भारत में म्युचुअल फंड इतिहास

What is Mutual Fund in Hindi? – म्यूचुअल फंड के बारे में सटीक और सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
Here you will find complete information about of what is Mutual Fund, how Mutual Fund Works, Mutual Fund Benefits in Hindi with exact details in Hindi
Mutual Fund in Hindi – आप अक्सर टीवी पर म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) से संबधित एक विज्ञापन जुरूर देखा होगा कुछ इस तरह का की म्यूचुअल फंड में निवेश करे और भविष्य को सुन्हेरा करे और आपके मन में यह बात भी आई होगी की आखिर Mutual Fund होता क्या है क्या इसमें निवेश करके हमे क्या फ़ायदा होगा भारत में म्युचुअल फंड इतिहास ये कैसे काम करता है आदि. इन सभी सबलो के जवाब इस पोस्ट में विस्तार व् पूरी सामान्य ज्ञान जानकारी साथ जानेगे.
म्यूचुअल फंड क्या है – What is Mutual Fund in Hindi
म्यूचुअल फंड का मतलब वैसे तो इसके नामे से ही पता चल रही है की यह एक तरह से इन्वेंस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट है जहा कई निवेशको का पैसा म्यूचुअल फंड लगा होता है जिसे म्यूचुअल फंड द्वारा एक फण्ड में डाल दिया जाता है। और लोगो द्वारा इकट्ठा किय गए पैसो को म्यूचुअल फंड शेयरों और बॉन्ड मार्केट में निवेश किया जाता है जब बहुत से निवेशक मिल कर एक फण्ड में निवेश करते हैं तो फण्ड को बराबर बराबर हिस्सों में बाँट दिया जाता है जिसे इकाई या यूनिट कहते हैं.
म्यूचुअल फंड में यदि आप निवेश करना चाहते तो आपके पास हजारो रूपये हो ये जरूरी नहीं है बल्कि आप सिर्फ 500 रूपये भी म्यूचुअल फंड में हर महीने निवेश कर सकते है इसके आपके पास डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है और जरूरी है कि आपका नाम भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में दर्ज होना चाहिए. म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले किसी एक्सपर्ट या ब्रोकर्स की सहयता जुरूर ले.
म्यूचुअल फंड का सबसे प्रमुख बांड तथा शेयर मार्केट्स हैं इसके अलावा गोल्ड अथवा अन्य किसी माल (Commodities) में निवेश कर सकते है. फंड्स के कई प्रकार होते हैं जिन्हें उनके निवेश के अनुसार जाना जाता है. मुख्य हैं डेट, इक्विटी और बैलेंस्ड फण्ड. सबसे अधिक विविधिता इक्विटी फंड्स में पायी जाती है.
म्यूच्यूअल फण्ड को मुख्य पांच भागों में बांटा गया है 1. स्पोंसर जो म्यूच्यूअल फण्ड सेट करता है इसको कम से कम म्यूच्यूअल फण्ड 40 प्रतिशत निवेश करना होता है इसको कोई भी हानि का दायित्व नहीं होता. 2. 1882 में म्यूच्यूअल फण्ड को इंडियन ट्रस्ट एक्ट के अनुसार एक ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया ट्रस्ट के दस्तावेज़ भारतीय पंजीकरण अधिनियम 1908 के अंतर्गत बनते हैं और ट्रस्ट पंजीकृत होता है. 3. ट्रस्टी जिसका मुख्य दायित्व यूनिट होल्डर के लाभ को सुरक्षित रखना होता है, 4. एसेट मैनेजमेंट कंपनी जिसका चुनाव ट्रस्टी द्वारा होता है. एएमसी को एसईबीआई द्वारा अनुमोदित होना चाहिए. 4. संरक्षक कोई ट्रस्ट कंपनी, बैंक अथवा इसी तरह के आर्थिक संस्थान, जो एसईबीआई से अनुमोदित हो, म्यूच्यूअल फण्ड के निवेशकों के निवेश को सुरक्षा प्रदान करते है. 5. रजिस्ट्रार और ट्रान्सफर एजेंट का चयन एएमसी द्वारा होता है. रजिस्ट्रार सभी आवेदन पत्रों का नियमन करता है, वहीँ ट्रान्सफर एजेंट निवेशकों से बात करता है और उनके रिकार्ड्स को समय दर समय अपडेट करता रहता है.
