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अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे

अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे

क्या फायदे और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार का नुकसान है?

इसे सुनेंरोकेंव्यापार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने ग्राहकों को कई अंतरराष्ट्रीय बाजारों में फैलता है, जिससे आप दुनिया भर में बढ़ सकते हैं। वैश्विक बाजार आपको राजस्व के नए स्रोत तक पहुंच प्रदान कर सकता है, जो आपके व्यवसाय को अधिक वित्तीय क्षमता दे सकता है। कारोबार और राजस्व में वृद्धि सुनिश्चित करता है कि आपका व्यवसाय अधिक स्थिर है।

कैसे देशों अंतरराष्ट्रीय व्यापार किसी भी तीन से लाभ प्राप्त करते हैं?

इसे सुनेंरोकेंअंतरराष्ट्रीय व्यापार सिद्धांतों और वस्तुओं के स्थानांतरण के सिद्धांत पर निर्भर करता है जिससे व्यापार करने वाले देशों को लाभ ही पहुँचता है। विदेशी व्यापार के माध्यम से हर देश अपनी सर्वश्रेष्ठ वस्तु को बाज़ार में उतारता है। आयात अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे और निर्यात से अन्य आर्थिक क्रियाओं का विकास होता है।

इसे सुनेंरोकेंवैश्विक बाजार आपको राजस्व के नए स्रोत तक पहुंच प्रदान कर सकता है, जो आपके व्यवसाय को अधिक वित्तीय क्षमता दे सकता है। एक बाजार में व्यापार करके, आप जोखिम को कम करते हैं कि घरेलू व्यापार के मुद्दे आपके व्यवसाय पर हो सकते हैं। कारोबार और राजस्व में वृद्धि सुनिश्चित करता है कि आपका व्यवसाय अधिक स्थिर है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापर के क्या लाभ है?

इसे सुनेंरोकेंये लाभ निम्नलिखित हैं: व्यापार के सभी भागीदारों को लाभ: अधिक अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से अधिक उत्पादन, विश्व उत्पादकता में वृद्धि, अधिक आय तथा ऊँची संवृद्धि दर सभी सहभागी देशों को प्राप्त हो सकती हैं। विदेशी व्यापार द्वारा देशों का आर्थिक विकास सुविधाजनक हो जाता है। यह लाभ व्यापार में भाग लेने वाले देशों को होता है ।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार से देश कैसे लाभ प्राप्त करता है कोई 3?

इसे सुनेंरोकेंअंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों में आपसी सहयोग और भाईचारा बढ़ता है जिससे विभिन्न देशों के मध्य मैत्रिक संबंध अच्छे बनते हैं। अंतरराष्ट्रीय व्यापार सिद्धांतों और वस्तुओं के स्थानांतरण के सिद्धांत पर निर्भर करता है जिससे व्यापार करने वाले देशों को लाभ ही पहुँचता है।

अंतरराष्ट्रीय व्यापार कितने प्रकार के होते हैं?

इसे सुनेंरोकेंयह तीन प्रकार का होता है: (i) निर्यात व्यापार – यह विदेशों में वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री कर रहा है। विज्ञापन: (ii) आयात व्यापार – यह अन्य देशों अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे से वस्तुओं और सेवाओं को खरीद रहा है। (iii) एंट्रपोर्ट ट्रेड – यह अन्य देशों में फिर से निर्यात के लिए माल और सेवाओं का आयात है।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार

संसार के अधिकांश महान पत्तन इस प्रकार वर्गीकृत किए गए हैं:

दक्षिण अमरीकी राष्ट्रों में से कौन-सा एक ओपेक का सदस्य है?

नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर 150 शब्दों से अधिक में न दें:

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देश कैसे लाभ प्राप्त करते हैं?

  1. यह विश्व की अर्थव्यवस्था को लाभान्वित करता है, यदि विभिन्न राष्ट्र वस्तुओं के उत्पादन या सेवाओं की उपलब्धता में श्रम विभाजन तथा विशेषीकरण को प्रयोग में लाएँ।
  2. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार से देशों में आपसी सहयोग और भाईचारा बढ़ता है जिससे विभिन्न देशों के मध्य मैत्रिक संबंध अच्छे बनते हैं।
  3. अंतरराष्ट्रीय व्यापार सिद्धांतों और वस्तुओं के स्थानांतरण के सिद्धांत पर निर्भर करता है जिससे व्यापार करने वाले देशों को लाभ ही पहुँचता है।
  4. विदेशी व्यापार के माध्यम से हर देश अपनी सर्वश्रेष्ठ वस्तु को बाज़ार में उतारता है। आयात और निर्यात से अन्य आर्थिक क्रियाओं का विकास होता है।
  5. आधुनिक युग में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के अंतर्गत प्रौद्योगिक ज्ञान तथा अन्य बौद्धिक सेवाओं का भी आदान- प्रदान किया जाता है जिससे दोनों देशों को लाभ पहुँचता है।

निम्नलिखित महाद्वीपों में से किस एक से विश्व व्यापार का सर्वाधिक प्रवाह होता है?

