अपना TRON बेचना

ट्वीट की नीलामी करने वाली साइट ‘वैल्यूएबल्स’ के अनुसार, एक ट्वीट का खरीदना उसका डिजिटल सर्टिफिकेट खरीदने जैसा है, यह अपने आप में अनोखा है, क्योंकि इसे निर्माता द्वारा हस्ताक्षरित और सत्यापित किया गया है। डोर्सी के मामले में उनका यह ट्वीट तब तक सभी के लिए सार्वजनिक है, जब तक वे इसे ऑनलाइन छोड़ रहे हैं।
How to Start Dropshipping Business With Full Case Study? – [Hindi]
वैसे, आजकल ऑनलाइन शॉपिंग तो हर कोई करता है और कभी ना कभी हमे इसकी जरुरत भी पड़ जाती है और जब से लॉक डाउन लगा है हम में से ज्यादातर लोग अपनी जरुरत की चीजें Online Shopping के जरिये ही मंगा रहे हैं। ऑनलाइन शॉपिंग से जुड़ी हुई एक टर्म है Dropshipping. तो आज इस आर्टिकल में हम आपको बताएँगे कि Dropshipping होता क्या है? और आप कैसे अपना खुद Dropshipping Business शुरू करके अच्छी कमाई कर सकते हैं? तो चलिए शुरू करते हैं।
1. Dropshipping होता क्या है?
जब भी आप किसी ऑनलाइन वेबसाइट्स से कोई सामान आर्डर करते अपना TRON बेचना हैं तो आमतौर पर लोगों को लगता है कि वो कंपनी जैसे कि Flipkart, Amazon या कोई और ऑनलाइन डिलीवरी वेबसाइट आपकी आर्डर की हुई अपना TRON बेचना चीजों को अपने पास खरीद कर रखती है, लेकिन ऐसा नहीं है।
जब भी आप कोई ऑर्डर करते हैं तो ऑनलाइन वेबसाइट्स क्या करती हैं कि अपने साथ एसोसिएटेड किसी दुकानदार को, किसी रिटेलर को या किसी होलसेलर को आर्डर भेजती है। तब उस ऑनलाइन वेबसाइट से जुड़ा हुआ वो होलसेलर, रिटेलर, दुकानदार या सप्लायर वेबसाइट से दी हुई आर्डर को आपके दिए हुए एड्रेस पर डिलीवर करता है। तो ये जो थर्ड पार्टी सप्लायर है जो वेबसाइट से जुड़ा हुआ है, उसको Dropshipper कहते हैं और यही है Dropshipping का Business.
Dropshipping Business में कोई भी व्यक्ति बिना किसी प्रोडक्ट्स को खरीदे उसे ज्यादा दाम में कस्टमर को बेच सकता है और बहुत सारा प्रॉफिट भी कमा सकता है।
2. Dropshipping Business Model काम कैसे करता है?
ऑनलाइन के जरिये होने वाले इस बिजनेस को करने के लिए किसी भी तरह की इन्वेंट्री को मेंटेन करने की जरुरत नहीं पड़ती है और ना ही प्रोडक्ट्स को खरीदकर उन्हें स्टोर करने की या गोदाम में रखने की जरुरत पड़ती है। इसके अलावा Dropshipping Business में ऑर्डर किये हुए प्रोडक्ट को कस्टमर तक पहुँचाने की जिम्मेदारी भी ऑनलाइन वेबसाइट की नहीं होती और ना ही ड्रॉप शिपिंग बिजनेस चलाने वाले की। ये काम प्रोडक्ट बेचने वाले दुकानदार, होलसेलर या रिटेलर का होता है।
कोई भी ऑनलाइन वेबसाइट्स जैसे कि Flipkart, Amazon, NIKE या Myntra. ये अपनी वेबसाइट पर दिए हुए प्रोडक्ट के ओनर या मालिक नहीं होते हैं। वो सिर्फ अपनी वेबसाइट पर उन प्रोडक्ट्स को डिस्प्ले के लिए रखते हैं और उनके साथ जुड़े हुए रिटेलर, होलसेलर या फिर प्रोडक्ट सप्लायर के साथ टाइअप होता है।
कई बार ड्रॉप शिपिंग का बिजनेस करने वाले वेबसाइट्स और प्रोडक्ट्स बेचने वाले के बीच मीडिएटर का काम भी करते हैं, तो ऑनलाइन वेबसाइट्स प्रोडक्ट्स बेचने वाले को अपना प्लेटफार्म यूज करने देते हैं। इससे उनकी सेल बढ़ती है और Dropshipping वाले से ढेर सारे दुकानदार या प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनीज को वेबसाइट से इंट्रोड्यूस करवाते हैं और इससे Dropshipping और Online websites को लार्ज स्केल पर प्रोडक्ट बेचकर मुनाफा होता है।
