लागत औसत

सैनिटरी पैड बनाने का बिजनेस कैसे शुरू करें? | लागत, मुनाफा, नियम व शर्ते | लागत औसत Sanitary Napkin Making Business in Hindi
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Sanitary Napkin Making Business in Hindi:- मासिक धर्म या पीरिएड ज्यादातर महिलाओं के जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा होता है। औसतन महिला अपने जीवन काल के हर महीने लगभग 35 वर्षों तक मासिक धर्म में निकाल देती (Sanitary Pad banane ka business kaise shuru kare) है। इस प्रकार, अपनी इस मासिक धर्म की अवधि में औसत एक महिला को अपने जीवन काल में कम से कम 20,000 सैनिटरी पैड का इस्तेमाल करना पड़ता है।
महिलाओं का मासिक धर्म चक्र प्रजनन स्वास्थ्य के साथ-साथ महिलाओं के स्वास्थ्य के अन्य पहलुओं से भी जुड़ा हुआ होता (Business Plan for Sanitary Napkin Manufacturing) है। महिलाओं के लिए अच्छे स्वास्थ्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा स्वच्छ मासिक धर्म होता है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिस पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता है।
स्वच्छ मासिक धर्म के लिए महिलाओं द्वारा सैनिटरी पैड का उपयोग किया जाना चाहिए। लेकिन अफसोस की बात है कि ज्यादातर महिलाएं और किशोरियां इन आवश्यक उत्पादों तक पहुंच बनाने में असमर्थ हैं जो उनके मासिक धर्म के स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करेंगे क्योंकि या तो वह बहुत महंगे हैं या वह अनुपलब्ध (Raw Materials Needed for Sanitary Napkin Making Business) हैं। इसलिए उन्हें अस्वच्छ मासिक धर्म का सहारा लेने के लिए मजबूर किया जाता है। अस्वच्छ मासिक धर्म में टिशू पेपर, समाचार पत्र, कपास-ऊन और यहां तक कि क्षतिग्रस्त पुन: प्रयोज्य शोषक पैड का उपयोग किया जाता है।
पक्का खाला निर्माण कार्यो का निरन्तर निरीक्षण सुनिश्चित करें अधिकारी
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बैठक में सीएडी एवं सिंचाई विभाग के अधिकारियों को जिला कलक्टर ने दिये निर्देश
श्रीगंगानगर । गंगनहर एवं भाखड़ा परियोजना में सिंचित क्षेत्रा विकास विभाग द्वारा करवाये गये कार्यों/करवाये जाने वाले कार्यो की समीक्षा हेतु बैठक शुक्रवार को जिला कलक्टर श्री सौरभ स्वामी की अध्यक्षता में जिला कलेक्ट्रेट सभागार में हुई।
बैठक में जिला कलक्टर ने निर्देश दिये कि पक्का खाला निर्माण कार्यों के कार्यादेश जारी हो जाने के बाद यदि खाले की निलामी ग्राम पंचायत द्वारा नहीं की जाती है या नीलामी के बाद न्यूनतम बोली दाता द्वारा खाले को तोड़कर नहीं दिया जाता है तो ऐसे चकों की सूचना तुरन्त प्रभाव से उन्हें एवं अधीक्षण अभियन्ता, सिंचित क्षेेत्र विकास, श्रीगंगानगर को प्रस्तुत की जाए। जिला कलक्टर ने सभी अधिशाषी अभियन्ता को निर्देशित किया कि पक्का खाला निर्माण कार्यों का निरन्तर निरीक्षण किया जाना सुनिश्चित करें एवं सहायक अभियन्ता एवं कनिष्ठ अभियन्ता को नियमित रूप से कार्य स्थल पर उपस्थित रहकर गुणवतापूर्वक कार्य सम्पादित करावें। यदि निर्माण कार्र्याे की गुणवता से संबंधित कोई भी शिकायत प्राप्त होती है, तो नियमानुसार कठोर कार्यवाही की जायेगी।
