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किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं?

किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं?

क्रिप्टोकरेंसी क्या है - What is Cryptocurrency

दोस्तों आप भी जानना चाहते होंगे कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी क्या है ? क्यों आज यह पूरे विश्व में एक चर्चित विषय बना हुआ है। आज हमलोग क्रिप्टोकरेंसी क्या है, क्रिप्टोकरेंसी कैसे काम करता है, क्रिप्टोकरेंसी के लाभ और हानि क्या है, के बारे में बहुत ही आसान भाषा में और विस्तार से चर्चा करेंगे। मुझे पूरी आशा है कि इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आपको क्रिप्टोकरेंसी के बारे में कोई दुविधा नहीं रह जाएगी -

Cryptocurrency दो शब्दों Crypto और Currency के मिलने से बना है। इसमें Crypto शब्द लैटिन भाषा के शब्द Cryptography से लिया गया है जिसका अर्थ होता है “छुपा हुआ” और लैटिन भाषा के ही शब्द Currentia से Currency शब्द लिया गया है। इस प्रकार Cryptocurrency का अर्थ हुआ “छुपा/गुप्त पैसा”।

दोस्तों हर देश की अपनी एक करेंसी यानि मुद्रा होती है, जैसे अमेरीका में डॉलर, साउदी अरब में रियाल, जापान में येन, भारत में रूपया इत्यादि। इन सभी करेंसी का एक वैल्यू/मान होता है, जिसके माध्यम से हमलोग उस करेंसी के ही वैल्यु के बराबर की कोई वस्तु या सेवा (Service) खरीद सकते हैं। इन करेंसियों पर उस देश की सरकारों का नियंत्रण होता है। जैसे संयुक्त राज्य की मौद्रिक नीति फेडरल रिजर्व सिस्टम द्वारा संचालित की जाती है, जो देश के केंद्रीय बैंक के रूप में कार्य करती है। उसी प्रकार भारत की बात करें तो यहाँ की करेंसी यानि रूपया को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किया जाता है एवं भारत सरकार इस मुद्रा पर नियंत्रण रखती है।

लेकिन अगर बात करें क्रिप्टोकरेंसी की तो क्रिप्टोकरेंसी पर किसी भी देश या उनकी सरकार, एजेन्सी या बोर्ड का कोई भी अधिकार या नियंत्रण नहीं होता है। क्रिप्टोकरेंसी एक विकेन्द्रीकृत (Decentralized) डिजिटल या यूँ कहें यह एक आभाषी मुद्रा है, जिसे हम छू नहीं सकते हैं। इसे क्रिप्टोग्राफी तकनीक के द्वारा सुरक्षित किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी ब्लॉकचेन तकनीक पर आधारित विकेन्द्रीकृत (Decentralized) नेटवर्क पर कार्य करती है। अन्य मुद्राओं को हमलोग छू सकते हैं किन्तु क्रिप्टोकरेंसी के डिजिटल/आभासी मुद्रा होने के कारण हम इसे न तो अपने पर्स में और न ही बैंक के लॉकर में रख सकते हैं। इसका कोई भौतिक स्वरूप नहीं होता है। यह इनक्रिप्टेड (कोडेड) होती है, इसलिए इसका लेनदेन भी केवल डिजिटल माध्यम के द्वारा ही किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी को डिजिटल वॉलेट में स्टोर किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी पर किसी देश का नियंत्रण नहीं होने के कारण इसके मूल्य को Regulate नहीं किया जा सकता है। यही वजह है कि इसकी Value स्थिर नहीं रहती और बहुत तेजी से इसकी कीमतों में उतार चढ़ाव होता रहता है, जो किसी को पलभर में अमीर बना देता है या एक झटके में जमीन पर ला देता है।

केन्द्रीकृत (Centralized) और विकेन्द्रीकृत (Decentralized) सिस्टम को नीचे दिए गए Image से समझा जा सकता है -

क्रिप्टोकरेंसी कैसी बनाई जाती है ?

How to Make aCryptocurrency

दोस्तों जैसे कि आपको पता है कि रूपए, डॉलर या अन्य करेंसियों को स्पेशल पेपर और स्याही का उपयोग करते हुए मशीनों द्वारा छपाई की जाती है, इसके बाद जटिल सरकारी प्रक्रियाओं से गुजरने के बाद यह अस्तित्व में आता है और हम इसे इस्तेमाल कर पाते हैं, किन्तु क्रिप्टोकरेंसी के मामले में ऐसा नहीं है, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी को किसी पेपर पर छपाई नहीं की जाती है।

