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गंगा नदी को स्वच्छ और स्वस्थ रखने के लिए हो रहे हैं प्रयास (Photo: Reuters)

वित्त राज्य मंत्री भारत सरकार डॉ. भागवत कराड का दो दिवसीय जमशेदपुर दौरा एसएलबीसी की बैठक एवं आकांक्षी जिला इंडिकेटर्स की करेंगे समीक्षा

डॉ. भागवत कराड वित्त राज्य मंत्री भारत सरकार 14 एवं 15 जून को दो दिसवीय दौरे पर जमशेदपुर में रहेंगे । इस दौरान मंत्री भारत सरकार द्वारा 14 जून को 12:30 बजे से समाहरणालय सभागार में आयोजित एसएलबीसी बैठक की अध्यक्षता करेंगे वहीं अपराहन तीन बजे आकांक्षी जिला इंडिकेटर्स की समीक्षा बैठक जिले के पदाधिकारियों के साथ करेंगे। 15 जून को मंत्री भारत सरकार का फिल्ड विजिट का कार्यक्रम है, इस दौरान सदर अस्पताल, जमशेदपुर, जमशेदपुर स्थित पीडीएस दुकान का निरीक्षण, मॉडल आंगनबाड़ी केन्द्र, नांदुप, गोलमुरी, मेगा स्कील सेंटर हाटा, पोटका, कस्तूरबा गांधी विद्यालय पोटका का निरीक्षण एवं पोटका प्रखंड परिसर में आयोजित परिसम्पत्ति वितरण कार्यक्रम में शामिल होने का संभावित कार्यक्रम है
वित्त राज्य मंत्री भारत सरकार के दौरे को लेकर उपायुक्त- सह- जिला दण्डाधिकारी विजया जाधव द्वारा सभी संबंधित पदाधिकारियों को दिशा-निर्देश देते हुए आवश्यक सौजन्य प्रदर्शित करने का निर्देश दिया गया है।
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अनुमंडल पदाधिकारी धालभूम संदीप कुमार मीणा के आदेशानुसार सीओ मानगो हरीश चंद्र मुंडा एवं कार्यपालक दण्डाधिकारी निशा कुमारी के नेतृत्व में वाद संख्या 08/ 2021-22 में सन्निहित भूमि एमजीएम थाना अंतर्गत मौजा भिलाई पहाड़ी थाना सं- 1146,खाता-293 प्लॉट नं- 1213, इंडिकेटर्स रकवा 0.40 एकड़ भूमि पर किए गए अवैध अतिक्रमण को शांतिपूवर्क मुक्त कराया गया । इस दौरान राजस्व उप निरीक्षक, अंचल निरीक्षक, अंचल अमीन तथा एमजीएम थाना इंडिकेटर्स के पुलिस बल का सहयोग रहा
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मुख्यमंत्री ने ऊर्जा विभाग से संबंधित भ्रष्टाचार के मामले में अभियोजन की दी स्वीकृत

मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने सी.बी.आई. ए.सी.बी. रांची थाना कांड संख्या- आर०सी०-07(ए) /2016- (आर) दिनांक- 02-06-2016 के प्राथमिकी अभियुक्तों शिवेन्द्र नाथ वर्मा तदेन अध्यक्ष झारखण्ड राज्य विद्युत बोर्ड झारखण्ड रांची सम्प्रति प्रबंध निदेशक उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड, उज्ज्वल महानगरी बाग, जी०एम०एस०, रोड, देहरादून, स्थायी पता- चित्रगुप्त नगर, लेम बगरगई, बरियातू झारखण्ड रांची एवं *आलोक शरण* तत्कालीन सदस्य (वित्त), झारखण्ड राज्य विद्युत बोर्ड, झारखण्ड, रांची सम्प्रति प्रधान निदेशक, इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स आइ.एन.सी., ए.टीएस. एडवान्टेज, इन्दिरापुरम, उत्तर प्रदेश के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-197 में निहित प्रावधानों के आलोक में विरूद्ध भारतीय दंड विधान, 1860 की धारा-120-बी सहपठित धारा – 420, 420 / 511, 468, 471 तथा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा -19 (1)(बी) में प्रदत शक्तियों के आलोक में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम, 1988 की धारा-13 (2) सहपठित धारा-13 (1)(डी) के उपबंधों के अधीन अपराध हेतु स्वीकृत्यादेश निर्गत किए जाने संबंधी प्रस्ताव पर अभियोजन स्वीकृत्यादेश प्रदान किया।
प्राथमिकी अभियुक्तों पर वर्ष 2011-2012 में झारखण्ड राज्य विद्युत बोर्ड भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस लिमिटेड (भेल), भोपाल एवं मेसर्स नॉर्दन पावर इरेक्टर लिमिटेड (एन०पी०ई०एल०) के पदाधिकारियों के साथ मिलीभगत कर आपराधिक षड्यंत्र के तहत बेईमानी से स्वर्णरेखा जल विद्युत यंत्र, सिकीदरी (स्वर्ण रेखा हाइड्रो इलेक्ट्रसिटी प्रोजेक्ट, सिकीदरी) के मरम्मती एवं रख-रखाव के लिए मनोनयन के आधार पर 2.5 करोड़ रूपये के कार्य को बहुत ही ऊचें दर 20.87 करोड़ रूपये में भेल को दे दिया। झारखण्ड राज्य विद्युत बोर्ड के पदाधिकारियों ने बेईमानी से भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस (भेल ), भोपाल के द्वारा निर्धारित भुगतान की शर्तों के आधार पर स्थापित वित्तीय नियमों के विरूद्ध एवं सी.वी.सी. के नियमों का उल्लंघन करते हुए भुगतान कर दिया। साथ ही, भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस लिमिटेड (भेल), भोपाल के पदाधिकारियों ने बेईमानी से स्वर्णरेखा जल विद्युत यंत्र, सिकीदरी (स्वर्ण रेखा हाइड्रो इलेक्ट्रसिटी प्रोजेक्ट, सिकीदरी) के मरम्मती एवं रख-रखाव से संबंधित कार्य को मेसर्स नॉर्दन पावर के साथ 15.32 करोड़ रूपये में सबलेट/कॉन्ट्रैक्ट कर लिया, जो सी.वी.सी. के नियमों के विरूद्ध है तथा मेसर्स नॉर्दन पावर द्वारा उक्त कार्य को 5.55 करोड़ रूपये की लागत पर निष्पादित कर दिया। इस प्रकार भारत हेवी इलेक्ट्रीक्लस इंडिकेटर्स लिमिटेड (भेल). भोपाल एवं मेसर्स नॉर्दन पावर इरेक्टर लिमिटेड द्वारा खराब गुणवत्ता के कार्य करने एवं विलंब से कार्य संपादित करने के कारण झारखण्ड राज्य विद्युत बोर्ड को वित्तीय इंडिकेटर्स नुकसान उठाना पड़ा। इसके अतिरिक्त वर्ष 2005 के दौरान मरम्म्ती और रख-रखाव का कार्य झारखण्ड राज्य विद्युत बोर्ड द्वारा मेसर्स हेवी इलेक्ट्रीक्लस (भेल) लिमिटेड, भोपाल को निविदा के आधार पर 59.75 लाख रूपये में दिया गया था, जबकि वर्ष 2012 में कार्य को बेईमानी से बहुत ही ऊचें दर 20.87 करोड़ रूपये पर नोमिनेशन के आधार पर दे दिया गया। इस प्रकार उपरोक्त प्राथमिकी अभियुक्तों पर सरकारी पद का दुरूपयोग करते हुए, लापरवाही, धोखाधड़ी, बेईमानी, जालसाजी के नीयत से आपराधिक षड्यंत्र के तहत वित्तीय अनयिमितता करते हुए गैर कानूनी ढंग से सरकारी राशि के गबन करने आरोप है।
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नोटबंदी के 100 दिन: क्या इशारा कर रहे हैं इकोनॉमी के इंडिकेटर्स

सरकार ने टैक्स दायरा बढ़ने की बात कही तो आलोचकों ने इसे बेवकूफी भरा कदम बताया.

नोटबंदी के 100 दिन: क्या इशारा कर रहे हैं इकोनॉमी के इंडिकेटर्स

नरेंद्र मोदी सरकार को 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोट वापस लिए हुए इंडिकेटर्स 100 दिन बीत चुके हैं. सरकार और उसके समर्थकों ने दावा किया था कि इससे टैक्स का दायरा बढ़ेगा, जबकि आलोचकों का कहना था कि यह बेवकूफी भरा कदम है और इससे सुस्त पड़ती अर्थव्यवस्था को नुकसान ही पहुंचेगा. दोनों ही खेमे अपनी-अपनी बात पर अड़े हैं, लेकिन आंकड़े क्या कह रहे हैं? अधिकतर आर्थिक और बैंकिंग आंकड़ों का कोई मतलब निकालना मुनासिब नहीं होगा. वे दिसंबर के लो लेवल से तो बेहतर दिख रहे हैं, जब कैश की सप्लाई सबसे कम थी लेकिन अभी तक नोटबंदी के पहले वाले लेवल तक नहीं पहुंच पाए हैं.