3. Dropshipping Business के जरिये पैसे कैसे कमाए जाते हैं?
वास्तव में Dropshipping के जरिये जिन प्रोडक्ट्स को कस्टमर खरीदते हैं, उन्हीं प्रोडक्ट्स में से आपको अपना मुनाफा निकालना होता है। यानी अगर किसी प्रोडक्ट का दाम 100 रूपये है तो आप उसे 120 रूपये में बेचते हैं और वो आपका मुनाफा होता है। इसलिए आप जो भी प्रोडक्ट साइट के जरिये बेच रहे हैं, उसकी होलसेल प्राइस, उसकी सेलिंग प्राइस से काफी कम होनी चाहिए, ताकि ज्यादा से ज्यादा कस्टमर वेबसाइट पर आएं और प्रॉफिट के चांसेस बढ़े क्योंकि हम सभी जानते हैं कि किसी प्रोडक्ट पर लिखे उसके एमआरपी उसकी ओवर आल प्रोडक्शन कॉस्ट से ज्यादा होती है।
इसके अलावा कई कम्पनीज अपने होलसेल प्राइस में Dropshipping charge भी जोड़ देती हैं और कई कम्पनीज Dropshipping charge अलग से लेती हैं जो आपको यानी Dropshipping Business करने वाले को अपने प्रॉफिट से देना पड़ता है। इसीलिए ज्यादातर लोग प्रोडक्ट की सेलिंग प्राइस में पहले से ही Shipping charge जोड़ देते हैं, ताकि वहां से प्रॉफिट जनरेट हो सके।
4. Dropshipping Supplier कौन होता है?
यह जानकारी जानने के बाद में अगर आपको अपना TRON बेचना लगता है कि आप अपना Dropshipping का Business शुरू करना चाहते हैं तो आपको Dropshipping Supplier की जरुरत भी पड़ेगी, जी..हाँ क्योंकि कोई भी बिजनेस डिमांड और सप्लाई के बीच चलता है। ड्रॉपशिप्पिंग सप्लायर वो होता है, जिसके सामान को आप ऑनलाइन अपनी साइट के जरिये बेचते हैं।
Dropshipping Business शुरू करने के लिए आप अपनी खुद की ऑनलाइन वेबसाइट भी रख सकते हैं या वेबसाइट और सप्लायर के बीच मिडिएटर का काम भी कर सकते हैं।
सबसे पहले आपको उस प्रोडक्ट को चुनना होता है, जिसे आप बेचना चाहते हैं और फिर उस सामान को Dropshipper Supplier से मंगवाना होता है। अब आपके द्वारा सिलेक्ट किये गए प्रोडक्ट के सप्लायर से मिलकर आपको ये सब कुछ तय करना होता है कि प्रोडक्ट का प्राइस क्या होगा?, किस तरह से और कितने दिनों के अंदर उस प्रोडक्ट को कस्टमर तक डिलीवर किया जायेगा? जिसका ऑनलाइन आर्डर आया है।
Dropshipper Supplier से डील होने के बाद वो आपको यानी Dropshipping Business करने वाले व्यक्ति को उनकी वेबसाइट या फिर किसी दूसरी वेबसाइट पर अपने Product को बेचने की परमिशन दे देता है और आप उसके प्रोडक्ट की फोटो वेबसाइट पर लगा करके बेच सकते हैं। उसके बाद जैसे ही आपको उस प्रोडक्ट का ऑर्डर मिलता है तो आप उस आर्डर को अपने Dropshipper Supplier के पास भेज देते हैं और फिर वो उस प्रोडक्ट को कस्टमर तक पहुंचाता है।
हालाँकि ऐसे भी कई Dropshipper Supplier होते हैं जो अपने कस्टमर्स को घटिया क्वालिटी का सामान डिलीवर कर देते हैं। इसीलिए आपको बहुत ही सोच समझकर Dropshipper Supplier चुनना होता है जो कस्टमर तक बढ़िया क्वालिटी के प्रोडक्ट पहुंचाए क्योंकि सोशल मीडिया पर आपने कई बार देखा होगा कि लोग ऑनलाइन मोबाइल आर्डर करते हैं तो उन्हें साबुन भेज दिया जाता है, जूते ऑर्डर करते हैं तो उन्हें ईंट के टुकड़े भेज दिए जाते हैं।
इस तरह की चीजों से Online Website Company की रेपुटेशन खराब होती है और वो Dropshipping Business करने वाले पर अपना TRON बेचना ऊँगली उठाते हैं और इसका नुक्सान आपको अपने बिजनेस में झेलना पड़ सकता है।
अगर आप अपनी खुद की वेबसाइट बना चुके हैं और Dropshipping का Business भी करना चाहते हैं तो आप ये खुद डिसाइड कर सकते हैं कि आप अपनी वेबसाइट पर किस तरह के प्रोडक्ट्स बेचेंगे?
