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विदेशी मुद्रा व्यापार

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श्रीलंका से स्थानीय मुद्रा व्यापार का विकल्प नहीं

भारत मौजूदा परिस्थितियों में श्रीलंका के साथ स्थानीय मुद्रा व्यापार को व्यावहारिक मान कर नहीं चल रहा है। इसकी वजह यह है कि भारत मानवीय आधार पर श्रीलंका को जिन आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति कर रहा है उनको छोड़कर फिलहाल वहां भारतीय सामानों की कोई मांग नहीं है।

इस चर्चा से अवगत एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'फिलहाल यह व्यावहारिक नहीं है। श्रीलंका के पास भारत को निर्यात करने के लिए बहुत कुछ नहीं है। हम श्रीलंका को मदद करने पर ध्यान देना जारी रखेंगे।'

फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट आर्गनाइजेशंस (फियो) के अध्यक्ष अजय सहाय ने कहा कि स्थानीय मुद्रा व्यापार के लिए एक प्रस्ताव पर सरकार की तरफ से चर्चा की गई थी।

उन्होंने कहा, 'हमने स्थानीय मुद्रा में व्यापार का प्रस्ताव दिया था। हमने कहा कि चूंकि व्यापार का संतुलन भारत के पक्ष में है लिहाजा हमारे पास ऐसी स्थिति होगी जिसमें पैसा हमारे खाते में होगा। चूंकि काफी कंपनियां भी श्रीलंका में मौजूद निवेश के अवसर पर विचार कर रहीं हैं ऐसे में उस पैसे का इस्तेमाल उनकी ओर से वहां पर निवेश के लिए किया जा सकता है। हालांकि, हम समझते हैं कि यह संकट की स्थिति जिसका हम सामना कर रहे हैं और हमारा ध्यान मानवीय मुद्दों पर होना चाहिए। कारोबार बाद में भी हो सकता है।'

श्रीलंका 1948 में आजाद होने के बाद अब तक के अपने सबसे खराब आर्थिक संकट से गुजर रहा है। श्रीलंका को सबसे अधिक विदेशी मुद्रा की आमदनी विदेश से भेजे जाने वाले पैसे और वस्त्र निर्यात के बाद पर्यटन से होती है। कोविड की वजह विदेशी मुद्रा व्यापार से पर्यटन को बुरी तरह से धक्का लगा है।

अमेरिका-चीन व्यापार तनाव का भारतीय मुद्रा पर असर, रुपया 23 पैसे टूटा

चीन के बीच व्यापार क्षेत्र में तनाव के बीच विदेशी कोषों के धन निकासी का सिलसिला जारी रहने से विदेशी विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डालर के मुकाबले लगातार चौथे दिन गिरावट में रहा.

अन्तरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 69.70 कमजोर खुला (फोटो- पीटीआई).

चीन के बीच व्यापार क्षेत्र में तनाव के बीच विदेशी कोषों के धन निकासी का सिलसिला जारी रहने से विदेशी विनिमय बाजार में रुपया अमेरिकी डालर के मुकाबले लगातार चौथे दिन गिरावट में रहा. बृहस्पतिवार को डालर के मुकाबले रुपया 23 पैसे टूटकर प्रति डालर 69.94 पर बंद हुआ. बाजार सूत्रों ने कहा कि अंतराष्ट्रीय बाजार में कच्चेतेल में मजबूती और शेयर बाजार में गिरावट से भी रुपये के प्रति बाजार में धारणा प्रभावित हुई.

अन्तरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में रुपया 69.70 कमजोर खुला. कारोबार के दौरान यह 70.03 तक विदेशी मुद्रा व्यापार हल्का होने के बाद अंत में पिछले बंद के मुकाबले 23 पैसे टूटकर 69.94 प्रति डॉलर पर बंद हुआ. बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों पर आधारित सेंसेक्स 230.22 अंक अथवा 0.61 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता 37,558.91 अंक पर बंद हुआ.

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन विदेशी मुद्रा व्यापार के साथ चल रहे व्यापार युद्ध को और तेज करते हुए 10 मई से चीन के सामान पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का ऐलान कर दिया है. अमेरिका ने चीनी सामान पर 10 फिसदी की इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ा कर 25 फीसदी कर दिया है. अमेरिकी ने चीन के करीब 200 अरब डॉलर के उत्पाद पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने का फैसला किया है. अमेरिका के इस कदम से दुनियाभर के कारोबारी जगत में हलचल मच गई है. हालांकि ट्रंप की धमकी के बाद से ही विभिन्न देशों के स्टॉक मार्केट पर इसका असर देखा जा रहा था. भारत में संसेक्स लगातर गोते खा रहा है.

