निवेश के अवसर

1.6 लाख करोड़ डॉलर निवेश के अवसर
विश्व बैंक ने आज जारी एक नई रिपोर्ट में कहा है कि कूलिंग में वैकल्पिक एवं नवोन्मेषी ऊर्जा कुशल तकनीकों का उपयोग करने से भारत में 2040 तक 1.6 लाख करोड़ डॉलर निवेश का अवसर खुल सकता है। ‘क्लाइमेट इन्वेस्टमेंट अपॉर्च्यूनिटीज इन इंडियाज कूलिंग सेक्टर’ नाम से आई इस रिपोर्ट में यह भी पाया गया है कि सक्षम तकनीक की ओर जाने से ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन घटेगा और करीब 37 लाख नौकरियों का सृजन होगा।
विश्व बैंक के भारत में कंट्री डायरेक्टर अगस्ते तानो कौआमे ने कहा कि रिपोर्ट में कूलिंग के लिए सतत खाके का सुझाव दिया गया है, जिसमें 2040 तक हर साल 30 करोड़ टन कार्बनडाई ऑक्साइट घटाने की क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘भारत की कूलिंग रणनीति से जीवन और जीविका बचाने में मदद मिल सकती है।
इससे कार्बन का उत्सर्जन घटेगा और इसके साथ ही ग्रीन कूलिंग मैन्युफैक्चरिंग के वैश्विक केंद्र बनने को लेकर भारत की स्थिति मजबूत होगी।’रिपोर्ट में इंडिया कूलिंग ऐक्शन प्लान (आईसीएपी) के तीन प्रमुख क्षेत्रों बिल्डिंग और कंस्ट्रक्शन, कोल्ड चेन और रेफ्रिजरेंट में नए निवेश को समर्थन देने का खाका भी पेश किया गया है।
Jammu Kashmir : सालभर बाद जमीन पर नजर आएंगे करोड़ों रुपयों के निवेश प्रस्ताव, ढाई लाख रोजगार के अवसर मिलेंगे
अधिकारियों का कहना है कि दो वर्ष तक कोविड रहा। अभी सितंबर 2021 के बाद से ही स्थिति समान्य होना शुरू हुई है। एक वर्ष के बाद परिणाम दिखने लगेंगे। कुछ महीनों में ही 500 उद्योग स्थापित होंगे। हमारा लक्ष्य 75 हजार करोड़ रुपयों के लक्ष्य को हासिल करना है।
जम्मू, राज्य ब्यूराे : व्यापार और उद्योग स्थापित करने के लिए तीन वर्ष पूर्व निवेश के लिए हुए प्रयासों का फल अगले वर्ष दिखने लगेगा। हालांकि सरकार अभी भी 75 हजार करोड़ रुपयों के निवेश का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रयास कर रही है।
केंद्र शासित प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार अभी तक 56,867 करोड़ रुपयों के निवेश के प्रस्ताव आए हैं। यह प्रस्ताव लागू होने के बाद कम से कम 2.62 लाख युवाओं को रोजगार के अवसर भी मिलेंगे। जम्मू-कश्मीर से पांच अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370को हटाया गया था। अधिकारियों के अनुसार जम्मू-कश्मीर ने भी विदेशी निवेशकों से काफी दिलचस्पी दिखाई है और इसे लगभग 3000 करोड़ रुपये आंका जा सकता है।
उन्होंने कहा कि जम्मू और कश्मीर निवेश के अवसर एक अच्छा पैकेज देता है। यह संसाधनों और रसद के मामले में प्राकृतिक लाभ प्रदान करता है और अन्य राज्यों या केंद्र शासित प्रदेशों से मेल नहीं खा सकता है। ऐसा कहा जा रहा है कि अगस्त 2019 के बाद यहां किया गया व्यावसायिक निवेश दिखाई नहीं दे रहा है लेकिन तथ्य यह है कि उद्योगों को जमीन पर चालू होने में आमतौर पर लगभग तीन साल लगते हैं।
अधिकारियों का कहना है कि दो वर्ष तक कोविड रहा। अभी सितंबर 2021 के बाद से निवेश के अवसर ही स्थिति समान्य होना शुरू हुई है। एक वर्ष के बाद परिणाम दिखने लगेंगे। कुछ महीनों में ही 500 उद्योग स्थापित होंगे। हमारा लक्ष्य 75 हजार करोड़ रुपयों के लक्ष्य को हासिल करना है। इसके लिए हम काम कर रहे हैं। सरकार अभी तक 1600 निवेशकों को जमीन अलाट कर चुकी है। इनमें से 800 ने जरूरी फंड जमा करवा दिया है। 110 ने तो काम भी शुरू कर दिया है।