जल संसाधन वृत्त के अधीक्षण अभियंता श्री धीरज चावला ने बैठक में अवगत करवाया कि वर्तमान में गंगनहर परियोजना फेज-ाा के अन्तर्गत पक्का खाला निर्माण कार्यो की प्रति हैक्टेयर लागत 25050 निर्धारित है। गंगनहर परियोजना फेज-ाा के अन्तर्गत पक्का खाला निर्माण कार्यो में प्रति हेक्टेयर लागत की गणना प्रत्येक चक की अलग-अलग न करके, गंगनहर परियोजना फेज-ाा के खण्ड स्तर/वृत स्तर समस्त चकों की औसत प्रति हेक्टेयर लागत के अनुसार निर्माण कार्य किया जाये। किसी भी स्थिति में लागत औसत कोई भी खाला प्रति हैक्टेयर लागत की वजह से अधूरा नहीं छोड़ा जाए। इसके अलावा जो कार्य प्रगतिरत हैं एवं उनके कुछ मुरब्बों को प्रति हैक्टेयर लागत अधिक होने के कारण छोड़ा गया है तो उन्हें भी उसी कार्य में शामिल करते हुए पूर्ण किया जावे।
उन्होंने बताया कि विभाग को काश्तकारों से अलाइन्मेंट संबधी शिकायतें प्राप्त होती हैं। पक्का खाला निर्माण कार्यो में एलाईमेंट सम्बन्धी विवादों को कम करने के लिए चक प्लान मौके पर चल रहे पुराने खाले के अनुसार ही तैयार किया जावे। यदि खाले की मौका स्थिति एवं जल संसाधन विभाग के लागत औसत चक प्लान में भिन्नता होने के कारण विवाद की स्थिति उत्पन्न होती है तो निर्माण कार्य शुरू करने से पूर्व अधीक्षण अभियंता जल संसाधन विभाग से मार्गदर्शन प्राप्त करें।
उन्होंने अवगत करवाया कि पक्का खाला निर्माण कार्यो के दौरान लागत औसत कुछ कार्यों को अंतिम/अपूर्ण कर दिया जाता है, जिससे काश्तकारों को पर्याप्त सिंचाई सुविधा प्राप्त नहीं हो पाती है। अतः कोई भी कार्य अतिंम/अपूर्ण नहीं किया जावे। यदि किसी खाले को लेकर काश्तकारों का आपसी विवाद है तो उसका निपटारा अनुबंध समय में ही करवाने हेतु स्थानीय जन प्रतिनिधियों से सम्पर्क करें। तत्पश्चात भी यदि कोई निपटारा नहीं होता है या माननीय न्यायालय/जल संसाधन विभाग से स्थगन आदेश या कोई विशेष कारण हो जिसका निवारण संभव नहीं है, की स्थिति में ही अंतिम/अपूर्ण किया जावे।
उन्होंने बताया कि जिन चकांे के अन्दर कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व विवाद अथवा कोर्ट केस हो तो ऐसी स्थिति में कार्य प्रारम्भ करने से पूर्व विवादों/कोर्ट केस का निपटारा किया जावे एवं स्थानीय जन प्रतिनिधि एवं सम्बन्धित अधीक्षण अभियंता से सम्पर्क करें। उनके अनुसार गंगनहर परियोजना में शामिल चकों लागत औसत को नाकारा करवाने हेतु पंचायत स्तर से प्रस्ताव तैयार करवाकर जिला परिषद को भिजवाएं। इन चकों की सूचना जिला कलक्टर एवं अधीक्षण अभियन्ता, सिंचित क्षेेत्रा विकास, श्रीगंगानगर को प्रस्तुत करें। यदि काश्तकार किसी खाले को नाकारा करवाना नहीं चाहते हैं, तो ऐसी स्थिति में पंचायत स्तर से लिखित में रिपोर्ट प्राप्त करें। अगर किसी कारणवश ग्राम पंचायत लिखित में रिपोर्ट नहीं देती है, तो अधीक्षण अभियन्ता, सिंचित क्षेेत्रा विकास, श्रीगंगानगर को अवगत करावें। इस अवसर पर सीएडी व सिंचाई विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।
लागत औसत
कई सरकारी बैंक कमजोर संपत्ति व उच्च ऋण लागत से परेशान : एसएंडपी
चेन्नई, 19 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार के स्वामित्व वाले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और प्रमुख निजी बैंकों ने अपनी संपत्ति की गुणवत्ता की चुनौतियों का समाधान किया है, लेकिन अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। यह बात वैश्विक बैंकिंग परि²श्य पर अपनी नवीनतम शोध रिपोर्ट में एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने कही।