नीचे दिए गए प्रश्न का उत्तर 150 शब्दों से अधिक में न दें:
पत्तन किस प्रकार व्यापार के लिए सहायक होते हैं? पत्तनों का वर्गीकरण उनकी अवस्थिति के आधार पर कीजिए।

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में पत्तनों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती हैं। इन्हीं पत्तनों द्वारा जहाज़ी माल तथा यात्री विश्व के एक भाग से दूसरे भाग को जाते हैं। पत्तन जहाज के लिए गोदी, लादने, उतारने तथा भंडारण हेतु सुविधाएँ प्रदान करते हैं तथा पत्तन आयत और निर्यात करने के क्षेत्र हैं।

डेली अपडेट्स

यह एडिटोरियल दिनांक 23/10/2021 को ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित “International trade is not a zero-sum game” लेख पर आधारित है। इसमें भारत द्वारा मुक्त व्यापार को बढ़ावा देने और अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में संरक्षणवाद को दूर करने की आवश्यकता के संबंध में चर्चा की गई है।

संयुक्त राज्य व्यापार प्रतिनिधि (USTR) ने अपनी वर्ष 2021 की "विदेश व्यापार बाधाओं पर राष्ट्रीय व्यापार अनुमान रिपोर्ट" (National Trade Estimate Report on Foreign Trade Barriers) में बताया है कि भारत की औसत टैरिफ दर 17.6% है जो किसी भी प्रमुख वैश्विक अर्थव्यवस्था की तुलना में उच्चतम है।

अपने घरेलू उद्योगों की चीन एवं अन्य देशों द्वारा डंपिंग तथा अन्य व्यापार विकृति अभ्यासों से रक्षा करने के उद्देश्य से भारत ने अपनी टैरिफ दरों में वृद्धि की है और अपने अन्य गैर-टैरिफ उपायों को कठोर बनाया है।

यद्यपि व्यापार संरक्षणवाद (Trade protectionism) का अर्थव्यवस्था को तत्काल लाभ हो सकता है, लेकिन सभी अर्थशास्त्री सहमति रखते हैं कि दीर्घावधि में यह देश के आर्थिक हितों को नुकसान पहुँचाता है।

संरक्षणवाद के साधन

भारत के साथ ही अन्य देश अनुचित व्यापार अभ्यासों से अपनी अर्थव्यवस्था की रक्षा के लिये विभिन्न उपाय अपनाते हैं। उनमें से कुछ प्रमुख उपाय हैं-

  • टैरिफ: टैरिफ किसी देश की सरकार द्वारा माल के आयात या निर्यात पर लगाया जाने वाला कर है। उच्च टैरिफ विदेशी उत्पादकों के लिये किसी घरेलू बाज़ार में अपना माल बेचने की लागत बढ़ा देते हैं, जिससे स्थानीय उत्पादकों को रणनीतिक लाभ प्राप्त होता है।
    • भारत में विश्व के उच्चतम टैरिफ दरों में से एक लागू है।
    • WTO के अनुसार, वर्ष 2015 से 2019 के बीच भारत ने 233 एंटी-डंपिंग जाँचों की शुरुआत की जो वर्ष 2011 से 2014 के बीच ऐसे 82 जाँचों की तुलना में तेज़ वृद्धि को दर्शाता है।
    • प्रतीत होता है कि भारत ने यह शर्त इसलिये आरोपित की है ताकि आयातक भारत के मुक्त व्यापार समझौता (FTA) भागीदारों से माल का आयात न कर सकें।

    संरक्षणवाद के पक्ष में तर्क

    • राष्ट्रीय सुरक्षा: यह आर्थिक संवहनीयता के लिये अन्य देशों पर निर्भरता के जोखिम से संबंधित है। यह तर्क दिया जाता है कि युद्ध की स्थिति में आर्थिक निर्भरता विकल्पों को सीमित कर सकती है। इसके साथ ही, कोई देश किसी दूसरे देश की अर्थव्यवस्था को नकारात्मक तरीके से प्रभावित कर सकता है।
    • नवजात उद्योग: यह तर्क दिया जाता है कि उद्योगों को उनके प्रारंभिक चरणों में संरक्षण प्रदान करने के लिये संरक्षणवादी नीतियों की आवश्यकता होती है। चूँकि बाज़ार खुला होता है, वैश्विक स्तर की बड़ी कंपनियाँ बाज़ार पर कब्जा कर सकती हैं। इससे नए उद्योग में घरेलू खिलाड़ियों के लिये अवसर का अंत हो सकता है।
    • डंपिंग: कई देश अन्य देशों में अपने माल की डंपिंग (उत्पादन लागत या स्थानीय बाज़ार अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे में उनकी कीमत से कम मूल्य पर बिक्री करना) करते हैं।
      • डंपिंग का उद्देश्य प्रतिस्पर्द्धा को समाप्त करते हुए विदेशी बाज़ार में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना और इस तरह एकाधिकार स्थापित करना होता है।