इसके लिए आप मार्केट रिसर्च भी कर सकते हैं कि लोग Online Medium पर किस तरह के प्रोडक्ट ज्यादा खरीद रहे हैं? जैसे कि Mobile, Sports Goods, Books, Electronic Items, Cosmetic Items, कपडे, जूते, ज्वेलरी, फर्नीचर और ऐसे ढेर सारे आइटम्स आप अपनी वेबसाइट पर डाल सकते हैं, जिनके लिए आपको Dropshipper Supplier की जरुरत पड़ेगी, जो आपको रिटेल मार्केट के मुकाबले सस्ते पर अपना प्रोडक्ट ऑनलाइन वेबसाइट पर बेचने के लिए दे।
Dropshipper Supplier चुनने के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा जैसे कि Dropshipper Supplier “Certified” है या नहीं? इसके साथ ही आप उसके प्रोडक्ट का खुद इंस्पेक्शन भी कर सकते हैं, ताकि कस्टमर को अच्छी क्वालिटी का प्रोडक्ट मिले।
किसी एक Dropshipper Supplier पर डिपेंडेंट ना रहकर आप ढेर सारे Dropshipper से मिलकर उनके बीच तुलना कर सकते हैं कि उनका पास्ट एक्सपीरियंस कैसा रहा है? उनके प्रोडक्ट की क्वालिटी कैसी है और मार्केट में उनकी इमेज कैसी है? इसके अलावा आपको प्राइस कम्पेयर करने में भी आसानी होगी। जितना सस्ता दाम रहेगा, उतना ही मुनाफा बढ़ने की संभावना भी रहेगी।
डोर्सी के पहले ट्वीट के लिए लगी 14.5 करोड़ रुपए की बोली
श्ािनवार को ही डोर्सी के ट्वीट के लिए 2 मिलियन डॉलर की सबसे बड़ी बोली जस्टिन सन की तरफ से लगाई गई। सन डिजिटल कंपनी TRON के संस्थापक हैं, जो कि ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म है और क्रिप्टोकरेंसी की ही तकनीक है। सन बिटटोरेंट स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के भी प्रमुख हैं।
ट्वीट की नीलामी करने वाली साइट ‘वैल्यूएबल्स’ के अनुसार, एक ट्वीट का खरीदना उसका डिजिटल सर्टिफिकेट खरीदने जैसा है, यह अपने आप में अनोखा है, क्योंकि इसे निर्माता द्वारा हस्ताक्षरित और सत्यापित किया गया है। डोर्सी के मामले में उनका यह ट्वीट तब तक सभी के लिए सार्वजनिक है, जब तक वे इसे ऑनलाइन छोड़ रहे हैं।
क्यों अहम है ट्वीट का खरीदना-बेचना?
