पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है?

अगले आर्टिकल में हा बात करेंगे – पोर्टफोलियो कैसे बनाये और पोर्टफोलियो कैसे diversify करे…. तब तक के लिए KEEP LEARNING,KEEP EARNING.
पोर्टफोलियो प्रबंधन
पोर्टफोलियो प्रबंधन को निवेश के पूर्ण स्पेक्ट्रम में ताकत और कमजोरियों, अवसरों और खतरों को तौलना चाहिए। विकल्प में व्यापार बनाम ऋण से लेकर इक्विटी बनाम घरेलू बनाम अंतर्राष्ट्रीय और विकास बनाम सुरक्षा शामिल हैं।
पेशेवर लाइसेंस प्राप्त पोर्टफोलियो प्रबंधक ग्राहकों की ओर से काम करते हैं, जबकि व्यक्ति अपने स्वयं के पोर्टफोलियो का निर्माण और प्रबंधन करना चुन सकते हैं। या तो मामले में, पोर्टफोलियो प्रबंधक का अंतिम लक्ष्य जोखिम जोखिम के उचित स्तर के भीतर निवेश की अपेक्षित वापसी को अधिकतम करना है।
पोर्टफोलियो प्रबंधन प्रकृति में निष्क्रिय या सक्रिय हो सकता है।
- निष्क्रिय प्रबंधन एक सेट-इट-एंड-भूलने-यह दीर्घकालिक रणनीति है। इसमें एक या अधिक एक्सचेंज-ट्रेडेड (ईटीएफ) इंडेक्स फंड में निवेश करना शामिल हो सकता है। इसे आमतौर पर इंडेक्सिंग या इंडेक्स इन्वेस्टमेंट के रूप में जाना जाता है। जो लोग अनुक्रमित पोर्टफोलियो का निर्माण करते हैं, वे मिश्रण को अनुकूलित करने में मदद करने के लिए आधुनिक पोर्टफोलियो सिद्धांत (एमपीटी) का उपयोग कर सकते हैं ।
- सक्रिय प्रबंधन में व्यक्तिगत स्टॉक और अन्य परिसंपत्तियों को सक्रिय रूप से खरीदने और बेचने के द्वारा एक सूचकांक के प्रदर्शन को हरा देने का प्रयास शामिल है। बंद-अंत फंड आमतौर पर सक्रिय रूप से प्रबंधित होते हैं। सक्रिय प्रबंधक संभावित निवेशों के अपने मूल्यांकन में सहायता के लिए मात्रात्मक या गुणात्मक मॉडल की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग कर सकते हैं।
पोर्टफोलियो प्रबंधन के प्रमुख तत्व
परिसंपत्ति आवंटन
प्रभावी पोर्टफोलियो प्रबंधन की कुंजी संपत्ति का दीर्घकालिक मिश्रण है। आम तौर पर, इसका मतलब है कि स्टॉक, बॉन्ड और “कैश” जैसे जमा के प्रमाण पत्र। दूसरों को, अक्सर वैकल्पिक निवेश के रूप में संदर्भित किया जाता है, जैसे कि रियल एस्टेट, कमोडिटीज, और डेरिवेटिव।
एसेट आवंटन इस समझ पर आधारित है कि विभिन्न प्रकार की संपत्ति कॉन्सर्ट में नहीं चलती हैं, और कुछ दूसरों की तुलना में अधिक अस्थिर हैं। परिसंपत्तियों का मिश्रण संतुलन प्रदान करता है और जोखिम से बचाता है।
रिबैलेंसिंग लाभ को पकड़ लेती है और पोर्टफोलियो को अपने मूल जोखिम / रिटर्न प्रोफाइल के अनुरूप रखते हुए नए अवसर खोलती है।
अधिक आक्रामक प्रोफ़ाइल वाले निवेशक अपने पोर्टफोलियो को अधिक अस्थिर निवेश जैसे कि विकास शेयरों की ओर बढ़ाते हैं। एक रूढ़िवादी प्रोफ़ाइल वाले निवेशक अपने पोर्टफोलियो को बॉन्ड और ब्लू-चिप स्टॉक जैसे स्टबलर निवेश की ओर बढ़ाते हैं।
5 मिनट में जानें क्या है पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज
2. पोर्टफोलियो का कस्टमाइजेशन किसी एक स्टॉक में निवेश करने, किसी सेक्टर/स्टॉक में निवेश से बचने आदि के किसी भी स्तर तक जा सकता है. इसमें निवेशक के धर्म या रूचि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? के हिसाब से नकारात्मक सेक्टर/शेयर में निवेश नहीं किया जाता.
