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वास्तविक खाता

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TMC is a party of liars. It starts from @MamataOfficial to lowly spokespersons like you. https://t.co/759PnBweuK— BJP Gujarat (@BJP4Gujarat) December 1, 2022

सितंबर तिमाही में 6 फीसदी से ज्यादा रहेगी भारत की जीडीपी की वृद्धि दर, निर्यात पर असर

बंगलूरू। पिछली तिमाही में दहाई अंकों में बढ़ने वाली भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार 2022-23 की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर अवधि में 6% से ज्यादा रह सकती है। हालांकि, निर्यात और निवेश कमजोर रहने की आशंका है, जिसका असर भविष्य में आर्थिक गतिविधियों पर पड़ेगा।

43 अर्थशास्त्रियों के बीच किए गए रॉयटर्स के सर्वे में कहा गया है कि दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था सामान्य स्थिति में लौटेगी और इस दौरान जीडीपी की वृद्धि दर 6.2 फीसदी रह सकती है। हालांकि, यह अनुमान आरबीआई के 6.3% के मुकाबले थोड़ा कम है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 13.5% रही थी।

सरकार दूसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े 30 नवंबर को जारी कर सकती है। डॉयचे बैंक में भारत एवं दक्षिण एशिया के वास्तविक खाता मुख्य अर्थशास्त्री कौशिक दास ने कहा, पहली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर असाधारण रूप से अनुकूल रही थी। इससे जुलाई-सितंबर अवधि से वास्तविक वृद्धि दर सामान्य हो जाएगी और इसका सही अनुमान लगाना भी आसान हो जाएगा।

हालांकि, कारोबारी सर्वेक्षण उन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में कमजोर आर्थिक गतिविधियों का संकेत दे रहे हैं, जहां केंद्रीय बैंक उच्च ब्याज दरों से महंगाई पर काबू पाने का प्रयास कर रहे हैं। इन प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले भारत में कारोबारी धारणा अपेक्षाकृत मजबूत बनी हुई है।

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सेवा क्षेत्र में सुधार का दिखेगा असर
एचडीएफसी बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री (भारत) साक्षी गुप्ता ने कहा, सेवा क्षेत्र में निरंतर सुधार से जीडीपी के क्रमिक रूप से बढ़ने की उम्मीद है। खनन व विनिर्माण क्षेत्र में गिरावट आ सकती है। कमजोर वैश्विक मांग में निर्यात पर असर पड़ सकता है।

अर्थव्यवस्था में सुस्ती देश के लिए अच्छा
भारत की आर्थिक वृद्धि दर कुछ वर्षों के लिए धीमी पड़ कर 6% रह सकती है। इससे महंगाई को आरबीआई के लक्ष्य पर वापस ले जाने के साथ बजट और चालू खाता घाटे को कम करने में मदद मिलेगी। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, गोल्डमैन सॉक्स के शांतनु सेनगुप्ता ने कहा, भारत के लिए वृद्धि दर की रफ्तार सुस्त होना अच्छा साबित होगी। उम्मीद जताई कि जीडीपी में वृद्धि की रफ्तार चालू वित्त वर्ष के 7.1% से घटकर 2023-24 में 6% रह सकती है। भारत का दुनिया में सबसे तेज आर्थिक वृद्धि दर रहने का खिताब छिन सकता है क्योंकि कर्ज की लागत से मांग पर असर पड़ सकता है।

एसएंडपी ने वृद्धि दर में की कटौती
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने सोमवार को 2022-23 के लिए भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान को घटाकर 7 फीसदी कर दिया। सितंबर में इसके 2022-23 में 7.3% और 2023-24 में 6.5% रहने का अनुमान जताया था। एजेंसी ने महंगाई के मोर्चे पर कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान खुदरा महंगाई औसतन 6.8 फीसदी रह सकती है।

वास्तविक खाता

बैंक खाताधारकों को अनजान लोगों के साथ अपनी पर्सनल डिटेल साझा करते समय ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। क्योंकि, जालसाज लोग वभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत पैसे मिलेंगे का लालच देकर ग्रामीणों और आदिवासियों के नाम पर फर्जी अकाउंट खोलते हैं।

खुलासा हुआ है कि इन अकाउंट का उपयोग वास्तविक अकाउंट होल्डर्स की जानकारी से परे विभिन्न साइबर अपराधों में अवैध धन के लेनदेन के लिए किया जाता है।