प्रदेश के बारे में धारणा बदलने की भी चुनौती :
अधिकारियों के अनुसार अभी प्रशासन को दो प्रकार की चुनाैतियों का सामना करना पड़ रहा है। एक यहां के बारे में जो धारणा बनाई गई है, उसे बदलना है और दूसरा विकास कायों को गति देना है। हाल ही में कुछ सिविलियन की हत्या के बाद यह कहा जाने लगा कि जम्मू-कश्मीर 1990 के दशक की ओर जा रहा है, जब आतंकवाद चरम पर था। लेकिन यह कोई नहीं देख रहा है कि पत्थरबाजी की घटनाओं और कानून व्यवस्था की स्थिति खराब होने पर होने वाली मौतें अब बंद हो गई हैं।
हम जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं और अभी यह न्यूनतम स्तर पर आ गया है। वर्ष 2019 से पहले जम्मू-कश्मीर में एक तिहाई समय तो बंद और प्रदर्शनों में ही चला जाता था। लेकिन गत दो वर्ष में ऐसा एक दिन भी नहीं हुआ। अब जम्मू-कश्मीर में कई पावर प्रोजेक्ट, सड़के, हाइवे आैरे रलवे के प्रोजेक्ट मिले हैं। उन्होंने कहा कि रििकार्ड संख्या में आ रहे पर्यटक और निवेश के प्रस्तावों से जम्मू-कश्मीर के लोग भी उत्साहित हैं।
सरकारी अधिकारियों ने कहा कि पैकेजिंग, कोल्ड स्टोरेज, रसद, खाद्य प्रसंस्करण, फार्मास्यूटिकल्स, चिकित्सा पर्यटन और शिक्षा कंपनियां इस क्षेत्र में संभावित व्यावसायिक अवसरों में निवेश कर रही हैं और रुचि दिखा रही हैं। अधिकारी ने कहा कि अपने आलीशान मॉल के लिए जानी जाने वाली एक बड़ी कंपनी ने फिल्म उद्योग के अलावा भी रुचि दिखाई है।उन्होंने कहा कि न केवल निवेशक बल्कि यहां के आम लोग भी अब एक पारदर्शी प्रणाली की उम्मीद कर सकते हैं जो पहले की अपारदर्शी प्रक्रियाओं से हटकर है।
अब सरकारी नौकरियां योग्यता के आधार पर
अधिकारी ने दावा किया कि जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने पिछले दो वर्षों में सबसे पारदर्शी तरीके से सरकारी नौकरियां दी हैं।उन्होंने दावा किया कि पहले इन सरकारी नौकरियों में से 70 प्रतिशत पिछले दरवाजे या अवैध रूप से दी जाती थीं लेकिन अब यह केवल योग्यता के आधार पर है। उन्होंने कहा हमें उम्मीद है कि यहां आने वाले नए उद्योग लगभग 2.5 लाख नौकरियां देंगे जबकि कृषि क्षेत्र जिस पर हम बड़े पैमाने पर काम कर रहे हैं, वह भी इतनी ही संख्या में नई नौकरियां पैदा करेगा।
उन्होंने कहा कि इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि सरकारी नौकरियां सीमित होंगी। अधिकारी ने पंचायती राज व्यवस्था में भ्रष्टाचार के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ई-टेंडरिंग अगस्त 2019 के बाद शुरू होने के बाद से काम की लागत में 30-40 फीसदी की कमी आई है। उन्होंने कहा कि हम प्रशासन में यह आश्वासन दे सकते हैं कि सिविल और सार्वजनिक कार्यों के लिए ठेके देने की बात आने पर केवल ई.टेंडरिंग की जाएगी और काम के नामांकन आधारित पुरस्कार की पुरानी प्रणाली नहीं की जाएगी।उन्होंने दावा किया पिछले दो वर्षों में और पहले की तुलना में 12 प्रतिशत अधिक काम पूरा किया है।
माननीय सीएम योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में UPSIDA के अंतर्गत प्रदेश में बढ़ेंगे निवेश और रोजगार के अवसर
