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डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर

डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर
सवाल यह उठा है कि क्या डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी एक जैसी मुद्रा है? तो मैं आपको बता दूं कि डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी दोनों ही डिजिटल मुद्रा होती हैं, लेकिन इसमें कुछ हल्का अंतर होता है। डिजिटल करेंसी देश की केंद्रीय बैंक की ओर से जारी होती है। यह एक मान्यता प्राप्त मुद्रा है। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी किसी भी देश के मान्यता प्राप्त नहीं है और इसको किसी देश के केंद्रीय बैंक द्वारा नहीं जारी किया है। डिजिटल करेंसी की कीमत में उतार-चढ़ाव नहीं होता है, जबकि क्रिप्टो में ऐसी स्थिति बनी रहती है। हालांकि डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी एक की टेक्नोलॉजी पर काम करती है, जो ब्‍लॉकचेन टेक्‍नोलॉजी पर आधारित होती है।

Digital Currency vs UPI: आ गया डिजिटल रुपया, कैसे होगा इस्तेमाल, कितना है यूपीआई से अलग, जानिए हर सवाल का जवाब.

डिजिटल करेंसी: क्या आप डिजिटल रुपया और क्रिप्टो करेंसी जानते हैं अंतर जानें

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डिजिटल मुद्रा: भारतीय रिजर्व बैंक ने 1 नवंबर, 2022 से प्रयोगात्मक स्तर पर डिजिटल रुपये की मुद्रा शुरू की है। पहले पायलट प्रोजेक्ट के तहत डिजिटल रुपये का व्यापक रूप से उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इस परियोजना में नौ बैंकों को शामिल किया है, जिनमें भारतीय स्टेट बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक, यस बैंक, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक और एचएसबीसी शामिल हैं। स्वाभाविक रूप से, डिजिटल रुपया और क्रिप्टो मुद्रा क्या है ? आपने यह सवाल जरूर पूछा होगा। तो चिंता न करें आज का हमारा लेख उसी के बारे में है और हम आपको डिजिटल रुपया और क्रिप्टो करेंसी के बीच का अंतर बताने जा रहे हैं। तो आइए जानते हैं और जानकारी।

डिजिटल मुद्रा दो प्रकार की होती है

वर्तमान में हमारे देश में दो प्रकार की डिजिटल मुद्राएं हैं। पहला है रिटेल सीबीडीसी और दूसरा है होलसेल सीबीडीसी। खुदरा सीबीडीसी सभी के लिए सुलभ होगा। जबकि थोक सीबीडीसी चयनित वित्त या वित्तीय संस्थानों के लिए होने जा रहा है। यह मुद्रा नकदी पर निर्भरता कम करेगी और विश्वसनीय लेनदेन को सक्षम करेगी। इस मुद्रा का उपयोग करना आसान होगा और इसे मोबाइल वॉलेट में रखा जा सकता है और जरूरत पड़ने पर बैंक से आसानी से नकद में बदला जा सकता है।

इससे सरकार सभी आधिकारिक नेटवर्क के माध्यम से देश से बाहर जाने और देश के बाहर से आने वाले धन की निगरानी कर सकेगी। इससे आपको नकली नोटों की समस्या के साथ-साथ कागज के नोटों को छापने के खर्चे से भी मुक्ति मिलेगी। डिजिटल करेंसी पेपर बिल की तरह खराब नहीं होती है। यह मुद्रा स्थायी है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह सुरक्षित है।<

Digital Currency vs UPI: 9 बैंक ले रहे डिजिटल रूपी में हिस्सा

Digital Currency vs UPI: RBI ने 7 अक्टूबर 2022 को कहा था कि वह जल्द ही इसके लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू करेगा। पायलट प्रोजेक्ट के दौरान डिजिटल रुपए का इस्तेमाल सीमित रखा गया है।

पायलट प्रोजेक्ट के नतीजों का विश्लेषण केंद्रीय बैंक दिया किया जाएगा। इसके बाद उसे व्यापक रूप से बाजार में लाया जाएगा। डिजिटल रुपये से बैंकों का ट्रांजेक्शन कॉस्ट कम होगा।