      संरक्षणवाद के विरुद्ध तर्क

      • व्यापार समझौते: भारत को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार समझौतों से व्यापक लाभ हुआ है। वाणिज्य मंत्रालय के आँकड़ों के अनुसार, भारत ने 54 देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर हस्ताक्षर किये हैं।
        • वे टैरिफ रियायतें प्रदान करते हैं, जिससे लघु एवं मध्यम उद्यमों (SMEs) से संबंधित उत्पादों के साथ ही वृहत रूप से उत्पादों के निर्यात को अवसर प्राप्त होता है।
        • ऐसे प्रतिबंध केवल भुगतान संतुलन की कठिनाइयों, राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे कुछ उद्देश्यों से ही आरोपित किये जा सकते हैं। घरेलू उद्योग को स्वस्थ प्रतिस्पर्द्धा से बचाने के लिये ऐसी बाधाएँ नहीं लगाई जा सकती हैं।

        आगे की राह

        • ‘कारोबार सुगमता’ में सुधार: हालाँकि भारत ने कई दिशाओं में प्रगति की है, लेकिन व्यवसाय शुरू करने, अनुबंध लागू करने और संपत्ति को पंजीकृत करने जैसे संकेतकों में वह अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे अभी भी कई बड़े देशों से पीछे है।
          • इन संकेतकों में सुधार से भारतीय फर्मों को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा कर सकने और बड़ी बाज़ार हिस्सेदारी प्राप्त कर सकने में मदद मिल सकती है।

          निष्कर्ष

          भारत को घरेलू उद्योग के हितों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों से FDI के रूप में विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिये व्यापार रियायतें प्रदान करने के बीच एक बेहतर संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता अंतरराष्ट्रीय व्यापार के फायदे है।

          वर्ष 2025 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के निर्माण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये व्यापक, बहुआयामी और बहु-क्षेत्रीय प्रयासों की ज़रूरत है।

          अभ्यास प्रश्न: "संरक्षणवाद अल्पावधि में तो लाभप्रद हो सकता है, लेकिन दीर्घावधि में यह अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुँचाता है।" टिप्पणी कीजिये।

          केंद्र ने रुपए में अंतरराष्ट्रीय व्यापार के सेटलमेंट की अनुमति दी, जानें इसके फायदे

          जैतो(रघुनंदन पराशर): वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि भारत सरकार ने भारतीय रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार निपटानों अर्थात चालान, भुगतान और भारतीय रुपए में निर्यात/आयात के निपटान के लिए विदेश व्यापार नीति तथा प्रक्रियाओं की पुस्तिका में उपयुक्त संशोधन किए हैं।

          इसी के अनुरूप, विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने पहले ही 11 जुलाई 2022 के भारतीय रिजर्व बैंक (डीआईआर) की परिपत्र संख्या 10 के अनुरूप चालान, भुगतान और भारतीय रुपये में निर्यात/आयात के निपटान की अनुमति देने के लिए दिनांक 16 सितम्बर 2022 की अधिसूचना संख्या 33/2015-20 का पैरा 2.52(डी) लागू कर दिया।

          उपरोक्त अधिसूचना की निरंतरता में,11 जुलाई 2022 के भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार भारतीय रुपए में निर्यात प्राप्तियों के लिए विदेश व्यापार नीति के तहत निर्यात लाभों/छूटों/ निर्यात बाध्यताओं की पूर्ति की मंजूरी के लिए विदेश व्यापार नीति के पैरा 2.53 के तहत परिवर्तन लागू किए गए हैं।

          भारतीय रुपए में निर्यात प्राप्ति के लिए अद्यतन प्रावधानों को निर्यातों के लिए आयातों (एफटीपी का पैरा 2.46), स्थिति धारकों के रूप में मान्यता के लिए निर्यात निष्पादन (एफटीपीका पैरा 3.20), अग्रिम प्राधिकरण (एए) तथा शुल्क मुक्त आयात प्राधिकरण (डीएफआईए) (एफटीपी का पैरा 4.21) के तहत निर्यात आय की प्राप्ति और निर्यात संवर्धन पूंजीगत वस्तुओं (ईपीसीजी) स्कीम (एचबीपी का पैरा 5.11) के तहत निर्यात आय की प्राप्ति के लिए अधिसूचित किया गया है।

          इसी के अनुसार, विदेश व्यापार नीति के तहत, लाभों/छूटों/निर्यात बाध्यताओं की पूर्ति को 11 जुलाई 2022 के भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों के अनुसार भारतीय रुपए में प्राप्ति के लिए विस्तारित कर दिया गया है। भारतीय रुपए के अंतर्राष्ट्रीयकरण में बढ़ती दिलचस्पी को देखते हुए, भारतीय रुपए में अंतर्राष्ट्रीय व्यापार लेनदेनों को सुगम बनाने तथा उसमें सरलता लाने के लिए ये नीतिगत संशोधन आरंभ किए गए हैं।

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