उत्तर प्रदेश औद्योगिक क्षेत्र में अग्रणी रहा है और लगातार प्रयासों से इसने यह मुकाम हासिल किया है। UPSIDA ने सही कदम उठाए हैं जिस कारण दूसरे राज्यों से न केवल उत्तर प्रदेश में उद्योग आ रहे हैं
उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण के अंतर्गत लगातार आवंटन, निवेश एवं रोजगार सृजन में वृद्धि हुई है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2017- 2018 में आवंटित भूखंडों की संख्या 191, पूंजीनिवेश 1913, रोजगार सृजन-11,577 व आवंटित भूमि 114 एकड़ में थी। वहीं यह आंकड़ा वर्ष 2018-2019 में आवंटित भूखंडों की संख्या 183, पूंजीनिवेश 2,587, रोजगार सृजन की संख्या 22,907, आवंटित भूमि 204 एकड़ था। साल 2019-2020 आवंटित भूखंडों की संख्या 220, पूंजीनिवेश 2719, रोजगार सृजन- 21,627, आवंटित भूमि- 167 एकड़ रही। साल 2020-2021 में आवंटित भूखंडों की संख्या 441, पूंजीनिवेश -4,115, रोजगार सृजन- 45,218, तथा आवंटित भूमि 299 एकड़ रही। साल 2021-2022 में आवंटित भूखंडों की संख्या 126, पूंजीनिवेश 6 हजार 908, रोजगार सृजन- 19, 069, आवंटित भूमि - 194 एकड़ रहा। यह आंकड़े यह बताते हैं कि पिछले पांच वर्षों में आवंटित भूखंडों की संख्या में 242 प्रतिशत, पूंजीनिवेश में 377 प्रतिशत, रोजगार सृजन में 452 प्रतिशत तथा आवंटित भूमि में 399 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
7 देशों से प्रदेश में 3200 करोड़ से अधिक निवेश एवं 8650 से अधिक रोजगार सृजन
विगत दो वर्षों में 7 देशों से UPSIDA को एफडीआई निवेश प्राप्त हुआ है। यूके से 1237 करोड़, इटली से 250 करोड़, यूएसए से 1237 करोड़, कनाडा से 124 करोड़, जर्मनी से 60 करोड़, फ्रांस से 307 करोड़, साइप्रस से 10 करोड़ की एफडीआई राशि प्राप्त हुई है।
UPSIDA के माध्यम से अन्य राज्यों से प्रदेश में 3700 करोड़ से अधिक निवेश एवं 7000 से अधिक रोजगार सृजन
विगत दो वर्षों में 8 राज्यों से प्रतिष्ठित इकाइयों द्वारा प्रथम बार प्रदेश में निवेश किया गया। दिल्ली से 516 करोड़, हरियाणा से 200 करोड़, महाराष्ट्रा से 98 करोड़, पश्चिम बंगाल से 2300 करोड़, कर्नाटका से 571 करोड़, तेलांगाना से 35 करोड़ का निवेश एवं 7000 से अधिक रोजगार सृजित करने की ओर प्राधिकरण अग्रसित है।
पूर्वांचल, बुंदेलखंड एवं अन्य पिछड़े क्षेत्रों में गत दो वर्षों में मेगा प्रोजेक्ट्स द्वारा किया गया ऐतिहासिक निवेश
UPSIDA के अंतर्गत पूर्वांचल, बुंदेलखंड एवं अन्य पिछड़े क्षेत्रों में गत दो वर्षों में मेगा प्रोजेक्ट्स द्वारा ऐतिहासिक निवेश किए गए हैं। संबल में 516 करोड़, मथुरा में 1994 करोड़, हरदोई में 200 करोड़, हमीरपुर में 250 करोड़, चित्रकूट में 468 करोड़, पीलीभीत में 1100 करोड़, रायबरेली में 150 करोड़, अमेठी में 1060 करोड़, देवरिया में 185 करोड़, वाराणासी में 475 करोड़ का ऐतिहासिक निवेश किया गया है।
निवेशकों को आकर्षित करने के लिए यूपी सरकार ने नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति को दी मंजूरी
उत्तर प्रदेश में निवेशकों को आकर्षित करने के लिए यूपी सरकार ने नई औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति को मंजूरी दे दी है। नई नीति में निवेशकों को राज्य में निवेश करने पर कई तरह की सब्सिडी देने की बात कही गई है। अगले साल फरवरी में आयोजित होने जा रही ‘यूपी निवेश के अवसर ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट’ से पहले लागू की गई इस नीति का मकसद देश-विदेश से निवेश आकर्षित करने के साथ-साथ प्रदेश में बड़े पैमाने पर रोजगार पैदा करने वाला एक प्रगतिशील और प्रतिस्पर्धी औद्योगिक इकोसिस्टम बनाना भी है।