म्यूच्यूअल फण्ड मुक्य तीन प्रकार के होते है
ओपन एंडेड स्कीम्स, क्लोज्ड एंडेड स्कीम, इंटरवल स्कीम
म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने के के फायदे – Benefits of Investment in Mutual Fund
हर कोई व्यक्ति अपना पैसा Mutual Funds में निवेश करने से पहले यह जरूर सोचता है की कही उसका पैसा डूब तो नहीं जायगा या कोई बड़ा घटा तो नहीं होगा लेकिन ऐसा नहीं है क्युकी आपके द्वारा निवेश किया गया आपका पैसा म्यूच्यूअल फंड्स एक्सपर्ट द्वारा उनके अनुभव के साथ मैनेज किआ जाता है आपका पैसा लगाने से पहले ये पूरी अच्छी तरह से रिसर्च व् जानकारी करते है की किस फण्ड में आपका पैसा निवेश करना चाहिए निवेशको को इसमें अधुकतम सुरक्षा मिलती है आप बहुत ही आसन तरीके से Mutual Funds में निवेश कर सकते हो और उतनी ही आसानी से अपना पैसा निकाल भी सकते हो इसमें ऑनलाइन व् ऑफलाइन दोनों तरीको से आप फंड्स खरीद और बेच सकते है यदि आप किसी बड़ी भारत में म्युचुअल फंड इतिहास कम्पनी में आपका पैसा निवेश करना चाहते तो और आपके पास उतना बजट नहीं है जबकि म्यूच्यूअल फण्ड में कई लोगो का पैसा एक साथ इकठ्ठा होता है तो आपके पैसे से बढ़ी कम्पनी में पैसा निवेश किआ जाता है जहा आपका पैसा भरी फायदा पता है म्यूच्यूअल फण्ड सिर्फ बड़े नहीं छोटे व् कम बजट वाले निवेशकों का पैसा बड़ी कंपनियो में निवेश करता है. Mutual Funds में निवेश करने पर आपको टैक्स पर भी छुट मिलती है.
म्यूचुअल फंड का भारत में म्युचुअल फंड इतिहास इतिहास – History of Mutual Fund in Hindi
भारत का पहला म्यूचुअल फंड 1963 में यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के रूप में आया. इसका मुख्य उद्देश्य था छोटे निवेशकों को आकर्षित करना और उन्हें निवेश तथा बाजार से सम्बंधित विषयों से अवगत कराना. 1992 में सेबी ने एक विधेयक पास किया जिसके तहत बाजार में निवेशकों के पैसे को सुरक्षा प्रदान किया जाए तथा सिक्योरिटी बाजार को नियंत्रित किया जाए. जहां तक म्यूचुअल फंड का संबंध है सेबी ने 1993 में म्यूचुअल फंड को लेकर नियमन अधिसूचित किया. उसके बाद से ही निजी क्षेत्र की कंपनियों को म्यूचुअल फंड में प्रवेश करने की इजाजत दे दी गई. सेबी समय-समय पर निवेशकों के पैसे को संरक्षित करने के लिए नियम बनाती है तथा कई तरह के दिशा-निर्देश जारी करती है.
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले एक चेतावनी
यदि इस पोस्ट को पढने के बाद आपका मन भी Mutual Funds में निवेश करने का हो रहा है तो पहले किसी अनुभवी एक्सपर्ट की सहायता ले और सभी दस्तावेज और फंड्स से जुडी सारी जानकारी को ध्यान से पड़े किसी भी नुकसान के आप खुद/ स्वयं ज़िम्मेदार होंगे.