रिजर्व बैंक के अनुसार फिलहाल देश के 9 बड़े बैंक इस पायलेट प्रोजेक्ट में हिस्सा ले रहे हैं।

इस प्रोजेक्ट में भारतीय स्टेट बैंक (State Bank Of India), बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank of Baroda), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर Union Bank of India), एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank), आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank), कोटक महिंद्रा बैंक (Kotak Mahindra Bank), यस बैंक (Yes Bank), आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (IDFC First Bank) और एचएसबीसी बैंक (HSBC Bank) हिस्सा लेने के सेलेक्ट किया गया है।

Digital Currency vs UPI: कैसे किया जाएगा इसका इस्तेमाल

Digital Currency vs UPI: आरबीआई की ओर से कुछ दिन पहले शेयर की गई जानकारी के मुताबिक, CBDC (Central Bank Digital Currency) एक पेमेंट का माध्यम होगा, जो सभी नागरिक, बिजनेस, सरकार और अन्य के लिए एक लीगल टेंडर के तौर पर जारी किया जाएगा।

इसकी वैल्यू लीगल टेंडर नोट यानि कि मौजूदा करेंसी के बराबर ही होगी। देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत कम हो जाएगी, या रखने की जरूरत ही नहीं होगी।

सीधे शब्दों में समझें तो ये एक क्रिप्टोकरेंसी कॉइन की तरह होगा। आपके फोन में एक अलग ऐप होगा जिसके जरिए आपने कॉइन यानि कि डिजिटल रूपी को ट्रैक कर पाएंगे और इनका भुगतान कर पाएंगे। जैसे किसी अन्य क्रिप्टो करेंसी में यूपीआई (UPI) या अन्य माध्यमों से रूपयों को कॉइन में बदला जाता है उसी तरह यहां भी रूपयों को डिजिटल रूपी यानि कि डिजिटल कॉइन बदला जाएगा और इस लेखा जोखा आपके मोबाइल वालेट यानि कि उस ऐप पर दिखेगा।

Digital Currency vs UPI: यूपीआई (UPI) से कैसे अलग है डिजिटल करेंसी

Digital Currency vs UPI: आज हर व्यक्ति डिजिटल लेनदेन के नाम पर यूपीआई (UPI) या नेटबैंकिंग का इस्तेमाल करता है। जिसने देश को कैशलेश करने में बड़ी भूमिका निभाई है। अब ज्यादातर लोगों के मन में डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर सवाल है कि डिजिटल करेंसी यूपीआई (UPI) से किस तरह अलग है।

पीडब्ल्यूसी इंडिया के पार्टनर और पेमेंट्स ट्रांसफॉर्मेशन लीडर, मिहिर गांधी बताते हैं, 'डिजिटल रुपया अपने आप में अंडरलाइंग भुगतान मोड होगा जिसका उपयोग करेंसी/कैश के बदले डिजिटल भुगतान के लिए किया जा सकेगा। UPI और IMPS आदि जैसे भुगतान फंड ट्रांसफर करने के लिए अंतर्निहित मुद्रा/नकदी का उपयोग करते हैं। इस मामले में, यह उम्मीद की जाती है कि डिजिटल रुपया से भुगतान सहज लेनदेन सुनिश्चित करने के लिए हो सकता है। वर्तमान में, UPI भुगतान मौजूदा मुद्रा नोटों के डिजिटल समकक्ष का उपयोग करके किया जाता है। इसका मतलब है कि UPI के जरिए ट्रांसफर किया गया हर रुपया फिजिकल करेंसी से चलता है।

Digital Currency: भारत भी बना डिजिटल करेंसी वाला देश, आखिर होती है डिजिटल करेंसी और कैसे करें इस्तेमाल

Viren Singh

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Digital Currency (सोशल मीडिया)

