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चलने की औसत

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देश के इन हिस्सों में औसत से अधिक रहेगा तापमान : तेज लू चलने की भी संभावना

नई दिल्ली | जसविंदर सिंह | उत्तर-पश्चिम भारत और इससे जुड़े मध्य भारत के इलाकों में लोगों को गर्मी से राहत मिलने वाली नहीं है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने बुधवार को कहा कि अप्रैल में इन इलाकों में तेज लू चलने की और तापमान औसत से अधिक रहने की संभावना है।

महापात्रा ने कहा कि हमारा अनुमान है कि पूरे उत्तर-पश्चिम भारत और मध्य भारत के इलाकों में तापमान सामान्य से अधिक रहेगा। गुजरात और राजस्थान से लेकर मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ तक ऐसे ही हालात रहने की उम्मीद है। वह मौसम से संबंधित एक वर्चुअल कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि पहले आईएमडी ने पूर्वानुमान जताया था कि अप्रैल में गर्मी की स्थिति मार्च के मुकाबले अधिक गंभीर रहेगी और तापमान औसत से अधिक रहेगा। मार्च के मुकाबले अप्रैल में लू की सघनता अधिक रहेगी। उन्होंने कहा कि देश के कुछ हिस्सों में लू की स्थितियां 15 अप्रैल तक बनी रहेगीं।

आईएमडी ने एक बयान में कहा कि वर्तमान में चल रहा लू का दौर मुख्यत: से पश्चिमी राजस्थान, इससे जुड़े गुजरात के इलाके और पश्चिमी मध्यप्रदेश के ऊपर 27 मार्च से शुरू हुआ था। यह 29 मार्च तक पूर्वी राजस्थान, पूर्वी मध्यप्रदेश, दक्षिणी हरियाणा और उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों तक पहुंच गया।

हिमालयी क्षेत्र में भी पड़ रही तेज गर्मी
विभाग के अनुसार उत्तरी मैदानी इलाकों, मध्य भारत और पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र के हिस्सों में लगातार और तेज लू के हालात देखे गए हैं। ऊंचाई वाले स्थानों पर अधिकतम तापमान 25 से 33 डिग्री सेल्सियस के बीच है। हालांकि, अप्रैल महीने का पिछला डाटा बताता है कि ऐसी स्थितियां चलने की औसत असामान्य नहीं हैं।

Delhi Weather: दिल्ली में खुशनुमा सुबह, तेज हवा चलने का अनुमान

Delhi Weather: दिल्ली में शुक्रवार को सुबह की शुरुआत खुशनुमा मौसम के साथ हुई है।

Image: PTI

Delhi Weather: दिल्ली में शुक्रवार को सुबह की शुरुआत खुशनुमा मौसम के साथ हुई और न्यूनतम तापमान मौसम के औसत से एक डिग्री चलने की औसत अधिक 15.3 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने बताया कि सुबह साढ़े आठ बजे सापेक्षित आर्द्रता का स्तर 86 प्रतिशत दर्ज किया गया। दिन में तेज हवा चलने का अनुमान है।

बृहस्पतिवार को अधिकतम तापमान मौसम के औसत से एक डिग्री अधिक 30 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया जबकि न्यूनतम तापमान मौसम के औसत से तीन डिग्री अधिक 16.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

2.5 लाख करोड़ खर्च करने के बाद भी नहीं बढ़ी रफ्तार, क्या 55 किमी प्रति घंटा चलने वाली ट्रेनों को 'सुपरफास्ट' कह सकते हैं, कैग रिपोर्ट में खुलासा

भारतीय रेलवे ने मई 2007 में फैसला किया था कि यदि कोई रेलगाड़ी औसतन ब्रॉड गेज पर न्यूनतम 55 किमी प्रति घंटे और मीटर गेज पर 45 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है, तो उसे ‘सुपरफास्ट’ माना जाएगा।

indian railway superfast train speed not increase spend 2-5 lakh crores running 55 kmph be called 'superfast' CAG report | 2.5 लाख करोड़ खर्च करने के बाद भी नहीं बढ़ी रफ्तार, क्या 55 किमी प्रति घंटा चलने वाली ट्रेनों को 'सुपरफास्ट' कह सकते हैं, कैग रिपोर्ट में खुलासा

ऑडिट में पाया गया कि भारतीय रेलवे की 478 सुपरफास्ट रेलगाड़ियों में 123 सुपरफास्ट रेलगाडियों की निर्धारित गति 55 किमी प्रति घंटे से कम थी।