उम्मीद है ऊपर दी गई Mutual Funds के बारे में पूरी व् सटीक जानकारी आपको अच्छी तरह से समझ आ गयी होगी यदि इस पोस्ट में कोई गलती या कुछ विशेष तथ्य छुट गया हो तो कृपया हमे ईमेल के जरिये बताये|
म्युचुअल फंड में करते हैं निवेश तो ध्यान दें, इस मशहूर कंपनी का बदल गया नाम
व्हाइट ओक कैपिटल ने नियामक मंजूरी की खातिर इक्विटी म्युचुअल फंड पेशकश दस्तावेज दाखिल किए हैं।
Edited by: India TV Paisa Desk
Published on: January 13, 2022 15:49 IST
Photo:FILE
म्युचुअल फंड में करते हैं निवेश तो ध्यान दें, इस मशहूर कंपनी का बदल गया नाम
Highlights
- ऐसेट मैनेजमेंट से जुड़ी इकाई ‘यस एसेट मैनेजमेंट’ का नाम बदल गया है
- यस एसेट मैनेजमेंट का नाम बदलकर व्हाइट ओक कैपिटल एसेट मैनेजमेंट किया गया
- यस म्युचुअल फंड का नाम भी अब से व्हाइट ओक कैपिटल म्युचुअल फंड होगा
नयी दिल्ली। अगर आप भी म्युचुअल फंड में निवेश करते हैं तो यह खबर आपको जरूर ही जाननी चाहिए। ऐसेट मैनेजमेंट से जुड़ी इकाई ‘यस एसेट मैनेजमेंट’ का नाम बदल गया है। 12 जनवरी यस एसेट मैनेजमेंट का नाम बदलकर व्हाइट ओक कैपिटल एसेट मैनेजमेंट किया गया है। यस म्युचुअल फंड का नाम भी अब से व्हाइट ओक कैपिटल म्युचुअल फंड होगा।
व्हाइट ओक कैपिटल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशीष पी सोमैया ने बृहस्पतिवार को ट्वीट में यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘‘व्हाइट ओक कैपिटल ने नियामक मंजूरी की खातिर इक्विटी म्युचुअल फंड पेशकश दस्तावेज दाखिल किए हैं।’’ व्हाइट ओक कैपिटल समूह ने नवंबर में घोषणा की थी कि यस बैंक के म्युचुअल फंड कारोबार के अधिग्रहण के लिए लेनदेन पूरा हो चुका है।
इत्तिरा डेविस होंगे उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक के एमडी
उज्जीवन स्मॉल फाइनेंस बैंक (एसएफबी) को प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) पद पर इत्तिरा डेविस की नियुक्ति को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से मंजूरी मिल गई है। बैंक ने यह नियुक्ति एक वर्ष के लिए की है। निजी क्षेत्र के बैंक ने बृहस्पतिवार को एक विज्ञप्ति में कहा कि डेविस मार्च वर्ष 2015 से उज्जीवन बैंक के साथ जुड़े हुए हैं। उनके पास भारत, पश्चिमी एशिया और यूरोप में 40 से अधिक वर्षों के कार्य अनुभव है।
What is Mutual Fund in Hindi? – म्यूचुअल फंड के बारे में सटीक और सम्पूर्ण जानकारी हिंदी में
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Mutual Fund in Hindi – आप अक्सर टीवी पर म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) से संबधित एक विज्ञापन जुरूर देखा होगा कुछ इस तरह का की म्यूचुअल फंड में निवेश करे और भविष्य को सुन्हेरा करे और आपके मन में यह बात भी आई होगी की आखिर Mutual Fund होता क्या है क्या इसमें निवेश करके हमे क्या फ़ायदा होगा ये कैसे काम करता है आदि. इन सभी सबलो के जवाब इस पोस्ट में विस्तार व् पूरी सामान्य ज्ञान जानकारी साथ जानेगे.