Digital Currency: 21वीं डिजिटल क्रांति का दौर है। इस दौर में हर चीजें डिजिटलीकरण होती जा रही है। फिर रुपया को क्यों छोड़ा जाए। भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया यानी आरबीआई 01 नवंबर, 2022 मंगलवार को देशी पहली डिजिटल करेंसी को लॉन्च कर दिया है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत देश में सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) को लॉन्च किया है। अभी इस करेंसी का इस्तेमाल सरकारी सिक्योरिटी (प्रतिभूतियों) के लेन-देन के तौर पर शुरू किया जा रहा है, जोकि होलसेल ट्रांजेक्‍शन करने वाले के लिए है, जबकि आने वाले एक महीने में CBDC को रिटेल सेगमेंट के लिए भी जारी किया जाएगा। इसके आते ही लोगों के मन में इसको लेकर कई सवाल पैदा हो रहे हैं कि आखिर डिजिटल करेंसी क्या है? इसका उपयोग कैसे किया जाएगा? क्या है क्रिप्टोकरेंसी के तर्ज पर काम करेगी और कौन से देश डिजिटल करेंसी डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर को लागू कर चूके हैं। आईये जानते हैं इन सभी बातों को।

3. डिजिटल करेंसी और क्रिप्टोकरेंसी का नियमन

जैसाकि हम पहले कह चुके हैं, डिजिटल करेंसी फ्लैट मनी का ही इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म है, ऐसे में इसका नियमन भी वही संस्थाएं देखती हैं जो फ्लैट करेंसी का नियमन देखती हैं. फ्लैट करेंसी की एक निश्चित नियामक संस्था होती है, जो मौद्रिक नीतियां बनाती है और मॉनेटरी सिस्टम पर कंट्रोल रखती हैं. भारत में रुपया का नियम रिजर्व बैंक देखता है, वहीं डिजिटल करेंसी के ट्रांजैक्शन को संबंधित अथॉरिटी देखती है.

लेकिन वहीं, क्रिप्टोकरेंसी एक डिसेंट्रलाइज़्ड सिस्टम पर बना हुआ है, यानी इसका कोई एक नियामक बिंदु नहीं है, जहां से इसपर नियंत्रण रखा जाता है या फिर इसपर नियम कानून लागू किए जाते हैं. इसे कोई एक संस्था नियमित नहीं करती है. क्रिप्टो मार्केट में जितने भी ट्रांजैक्शन होते हैं, उन्हें हर कोई देख सकता है. इसके लिए एक पब्लिक लेज़र होता है, जो सबके लिए कहीं भी उपलब्ध रहता है.

4. दोनों की स्थिरता

डिजिटल करेंसी सामान्यतया स्थिर ही रहती है. करेंसी में हल्का-उतार चढ़ाव रहता है, जिससे बाजार में अचानक तूफान नहीं आता. ऊपर से विश्व भर में इसे मान्यता मिली हुई है तो इसके ट्रांजैक्शन में कोई दिक्कत नहीं आती है. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी बाजार बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव का शिकार होता है. यहां पर बहुत ज्यादा अनिश्चितता होती है. वैसे भी क्रिप्टो अभी बहुत नया है. नये बाजार में अनिश्चितता और उतार-चढ़ाव रहना बहुत ही सामान्य बात है.

डिजिटल करेंसी या फ्लैट करेंसी का सिस्टम बहुत ही प्राइवेट है. इसके ट्रांजैक्शन की जानकारी बस सेंडर, रिसीवर और बैंकिंग अथॉरिटी को रहती है. वहीं, क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में जो भी ट्रांजैक्शन हो रहा है, उसकी जानकारी सबको होती है. सभी ट्रॉन्जैक्शन पब्लिक लेज़र यानी बहीखाते में दर्ज होते हैं. इससे सिस्टम में पारदर्शिता बनी रहती है.