3. निवेशक को इस सेवा के लिए एक बैंक अकाउंट खुलवाने के साथ ही डीमैट अकाउंट भी खुलवाना पड़ता है. साथ ही फंड को मैनेज करने के लिए एक पावर ऑफ एटॉर्नी PMS के नाम देनी पड़ती है, जिससे वह फंड का प्रबंधन बेहतर तरीके से कर सके.
4.अपने विवेक से फैसले लेने वाले पोर्टफोलियो में मैनेजर हर क्लाइंट की जरूरत के हिसाब से निवेश करने पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? और उसे भुनाने जैसे काम करता है. अगर सेवा क्लाइंट के हिसाब से संचालित हो पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? रही है तो उसमें क्लाइंट के निर्देश का पालन कर फंड मैनेजर फंड की खरीद-बिक्री करते हैं.
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या होता है? Portfolio Management in Hindi?
निवेश का ज्यादा से ज्यादा फायदा तभी मिल सकता है, जबकि उसके लिए स्मार्ट तरीके से पोर्टफोलियो प्रबंधन किया जाए। ये काम पूरी समझ-बूझ के साथ, बेहतर तरीके से निपटाने का जिम्मा पोर्टफोलियो मैनेजर का होता है। इस लेख में हम जानेंगे कि पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या होता है? What is Portfolio Management in Hindi? कितने प्रकार का होता है? किसी बिजनेस या निवेश की योजना में पोर्टफोलियो मैनेजर क्यों महत्वपूर्ण होता है?
कारोबार की भाषा में पोर्टफोलियो मैनेजमेंट, का मतलब ऐसे प्रोग्रामों और प्रोजेक्टों की सूची तैयार करने से है, जिससे उस संस्थान को ज्यादा से ज्यादा फायदे (returns की संभावना बने और कम से कम नुकसान की गुंजाइश (risks) बचे। ऐसे प्रोग्रामों और प्रोजेक्टों का चयन करना, प्राथमिकताएं तय करना और उनका नियंत्रण वगैरह भी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का हिस्सा होते हैं। जिस व्यक्ति या संस्था को या जिम्मेदारी सौंपी जाती है, उसे पोर्टफोलियो मैनेजर कहते हैं।
पोर्टफोलियो मैनेजर क्या होता है?
Who is a Portfolio Manager?
पोर्टफोलियो मैनेजर वह व्यक्ति होता है जोकि किसी निवेशक (व्यक्ति/संस्थान) की वित्तीय आवश्यकताओं को समझते हुए, और उसकी क्षमताओं को ध्यान में रखते हुए, ज्यादा से ज्यादा लाभ कमाने वाली निवेश रणनीति तैयार करने की जिम्मेदारी निभाता है। पोर्टफोलियो मैनेजर के पास ही अपने क्लाइंट की ओर से निवेश रणनीति तैयार करने और उस पर पैसा लगाने की जिम्मेदारी होती है। पोर्टफोलियो मैनेजर अपने क्लाइंट को सलाह देता है, संबंधित चीजों को समझाता है ताकि सर्वश्रेष्ठ निवेश योजना पर अमल किया जा सके और अधिकतम लाभ प्राप्त किया जा सके।
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट मुख्य रूप से चार प्रकार के होते हैं-
- सक्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन | Active portfolio management
- निष्क्रिय पोर्टफोलियो प्रबंधन | Passive portfolio management
- विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन | Discretionary portfolio management
- गैर-विवेकाधीन पोर्टफोलियो प्रबंधन Non-discretionary portfolio management
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विस
पीएमएस कितनी तरह की होती है?
डिस्क्रिशनरी पीएमएस में शेयर सिलेक्ट करने, उसे खरीदने और बेचने का काम पोर्टफोलियो मैनेजर करता है। इन्वेस्टर की तरफ से सारे ट्रेड वही करता है, लेकिन नॉन-डिस्क्रिशनरी पीएमएस में इन्वेस्टर पोर्टफोलियो मैनेजर की सलाह से ट्रेडिंग के फैसले कर सकता है लेकिन ट्रेड पोर्टफोलियो मैनेजर ही करता है। अडवाइजरी पीएमएस में मैनेजर इन्वेस्टर को सिर्फ आइडिया देता है और ट्रेड इन्वेस्टर करता है।
पीएमएस की फीस
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज का फीस स्ट्रक्चर फिक्स्ड, प्रॉफिट शेयरिंग या हाइब्रिड होता है। फिक्स्ड फीस स्ट्रक्चर में मैनेजर हर क्वॉर्टर के लिए तय फीस लेता है या उसकी फीस फंड के साइज पर डिपेंड करती है। इसमें इन्वेस्टर को हर हाल में फीस देनी होती है, भले ही पोर्टफोलियो का रिटर्न कुछ भी हो। प्रॉफिट शेयरिंग मॉडल में इन्वेस्टर फीस के रूप में प्रॉफिट से कुछ फीसदी रकम अदा करता है। यह आमतौर पर लगभग 20-25 फीसदी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? तक होती है। हाइब्रिड मॉडल में दोनों के फीचर्स होते हैं, लेकिन इसमें चार्जेज कम होते पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? हैं।
PORTFOLIO MANAGEMENT
आज का हमारा टॉपिक है – PORTFOLIO MANAGEMENT, और इस आर्टिकल में हम जानेगे – पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या होता है, PORTFOLIO MANAGEMENT का मकसद क्या होता है, और साथ ही जानेंगे की एक निवेशक के लिए पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कितना जरुरी होता है,
सबसे पहले बात करते है,
PORTFOLIO MANAGEMENT क्या होता है?
