत्र की अध्यक्षता की.

अपने अध्यक्षीय संबोधन में गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद, निस्संदेह, वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है, लेकिन उनका मानना प्रवृत्ति की रणनीति है कि, आतंकवाद का वित्तपोषण, उससे से कहीं ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि आतंकवाद के ‘मीन्स एंड मेथड’ को, इसी फण्ड से पोषित किया जाता है, इसके साथ-साथ दुनिया के सभी देशों के अर्थतंत्र को कमजोर करने का भी काम आतंकवाद के वित्तपोषण से होता है .

गृह मंत्री ने कहा कि भारत आतंकवाद के सभी रूपों और प्रकारों की निंदा करता है. हमारा यह स्पष्ट मानना है कि, निर्दोष लोगों की जान लेने जैसे कृत्य को, उचित ठहराने का, कोई भी कारण, स्वीकार नहीं किया जा सकता है. दुनियाभर के टेररिस्ट हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमें इस बुराई से कभी समझौता नहीं करना चाहिए.

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत कई दशकों से सीमा-पार से प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है. भारतीय सुरक्षा बलों और आम नागरिकों को निरंतर और समन्वित तरीके से की गई अत्यंत गंभीर आतंकी हिंसा की घटनाओं से जूझना पड़ा है.

शाह ने कहा कि आज आतंक या आतंकी समूह, आधुनिक हथियार तथा इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी और साइबर तथा फाइनेंसियल वर्ल्ड को अच्छी तरह से समझते हैं और उसका उपयोग भी करते हैं. उन्होंने कहा कि टेररिज्म का “डायनामाइट से मेटावर्स’ और ‘एके-47 से वर्चुअल एसेट्स” तक का यह परिवर्तन, दुनिया के देशों के लिए निश्चित ही चिंता का विषय है और हम सबको साथ मिलकर, इसके खिलाफ साझी रणनीति तैयार करनी होगी. उन्होंने कहा कि हम यह भी मानते हैं कि, टेररिज्म का खतरा, किसी धर्म, राष्ट्रीयता या किसी समूह से जुड़ा नहीं हो सकता है और न ही होना चाहिए.

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दुर्भाग्य से कुछ देश ऐसे भी हैं जो टेररिज्म से लड़ने के हमारे सामूहिक संकल्प को कमजोर या नष्ट करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि हमने कई बार देखा है कि कुछ देश आतंकवादियों का बचाव करते हैं और उन्हें पनाह भी देते हैं, किसी आतंकवादी को संरक्षण देना आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है. यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी होगी कि, ऐसे तत्त्व, अपने इरादों में, कभी सफल न हो सकें.

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अगस्त, 2021 के बाद, दक्षिण एशिया में स्थिति बदल गई है और सत्ता परिवर्तन तथा अल कायदा और आईएसआईएस का बढ़ता प्रभाव, क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती के रूप में उभर कर सामने आए हैं. उन्होंने कहा कि इन नए समीकरणों ने आतंकवाद वित्तपोषण की समस्या को और अधिक गंभीर बना दिया है.

उन्होंने कहा कि तीन दशक पूर्व ऐसे ही एक रिजीम-चेंज के गंभीर परिणाम पूरी दुनिया को सहने पड़े है और 9/11 जैसे भयंकर हमले को हम सभी ने देखा है. उन्होंने कहा कि इस पृष्ठभूमि में पिछले साल दक्षिण एशिया क्षेत्र में हुआ परिवर्तन हम सभी के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा कि अल कायदा के साथ-साथ दक्षिण एशिया में लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे गुट बेखौफ होकर आज भी आतंक फ़ैलाने की फ़िराक में हैं.