दो तरह की होगी CBDC

– Retail (CBDC-R): Retail CBDC संभवतः सभी को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध होगी
– Wholesale (CBDC-W) : इसे सिर्फ चुनिंदा फाइनेंशियल इंस्टीट्यूशंस के लिए डिजाइन किया गया है

पिछले दिनों RBI ने इस बारे में जानकारी देते हुए कहा था कि केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) का उद्देश्य मुद्रा के मौजूदा रूपों को बदलने के बजाय डिजिटल मुद्रा को उनका पूरक बनाना और उपयोगकर्ताओं को भुगतान के लिए एक अतिरिक्त विकल्प देना है। इसका मकसद किसी भी तरह से मौजूदा भुगतान प्रणालियों को बदलना नहीं है.। यानी आपके लेन-देन पर इसका कोई असर नहीं होने वाला है।

RBI को सीबीडीसी की शुरूआत से कई तरह के लाभ मिलने की उम्मीद है, जैसे कि नकदी पर निर्भरता कम होना, मुद्रा प्रबंधन की कम लागत और निपटान जोखिम में कमी। यह आम जनता और व्यवसायों को सुरक्षा और तरलता के साथ केंद्रीय बैंक के पैसे का एक सुविधाजनक, इलेक्ट्रॉनिक रूप प्रदान कर सकता है और उद्यमियों को नए उत्पाद और सेवाएं बनाने के लिए एक मंच प्रदान कर सकता है।

डिजिटल करेंसी के फायदे

देश में आरबीआई की डिजिटल करेंसी (E-Rupee) आने के बाद आपको अपने पास कैश रखने की जरूरत नहीं होगी। डिजिटल करेंसी आने से सरकार के साथ आम लोगों और बिजनेस के लिए लेनदेन की लागत कम हो जाएगी। ये फायदे भी होंगे

बिजनेस में पैसों के लेनदेन का काम हो जाएगा आसान।

CBDC द्वारा मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के ट्रांजैक्शन होगा

चेक, बैंक अकाउंट से ट्रांजैक्शन का झंझट नहीं रहेगा।
नकली करेंसी की समस्या से छुटकारा मिलेगा।

पेपर नोट की प्रिंटिंग का खर्च बचेगा
एक डिजिटल मुद्रा की जीवन रेखा भौतिक नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी

CBDC मुद्रा को फिजिकल तौर पर नष्ट करना, जलाया या फाड़ा नहीं जा सकता है

अन्य क्रिप्टोकरेंसी की तुलना में डिजिटल रुपये का एक अन्य प्रमुख लाभ यह है कि इसे एक इकाई द्वारा विनियमित किया जाएगा, जिससे बिटकॉइन जैसी अन्य आभासी मुद्राओं से जुड़े अस्थिरता जोखिम को कम किया जा सकेगा।

क्रिप्टोकरेंसी और डिजिटल रुपी में अंतर

क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह से प्राइवेट है। इसे कोई मॉनिटर नहीं करता और इस पर किसी सरकार या सेंट्रल बैंक का कंट्रोल नहीं होता। ऐसी करेंसी गैरकानूनी होती हैं। लेकिन, RBI की डिजिटल करेंसी पूरी तरह से रेगुलेटेड है, जिसके सरकार की मंजूरी होगी। डिजिटल रुपी में क्वांटिटी की भी कोई सीमा नहीं होगी। फिजिकल नोट वाले सारे फीचर डिजिटल रुपी में भी होंगे। लोगों को डिजिटल रुपी को फिजिकल में बदलने की सुविधा होगी। क्रिप्टोकरेंसी का भाव घटता-बढ़ता रहता है, लेकिन डिजिटल रुपी में ऐसा कुछ नहीं होगा।

भारत में मुद्रा डिजिटल करेंसी और क्रिप्टो करेंसी में अंतर का डिजिटलीकरण मौद्रिक इतिहास में अगला मील का पत्थर है। ट्रांजेक्शन कॉस्ट घटने के अलावा CBDC की सबसे खास बात है कि RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग, फ्रॉड की आशंका नहीं होगी। इस डिजिटल करेंसी से सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले ट्रांजेक्शंस तक पहुंच हो जाएगी। सरकार का बेहतर नियंत्रण होगा कि पैसा कैसे देश में प्रवेश करता है और प्रवेश करता है, जो उन्हें भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाओं के लिए जगह बनाने और कुल मिलाकर अधिक सुरक्षित वातावरण बनाने की अनुमति देगा।

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