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स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है?

स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है?
शेयर बाजार क्या है

शेयर बाजार क्या है

शेयर बाजार क्या है और यह कैसे काम करता है शेयर मार्केट की जानकारी, शेयर कैसे खरीदें हिंदी में विस्तार से शेयर मार्किट गाईड आसान भाषा में। जब भी हम किसी बाज़ार की कल्पना करते है तो हमारे दिमाग में किसी ऐसी जगह की इमेज बनती है जहाँ बहुत-सी दुकानें होंगी या कोई मॉल जहां जाकर आप खरीदारी कर सकते हैं मगर शेयर बाजार ऐसा बाजार नहीं है. शेयर बाजार में खरीदने और बेचने का काम पूरी तरह से कंप्यूटर द्वारा ऑटोमेटिक तरीके से होता है. कोई भी शेयर खरीदने या बेचने वाला अपने ब्रोकर के द्वारा एक्सचेंज पर अपना आर्डर देता है और पलक झपकते ही पेंडिंग आर्डरों के अनुसार ऑटोमेटिकली सौदे का मिलान हो जाता है.

शेयर बाजार क्या है

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शेयर बाजार में काम के घंटों में ब्रोकर अपने ग्राहकों के लिए उनके द्वारा दिए गए आर्डर टर्मिनल में डाल देते हैं. इसके बदले में ब्रोकर को ब्रोकरेज या दलाली मिलती है। शेयर बाजार के बारे में अधिक जानकारी ओर अन्य पहलुओं को जानने के लिये Share Market information in Hindi विस्तार से पढ़ें।

कैसे होता है शेयर बाजार में काम

हम कह सकते हैं कि मुख्यतः शेयर बाजार की तीन कड़ियाँ हैं स्टॉक एक्सचेंज, ब्रोकर और निवेशक. ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज के सदस्य होते है और केवल वे ही उस स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेडिंग कर सकते हैं. ग्राहक सीधे जाकर शेयर खरीद या बेच नहीं सकते उन्हें केवल ब्रोकर के जरिए ही जाना पड़ता है. ऐसा नहीं है कि शेयर बाजार में निवेश करने के लिये कोई मोटी राशि कि जरुरत है, यहां पढिये शेयर बाजार में कम से कम कितने पैसे लगा सकते हैं।

शेयर बाजार क्या है – भारत के प्रमुख स्टॉक एक्स्चेंज

देश में मुख्यतः BSE यानी मुंबई स्टॉक एक्सचेंज और NSE यानी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज हैं जिन पर शेयरों का कारोबार होता है. BSE और NSE दुनिया के बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं. अधिकतर कंपनियां जिनके शेयर मार्केट में ट्रेड होते हैं इन दोनों स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड है मगर यह भी हो सकता है कि कोई कंपनी इन दोनों में से किसी एक ही एक्सचेंज पर लिस्टेड हों.

डीमैट अकाउंट है ज़रूरी

देश के मुख्यता सभी बड़े बैंक या उनकी सबसिडी कंपनियां और अन्य बड़ी वित्तीय कंपनियां इन एक्सचेंजों में ब्रोकर के तौर पर काम करती हैं. ग्राहक इन ब्रोकर कम्पनियों के पास जाकर अपने डीमैट अकाउंट की जानकारी देकर अपना खाता ब्रोकर के पास खुलवा सकता है. इस प्रकार ग्राहक का डीमैट एकाउंट ब्रोकर के अकाउंट से जुड़ स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? जाता है और खरीदी अथवा बेची गई शेयर्स ग्राहक के डीमैट अकाउंट से ट्रांसफर हो जाती हैं. इसी प्रकार ग्राहक अपना बैंक खाता स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? भी ब्रोकर के खाते के साथ जोड़ सकता है जिससे खरीदे अथवा बेचे गए शेयरों की धनराशि ग्राहक के खाते में ट्रांसफर की जाती है.

डीमैट अकाउंट से जुड़ता है ट्रेडिंग अकाउंट

ग्राहक द्वारा खरीदे गए शेयर इलेक्ट्रॉनिक रूप में उसके डीमैट एकाउंट में पड़े रहते हैं स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? जब भी कोई कंपनी डिविडेंड की घोषणा करती है तो डीमैट अकाउंट से जुड़े बैंक खाते में डिविडेंड की राशि पहुंच जाती है. इसी प्रकार यदि कंपनी बोनस शेयरों की घोषणा करती है तो बोनस शेयर भी शेयरहोल्डर के डीमैट अकाउंट में पहुंच जाते हैं. ग्राहक जब शेयर बेचता है तो उसी डीमैट अकाउंट से वह शेयर ट्रान्सफर हो जाता है.