कहां स्टेबल होगी इकोनॉमी?

भारतीय अर्थव्यवस्था काफी हद तक कैश से चलती रही है. ऐसे में कैश कम करने से उस पर असर तय था. सरकार का कहना है कि यह दिक्कत अस्थायी है, जबकि निजी क्षेत्र के एक्सपर्ट्स का कहना है कि नोटबंदी के चलते वित्त वर्ष 2017 में जीडीपी ग्रोथ 6.5% रह जाएगी, जो वित्त वर्ष 2016 में 7.9% थी. वित्त वर्ष 2018 में आर्थिक रिकवरी पर सभी सहमत हैं. रिजर्व बैंक ने अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी ग्रोथ का लक्ष्य 7.4% रखा है, जबकि इस साल के लिए 6.9%. अभी की तस्वीर क्या है?

निक्केई का मैन्युफैक्चरिंग परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) दिसंबर में 49.6 पर चला गया था. 11 महीनों में पहली बार यह निगेटिव जोन में पहुंचा था. लेकिन जनवरी में यह 50.4 पर रहा, जो पॉजिटिव ग्रोथ का संकेत है. सवाल यह है कि यह इंडेक्स कहां जाकर स्थिर होगा और क्या यह नोटबंदी से पहले वाले लेवल तक पहुंच पाएगा? अक्टूबर 2016 यानी नोटबंदी से पहले मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई 54.4 के साथ 22 महीने की ऊंचाई पर था.

औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (इंडस्ट्रियल प्रॉडक्शन इंडेक्स यानी आईआईपी) नवंबर में तो मजबूत बना रहा, लेकिन दिसंबर में यह माइनस 0.4% रहा था. अगर आईआईपी भी मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई की राह पर चलता है तो इसमें जनवरी में रिकवरी होनी चाहिए. वहीं, कंज्यूमर प्राइस इन्फ्लेशन से डिमांड के कमजोर होने का पता चलता है.

सप्लाई चेन पर भी पड़ा असर?

नोटबंदी का असर क्या सप्लाई चेन पर भी पड़ा है? खासतौर पर असंगठित क्षेत्र के सप्लाई चेन पर इसके असर का पता नहीं चल पाया है. इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है. यह भी पता लगाना मुश्किल है कि नोटबंदी के चलते असंगठित बिजनेस, संगठित क्षेत्र यानी फॉर्मल इकोनॉमी की तरफ शिफ्ट हो रहा है? इंडिपेंडेंट एनालिस्ट वी अनंत नागेश्वरन ने ब्लूमबर्गक्विंट को पिछले हफ्ते दिए इंटरव्यू में कहा था,

मैं आगे चलकर यह देखना चाहूंगा कि संगठित क्षेत्र और असंगठित क्षेत्र में रोजगार का अनुपात क्या रहता है? मैं टैक्स के दायरे में आने वाले इनकम टैक्स असेसीज की संख्या भी देखना चाहूंगा. क्या महंगाई दर बढ़े बिना तेज ग्रोथ हासिल की जा सकेगी? इन बातों का पता चलने में कई साल लगेंगे, यही दिक्कत है और तब लोग इसे नोटबंदी से नहीं जोड़ेंगे.

नोटबंदी से खर्च पर लगेगी लगाम?

नोटबंदी की घोषणा के बाद एक आशंका यह थी कि अगर पुराने कैश का बड़ा हिस्सा खत्म हुआ तो लोगों के दिमाग में संपत्ति घटने की बात घर कर जाएगी. हालांकि, करेंसी का बड़ा हिस्सा बैंकों में जमा कराया गया, इसलिए यह डर कम हुआ है. अधिकतर अर्थशास्त्री अब इस आशंका को निराधार बता रहे हैं. नोटबंदी के झटके से शेयर बाजार की जल्द रिकवरी से भी इस मामले में राहत मिली है.