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आतंकवाद के वित्तपोषण की समस्या व्यापक हो चुकी है. पिछले कुछ वर्षों में भारत ने आतंकवाद के वित्तपोषण पर नकेल कसने में सफलता हासिल की है. आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ भारत की रणनीति इन छः स्तंभों पर आधारित है,इसमें लेजिस्लेटिव और टेक्नोलॉजिकल फ्रेमवर्क को मजबूत करना, व्यापक मोनिटरिंग फ्रेमवर्क का निर्माण करना, सटीक इंटेलिजेंस साझा करने का तंत्र, इन्वेस्टीगेशन एवं पुलिस (Police) ऑपरेशन्स को मजबूत करना, संपत्ति की जब्ती का प्रावधान, कानूनी संस्थाओं और नई तकनीकों के दुरुपयोग रोकना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं समन्वय स्थापित करना शामिल है.

शाह ने कहा कि भारत ने इस दिशा में अन-लॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (यूएपीए) में संशोधन करने, नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी (एनआईए) को मजबूत बनाने और फाइनेंसियल इंटेलिजेंस को नई दिशा देने के साथ, टेररिज्म और इसके वित्तपोषण के खिलाफ की लड़ाई को सुदृढ़ किया है. उन्होंने कहा कि यह हमारे निरंतर प्रयासों का परिणाम है कि भारत में टेररिस्ट घटनाओं में बड़ी कमी आई है और इसके परिणामस्वरूप, टेररिज्म के कारण होने वाले आर्थिक नुकसान में भी भारी कमी हुई है.

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत का मानना है कि टेररिज्म से निपटने का सबसे प्रभावी तरीका, इंटरनेशनल को-ऑपरेशन और राष्ट्रों के बीच रियल-टाइम तथा पारदर्शी सहयोग ही है.

आतंकवाद का वित्तपोषण आतंकवाद से कहीं अधिक खतरनाक: अमित शाह

Amit Shah on Terrorism

Amit Shah on Terrorism

नयी दिल्ली 18 नवंबर, (वार्ता): केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah on Terrorism) ने शुक्रवार को आतंकवाद के वित्तपोषण को आतंकवाद से कहीं अधिक खतरनाक करार देते हुए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से एकजुट होकर इसे रोकने का आह्वान किया। शाह ने आज यहां आतंकवाद के वित्तपोषण का मुक़ाबला विषय पर तीसरे ‘नो मनी फॉर टेरर’ मंत्रीस्तरीय सम्मेलन के ‘आतंकवाद और आतंकवादियों को वित्त उपलब्ध कराने की वैश्विक प्रवृत्ति’ विषय पर प्रथम सत्र की अध्यक्षता की।

गृह मंत्री ने कहा कि आंतकवाद निस्संदेह, वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है, लेकिन उनका मानना है , “ टेररिज्म का वित्तपोषण, टेररिज्म से कहीं अधिक खतरनाक है, क्योंकि टेररिज्म के ‘मीन्स एंड मेथड’ को, इसी फण्ड से पोषित किया जाता है, इसके साथ-साथ दुनिया के सभी देशों के अर्थतंत्र को कमजोर करने का भी काम टेररिज्म के वित्तपोषण से होता है ।“

आतंकवाद के सभी रूपों और प्रकारों की निंदा करते हुए उन्होंने कहा कि निर्दोष लोगों की जान लेने जैसे कृत्य को, उचित ठहराने का, कोई भी प्रवृत्ति की रणनीति कारण, स्वीकार नहीं किया जा सकता है। दुनियाभर में आतंकवादी हमलों के पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ संवेदना व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि हमें इस बुराई से कभी समझौता नहीं करना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत कई दशकों से सीमा-पार से प्रायोजित आतंकवाद का शिकार रहा है (Amit Shah on Terrorism)।

बदलती परिस्थितियों में आतंकवाद के नए आयाम का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा ,“ टेररिज्म का “डायनामाइट से मेटावर्स’ और ‘एके-47 से वर्चुअल एसेट्स” तक का यह परिवर्तन, दुनिया के देशों के लिए निश्चित ही चिंता का विषय है और हम सबको साथ मिलकर, इसके खिलाफ साझी रणनीति तैयार करनी होगी। हम यह भी मानते हैं कि, टेररिज्म का खतरा, किसी धर्म, राष्ट्रीयता या किसी समूह से जुड़ा नहीं हो सकता है और न ही होना चाहिए।“

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