म्यूचुअल फंड क्या है – What is Mutual Fund in Hindi
म्यूचुअल फंड का मतलब वैसे तो इसके नामे से ही पता चल रही है की यह एक तरह से इन्वेंस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट है जहा कई निवेशको का पैसा म्यूचुअल फंड लगा होता है जिसे म्यूचुअल फंड द्वारा एक फण्ड में डाल दिया जाता भारत में म्युचुअल फंड इतिहास है। और लोगो द्वारा इकट्ठा किय गए पैसो को म्यूचुअल फंड शेयरों और बॉन्ड मार्केट में निवेश किया जाता है जब बहुत से निवेशक मिल कर एक फण्ड में निवेश करते हैं तो फण्ड को बराबर बराबर हिस्सों में बाँट दिया जाता है जिसे इकाई या यूनिट कहते हैं.
म्यूचुअल फंड में यदि आप निवेश करना चाहते तो आपके पास हजारो रूपये हो ये जरूरी नहीं है बल्कि आप सिर्फ 500 रूपये भी म्यूचुअल फंड में हर महीने निवेश कर सकते है इसके आपके पास डीमैट अकाउंट होना अनिवार्य है और जरूरी है कि आपका नाम भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) में दर्ज होना चाहिए. म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले किसी एक्सपर्ट या ब्रोकर्स की सहयता जुरूर ले.
म्यूचुअल फंड का सबसे प्रमुख बांड तथा शेयर मार्केट्स हैं इसके अलावा गोल्ड अथवा अन्य किसी माल (Commodities) में निवेश कर सकते है. फंड्स के कई प्रकार होते हैं जिन्हें उनके निवेश के अनुसार जाना जाता है. मुख्य हैं डेट, इक्विटी और बैलेंस्ड फण्ड. सबसे अधिक विविधिता इक्विटी फंड्स में पायी जाती है.
म्यूच्यूअल फण्ड को मुख्य पांच भागों में बांटा गया है 1. स्पोंसर जो म्यूच्यूअल फण्ड सेट करता है इसको कम से कम म्यूच्यूअल फण्ड 40 प्रतिशत निवेश करना होता है इसको कोई भी हानि का दायित्व नहीं होता. 2. 1882 में म्यूच्यूअल फण्ड को इंडियन ट्रस्ट एक्ट के अनुसार एक ट्रस्ट के रूप में स्थापित किया ट्रस्ट के दस्तावेज़ भारतीय पंजीकरण अधिनियम 1908 के अंतर्गत बनते हैं और ट्रस्ट पंजीकृत होता है. 3. ट्रस्टी जिसका मुख्य दायित्व यूनिट होल्डर के लाभ को सुरक्षित रखना होता है, 4. एसेट मैनेजमेंट कंपनी जिसका चुनाव ट्रस्टी द्वारा होता है. एएमसी को एसईबीआई द्वारा अनुमोदित होना चाहिए. 4. संरक्षक कोई ट्रस्ट कंपनी, बैंक अथवा इसी तरह के आर्थिक संस्थान, जो एसईबीआई से अनुमोदित हो, म्यूच्यूअल फण्ड के निवेशकों के निवेश को सुरक्षा प्रदान करते है. 5. रजिस्ट्रार और ट्रान्सफर एजेंट का चयन एएमसी द्वारा होता है. रजिस्ट्रार सभी आवेदन पत्रों का नियमन करता है, वहीँ ट्रान्सफर एजेंट निवेशकों से बात करता है और उनके रिकार्ड्स को समय दर समय अपडेट करता रहता है.