हालांकि, देश में काफी संपत्ति रियल एस्टेट मार्केट में है. वह अभी भी मुश्किल में है और उसमें रिकवरी का कोई संकेत नहीं दिखा है. पिछले हफ्ते देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ ने अक्टूबर-दिसंबर 2016 तिमाही के नतीजों का ऐलान किया था. उसकी बिक्री साल भर पहले की इसी तिमाही की तुलना में 29% कम हुई थी. वित्त वर्ष के पहले 9 महीनों में करीब 50% कैंसलेशन भी डराने वाली बात है. डीएलएफ के परफॉर्मेंस से रियल एस्टेट मार्केट की हालत का पता चलता है.

नाइट फ्रैंक का कहना है कि अक्टूबर-दिसंबर 2016 तिमाही रियल एस्टेट के लिए पिछले 6 साल में सबसे बुरे तीन महीने रहे हैं. इस तिमाही में बिक्री 44% कम हुई और नए लॉन्च में इससे पिछली तिमाही की तुलना में 61% की गिरावट आई.

क्या नकद फिर से बनेगा ‘नारायण’

13 मार्च 2017 को बैंकों और एटीएम से पैसा निकालने की सारी बंदिशें खत्म हो जाएंगी. इससे पता चलता है कि महीने भर में सिस्टम में पर्याप्त करेंसी होगी. लेकिन यहां ‘पर्याप्त’ का क्या मतलब है? क्या उतने नोट सर्कुलेशन में आएंगे, जितने नोटबंदी से पहले थे. रिजर्व बैंक के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, 10 फरवरी तक 10.97 लाख करोड़ की करेंसी सर्कुलेशन में थी, जो नोटबंदी के पहले के 17.97 लाख करोड़ का 61% है.

मार्च तक अर्थशास्त्री इसके 70% तक पहुंचने की उम्मीद कर रहे हैं. कैश के बढ़ने के साथ डिजिटल ट्रांजेक्शन में सुस्ती आ रही है. आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, दिसंबर में 105.4 लाख करोड़ के डिजिटल ट्रांजेक्शंस हुए थे, जो जनवरी में घटकर 98 लाख करोड़ पर आ गए. बैंकिंग सेक्टर में डिपॉजिट भी नोटबंदी के पहले वाले लेवल पर बना हुआ है.

105 लाख करोड़ का बैंकिंग डिपॉजिट पिछले साल की तुलना में 13 पर्सेंट ज्यादा है. इसमें से कितना बैंकों के पास बचा रह जाएगा, इसका पता तभी चलेगा जब कैश निकालने की बंदिशें खत्म हो जाएंगी.

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गंगा में रहने वाली डॉल्फ़िन और हिल्सा मछली पर स्टडी करेगी सरकार, होगा ये फायदा

गंगा नदीं को स्वच्छ और स्वस्थ रखने के लिए सरकार ने अपने प्रयास तेज कर दिए हैं. राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन अब गंगा नदी में रहने वाली डॉल्फिन और हिल्सा मछली पर स्टडी करने जा रही है, ताकि नदी के स्वास्थ्य के बारे में पता चल सके.

सरकार करेगी हिल्सा मछली और डॉल्फिन पर अध्ययन (Photo: Reuters)

aajtak.in

  • नई दिल्ली,
  • 11 जून 2022,
  • (अपडेटेड 11 जून 2022, 2:43 PM IST)
  • बायो-इंडिकेटर्स की आबादी पर होगी स्टडी
  • नदी को स्वस्थ रखते हैं ये बायो-इंडिकेटर्स

राष्ट्रीय इंडिकेटर्स स्वच्छ गंगा मिशन (NMCG) के मुताबिक, सरकार अब गंगा नदी में रहने वाली डॉल्फिन और हिल्सा मछली के जीवन चक्र का अध्ययन करेगी, ताकि अलग-अलग जगहों पर नदी के स्वास्थ्य का पता चल सके.

NMCG के महानिदेशक जी अशोक कुमार का कहना है कि मिशन यह अध्ययन, वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (Council Of Scientific And Industrial Research-National Environmental Engineering Research Institute) के साथ मिलकर करेगा. इसके तहत, बायो-इंडिकेटर्स जैसे डॉल्फ़िन, हिल्सा मछली और सूक्ष्म जीवों की आबादी का अध्ययन किया जाएगा. इससे यह पता चल सकेगा कि नदी के स्वास्थ्य में कितना सुधार हुआ है.