Portfolio Management को समझने से पहले हमें इन दोनों शब्दों के अर्थ पर एक बार अलग अलग ध्यान देते है,
निवेश के सम्बन्ध में पोर्टफोलियो का अर्थ, निवेश की विविधता (Different types of इन्वेस्टमेंट) और निवेश का कुल योग (Total investment) होता है,
अलग अलग फाइनेंसियल asset class में निवेश के कुल योग को मिलाकर एक पोर्टफोलियो बन जाता है,
जैसे – किशोर अपने निवेश को अलग अलग पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? asset class , जहा fixed deposit में 30 %, Mutual fund में 30 % और stock market में 40 % निवेश करता है,
इस तरह अलग अलग asset class में निवेश किये गए कुल योग को हम किशोर का Investment Porftolio कह सकते है,
ये भी कहा जा सकता है कि –
निवेश पोर्टफोलियो का अर्थ, एक Planned technique है, जिसका इस्तेमाल करके निवेशक अपने निवेश को अलग अलग Asset class में निवेश करता है, और अपने निवेश में होने वाले Risk को control करके निवेश से मनचाहा लाभ उठाना चाहता है,
मैनेजमेंट क्या होता है?
बिल्कुल आसान शब्दों में कहा जाये तो ,
मैनेजमेंट का अर्थ, किसी निश्चित लक्ष्य को पूरा करने के लिए उपलब्ध साधनों का इस तरीके से इस्तेमाल करना है, जिस से कि पहले से निश्चित लक्ष्य को पूरा किया जा सके,
आइये अब देखते है –
PORTFOLIO MANAGEMENT क्या होता है?
पोफोलियो मैनेजमेंट वह तकनीक है, जो एक निवेशक को, उसके द्वारा पहले से निश्चित उद्देश्यों के लिए, निवेश के अलग अलग उपलब्ध विकल्पों में से, कुछ बेहतर तरीके से निवेश करने में मदद करता है,
जिस से की निवेशक को मनचाहा लाभ (Rate of Return) भी प्राप्त हो, और वो निवेश को जोखिमो को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? कण्ट्रोल (RISK CONTROL) किया जा सके,
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का मकसद/उद्देश्य,
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट करने के पीछे प्रमुख उद्देश्य या मकसद की बात की जाये तो वो कुछ इस प्रकार है-
- निवेश की पूंजी सुरक्षा – पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का मुख्य मकसद निवेश की गई पूंजी की सुरक्षा होती है, ताकि पूंजी सुरक्षित रहे,
- निवेश से लाभ की निरंतरता-पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का दूसरा मुख्य मकसद ये है, निवेश से निरंतर (Consistent) लाभ मिलता रहे,
- तरलता(Liquidity) – पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का तीसरा और प्रमुख मकसद ये भी है कि, हम अपने निवेश पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? को कम से कम समय में cash में बदल सके, यानी जब भी अपने निवेश को पोर्टफोलियो मैनेजमेंट क्या है? बेचना चाहे, तो उसको खरीदने वाले ग्राहक तुरंत मिल सके, और अपने निवेश को cash में बदल सके,,
- Power of compounding का लाभ – पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का चौथा और प्रमुख मकसद ये भी है कि, हम अपने निवेश को पॉवर of compounding का इस्तेमाल करके, अपने धन को बहुत अधिक बढ़ा सके, और लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट का बेहतर लाभ ले सके,
- निवेश की विविधता का लाभ (diversify)– निवेश के सभी क्षेत्र हमेशा लाभकारी नहीं होते है, आज जो लाभ में है, कल नुकसान में जा सकता है, और आज निवेश का जो क्षेत्र नुकसान में है, वो भी कभी भी लाभकारी हो सकता है,