म्यूच्यूअल फण्ड मुक्य तीन प्रकार के होते है
ओपन एंडेड स्कीम्स, क्लोज्ड एंडेड स्कीम, इंटरवल स्कीम
म्यूच्यूअल फण्ड में निवेश करने के के फायदे – Benefits of Investment in Mutual Fund
हर कोई व्यक्ति अपना पैसा Mutual Funds में निवेश करने से पहले यह जरूर सोचता है की कही उसका पैसा डूब तो नहीं जायगा या कोई बड़ा घटा तो नहीं होगा लेकिन ऐसा नहीं है क्युकी आपके द्वारा निवेश किया गया आपका पैसा म्यूच्यूअल फंड्स एक्सपर्ट द्वारा उनके अनुभव के साथ मैनेज किआ जाता है आपका पैसा लगाने से पहले ये पूरी अच्छी तरह से रिसर्च व् जानकारी करते है की किस फण्ड में आपका पैसा निवेश करना चाहिए निवेशको को इसमें अधुकतम सुरक्षा मिलती है आप बहुत ही आसन तरीके से Mutual Funds में निवेश कर सकते हो और उतनी ही आसानी से अपना पैसा निकाल भी सकते हो इसमें ऑनलाइन व् ऑफलाइन दोनों तरीको से आप फंड्स खरीद और बेच सकते है यदि आप किसी बड़ी कम्पनी में आपका पैसा निवेश करना चाहते तो और आपके पास उतना बजट नहीं है जबकि म्यूच्यूअल फण्ड में कई भारत में म्युचुअल फंड इतिहास लोगो का पैसा एक साथ इकठ्ठा होता है तो आपके पैसे से बढ़ी कम्पनी में पैसा निवेश किआ जाता है जहा आपका पैसा भरी फायदा पता है म्यूच्यूअल फण्ड सिर्फ बड़े नहीं छोटे व् कम बजट वाले निवेशकों का पैसा बड़ी कंपनियो में निवेश करता है. Mutual Funds में निवेश करने पर आपको टैक्स पर भी छुट मिलती है.
म्यूचुअल फंड का इतिहास – History of Mutual Fund in Hindi
भारत का पहला म्यूचुअल फंड 1963 में यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया के रूप में आया. इसका मुख्य उद्देश्य था छोटे निवेशकों को आकर्षित करना और उन्हें निवेश तथा बाजार से सम्बंधित विषयों से अवगत कराना. 1992 में सेबी ने एक विधेयक पास किया जिसके तहत बाजार में निवेशकों के पैसे को सुरक्षा प्रदान किया जाए तथा सिक्योरिटी बाजार को नियंत्रित किया जाए. जहां तक म्यूचुअल फंड का संबंध है सेबी ने 1993 में म्यूचुअल फंड को लेकर नियमन अधिसूचित किया. उसके बाद से ही निजी क्षेत्र की कंपनियों को म्यूचुअल फंड में प्रवेश करने की इजाजत दे दी गई. सेबी समय-समय पर निवेशकों के पैसे को संरक्षित करने के लिए नियम बनाती है तथा कई तरह के दिशा-निर्देश जारी करती है.
म्यूचुअल फंड में निवेश करने से पहले एक चेतावनी
यदि इस पोस्ट को पढने के बाद आपका मन भी Mutual Funds में निवेश करने का हो रहा है तो पहले किसी अनुभवी एक्सपर्ट की सहायता ले और सभी दस्तावेज और फंड्स से जुडी सारी जानकारी को ध्यान से पड़े किसी भी नुकसान के आप खुद/ स्वयं ज़िम्मेदार होंगे.