शेयरों में कारोबार करने के लिए एक निवेशक के पास डीमैट अकाउंट, ब्रोकर के पास ट्रेडिंग अकाउंट और उससे जुडा एक बैंक खाता होना जरूरी है. कई बैंक इसके लिए स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? थ्री इन वन खाता खोलने की सुविधा भी देते हैं. अधिकतर ब्रोकर हाउस आपको ऑनलाइन शेयर ट्रेडिंग की सुविधा भी प्रदान करते हैं इसके अलावा आप फोन करके भी अपने ऑर्डर दे सकते है.

यदि आप भी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो शेयर बाजार क्या है और शेयर बाजार कैसे काम करता है यह आपके लिए समझना बहुत आवश्यक है.

Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा

Stock Market Trading: स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं तो सभी चार्जेज को आसानी से समझें ताकि मुनाफा बढ़ा सकें. मुनाफे के मामले में एनएसई और बीएसई पर ट्रेडिंग में भी फर्क है.

Stock Market Trading: इन तरीकों से बढ़ा सकते हैं स्टॉक मार्केट से कमाई, जानिए कैसे घट जाता है वास्तविक मुनाफा

स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है. (Image- Pixabay)

Stock Market Trading: अगर आप स्टॉक मार्केट में कारोबार करते हैं और शेयरों की सक्रिय रूप से खरीद-बिक्री करते हैं तो इससे जुड़े चार्जेज के बारे में पहले से कैलकुलेशन कर लेना चाहिए. यह कैलकुलेशन इसलिए जरूरी है क्योंकि इससे मुनाफा बढ़ाने में मदद मिलती है. इक्विटी में जब आप पैसे लगाते हैं तो यह इंट्रा-डे होता है या डिलीवरी या फ्यूचर या ऑप्शंस, इन सभी तरीकों में पैसे लगाने पर मुनाफा अलग-अलग हासिल होता है. स्टॉक मार्केट में जब आप पैसे लगाते हैं तो ब्रोकरेज, एसटीटी (सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन फीस), एक्सचेंज ट्रांजैक्शन चार्ज, जीएसटी, सेबी चार्ज, स्टांप ड्यूटी जैसे टैक्स व चार्जेज चुकाने होते हैं और इन्हें काटकर ही शुद्ध मुनाफा या नुकसान आपको हासिल होता है.

इन चार तरीकों से होती है ट्रेडिंग

  • Intra-Day Equity: जब आप शेयर की खरीद-बिक्री यानी लांग या शॉर्ट पोजिशन सिर्फ एक ही दिन के लिए लेते हैं यानी कि आज ही खरीदकर बेच दिया तो यह इंट्रा-डे के तहत माना जाता है. इसमें इक्विटी की होल्डिंग नहीं मिलती है.
  • Delivery Equity: इंट्रा-डे के विपरीत डिलीवरी ट्रेडिंग में आप जो शेयर खरीदते हैं, उसे डीमैट खाते में रखा जाता है और इसकी होल्डिंग कुछ समय के लिए मिलती है. इंट्रा-डे में चाहे घाटा हो या फायदा, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना जरूरी होता है, जबकि डिलीवरी इक्विटी ट्रेडिंग में अपने हिसाब से जब चाहें किसी भी कारोबारी समय पर शेयरों की बिक्री कर सकते हैं.
  • Future: यह खरीदार और विक्रेता के बीच एक वायदा है जिसके तहत एक खास दिन निश्चित प्राइस पर स्टॉक्स का लेन-देन होता है. सौदा हो जाने के बाद दोनों ही पार्टियों को इस सौदे को पूरा करना अनिवार्य है और कोई भी पक्ष मुकर नहीं सकता है.
  • Options: ऑप्शंस के तहत किसी खास दिन निश्चित प्राइस पर लेन-देन के लिए एक सौदा होता है जिसमें कुछ प्रीमियम चुकाना होता है. ऑप्शंस के तहत कॉल और पुट दो विकल्प मिलते हैं. कॉल ऑप्शंस के तहत खरीदार को खरीदने का अधिकार मिलता है और पुट ऑप्शंस के तहत बेचने का.

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मुनाफे पर ऐसे पड़ता है असर

ऊपर चार तरीकों के बारे में जानकारी दी गई जिससे आप शेयर मार्केट के जरिए पैसे कमाते हैं. अब नीचे देखते हैं कि आपको सभी तरीके से कितना मुनाफा हो रहा है-