नदी को स्वस्थ रखते हैं बायो-इंडिकेटर्स

जी अशोक कुमार के मुताबिक, ये बायो-इंडिकेटर्स नदी के स्वास्थ रखने में अहम भूमिका निभाते हैं. उन्होंने कहा कि पानी की गुणवत्ता सुधारने के लिए एनएमसीजी के तहत कई प्रयास किए गए हैं. यह स्टडी भी इन्हीं प्रयासों का हिस्सा है. इतना ही नहीं, माइक्रोबियल विविधता (Microbial diversity) पर मानव हस्तक्षेप के प्रभाव और गंगा में मौजूद ई.कोली (E.coli) की उत्पत्ति की भी स्टडी की इंडिकेटर्स जाएगी.

ganga river

गंगा नदी को स्वच्छ और स्वस्थ रखने के लिए हो रहे हैं प्रयास (Photo: Reuters)

यह स्टडी NMCG द्वारा गंगा नदी पर किए जा रहे अध्ययन और शोध के संग्रह का हिस्सा है. आपको बता दें कि यह संग्रह, एनएमसीजी की पहल 'ज्ञान गंगा' के तहत बनाया गया था, जो गंगा नदी से जुड़े विषयों पर रिसर्च, पॉलिसी और एजुकेशन पर फोकस करता है.

हिल्सा मछली पालन के प्रयास सफल

जी अशोक कुमार ने गंगा के मध्य खंड (Middle stretch) में चल रही हिल्सा मछली की एक राष्ट्रीय पशुपालन परियोजना के बारे में भी बताया. उनका कहना है कि हिल्सा की 6 लाख से ज्यादा वयस्क मछलियों का पालन किया गया है. इससे हिल्सा मछली के जर्मप्लाज्म संरक्षण और गंगा नदी में प्रसार में मदद मिलेगी. उन्होंने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल और झारखंड सीमा के पास नदी में, फरक्का बैराज के अपस्ट्रीम में किशोर हिल्सा मछलियां पाई गई हैं, जिससे पता चलता है कि इस प्रॉजेक्ट के तहत किए गए प्रयास सफल हो रहे हैं.

पिछले चार सालों में नदी से लगभग 190 मछलियों की प्रजातियां रिकॉर्ड की गई हैं, जो नदी के किनारे रहने वाले मछुआरों की आजीविका का सहारा हैं. गंगा नदी और उसके बेसिन को दुनिया में सबसे ज्यादा आबादी वाला माना जाता है, सबसे बड़ी जैव विविधता भी इसी में पाई जाती है.

म्यूचुअल फंड का रिटर्न नापने वाले इंडिकेटर्स इन इंडिकेटर्स का कब और कहां इस्तेमाल करेंगे?

म्यूचुअल फंड स्कीम का प्रदर्शन नापने के लिए XIRR, TRI, CAGR, रोलिंग रिटर्न, पॉइन्ट-टु-पॉइन्ट रिटर्न जैसे विभिन्न रिटर्न का इस्तेमाल किया जाता है.

  • Vijay Parmar
  • Publish Date - October 13, 2021 / 01:19 PM IST

म्यूचुअल फंड का रिटर्न नापने वाले इन इंडिकेटर्स का कब और कहां इस्तेमाल करेंगे?

Different Types of Mutual Fund Returns: SEBI की आवश्यकताओं के अनुसार, म्यूचुअल फंड के दस्तावेज और फैक्ट-शीट में विभिन्न तरह के रिटर्न के जरिए स्कीम का प्रदर्शन दिखाया जाता हैं. यदि आप म्यूचुअल फंड में पैसे लगा रहे हैं, तो आपको इन विभिन्न प्रकार के रिटर्न के बारे में जानकारी होना जरूरी है. आपको मालूम होना चाहिए कि इन रिटर्न का इस्तेमाल किस उद्देश्य के लिए किया जा सकता हैं, और इससे किस प्रकार फायदा हो सकता हैं, क्योंकि म्यूचुअल फंड में निवेश करने का हमारा उद्देश्य पूंजी वृद्धि या आय या दोनों के रूप में प्रतिफल प्राप्त करना होता हैं. निवेश पर लाभ एक मीट्रिक है जिसका उपयोग म्यूचुअल फंड स्कीम के प्रदर्शन को मापने के लिए किया जाता है.

विभिन्न प्रकार के रिटर्न का उपयोग कैसे करें?