अपने छोटे व्यवसाय के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार: इन 4 युक्तियों को पढ़ें

विदेशी व्यापार मालिकों के बारे में अधिक जानने में रुचि रखने के कई कारण हैं - या यहां तक ​​कि संचालन - विदेशी मुद्रा व्यापार। जो व्यवसाय विदेशी बाजारों में विस्तार करने की उम्मीद कर रहे हैं, उन्हें कई मुद्राओं का उपयोग करने की आवश्यकता है, जो सर्वोत्तम विनिमय दरों को नियोजित करते हैं और महत्वपूर्ण लाभ अर्जित करते हैं। आप बिक्री से लेकर उत्पाद विकास तक, संचालन की ओर मुनाफे को निर्देशित करने के लिए मौजूदा पूंजी को और अधिक तरल स्थिति में फिर से निवेश करना चाह सकते हैं।

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छोटे व्यवसायों के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार

ट्रेडिंग प्लेटफार्म उन युक्तियों की पेशकश कर सकते हैं जो आपके छोटे व्यवसाय की वित्तीय स्थिति में काफी सुधार कर सकते हैं। इन चार बिंदुओं पर नज़र डालें, जिन पर आपको विचार करना चाहिए क्योंकि आप विदेशी मुद्रा व्यापार की दुनिया में कूदते हैं।

पूंजी की राशि निर्धारित करें

किसी भी व्यक्तिगत निवेश की तरह, पूंजी के सही स्तर का चयन करना महत्वपूर्ण है। विदेशी मुद्रा की स्थिति जोखिम के अपने हिस्से की पेशकश करती है, इसलिए कभी भी पैसा नहीं निवेश करें कि आपका व्यवसाय खोने का जोखिम नहीं उठा सकता है। पुनर्निवेश में कुल मुनाफे का एक हिस्सा शामिल होना चाहिए, जबकि शेष धन का व्यापार आवश्यकताओं के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार उपयोग किया जाना चाहिए।

जोखिम बनाम पुरस्कार पर विचार करें

विदेशी मुद्रा बाजार अनिवार्य रूप से जोखिम भरा के रूप में परिभाषित हैं। विवेकाधिकार लगातार प्रजनन या भाग्यशाली महसूस करना चाहिए। बाजार के मौलिक सिद्धांतों की पूरी तरह से समझ सुनिश्चित करके अपने जोखिमों को कम करें। हालांकि सीखने और मास्टर करने के लिए कुछ समय लगेगा, यह जानना है कि धीरज रखें। एक नया सीखने वाला वक्र है जो हर चीज के साथ है, इसलिए हल्के नुकसान की उम्मीद करें। सुनिश्चित करें कि आपका छोटा व्यवसाय पूंजी बनाने के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार पर पूरी तरह से निर्भर नहीं है और अपने कार्यालय में पैसे बचाने के तरीकों की तलाश जारी रखता है।

कुशल ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करें

इंटरनेट अब एक आकर्षक विदेशी मुद्रा स्थिति खोलने से पहले आसान बनाता है। अनगिनत ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म हैं जिन्हें आप चुन सकते हैं जैसे आप विदेशी मुद्रा व्यापार में डबलिंग शुरू करते हैं। अपना शोध करें ताकि आप एक प्रतिष्ठित विदेशी मुद्रा दलाल का चयन कर सकें। आप उन लोगों की तलाश करना चाहते हैं जो एक इलेक्ट्रॉनिक मंच प्रदान करते हैं जो बेहद सहज है और उसे समझने और मास्टर के लिए बहुत सारे प्रशिक्षण की आवश्यकता नहीं है। लाइव ट्रेडिंग डेटा तक पहुंच बनाना भी आदर्श है। आप ऐसी कंपनी के साथ काम करना चाहते हैं जो मोबाइल के अनुकूल इंटरफेसिंग प्रदान करता है ताकि आप दिन के किसी भी घंटे व्यापार कर सकें।

विविधीकरण के लिए चयन करें

अपनी बाधाओं को बेहतर बनाने के लिए, स्टॉक से लेकर मुद्रा जोड़े से वस्तुओं तक कई क्षेत्रों में निवेश करें। यह किसी भी संभावित अप्रत्याशितता से बचने और जीत के साथ किसी भी नुकसान को रोकने में मदद करने का सबसे अच्छा तरीका है।

इन रणनीतियों का सही कार्यान्वयन आपके छोटे व्यवसाय के अनुभव को पर्याप्त वित्तीय लाभ में मदद कर सकता है। अपने छोटे व्यवसाय में जोखिम को निपुण करने के तरीकों को जानें और सबसे अधिक टिकाऊ परिणामों का उत्पादन करने के लिए इन रणनीतियों को एक-दूसरे के साथ संयोजन में उपयोग करें।