Highlights रेलगाड़ियों की औसत गति 55 किमी प्रति घंटे से अधिक होनी चाहिए। सुपरफास्ट के रूप में वर्गीकृत 123 रेलगाड़ियां ऐसी हैं। 2007 से रेलगाड़ियों को ‘सुपरफास्ट’ के रूप में वर्गीकृत करने के मानक में कोई बदलाव नहीं किया गया है।

नई दिल्लीः नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कहा है कि रेलगाड़ियों को ‘सुपरफास्ट’ के रूप में वर्गीकृत करने के लिए 55 किलोमीटर प्रति घंटे का मानक काफी कम है, जबकि कई ऐसी रेलगाड़ियां न्यूनतम गति से भी कम रफ्तार से चलती हैं। 2.5 लाख करोड़ खर्च करने के बाद हाल बुरा है।

भारतीय रेलवे ने मई 2007 में फैसला किया था कि यदि कोई रेलगाड़ी औसतन ब्रॉड गेज पर न्यूनतम 55 किमी प्रति घंटे और मीटर गेज पर 45 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलती है, तो उसे ‘सुपरफास्ट’ माना जाएगा। पिछले साल नवंबर में रेलवे ने सेवाओं को ‘सुपरफास्ट’ के रूप में वर्गीकृत करने की मौजूदा नीति के संबंध में कहा था कि ऐसी रेलगाड़ियों की औसत गति 55 किमी प्रति घंटे से अधिक होनी चाहिए।

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, ‘‘इस बात का कोई जवाब नहीं है कि सुपरफास्ट के रूप में वर्गीकृत 123 रेलगाड़ियां ऐसी हैं, जिन्हें वास्तव में मौजूदा नीति के तहत तय की गई 55 किमी प्रति घंटे से कम की औसत गति से चलने के लिए निर्धारित किया गया था।’’ रिपोर्ट के अनुसार रेलगाड़ियों को सुपरफास्ट के रूप में वर्गीकृत करने के लिए 55 किमी प्रति घंटे का मानक अपने आप में चलने की औसत कम है।

कैग ने आगे कहा कि 2007 से रेलगाड़ियों को ‘सुपरफास्ट’ के रूप में वर्गीकृत करने के मानक में कोई बदलाव नहीं किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘ऑडिट में पाया गया कि भारतीय रेलवे की 478 सुपरफास्ट रेलगाड़ियों में 123 सुपरफास्ट रेलगाडियों की निर्धारित गति 55 किमी प्रति घंटे से कम थी।’’

कैग ने अपने ऑडिट में यह भी पाया कि औसत गति में थोड़ा सुधार के बीच पिछले कुछ साल में रेलगाडियों के यात्रा समय में वृद्धि हुई है और कुल समयपालन में गिरावट आई है। कैग द्वारा शिकायत प्रबंधन प्रणाली की समीक्षा से पता चला कि भारतीय रेलवे में समयपालन के बारे में शिकायतों की संख्या तेजी से बढ़ी है।

चींटी के चलने की स्पीड कितनी होती है, क्या वह सच में पहाड़ पर चढ़ सकती है | GK IN HINDI

दुनियाभर के मोटिवेशनल स्पीकर्स अक्सर चींटी का उदाहरण देते हैं। किस तरह वह अपने कुल वजन से ज्यादा वजन का भोजन उठाकर पहाड़ पर चढ़ जाती है। सवाल यह है कि क्या सचमुच चींटी पहाड़ चलने की औसत पर चढ़ सकती है। यदि हां तो एक पहाड़ पर चढ़ने में उसको कितने दिन लगते होंगे। चींटी की कुल आयु कितनी होती है। और सबसे बड़ा सवाल यह कि चींटी की पैदल चलने चलने की औसत की स्पीड कितनी होती है। आइए इन मजेदार सवालों के जवाब तलाश है:

  • जमीन के नीचे चीटियों की अपनी एक दुनिया होती है। इसीलिए चीटियां अचानक कहीं भी निकल आती हैं और फिर गायब हो जाती है।
  • चीटियां दुनिया में सबसे ज्यादा अनुशासित प्राणी है।
  • चीटियों की दुनिया में 20,000 से ज्यादा प्रजातियां हैं।
  • पृथ्वी पर तापमान कितना भी हो चीटियां आराम से रह लेती हैं।
  • वैज्ञानिकों के अध्ययन में पाया गया है कि चीटियां पृथ्वी पर करीब 15 करोड़ सालों से रह रही है।
  • चीटियों की आयु 4 से 7 साल तक होती है।
  • रानी चींटी चलने की औसत करीब 15 साल तक जीवित रहती है।
  • रानी चींटी अपने जीवन में लगभग 70000 अंडे देती है।
  • आपके घर में जो चिड़िया निकल कर आती हैं उन्हें मजदूर चींटी कहते हैं।
  • रानी चींटी कभी मनुष्य के सामने नहीं आती।
  • चीटियों की कुछ प्रजातियां मांसाहारी भी होती हैं।
  • चीटियां हमेशा एक दूसरे को कम्युनिकेट करती हैं। यानी सूचनाएं उपलब्ध कराती हैं।
  • आपने देखा होगा चीटियां बहुत धीरे-धीरे चलती हैं परंतु यह उनकी पूरी स्पीड नहीं होती।
  • चीटियों की स्पीड आपके अनुमान से काफी ज्यादा होती है।
  • ‘सिल्‍वर ऐंट’ चींटी एक सेकंड में 855 मिलीमीटर की दूरी तय करती है।
  • यानी कि 19 मिनट में 1 किलोमीटर की दूरी तय कर लेती है।
  • एक स्वस्थ मनुष्य 12 मिनट में 1 किलोमीटर की दूरी तय करता है।
  • चीटियां मनुष्य के बराबर पैदल चल सकती हैं और वह भी वजन उठाकर।
  • 60 डिग्री सेल्सियस वाली गर्म रेत पर चीटियां मजे से दौड़ लगाती हैं।
  • एक चींटी अपने वजन से 20 गुना अधिक वजन लेकर चल सकती है।
  • कीटों में चींटी चलने की औसत का दिमाग सबसे तेज माना जाता है।
  • क्या आप यकीन करेंगे चींटी में करीब 250,000 मस्तिष्क कोशिकाएं होती हैं।
  • चींटी के कान नहीं होते लेकिन उसके पैर में एक सेंसर होता है जिससे वह किसी के होने का एहसास कर लेती है।

और सबसे अंत में सबसे मजेदार जानकारी: एक रानी चींटी का अपना इलाका होता है। चीटियां इलाके की वृद्धि की कोशिश करती हैं। ऐसा करते हुए जब वह किसी दूसरी रानी चींटी के इलाके में पहुंच जाती हैं तो युद्ध शुरू हो जाता है। वैज्ञानिकों ने शोध में पाया है कि कई बार चीटियों के बीच युद्ध कई हफ्तों तक चला। ज्यादातर यह कुछ घंटों तक चलता है।

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Air Pollution : हवा चलने से वायु प्रदूषण में हुआ सुधार, लोगों को मिली राहत

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की मॉनिटरिंग साइट पर रविवार को बहादुरगढ़ में अधिकतम 333 एक्यूआई रिकॉर्ड हुआ। जबकि न्यूनतम एक्यूआई 138 मापा गया। ऐसे में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 234 रिकॉर्ड हुआ।

हरिभूमि न्यूज. बहादुरगढ़

लगातार गैस चैंबर बने शहर में शनिवार को हवा की गति तेज हो जाने से काफी राहत मिली। इससे धूल और धुएं के कण तेजी से फैलते रहे। वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) में गुणात्मक सुधार हो गया। रविवार को यह औसत 234 तक पहुंच गया। जबकि शनिवार को यह औसत 404 था। इसके साथ ही पीएम-2.5 और पीएम-10 के स्तर में भी सुधार दर्ज हुआ।

बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के खतरनाक होते असर के चलते ग्रेप का चौथा चरण लागू किया जा चुका है। राजधानी चलने की औसत दिल्ली में कई प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। आठ नवंबर तक प्राइमरी कक्षा वाले सभी स्कूलों को बंद किया गया है। नोएडा में भी क्लास आठवीं कक्षा तक के छात्रों का स्कूल बंद किया जा चुका है, उनकी ऑनलाइन कक्षाएं चल रही हैं। ऐसे में खतरनाक होते प्रदूषण से बहादुरगढ़ में भी लोगों की तकलीफ बढ़ गई थी। लेकिन अब हवा चलने से प्रदूषण में करीब 40 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। उम्मीद है कि सोमवार को हवा की गति और तेज हो सकती है। ऐसे में कुछ और राहत मिलने की संभावना है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की मॉनिटरिंग साइट पर रविवार को बहादुरगढ़ में अधिकतम 333 एक्यूआई रिकॉर्ड हुआ। जबकि न्यूनतम एक्यूआई 138 मापा गया। ऐसे में औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 234 रिकॉर्ड हुआ। जबकि पीएम-10 का स्तर 243 रहा। प्रदूषित हवा में सुधार आने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ ही प्रशासन के अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली है। क्षेत्रीय अधिकारी दिनेश यादव का कहना है कि हवा चलने से प्रदूषण स्तर में गिरावट दर्ज हुई है। अगले दो-तीन दिनों में एक्यूआई में सुधार की संभावना है।

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