वैल्यूएबल्स वेबसाइट के अनुसार कोई भी डिजिटल कंटेंट एक वित्तीय निवेश हो सकता है। इसकी अपनी भावनात्मक कीमत हो सकती है और यह किसी रचनाकार और कलेक्टर के बीच के संबंध को दर्शाने वाला भी हो सकता है।
जैसा की किसी कार्ड पर किसी बड़ी शख्सियत का ऑटोग्राफ, वैसे ही एनएफटी (Non-Fungible Token0) किसी कंटेंट या सामग्री पर रचनाकार के ऑटोग्राफ जैसा ही है, जिससे यह बेहद कीमती और अनोखा हो जाता है।
यदि एक बार किसी व्यक्ति ने ट्वीट खरीद लिया, तो वह वेबसाइट पर ही ट्वीट बेच भी सकता है या उसे अपनी ऑनलाइन गैलरी का हिस्सा बना सकता है।
इतना ही नहीं खरीदार ट्वीट को अपने प्राइवेट कलेक्शन का हिस्सा भी रख सकता है। वैल्यूएबल्स के अनुसार, नीलामी में मिली 95 फीसदी राशि ट्वीट के रचनाकार के पास जाएगी, जबकि 5 फीसदी वेबसाइट के पास रहेगी। दूसरी बार ट्वीट बेचने पर 87.5 इसके विक्रेता को जाएगी और 10 फीसदी रचनाकार को। साथ ही 2.5 फीसदी वेबसाइट को। यह सभी लेन-देन क्रिप्टो वॉलेट के जरिए होंगे।
LG स्मार्टफोन यूजर्स के लिए बुरी खबर, इस बिजनेस को बंद करने की कर रही है प्लानिंग
अगर आपके पास LG का स्मार्टफोन है तो आपके लिए बुरी खबर है क्योंकि कंपनी जल्द ही अपने फोन में सॉफ्टवेयर सपोर्ट देना बंद कर सकती है. ऐसे में सॉफ्टवेयर सपोर्ट और सिक्योरिटी अपडेट न मिलने पर आपको अपना फोन बदलना पड़ सकता है.
इस महीने की शुरुआत में एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि LG जल्द ही स्मार्टफोन मार्केट से बाहर जा सकती है. पहले कंपनी अपने मोबाइल फोन बिजनेस को जर्मनी की Volkswagen AG और वियतनाम की Vingroup JSC को बेचने की प्लानिंग कर रही है. हालांकि ब्लूमबर्ग और कोरिएन पब्लिकेश DongA IIbo ने बाद में रिपोर्ट किया कि बिक्री की वार्ता असफल होने के कारण LG इलेक्ट्रॉनिक्स इस बिजनेस को बंद करने की प्लानिंग कर रही है.
अब कंपनी मौजूदा एलजी स्मार्टफोन्स को सॉफ्टवेयर सपोर्ट देना भी बंद करने जा रही है. इंडस्ट्री अपना TRON बेचना इनसाइडर Tron के अनुसार स्मार्टफोन मार्केट से LG के बाहर निकलने का यह भी मतलब है कि कंपनी मौजूदा फोन सॉफ्टवेयर अपडेट देना भी बंद कर देगी. Tron की ओर से किए गए ट्वीट में यह भी बताया गया है कि LG मोबाइल डिविजन के कर्मचारियों को अगले सप्ताह तक चैंगवॉन होम अप्लायंसेज फैक्ट्री में भेज दिया जाएगा. इसका मतलब यह है कि अगर आपके पास LG Wing, Velvet या कंपनी का अपना TRON बेचना कोई और स्मार्टफोन है तो ऐसा हो सकता है कि आपको भविष्य में कोई सॉफ्टवेयर अपडेट न मिले.
इस साल की शुरुआत कोरिया हेराल्ड ने रिपोर्ट किया था पिछले पांच सालों में 4.5 बिलियन डॉलर का नुकसान झेलने के बाद LG इलेक्ट्रॉनिक्स 2021 में स्मार्टफोन बिजनेस से बाहर निकलने की प्लानिंग कर रही है. इस रिपोर्ट में यह भी गया था कि कंपनी अपना आखिरी फैसला अप्रैल में सुनाएगी. रिपोर्ट के अनुसार कंपनी अपने मोबाइल डिविजन के कर्मचारियों को हाउसहोल्ड अप्लायंसेज और ऑटोमोटिव डिविजन में भेजने की प्लानिंग कर रही है.