विदेशी मुद्रा व्यापार की दुनिया में जाने से पहले, एक अच्छा ब्रोकर ढूंढें जो विदेशी व्यापारियों से निपटने के लिए नए व्यापारियों, कम शुल्क और डेमो खाता सेवा के लिए शिक्षा प्रदान करता है। ध्यान रखें कि व्यापार वातावरण एक प्रतिस्पर्धी जगह है, लेकिन तरलता प्राप्त करने की क्षमता कभी आसान नहीं रही है। यदि आप अतिरिक्त निवेश के अवसरों की तलाश में हैं, तो आप अपनी आय बढ़ाने के लिए विदेशी मुद्रा व्यापार पर विचार करना चाहेंगे, यह सुनिश्चित कर लें कि सफलता की गारंटी के लिए आपके पास योजनाएं हैं।

Transforming India: दुनिया का चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार भारत के पास

देश में विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है। यह देश की अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाने वाले कई मानकों में से एक है। दुनिया में चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद चौथा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार आज भारत के पास है।

करीब 634 अरब डॉलर का विदेशी मुद्रा भंडार

साल 2018-19 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 411.9 बिलियन डॉलर का रहा था जिसके बाद यह 2019-20 में करीब 478 अरब डॉलर का हुआ। तत्पश्चात 2020-21 में भी विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि दर्ज की गई। यह 577 बिलियन डॉलर पर जा पहुंचा और फिर 31 दिसंबर 2021 तक यह करीब 634 अरब डॉलर तक जा पहुंचा। यानि 2021-22 की पहली छमाही में विदेशी मुद्रा भंडार 600 बिलियन डॉलर के आंकड़े से ऊपर निकल कर 633.6 बिलियन डॉलर के उच्च स्तर पर पहुंच गया था।

32.6 प्रतिशत की वृद्धि

इस अवधि में भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में करीब 32.6 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। इसी आधार पर नवंबर 2021 तक चीन, जापान और स्विट्जरलैंड के बाद भारत का विदेशी मुद्रा भंडार दुनिया में सबसे ज्यादा रहा। यह भारत की गौरवशाली उपलब्धि है जिस पर हर भारतीय को गर्व महसूस करना चाहिए। आज भारत मजबूत स्थिति में खड़ा है जिसमें पूरे देश का समग्र विकास होता दिखाई दे रहा है।

भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार

दरअसल, वर्ष 2021-22 में भारत के विदेशी व्यापार में मजबूती से सुधार हुआ जिसके परिणामस्वरूप भारत के विदेशी मुद्रा भंडार में भी वृद्धि दर्ज हुई। देश के विदेशी व्यापार के बढ़ने से भारत विदेशी मुद्रा व्यापार को विदेशी मुद्रा कमाने का सुनहरा अवसर मिला। सबसे खास बात यह रही कि ये उपलब्धि भारत ने कोविड संकट से लड़ते हुए हासिल की। यानि जब दुनिया के तमाम देश इस महामारी से जूझ रहे थे तब भारत ने स्वयं के प्रयासों से देश की आवाम को विदेशी व्यापार में वृद्धि विदेशी मुद्रा व्यापार दर्ज करने को प्रोत्साहित किया। उसी का नतीजा रहा है कि आज भारत कोविड संकट में छाई वैश्विक मंदी से तेजी से उभर रहा है। भारत 2021-22 के लिए निर्धारित 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर के महत्वाकांक्षी वस्तु निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के मार्ग पर बेहतर तरह से अग्रसर रहा और इस लक्ष्य को हासिल कर दिखाया। 2021-22 में 400 बिलियन डॉलर के एक्सपोर्ट में भारत ने नॉन बासमती राइस, गेहूं, समुद्री उत्पाद, मसाले और चीनी जैसी चीजों ने जमकर एक्सपोर्ट किया। उसके बाद पेट्रोलियम प्रोडक्ट यूएई निर्यात किए गए। साथ ही अन्य देशों में रत्न और आभूषणों का भी ज्यादा निर्यात किया गया। केवल इनता ही नहीं भारत ने इस बीच बांग्लादेश को ऑर्गेनिक और नॉन ऑर्गेनिक केमिकल निर्यात किया और ड्रग्स और फार्मास्युटिकल्स का सबसे ज्यादा निर्यात नीदरलैंड को किया। विदेशी मुद्रा व्यापार इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार में वृद्धि में काफी मदद मिली। विदेशी मुद्रा भंडार के बढ़ने से अर्थव्यवस्था को बहुत से फायदे होते हैं।