चेन्नई, 19 नवंबर (आईएएनएस)। सरकार के स्वामित्व वाले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और प्रमुख निजी बैंकों ने अपनी संपत्ति की गुणवत्ता की चुनौतियों का समाधान किया है, लेकिन अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। यह बात वैश्विक बैंकिंग परि²श्य पर अपनी नवीनतम शोध रिपोर्ट में एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने कही।
रिपोर्ट के अनुसार कई बड़े पीएसबी अभी भी कमजोर संपत्ति, उच्च ऋण लागत और निम्न कमाई से जूझ रहे हैं।
रिपोर्ट में भारतीय बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के बारे में कहा गया है, हम वित्त कंपनियों (फिनकोस) के लिए मिक्स्ड-बैग परफॉमेंस की उम्मीद करते हैं। इन फिनकोस की संपत्ति की गुणवत्ता अक्सर प्रमुख निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में कमजोर होती है।
वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-2026 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना 6.5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, मध्यम अवधि में भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं मजबूत रहनी चाहिए।
एस एंड पी ग्लोबल ने कहा, हम अनुमान लगा रहे हैं कि 31 मार्च, 2024 तक बैंकिंग क्षेत्र के कमजोर ऋण सकल ऋण के 4.5 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक गिर जाएंगे। इसी तरह, हम वित्त वर्ष 2023 के लिए ऋण लागत के 1.2 प्रतिशत के सामान्य होने और अगले कुछ वर्षों के लिए लगभग 1.1 प्रतिशत से 1.2 प्रतिशत पर स्थिर होने का अनुमान लगाते हैं। यह ऋण लागत को अन्य उभरते बाजारों और भारत के 15 साल के औसत के बराबर बनाता है।
एस एंड पी ग्लोबल को उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में भारत में ऋण वृद्धि कुछ हद तक सांकेतिक सकल घरेलू उत्पाद अनुरूप बनी रहेगी, और खुदरा क्षेत्र में ऋण वृद्धि कॉपोर्रेट क्षेत्र से अधिक रहेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉपोर्रेट उधारी भी गति पकड़ रही है, लेकिन अनिश्चित वातावरण पूंजीगत व्यय से संबंधित विकास में लागत औसत देरी कर सकता है।
एसएंडपी ग्लोबल ने कहा, कैपिटल मार्केट फंडिंग से बैंक फंडिंग में बदलाव भी कॉरपोरेट लोन ग्रोथ में तेजी ला रहा है। डिपॉजिट को रफ्तार बनाए रखना मुश्किल हो सकता है, जिससे क्रेडिट-टू-डिपॉजिट अनुपात कमजोर हो लागत औसत सकता है।
रिपोर्ट के मुताबिक कुछ सालों में क्रेडिट-टू-डिपॉजिट अनुपात में सुधार हुआ है।
Paytm Shares: लॉक-इन पीरियड खत्म होने पर अलीबाबा और एंटफिन को मुनाफा, वॉरेन बफे का डूब सकता है 50% पैसा
Paytm की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस (One97 Communication) के करीब 86 फीसदी या 55.6 करोड़ शेयरों का लॉक-इन पीरियड इस हफ्ते खत्म हो रहा है
नायका (Nykaa) और पीबी फिनटेक (PB Fintech) के बाद अब दिग्गज फिनटेक कंपनी पेटीएम (Paytm) के शुरुआती निवेशकों के सामने यह सवाल आने वाला है कि वह कंपनी में अपने निवेश को बेचकर उससे निकल लें, या अपने निवेश को बनाए रखें। यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि कई निवेशक इस समय अपने निवेश पर 6 गुना लाभ कमाने की स्थिति में है। Paytm की पैरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस (One97 Communication) के करीब 86 फीसदी या 55.6 करोड़ शेयरों का लॉक-इन पीरियड इस हफ्ते खत्म हो रहा है, जिसके बाद शेयरधारक चाहें तो इन शेयरों की बिक्री कर सकते हैं।
कब खत्म हो रहा लॉक-इन पीरियड?
कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि यह लॉक-इन पीरियड 18 लागत औसत नवंबर 2022 को खत्म हो रहा है, क्योंकि इस दिन शेयरों की लिस्टिंग के एक साल पूरा हो रहे हैं। वहीं कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि 14 नवंबर को ही पेटीएम के शेयरों का लॉक-इन खत्म हो रहा है, क्योंकि इस दिन शेयर अलॉटमेंट का एक साल पूरा हो रहा है।
S&P ने कहा, कई सरकारी बैंक कमजोर संपत्ति व उच्च ऋण लागत से परेशान !
बिजनेस न्यूज डेस्क . सरकार के स्वामित्व वाले भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) और प्रमुख निजी बैंकों ने अपनी संपत्ति की गुणवत्ता की चुनौतियों का समाधान किया है, लेकिन अन्य सार्वजनिक क्षेत्र के लागत औसत बैंकों (पीएसबी) के बारे में ऐसा नहीं कहा जा सकता। यह बात वैश्विक बैंकिंग परि²श्य पर अपनी नवीनतम शोध रिपोर्ट में एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने कही। रिपोर्ट के अनुसार कई बड़े पीएसबी अभी भी कमजोर संपत्ति, उच्च ऋण लागत और निम्न कमाई से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट में भारतीय बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र के बारे में कहा गया है, हम वित्त कंपनियों (फिनकोस) के लिए मिक्स्ड-बैग परफॉमेंस की उम्मीद करते हैं। इन फिनकोस की संपत्ति की गुणवत्ता अक्सर प्रमुख निजी क्षेत्र के बैंकों की तुलना में कमजोर होती है।
वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2024-2026 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सालाना 6.5 प्रतिशत से 7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ, मध्यम अवधि में भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाएं मजबूत रहनी चाहिए। एस एंड पी ग्लोबल ने कहा, हम अनुमान लगा रहे हैं कि 31 मार्च, 2024 तक बैंकिंग क्षेत्र के कमजोर ऋण सकल ऋण के 4.5 प्रतिशत से 5 प्रतिशत तक गिर जाएंगे। इसी तरह, हम वित्त वर्ष 2023 के लिए ऋण लागत के 1.2 प्रतिशत के सामान्य होने और अगले कुछ वर्षों के लिए लगभग 1.1 प्रतिशत से 1.2 प्रतिशत पर स्थिर होने का अनुमान लगाते हैं। यह ऋण लागत को अन्य उभरते बाजारों और भारत के 15 साल के औसत के बराबर बनाता है। एस एंड पी ग्लोबल को उम्मीद है कि अगले कुछ वर्षों में भारत में ऋण वृद्धि कुछ हद तक सांकेतिक सकल घरेलू उत्पाद अनुरूप बनी रहेगी, और खुदरा क्षेत्र में ऋण वृद्धि कॉपोर्रेट क्षेत्र से अधिक रहेगी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि कॉपोर्रेट उधारी भी गति पकड़ रही है, लेकिन अनिश्चित वातावरण पूंजीगत व्यय से संबंधित विकास में देरी कर सकता है। एसएंडपी ग्लोबल ने कहा, कैपिटल मार्केट फंडिंग से बैंक फंडिंग में बदलाव भी कॉरपोरेट लोन ग्रोथ में तेजी ला रहा है। डिपॉजिट को रफ्तार बनाए रखना मुश्किल हो सकता है, जिससे क्रेडिट-टू-डिपॉजिट अनुपात कमजोर हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक कुछ सालों में क्रेडिट-टू-डिपॉजिट अनुपात में सुधार हुआ है।