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (IPPB) ने ग्राहकों को बैंक खाता खोलने के लिए किसी तीसरे व्यक्ति के मोबाइल नंबर का उपयोग नहीं करने की सलाह दी है। इसके अलावा कहा है कि लेन-देन की वास्तविकता को जाने बिना न तो कोई पैसा रिसीव करें और न ही भेजें।

ग्राहकों को यह भी सलाह दी गई है कि वे अपने आईपीपीबी अकाउंट की डिटेल को नौकरी की पेशकश करने वाले लोगों या सोशल मीडिया के जरिए आसानी से पैसे कमाने के अवसर प्रदान करने वाले लोगों के साथ साझा न करें। ग्राहकों को लेन-देन करने या पैसा भेजने से पहले कंपनी और व्यक्ति को सत्यापित करना चाहिए।

अधिकारियों के मुताबिक, आईपीपीबी अकाउंट खोलने के बाद ग्राहक पहचान डेटा को समय-समय पर अपडेट करता है और ऐसे धोखेबाजों के दुरुपयोग से बचाने के लिए उनके लेनदेन की निगरानी भी करता है।

गौरतलब है कि इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक को 1 सितंबर 2018 को प्रधान मंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था। बैंक को भारत में आम आदमी के लिए सबसे सुलभ, किफायती और भरोसेमंद बैंक बनाने की ²ष्टि से इसे स्थापित किया गया।

भारतीय डाक भुगतान बैंक ने अपने ग्राहकों को साइबर धोखाधड़ी से सावधान किया

India Post Payments Bank cautions its customers against cyber frauds

कई धोखाधड़ी गतिविधियों में वृद्धि के कारण जहां जालसाज ग्रामीणों, आदिवासियों और कम पढ़े-लिखे लोगों के नाम पर, यह प्रलोभन देकर कि खाताधारकों को विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत मौद्रिक लाभ मिलेगा, फर्जी खाते खोलते हैं, बैंक खाताधारकों को अज्ञात व्यक्तियों के साथ अपना व्यक्तिगत विवरण साझा करते समय सावधान रहने की आवश्यकता है। इन खातों का उपयोग वास्तविक खाताधारकों की जानकारी से अलग विभिन्न साइबर अपराधों में अवैध धन के लेनदेन के लिए किया जाता है।

भारतीय डाक भुगतान बैंक आगे सलाह देता है कि,

  • ग्राहक बैंक खाता खोलने के लिए किसी तीसरे व्यक्ति के मोबाइल नंबर का उपयोग न करें।
  • ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे लेन-देन की वास्तविकता को जाने बिना कोई पैसा स्वीकार न करें या न भेजें।
  • ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने बैंक खाते का नियंत्रण साझा न करें जैसे कि उनकी ओर से लेन-देन करने के लिए अज्ञात व्यक्तियों के साथ अपने मोबाइल बैंकिंग विवरण साझा न करें।
  • ग्राहकों को सलाह दी जाती है कि वे अपने भारतीय डाक भुगतान बैंक खाते का विवरण नौकरी की पेशकश का लालच देने वाले या सोशल मीडिया के माध्यम से आसानी से पैसे कमाने का मौका देने वाले लोगों के साथ साझा न करें।

ग्राहकों को लेन-देन करने या पैसा भेजने से पहले कंपनी और व्यक्ति को सत्यापित करना चाहिए।

भारतीय डाक भुगतान बैंक खाता खोलने के बाद ग्राहक पहचान डेटा को समय-समय पर अपडेट करता है और ऐसे धोखेबाजों द्वारा दुरुपयोग से बचाने के लिए उनके लेनदेन की निगरानी भी की जाती है।

भारतीय डाक भुगतान बैंक के बारे में

भारत सरकार के स्वामित्व वाली 100 प्रतिशत निवेश के साथ संचार मंत्रालय के डाक विभाग के अंतर्गत भारतीय डाक भुगतान बैंक (आईपीपीबी) की स्थापना की गई है। आईपीपीबी को प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी द्वारा 1 सितंबर, 2018 को शुरू किया गया था। बैंक की स्थापना भारत में आम आदमी के लिए सबसे सुलभ, किफायती और भरोसेमंद बैंक बनाने की परिकल्पना के साथ की गई है। भारतीय डाक भुगतान बैंक का मौलिक जनादेश बिना बैंक खाता वाले और कम बैंक खाता वाले लोगों के लिए बाधाओं को दूर करना और 155,000 डाकघरों (ग्रामीण क्षेत्रों में 135,000) और 300,000 डाक कर्मचारियों वाले डाक नेटवर्क का लाभ उठाते हुए देश के हर कोने तक पहुंचना है।