  • मान लेते हैं कि आप किसी कंपनी के 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर इंट्रा-डे में ही 1100 रुपये में बेच देते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ. इस पर ब्रोकरेज, एसटीटी, एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस, जीएसटी, सेबी शुल्क और स्टांप ड्यूटी मिलाकर करीब 202.24 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इस ट्रेडिंग में आपको 39795.76 रुपये का मुनाफा होगा.
  • अगर आप 1 हजार रुपये के 400 शेयरों को खरीदकर डिलीवरी लेते हैं यानी कि उनकी बिक्री किसी और दिन 1100 रुपये के भाव पर करते हैं तो कुल टर्नओवर 8.40 लाख रुपये का हुआ लेकिन टैक्सेज व चार्जेज के रूप में 935.04 रुपये चुकाने होंगे. इसमें 39064.96 रुपये का मुनाफा हुआ जो इंट्रा-डे ट्रेडिंग से कम है. हालांकि इंट्रा-डे में बहुत रिस्क है क्योंकि इसमें मुनाफा हो या नुकसान, पोजिशन को स्क्वॉयर ऑफ करना ही होगा.
  • फ्यूचर के मामले में अगर आपने 400 शेयरों को 1000 रुपये में खरीदकर 1100 रुपये में बेचा है तो 8.4 लाख रुपये के टर्नओवर वाले इस ट्रांजैक्शन में 119.86 रुपये का टैक्स व चार्जेज चुकाने होंगे. इसमें 39880.14 रुपये का मुनाफा होगा.
  • अगर ऑप्शंस के तहत 1 हजार रुपये के 400 शेयरों के लिए सौदा किया है जिसकी बिक्री 1100 रुपये के भाव पर होती है तो 8.4 लाख रुपये के टर्नओवर के इस सौदे में 805.38 रुपये टैक्स व चार्जेज के रूप में चुकाने होंगे. इसमें 39194.62 रुपये का मुनाफा होगा.
    (यह कैलकुलेशन ब्रोकरेज फर्म Zerodha के कैलकुलेटर से किया गया है और इसमें एनएसई- नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर ट्रेडिंग का कैलकुलेशन है. सभी फर्मों के लिए ब्रोकरेज जैसे चार्जेज भिन्न होते हैं.)

F&O ट्रेडिंग में BSE पर NSE की तुलना में अधिक मुनाफा

Zerodha कैलकुलेटर के मुताबिक अगर आप एनएसई की बजाय बीएसई पर फ्यूचर एंड ऑप्शंस ट्रेडिंग करते हैं तो मुनाफा बढ़ सकता है. बीएसई पर F&O के लिए कोई एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस नहीं लगता है और इससे जीएसटी भी कम हो जाता है. ध्यान रहे कि इंट्रा-डे इक्विटी और डिलीवरी इक्विटी में बीएसई पर एक्सचेंज ट्रांजैक्शन फीस एनएसई के बराबर ही चुकानी होती है.

Stock Market Opening: शेयर बाजार ने की सुस्त शुरुआत, सेंसेक्स रिकॉर्ड उच्च स्तर पर कर रहा कारोबार

Stock Market Opening Bell: अपोलो हॉस्पिटल्स, हिंदुस्तान यूनिलीवर, डॉ रेड्डीज, हिंडाल्को, और टाटा स्टील सबसे ज्यादा लाभ में थे और हरे निशान पर कारोबार कर रहे थे. जबकि बजाज फिनसर्व, टाटा मोटर्स, बीपीसीएल, एलएंडटी, और मारुति सुजुकी सबसे ज्यादा नुकसान में थे.

Stock Market Opening: शेयर बाजार ने की सुस्त शुरुआत, सेंसेक्स रिकॉर्ड उच्च स्तर पर कर रहा कारोबार

Stock Market : पिछले दिन सेंसेक्स 62,508.80 के लेवल पर बंद हुआ था.

Stock Market Opening: ग्लोबल मार्केट से मिले कमजोर संकेत के बीच भारतीय शेयर बाजार (Stock Market) ने आज कारोबार की शुरुआत सपाट नोट पर की है. हफ्ते के दूसरे कारोबारी दिन प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स सेंसेक्स (Sensex) और निफ्टी (Nifty) दोनों गिरावट के साथ खुला. सेंसेक्स कारोबारी सत्र की शुरुआत में 144 अंक टूटकर 62360 के लेवल पर खुला. वहीं, नेशनल स्टॉक एक्सचेंज का निफ्टी भी नुकसान के साथ खुला. निफ्टी ने 24.20 अंकों की गिरावट के साथ 18,459.90 के लेवल पर कारोबार की शुरुआत की.

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हालांकि, लाल निशान पर कारोबार की शुरुआत करने के बाद बाजार ने जल्द ही रिकवरी कर ली. जिसके बाद सेंसेक्स 91.15 अंक यानी 0.15 प्रतिशत बढ़कर 62595.95 पर और निफ्टी 33 अंक यानी 0.18 प्रतिशत की तेजी के साथ 18595.80 के लेवल पर कारोबार करता दिखाई दिया.

