किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना

फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर आप भी शेयर बाजार की जानकारी रखते हैं. स्टॉक मार्केट पर आपकी अच्छी पकड़ है तो बाजार में डायरेक्ट निवेश करने पर कई गुना रिटर्न कमाया जा सकता है. अगर आप किसी के सलाह पर बाजार में निवेश करते हैं इससे कमाई भी होती है तो इन्वेस्टमेंट का यह तरीका ठीक नहीं है. ऐसे लोगों को म्यूचुअल फंड में इक्विटी स्टॉक्स में निवेश करना चाहिए जहां शानदार रिटर्न मिलता है. म्यूचुअल फंड के मैनेजर काफी किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना स्किल्ड होते हैं. उन्हें पता होता है कि पोर्टफोलियो किस तरह डिजाइन करना है. किस सेक्टर में, किस कंपनी में कितना निवेश करना चाहिए, उन्हें इसकी पूरी जानकारी होती है.
Stocks vs Mutual Funds: निवेशक को कहां करना चाहिए निवेश जिससे मिले ज्यादा रिटर्न
रिटायरमेंट प्लानिंग के लिए किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना इन्वेस्टमेंट स्कीम का रिटर्न महंगाई के मुकाबले ज्यादा होना चाहिए. वर्तमान में महंगाई दर 5-6 किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना फीसदी के बीच है. ऐसे में अगर निवेश के परंपरागत साधनों में निवेश करते हैं तो नेट रिटर्न कम होगा. म्यूचुअल फंड में आपका पैसा शेयर बाजार में भी निवेश होता है जिसके कारण रिटर्न ज्यादा मिलता है और आपका नेट रिटर्न ज्यादा होगा.
TV9 Bharatvarsh | Edited By: शशांक शेखर
Updated on: Feb 08, 2022 | 8:17 AM
निवेशकों (Investors) के मन में एक सवाल बार-बार आता है कि उन्हें म्यूचुअल फंड (Mutual Funds) में निवेश करना चाहिए या फिर शेयर बाजार (Share market investment) में निवेश करना चाहिए. शेयर बाजार में निवेश का मुख्य रूप से दो तरीका है. पहला- खुद शेयर खरीदें और बेचें. दूसरा तरीका है कि म्यूचुअल फंड के जरिए शेयर बाजार में निवेश करें. निवेश का दोनों तरीका अच्छा है, अंतर बस इतना है कि किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना डायरेक्ट शेयर खरीदने पर फायदे और नुकसान दोनों के लिए आप खुद जिम्मेदार होंगे. यह आपको तय करना है कि बाजार में कब एंट्री लेनी है, कौन सा शेयर खरीदना है, कितने दिन के लिए निवेश करना है. अगर म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं तो फंड मैनेजर आपके बदले ये तमाम फैसले लेता है.
पोर्टफोलियो डायवर्सिफाइड रखें
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की सलाह होती है कि पोर्टफोलियो को हमेशा डायवर्सिफाइड रखें. इससे रिस्क कम रहता है. पोर्टफोलियो को डायवर्सिफाइड रखने से रिस्क फैक्टर घटता है. बाजार में किसी तरह की हलचल का आपके इन्वेस्टमेंट पर कम असर होता है. कोई इंडिविजुअल जब किसी खास सेक्टर के खास स्टॉक में निवेश करता है तो उसका रिस्क ज्यादा होगा. वहीं, म्यूचुअल फंड में आपके पैसा अलग-अलग सेक्टर के अलग-अलग स्टॉक्स में निवेश किया जाता है. इस तरह सेक्टर डायवर्सिफिकेशन के साथ-साथ स्टॉक डायवर्सिफिकेशन का भी लाभ मिलता है.
निवेशकों को इस बात को समझना चाहिए कि अगर आप खुद से शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना राइट स्टॉक पिक होने पर किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना आपको मल्टीबैगर रिटर्न मिल सकता है. लेकिन, म्यूचुअल फंड आपको इतने कम समय में मल्टीबैगर रिटर्न नहीं देगा. हालांकि, इस बात किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना को भी ध्यान में रखना चाहिए कि खुद से निवेश किसी एक शेयर या किसी एक सेक्टर पर निवेश करना करने पर आपका इन्वेस्टमेंट कई गुना घट भी सकता है, म्यूचुअल फंड के साथ ऐसा नहीं होता है. आसान शब्दों में खुद से निवेश करने पर ज्यादा रिटर्न के साथ ज्यादा रिस्क भी जुड़ा है. म्यूचुअल फंड बैलेंस्ड रिटर्न के साथ-साथ बैलेस्ड रिस्क का भी भरोसा देता है.