भारतीय डाक भुगतान बैंक की पहुंच और इसका संचालन मॉडल इंडिया स्टैक के प्रमुख स्तंभों- सीबीएस-एकीकृत स्मार्टफोन और बायोमेट्रिक डिवाइस के माध्यम से ग्राहकों के दरवाजे पर सरल और सुरक्षित तरीके से पेपरलेस, कैशलेस और उपस्थिति-रहित बैंकिंग को सक्षम करने पर आधारित है। मितव्ययी नवाचार का लाभ उठाते हुए और जनता के लिए बैंकिंग में आसानी पर उच्च ध्यान देने के साथ,भारतीय डाक भुगतान बैंक 13 भाषाओं में उपलब्ध सहज ज्ञान युक्त इंटरफेस के माध्यम से सरल और किफायती बैंकिंग समाधान प्रदान करता है।

भारतीय डाक भुगतान बैंक कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और डिजिटल इंडिया की परिकल्पना में योगदान देने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत तब समृद्ध होगा जब प्रत्येक नागरिक के वास्तविक खाता पास आर्थिक रूप से सुरक्षित और सशक्त होने के समान अवसर होंगे। हमारा आदर्श वाक्य सच साबित होता है कि- प्रत्येक ग्राहक महत्वपूर्ण है; प्रत्येक लेन-देन महत्वपूर्ण है और प्रत्येक जमा पूंजी मूल्यवान है।

‘PM मोदी की मोरबी यात्रा में ₹30 करोड़ खर्च किए गए’: TMC प्रवक्ता साकेत गोखले ने फर्जी न्यूज क्लिपिंग से फैलाई फेक न्यूज, BJP ने रिपोर्ट को नकारा

तथाकथित रिपोर्ट में बताए गए 'आरटीआई कार्यकर्ता दीपक पटेल' के बारे में पूछताछ करने के लिए ऑपइंडिया की टीम ने मोरबी के कुछ निवासियों से भी बात की, लेकिन किसी ने ऐसे व्यक्ति के बारे में नहीं सुना। इसलिए, भाजपा का यह दावा कि यह मनगढ़ंत रिपोर्ट है, सच प्रतीत होता है।

इस तथाकथित रिपोर्ट का हवाला देते हुए गोखले ने दावा किया कि ₹5.5 करोड़ विशुद्ध रूप से ‘स्वागत, कार्यक्रम प्रबंधन और फोटोग्राफी’ के लिए थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि ‘मोदी के इवेंट मैनेजमेंट और पीआर की लागत 135 लोगों के जीवन से अधिक है’, क्योंकि त्रासदी के 135 पीड़ितों के परिवारों में से प्रत्येक को ₹4 लाख की अनुग्रह राशि दी गई, जो कुल ₹5 करोड़ रुपए है।

इस खबर को पोस्ट करने वाले साकेत गोखले अकेले नहीं थे। उनसे पहले डैक्स पटेल नाम के एक ट्विटर यूजर ने कल यही क्लिपिंग पोस्ट की थी। कथित समाचार रिपोर्ट में कहा गया है कि यह खुलासा मोरबी जिला कलेक्टर के कार्यालय ने दीपक पटेल की आरटीआई अर्जी पर किया था। कथित खर्च का ब्रेकअप देते हुए रिपोर्ट में दावा किया गया कि ₹8 करोड़ अस्पताल की पेंटिंग, सफाई, नए बेड और वाटर कूलर पर खर्च किए गए, ₹11 करोड़ नई सड़कों के लिए, ₹3 करोड़ पीएम मोदी के स्वागत के लिए, ₹2.5 करोड़ पीएम की सुरक्षा में, ₹2 करोड़ इवेंट मैनेजमेंट के लिए और ₹50 लाख फोटोग्राफी के लिए खर्च किए गए।

इसके बाद कई ट्विटर यूजर ने इस क्लिप को साझा किया। हालाँकि, गुजरात भाजपा ने कहा है कि यह फेक न्यूज है और इस तरह की कोई आरटीआई दाखिल नहीं की गई और न ही किसी आरटीआई का ऐसा कोई जवाब दिया गया। गुजरात भाजपा ने ट्विटर पर पोस्ट किया कि नई क्लिपिंग मनगढ़ंत है और वास्तव में ऐसी कोई रिपोर्ट कहीं भी प्रकाशित नहीं हुई थी।

No such RTI has been done.

No such news has been published.