भारत सरकार ने Tesla इलेक्ट्रिक कारों के लिए आयात शुल्क कम करने के Tesla के अनुरोध को खारिज कर दिया
इससे पहले, Elon Musk ने भारत सरकार से इलेक्ट्रिक वाहनों पर आयात कर कम करने का अनुरोध किया था। हालांकि, ऐसा लगता है कि सरकार ने Tesla के अनुरोध को खारिज कर दिया है। सरकार के अनुसार, नियम पहले से ही ऑटोमोबाइल निर्माताओं को आंशिक रूप से निर्मित वाहनों को लाने और फिर उन्हें कम शुल्क पर स्थानीय रूप से असेंबल करने की अनुमति देते हैं।
सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेज एंड कस्टम्स के चेयरमैन Vivek Johri ने कहा, ‘हमने देखा कि क्या शुल्क में बदलाव की जरूरत है, लेकिन कुछ घरेलू उत्पादन हो रहा है और कुछ निवेश मौजूदा टैरिफ के साथ आए हैं। तो, यह स्पष्ट है कि यह अपना TRON बेचना कोई बाधा नहीं है।”
सरकार चाहती है कि Tesla स्थानीय रूप से अपने वाहनों का निर्माण करे और Tesla ने अभी तक स्थानीय रूप से निर्माण की योजना पेश नहीं की है, जबकि सरकार ने इसके लिए कहा है। ऐसा लगता है कि Tesla पहले भारत में वाहन बेचना चाहती है। जिस वजह से उन्होंने टैक्स ड्यूटी कम करने का अनुरोध किया क्योंकि वर्तमान में टैक्स ड्यूटी 100 प्रतिशत है। यह कहते हुए कि यदि वाहन के पुर्जों को भारत भेज दिया जाता है और फिर स्थानीय रूप से असेंबल किया जाता है, तो कर शुल्क 15 प्रतिशत से 30 प्रतिशत तक कम हो जाता है। इसके अलावा, कई राज्यों ने भी Tesla को अपना कारखाना स्थापित करने के लिए सब्सिडी और अपनी जमीन की पेशकश की है। पंजाब, बंगाल, तेलंगाना और महाराष्ट्र ने Elon Musk को आमंत्रित किया है।
Vivek ने यह भी कहा कि Tesla को Tata Motors और Mahindra जैसे स्थानीय निर्माताओं का अनुसरण करना चाहिए जो स्थानीय रूप से अपने इलेक्ट्रिक वाहनों का विकास और उत्पादन कर रहे हैं। Tata Motors के पोर्टफोलियो में फिलहाल दो इलेक्ट्रिक वाहन हैं। इसमें नेक्सॉन ईवी और टिगोर ईवी हैं। Mahindra अभी भी अपने इलेक्ट्रिक वाहनों पर काम कर रही है लेकिन हमने इन्हें भारतीय सड़कों पर टेस्टिंग के दौरान देखा है. वे eKUV100 और XUV300 EV लॉन्च करेंगे।
इसके अलावा, ऐसा नहीं है कि प्रीमियम निर्माता भारत में इलेक्ट्रिक वाहन नहीं बेच रहे हैं। मर्सिडीज-बेंज अपने स्थानीय रूप से असेंबल किए गए EQS को लॉन्च करेगी। उनके पास पहले से ही EQC बिक्री पर है। BMW वर्तमान में आईएक्स बेचती है और वे हमारे बाजार में आई4 को भी लॉन्च कर सकते हैं। फिर हमारे पास Audi है जो e-Tron GT, ई-ट्रॉन और आरएस e-Tron GT बेच रही है। यहां तक कि जगुआर भी हमारे देश में अपना आई-पेस बेच रही है।
Tesla को भारतीय बाजार में प्रवेश करने की घोषणा किए कुछ साल हो चुके हैं। उन्हें कुछ वाहनों की मंजूरी भी मिल गई है। Elon Musk ने हाल ही में घोषणा की कि वे अभी भी भारत सरकार के साथ चुनौतियों का सामना कर अपना TRON बेचना रहे हैं।
वह आयात शुल्क कम करना चाहते थे क्योंकि हमारा देश आईसीई वाहनों और ईवी के साथ समान व्यवहार करता है। तो, उन दोनों अपना TRON बेचना को समान कर की राशि मिलती है। एलोन ने कहा कि यह देखते हुए ऐसा नहीं होना चाहिए कि ईवी अधिक पर्यावरण के अनुकूल, स्वच्छ हैं और प्रदूषण पैदा नहीं करते हैं।
Tesla विदेशी बाजारों में प्रतिस्पर्धी रही है। हालांकि, वे भारत में इस प्रतिस्पर्धात्मकता से हार जाएंगे क्योंकि इसकी कीमत अधिक होगी जो उच्च आयात कर के कारण उच्च स्तर पर जाएगी। एलोन ने यह भी कहा कि Tesla इलेक्ट्रिक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देने में मदद करेगी। वर्तमान में, हमारे देश में चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी है जिसके कारण बहुत से लोग इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने से कतराते हैं।