उम्मीद है ऊपर दी गई Mutual Funds के बारे में पूरी व् सटीक जानकारी आपको अच्छी तरह से समझ आ गयी होगी यदि इस पोस्ट में कोई गलती या कुछ विशेष तथ्य छुट गया हो तो कृपया हमे ईमेल के जरिये बताये|
अब म्युचुअल फंड निवेशकों को 7 दिनों के भीतर मिलेगी डिविडेंड की रकम
News18 हिंदी 4 दिन पहले News18 Hindi
नई दिल्ली.भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 25 नवंबर यानी शुक्रवार को एक परिपत्र जारी कर म्यूचुअल फंड हाउसों को रिकॉर्ड तिथि से सात दिनों के भीतर लाभांश (डिविडेंड) का भुगतान करने के लिए कहा. सेबी ने आगे निर्देश देते हुए कहा कि लाभांश के भुगतान के उद्देश्य से रिकॉर्ड तिथि सार्वजनिक सूचना की तारीख से दो कार्य दिवस होनी चाहिए.
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने एक परिपत्र में कहा कि नये नियम के तहत अब लाभांश भुगतान के लिये समयसीमा घटाकर मौजूदा 15 कामकाजी दिवस से सात दिन कर दी गयी है. आगे नियामक बोर्ड ने बताया कि म्यूचुअल फंड हाउसों को निवेशकों को लाभांश का भुगतान रिकॉर्ड तिथि से सात कामकाजी दिनों के भीतर करना होगा.
तीन दिन के भीतर उपलब्ध करायी जाएगी राशि
साथ भारत में म्युचुअल फंड इतिहास ही यूनिट बेचने से प्राप्त राशि के अंतरण के लिये समयसीमा मौजूदा 10 कामकाजी दिनों से घटाकर तीन कार्य दिवस कर दिया गया है. सेबी ने कहा, यूनिट बेचने से प्राप्त होने वाली राशि यूनिटधारकों यानी निवेशकों को यूनिट बेचने की तिथि से तीन दिन के भीतर उपलब्ध करायी जाएगी. आगे मार्केट रेगुलेटर सेबी ने कहा कि जिन योजनाओं में कुल संपत्ति में से कम-से-कम 80 प्रतिशत राशि अगर विदेशों में स्वीकृत निवेश उत्पादों में निवेश किया गया है तो ऐसी स्थिति में यूनिट बेचने से प्राप्त होने वाली राशि यूनिटधारकों को आवेदन देने की तिथि से पांच कामकाजी दिवस के भीतर उपलब्ध करायी जाएगी.
देर हुई तो 15 प्रतिशत की दर से मिलेगा ब्याज
वहीं, सेबी के साथ विचार-विमर्श कर उद्योग संगठन एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) उन अपवाद परिस्थितियों की सूची प्रकाशित करेगा, जिसके कारण वह निवेशकों को निर्धारित समयसीमा में भुनायी गयी रकम देने में असमर्थ होंगे. साथ ही उन्हें यह भी बताना होगा कि ऐसी परिस्थिति में यूनिटधारकों को पैसा मिलने में कितना समय लगेगा. इस सूची का प्रकाशन 30 दिनों के भीतर किया जाएगा. बोर्ड नियामक ने कहा कि अगर यूनिट बेचने से प्राप्त होने वाली राशि अथवा लाभांश भुगतान में देरी होती है तो निवेशकों को प्राप्त होने वाली राशि पर सालाना 15 प्रतिशत की दर से ब्याज मिलेगा.
संपत्ति प्रबंधन कंपनियां करेंगी ब्याज का भुगतान
आगे बोर्ड ने बताया कि इस ब्याज का भुगतान संपत्ति प्रबंधन कंपनियां करेंगी और इस प्रकार के भुगतान का विवरण अनुपालन रिपोर्ट के तहत सेबी को देना होगा. बता दें कि सेबी ने 15 नवंबर को इन सब पहलुओं पर म्यूचुअल फंड नियमों में बदलावों को अधिसूचित किया था. पहले फंड हाउसों को 30 दिनों के भीतर लाभांश का भुगतान करने की अनुमति दी गई थी और 10 दिनों में रिडेम्पशन आय का भुगतान करने की अनुमति दी गई थी.