राज्य में निवेश करने वाले निवेशक सब्सिडी के लिए 3 विकल्पों में से कोई एक विकल्प चुन सकेंगे
प्रदेश के औद्योगिक विकास मंत्री नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने बताया कि राज्य में निवेश करने वाले निवेशक सब्सिडी के लिए 3 विकल्पों में से कोई एक विकल्प चुन सकेंगे। राज्य में होने वाले निवेश को भी 4 श्रेणियों में बांटा गया है। वृहद 50 करोड़ रुपये से ज्यादा लेकिन 200 करोड़ रुपये से कम होने वाले निवेश को वृहद निवेश, 200 करोड़ या उससे ज्यादा लेकिन 500 करोड़ से कम के निवेश को मेगा, 500 करोड़ या उससे ज्यादा मगर 3,000 करोड़ से कम के निवेश को सुपर मेगा और 3,000 करोड़ या उससे अधिक के निवेश को अल्ट्रा मेगा निवेश श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।
सब्सिडी के तीन विकल्प
उपरोक्त चारों श्रेणियों में निवेश करने वाले इनवेस्टर्स को निवेश प्रोत्साहन सब्सिडी प्राप्त करने के तीन विकल्प दिए जाएंगे। निवेशक पूंजीगत सब्सिडी, शुद्ध एसजीएसटी प्रतिपूर्ति तथा उत्पादन आधारित प्रोत्साहन ‘टॉपअप’ सब्सिडी में से किसी एक का लाभ ले सकेगा। नंद गोपाल ‘नंदी’ ने कहा कि नीति का उद्देश्य दुनिया भर से निवेश जुटाते हुए राज्य में रोजगार पैदा करने वाला एक प्रगतिशील, अभिनव और प्रतिस्पर्धी औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है।
निजी औद्योगिक पार्क बनाने पर मिलेगी सहायता
राज्य में उपलब्ध भूमि बैंक में बढ़ोतरी करने के लिए निजी औद्योगिक पार्कों के विकास के लिए प्रोत्साहन देने के प्रावधान किए गए हैं। निवेश के क्षेत्र के आधार पर 45 करोड़ रुपये की सीमा के तहत बुंदेलखंड और पूर्वांचल में 20 एकड़ या उससे अधिक के निजी औद्योगिक पार्क को तथा मध्यांचल और पश्चिमांचल में 30 एकड़ या उससे ज्यादा के औद्योगिक पार्क बनाने वालों को 25 प्रतिशत पूंजीगत सब्सिडी दी जाएगी। 100 एकड़ से अधिक के पार्कों के लिए अधिकतम सब्सिडी की सीमा को बढ़ाकर 50 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
निवेशकों को जल्द मिलेगी जमीन
नई औद्योगिक नीति में सुपर मेगा और उससे अधिक की निवेश परियोजनाओं और राज्य या केंद्र की सार्वजनिक क्षेत्र की औद्योगिक परियोजनाओं के लिए तेजी से जमीन आवंटन करने की भी व्यवस्था की गई है। अब औद्योगिक विकास प्राधिकरण या विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में निवेशकों को सीधे भूमि आवंटित की जा सकेगी। नीति में औद्योगिक इस्तेमाल के लिए गैर कृषि, बंजर और अनुपयोगी जमीन की पूलिंग को बढ़ावा देकर भूमि बैंक बनाने को भी बढ़ावा देने की बात कही गई है।
(अस्वीकरण : इस लेख में किए गए दावों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति / संस्थान की है।)
कोविड के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था में निवेश को आकर्षित करना: चुनौतियां और अवसर
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र , अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।