It is fully fabricated.

TMC is a party of liars. It starts from @MamataOfficial to lowly spokespersons like you. https://t.co/759PnBweuK

— BJP Gujarat (@BJP4Gujarat) December 1, 2022

गुजरात भाजपा ने कहा, “टीएमसी झूठों की पार्टी है। यह @MamataOfficial से शुरू होकर आप जैसे नीचे के प्रवक्ताओं तक है।” इस ट्वीट में गुजरात भाजपा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी टैग किया है। वहीं, पश्चिम बंगाल बीजेपी ने भी कहा कि गोखले फर्जी खबरें फैला रहे हैं। ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं है और न ही ऐसा कोई आरटीआई जवाब है।

No such RTI has been done.

No such news has been published.

It is fully fabricated. @mamataofficial – your spokespersons are worst than you. Reign them in. https://t.co/08gpEpj2ae

— BJP Bengal (@BJP4Bengal) December 1, 2022

कई अन्य सोशल मीडिया यूजर्स ने भी क्लिपिंग पर संदेह जताया और कहा कि यह फर्जी है। खास बात यह है कि ऑनलाइन सर्च करने पर ऐसी कोई गुजराती रिपोर्ट नहीं मिली। हालाँकि, कई क्षेत्रीय समाचार पत्रों की ऑनलाइन उपस्थिति नहीं होती है और कुछ केवल अपने मुद्रित पत्रों की फोटो को समाचार पत्रों के रूप में प्रकाशित करते हैं। इसलिए उन्हें ऑनलाइन खोजा नहीं जा सकता है। हालाँकि, गोखले द्वारा साझा की गई गुजराती समाचार क्लिपिंग में अखबार का नाम और रिपोर्ट की तारीख नहीं है, जिससे ‘रिपोर्ट’ का पता लगाना और उसे सत्यापित करना मुश्किल हो जाता है।

मूल रूप से इस क्लिपिंग को पोस्ट करने वाले डैक्स पटेल ने दावा किया है कि यह गुजरात समाचार की क्लिपिंग है। एक ट्विटर यूजर द्वारा अखबार का नाम और रिपोर्ट के लिंक के बारे में पूछने पर, डैक्स पटेल ने बिना किसी लिंक के सिर्फ ‘गुजरात समाचार’ कहकर जवाब दिया।

जैसा कि इस रिपोर्ट के लिए कोई लिंक नहीं दिया गया है, इसलिए ऑपइंडिया ने गुजरात समाचार वेबसाइट पर रिपोर्ट के बारे में पता लगाने की कोशिश की, लेकिन वह नहीं मिली। हमने पिछले हफ्ते के गुजरात समाचार अख़बार के ई-संस्करणों को पढ़ा, लेकिन अख़बार में ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं देखी गई।

उसके बाद ऑपइंडिया की टीम ने गुजरात समाचार के वेब विभाग से बात की कि क्या यह क्लिपिंग वास्तव में उनके अखबार की है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि उनके द्वारा ऐसी कोई रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि क्लिपिंग गुजरात समाचार की तरह दिखती है, लेकिन उन्होंने इसे प्रकाशित नहीं किया है।

उल्लेखनीय है कि क्लिपिंग का फ़ॉन्ट और लेआउट गुजरात समाचार के जैसा है, लेकिन ‘रिपोर्ट’ का प्रारूप वास्तविक वास्तविक खाता रिपोर्ट से मेल नहीं खाता है। गुजरात समाचार हमेशा रिपोर्ट की शुरुआत में तारीख या दिन, शहर का नाम और रिपोर्ट के स्रोत को प्रिंट करता है। ये सारी चीजेें इस क्लिपिंग में नहीं हैं।

तथाकथित रिपोर्ट में बताए गए ‘आरटीआई कार्यकर्ता दीपक पटेल’ के बारे में पूछताछ करने के लिए ऑपइंडिया की टीम ने मोरबी के कुछ निवासियों से भी बात की, लेकिन किसी ने ऐसे व्यक्ति के बारे में नहीं सुना। इसलिए, भाजपा का यह दावा कि यह मनगढ़ंत रिपोर्ट है, सच प्रतीत होता है।

ऑपइंडिया ने मोरबी कलेक्टर कार्यालय और गुजरात विभाग के सूचना विभाग से संपर्क किया है और मामले के बारे में और जानकारी माँगी है कि क्या इस तरह का कोई आरटीआई जवाब जारी किया गया था। जवाब मिलने के बाद रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा।

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