रुपए को मिलती विदेशी मुद्रा व्यापार है मजबूती

रिजर्व बैंक के लिए विदेशी मुद्रा भंडार काफी अहम होता है। आरबीआई जब मॉनिटरी पॉलिसी तय करता है तो उसके लिए यह काफी अहम फैक्टर साबित होता है कि उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार कितना है। यानि जब आरबीआई के खजाने में डॉलर भरा होता है तो देश की करेंसी को मजबूती मिलती है।

आयात के लिए डॉलर रिजर्व जरूरी

जब भी हम विदेश से कोई सामान खरीदते हैं तो ट्रांजेक्शन डॉलर में होती है। ऐसे में इंपोर्ट को मदद के लिए विदेशी मुद्रा भंडार का होना जरूरी है। अगर विदेश से आने वाले निवेश में अचानक कभी कमी आती है तो उस समय इसकी महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है। भारत बड़े पैमाने पर आयात करता रहा है लेकिन बीते कुछ साल में पीएम मोदी के नेतृत्व में देश ने अपने आयात स्तर को कम करके निर्यात स्तर को बढ़ाया है। पीएम मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दिखाए रास्ते पर देश अब चल पड़ा है तभी तो आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार लगातार बढ़ रहा है।

FDI में तेजी के मिलते हैं संकेत

अगर विदेशी मुद्रा भंडार में तेजी आती है तो इसका मतलब होता है कि देश में बड़े पैमाने पर एफडीआई आ रहा है। ऐसे में अर्थव्यवस्था के लिए विदेशी निवेश बहुत अहम होता है। अगर विदेशी निवेशक भारतीय बाजार में पैसा लगाते रहे हैं तो दुनिया के लिए यह संकेत जाता है कि भारतीय अर्थव्यवस्था पर उनका भरोसा बढ़ रहा है। भारत सरकार ने इसके लिए भी देश में बीते कुछ साल में बेहतर माहौल तैयार किया है। केंद्र सरकार ने देश में ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ का माहौल प्रदान किया। विदेशी मुद्रा व्यापार ईज ऑफ डूइंग बिजनेस एक तरह का इंडेक्‍स है। इसमें कारोबार सुगमता के लिए कई तरह के पैमाने रखे गए हैं। इनमें लेबर रेगुलेशन, ऑनलाइन सिंगल विंडो, सूचनाओं तक पहुंच, पारदर्शिता इत्यादि शामिल हैं। देश में इसे उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) तैयार करता है। आज भारत इस लिहाज से भी काफी सुधार कर चुका है। यही कारण है कि विदेशी निवेशक अब भारत में निवेश को तैयार खड़े हैं।

विदेशी ऋण

सितम्बर, 2021 के अंत में भारत का विदेशी ऋण 593.1 बिलियन डॉलर था जो जून, 2021 के अंत के स्तर पर 3.9 प्रतिशत से अधिक था। आर्थिक समीक्षा में मार्च, 2021 के अंत में भारत के विदेशी ऋण ने पूर्व-संकट स्तर को पार कर लिया था लेकिन यह सितम्बर, 2021 के अंत में एनआरआई जमाराशियों से पुनरुत्थान की मदद और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा वन-ऑफ अतिरिक्त एसडीआर आवंटन की मदद से दृढ़ हो गया। कुल विदेशी ऋण में लघु अवधि ऋण की हिस्सेदारी में थोड़ी सी गिरावट जरूर आई। यह हिस्सेदारी जो मार्च, 2021 के अंत में 17.7 प्रतिशत थी सितम्बर के अंत में 17 प्रतिशत हो गई। समीक्षा यह दर्शाती है कि मध्यम अवधि परिप्रेक्ष्य से भारत का विदेशी ऋण उभरती हुई बाजार अर्थव्यवस्था के लिए आंके गए इष्टतम ऋण से लगातार कम चल रहा है।

भारत की लचीलापन

आर्थिक समीक्षा यह दर्शाती है कि विदेशी मुद्रा भंडार में भारी बढ़ोतरी से विदेशी मुद्रा भंडारों से कुल विदेशी ऋण, लघु अवधि ऋण से विदेशी विदेशी मुद्रा व्यापार विनिमय भंडार जैसे बाह्य संवेदी सूचकांकों में सुधार को बढ़ावा मिला है। बढ़ते हुए मुद्रा स्फीति दबावों की प्रतिक्रिया में फेड सहित प्रणालीगत रूप से महत्वपूर्ण केंद्रीय बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति के तेजी से सामान्यीकरण की संभावना से पैदा हुई वैश्विक तरलता की संभावना का सामना करने के लिए भारत का बाह्य क्षेत्र लचीला है।

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