आपको अपनी जरूरत के हिसाब से विभिन्न प्रकार के म्यूचुअल फंड रिटर्न का इस्तेमाल करना चाहिए:-

– पॉइंट टू पॉइंट रिटर्न और इसका इस्तेमालः

पॉइंट टू पॉइंट रिटर्न के एक प्रकार को ट्रेलिंग रिटर्न के रूप में जाना जाता है. ट्रेलिंग रिटर्न विभिन्न निवेश अवधियों के लिए एक विशिष्ट तिथि के अनुसार निवेश रिटर्न को मापते हैं. उदाहरण के लिए, यदि आप 31 अगस्त 2021 को किसी योजना के अनुगामी रिटर्न की गणना करना चाहते हैं, तो 1 साल के रिटर्न की शुरुआत की तारीख 1 सितंबर 2020 होगी, 3 साल की शुरुआत की तारीख रिटर्न 1 सितंबर 2018 होगी, 5 साल के रिटर्न की शुरुआत की तारीख 1 सितंबर 2016 होगी.
इस्तेमालः आपके पोर्टफोलियो में किसी स्कीम ने कैसा प्रदर्शन किया है यह देखने के लिए, आप स्कीम में निवेश करने के समय के आधार पर इसका पॉइंट टू पॉइंट रिटर्न देख सकते हैं.

– एक्सटेंडेड इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न (XIRR) और इसका इस्तेमालः

निवेशक किसी फंड पर रिटर्न की दर निर्धारित करने के लिए माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल शीट(Microsoft excel sheet) में एक्सटेंडेड इंटरनल रेट ऑफ रिटर्न यानि XIRR (Extended Internal Rate of Return) फंक्शन का इस्तेमाल कर सकता है. यह सीधा तरीका है और इसमें किसी तारीख पर एनएवी क्या है इसके मूल्यांकन की कोई जरूरत नहीं होगी. XIRR फॉर्मूला का इस्तेमाल म्यूचुअल फंड में निवेश पर रिटर्न की गणना करने के लिए किया जाता है, जहां अलग अलग अवधियों में कई लेनदेन होते हैं.
इस्तेमालः SIPs, SWPs के लिए XIRR का उपयोग किया जाना चाहिए. इस प्रकार के निवेश में आप कई लेन-देन करते हैं, जैसे अतिरिक्त यूनिट की खरीद, आंशिक रिडेंप्शन आदि.

– रोलिंग रिटर्न और इसका इस्तेमालः

रोलिंग रिटर्न एक निर्दिष्ट निवेश अवधि (1 वर्ष, 3 वर्ष और 5 वर्ष आदि) के लिए विभिन्न बाजार स्थितियों में ली गई योजना का वार्षिक रिटर्न है. रिटर्न को दैनिक, मासिक या वार्षिक रूप से रोल किया जा सकता है. किसी स्कीम के इंडिकेटर्स रोलिंग रिटर्न की तुलना आमतौर पर उसके मार्केट बेंचमार्क इंडेक्स से की जाती है. रोलिंग रिटर्न आपको बताएगा कि क्या स्कीम का फंड मैनेजर विभिन्न बाजार स्थितियों में इंडिकेटर्स बेंचमार्क को मात देने में सक्षम था. रोलिंग रिटर्न आपकी स्कीम के प्रदर्शन की निरंतरता का एक पैमाना है.
इस्तेमालः अपने पोर्टफोलियो के लिए योजना चयन के लिए, आप बेंचमार्क बनाम योजना के पिछले रिटर्न को देख सकते हैं. हालांकि इक्विटी योजनाओं के लिए आपको रोलिंग रिटर्न पर भी ध्यान देना चाहिए.

– TRI और इसका इस्तेमालः

टोटल रिटर्न आपके निवेश पर वास्तविक रिटर्न है जिसमें मूल्य वृद्धि और डिविडेंड दोनों शामिल हैं. मान लीजिए कि एक साल पहले शेयर की कीमत 100 रुपये थी. एक साल बाद, शेयर की कीमत 110 रुपये है. वर्ष के दौरान, स्टॉक ने डिविडेंड के रूप में 2 रुपये / शेयर का भुगतान भी किया, तब कुल रिटर्न 12% होगा. आपको हमेशा अपनी म्यूचुअल फंड स्कीम के प्रदर्शन की तुलना बेंचमार्क इंडेक्स के TRI रिटर्न से करनी चाहिए.
इस्तेमालः एक स्टैंडअलोन आधार पर म्यूचुअल फंड रिटर्न, प्रदर्शन मूल्यांकन के लिए बहुत जानकारीपूर्ण नहीं है क्योंकि म्यूचुअल फंड बाजार से जुड़े उपकरण हैं. आपको हमेशा स्कीम के सापेक्ष प्रदर्शन की तुलना उसके बेंचमार्क इंडेक्स (TRI) से करनी चाहिए.

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