आज के कारोबारी सत्र की शुरुआत में अपोलो हॉस्पिटल्स, हिंदुस्तान यूनिलीवर, डॉ रेड्डीज, हिंडाल्को, और टाटा स्टील सबसे ज्यादा लाभ में थे और हरे निशान पर कारोबार कर रहे थे. जबकि बजाज फिनसर्व, टाटा मोटर्स, बीपीसीएल, एलएंडटी, और मारुति सुजुकी सबसे ज्यादा नुकसान में थे. इन शेयरों में कारोबार की शुरुआत से ही निवेशकों ने कम रुचि दिखाई.

नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के आंकड़ों से पता चलता है कि पिछले कारोबारी दिन रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंचने के बाद बीएसई सेंसेक्स 211.16 अंक यानी 0.34 प्रतिशत की बढ़त के साथ 62,508.80 पर बंद हुआ था.

अगर अन्य एशियाई बाजारों की बात करें तो सियोल, शंघाई और हांगकांग के बाजार हरे निशान में कारोबार कर रहे थे, जबकि टोक्यो के बाजार में गिरावट दर्ज की गई है. वहीं, वॉल स्ट्रीट भी सोमवार को नकारात्मक नोटपर बंद हुआ था.

इसके अलावा अंतर्राष्ट्रीय तेल बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 1.39 प्रतिशत बढ़कर 84.35 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा था.

एक्सचेंज के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FPI) सोमवार को फिर से खरीदार बने. उन्होंने कल के कारोबारी सत्र के दौरान 935.88 करोड़ रुपये के भारतीय शेयरों की खरीद की है..

Share Market: क्या होता है Nifty और Sensex, जानें कैसे करता हैं काम?

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Share Market: अगर आप शेयर मार्केट में नए हैं तो दो शब्द आपको खूब परेशान करते होंगे. एक सेनसेक्स ( Sensex ) और दूसरा निफ्टी ( Nifty ). ये नाम रखे क्यों गए हैं? क्या इनमें आपको कोई अजीब बात नहीं लगती और इनका इस्तेमाल क्या है? दरअसल, स्टॉक मार्केट में दो एक्सचेंज हैं. एक NSE यानी नेशनल स्टोक एक्सचेंज और दूसरा BSE यानी बोम्बे स्टॉक एक्सचेंज. NSE में 1600 कंपनी लिस्टेड हैं और BSE में 5000 कंपनी लिस्टेड हैं. इन दोनों में कुछ कंपनियां कॉमन भी है. मतबल NSE और BSE दोनों में ही लिस्टेड हैं. जैसे कि रिलायंस और टाटा स्टील आदि. स्टॉक मार्केट में शेयर के प्राइज ऊपर जा रहे या नीचे आ रहे हैं. इसका पता लगाने के लिए हम इंडेक्स पर जाते हैं. वहीं, मार्केट में होने वाले उतार-चढ़ाव को सरल भाषा में समझने के लिए दो शब्द बनाए गए हैं. सेनसेक्स और निफ्टी.

क्या है सेनसेक्स

सेनसेक्स दो शब्दों से मिलकर बना है. सेंसेविटी और इंडेक्स. मतलब, सेनसेक्स मार्केट की सेंसिटिविटी को दर्शाता है. इसके अंदर टॉप 30 कंपनियों को रखा गया है. इसको बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज सेंसिटिव इंडेक्स कहा जाता है. आपको बता दें कि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का बेंचमार्क और देश का सबसे पुराना स्टॉक मार्केट इंडेक्स है, जिसे शुरुआत में 1986 में की गई थी. सेनसेक्स में जिन कंपनियों को रखा गया है उनमें- BHEL, Bharti Airtel, DLF, ग्रासिम, HDFC, HDFC बैंक, हीरो होंडा, हिंडाल्को, हिन्दुस्तान यूनीलीवर, ICICI बैंक, NTPC, ONGC, रिलायंस कम्युनिकेशन, रिलायंस इंडस्ट्रीज व रिलायंस इफ्रास्ट्रक्चर आदि-आदि शामिल हैं.

क्या है निफ्टी 50

निफ्टी- निफ्टी भी दो शब्दों से मिलकर बना है. नेशनल और फिफ्टी. इसके अंदर टॉप 50 कंपनियों को रखा गया है. इसलिए इसको निफ्टी-फिफ्टी भी कहा जाता है. यहां गौर करने वाली बात यह कि टॉप 50 कंपनियां ही निफ्टी में रहेंगी. निफ्टी में स्टॉक और म्यूचुअल फंड के माध्यम से निवेश होता है. निफ्टी 50 NSE द्वारा एक प्रमुख बेंचमार्क इंडेक्स है. इस स्टॉक एक्सचेंज में क्या कारोबार होता है? प्लेटफ़ॉर्म पर कारोबार करने वाले 50 शीर्ष-प्रदर्शन वाले इक्विटी शेयरों का प्रदर्शन करता है. निफ्टी को 1995 में शुरू किया गया था.

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