अब आप के मन में सवाल आ रहा होगा कि आखिर क्रिप्टोकरेंसी को बनाया कैसे जाता है । तो दोस्तों इसका जवाब है कि इसको अस्तित्व में लाने के लिए इसकी माईनिंग की जाती है। जी हाँ, क्रिप्टोकरेंसी की ईकाइयाँ (units) (समझने के लिए मान लीजिए क्रिप्टोकरेंसी के सिक्के) खनन (Mining) नामक एक प्रक्रिया के माध्यम से बनाई जाती हैं। यह माईनिंग ब्लॉकचेन नामक तकनीक पर आधारित होती है। खनन का मतलब जैसे कोयला या अन्य खनिज के लिए जमीन की खुदाई की जाती है, वह वाली माइनिंग नहीं दोस्तों बल्कि यह माईनिंग कम्प्युटर पर होती है। इस माईनिंग प्रक्रिया में सिक्कों (यानी क्रिप्टोकरेंसी) को उत्पन्न करने के लिए एक जटिल गणितीय समस्याओं को हल करना पड़ता है, जिसमें काफी अधिक कंप्यूटर की शक्ति का उपयोग होता है और यह काम कम्प्यूटर स्वयं करता है। इन ब्लॉकचेन के लेनदेन की प्रामाणिकता को साबित करने के लिए काम करने वाले कंप्यूटरों को खनिक (Miner) के रूप में जाना जाता है और अपनी खर्च किए गए ऊर्जा के बदले में, खनिकों को नई खनन की गई क्रिप्टो संपत्ति /धन प्राप्त होती है। इस प्रोत्साहन-संचालित प्रणाली को प्रूफ-ऑफ-वर्क (पीओडब्ल्यू) कहा जाता है। इस खनन प्रक्रिया में काफी अधिक बिजली की खपत होती है। छोटे एवं बड़े दोनों स्तर का क्रिप्टोकरेंसी का खनन किया जाता है। आप कम पूँजी लगाकर घर पर भी इसका खनन कर सकते हैं और एक बड़े प्रोजेक्ट के तौर पर भी बड़ी पूंजी लगाकर भी इसका खनन किया जाता है। उदाहरण के तौर पर नीचे दिए गए तस्वीरों से स्पष्ट है –

अच्छी स्पीड वाला कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं? वाला कोई भी व्यक्ति खनिक (Miner) बन सकता है। लेकिन ध्यान देने वाली बात यह होती है कि खनन हमेशा लाभदायक नहीं होता है। Cryptocurrency के माईनिंग में लाभ इस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के क्रिप्टोकरेंसी का खनन (Mining) कर रहे हैं, आपका कंप्यूटर कितना तेज़ है और आपके क्षेत्र में बिजली की लागत (Cost) क्या है। क्योंकि ऐसी स्थित भी बन सकती है कि आपके द्वारा क्रिप्टोकरेंसी की माईनिंग में किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं? कुल खर्च की गई राशि, इस माईनिंग से हुए आमदनी से कम रह जाए और यह आपके लिए घाटे का सौदा बन जाए।

दोस्तों आप चाहे तो बिना माईनिंग किए क्रिप्टोकरेंसी को दलालों (Broker) के जरिए भी खरीद सकते हैं, फिर क्रिप्टोग्राफिक वॉलेट का उपयोग करके उन्हें स्टोर और खर्च कर सकते हैं।

क्रिप्टोकरेंसीके प्रकार

Typesof Cryptocurrency

बिटकॉइन (Bitcoin) सबसे पहली क्रिप्टोकरेंसी थी, जो आज भी सबसे अधिक उपयोग किए जानी वाली, मूल्यवान और लोकप्रिय क्रिप्टोकरेंसी है। बिटकॉइन के साथ, अलग-अलग कार्यों और विशिष्टताओं के साथ अन्य वैकल्पिक क्रिप्टोकरेंसी भी बनाई गई हैं, जो कुछ तो बिटकॉइन की पुनरावृत्ति हैं, जबकि अन्य को एकदम नए सिरे से यानि शुरूआत से बनाया गया है।

बिटकॉइन को सबसे पहले वर्ष 2009 में एक व्यक्ति या समूह द्वारा लॉन्च किया गया था, जिसे ‘‘सातोशी नाकामोटो’’ (Satoshi Nakamoto) के नाम से जाना जाता है। मार्च 2021 तक, लगभग 927 बिलियन डॉलर के कुल मार्केट कैप के साथ 18.6 मिलियन से अधिक के बिटकॉइन प्रचलन में थे।

बिटकॉइन की सफलता को देखते हुए बनाई गई अन्य प्रतिस्पर्धी क्रिप्टोकरेंसियों को “Altcoins” के रूप में जाना जाता है।

आज, अस्तित्व में मौजूद सभी क्रिप्टोकरेंसी का कुल मूल्य लगभग $1.5 ट्रिलियन है। जिसमें केवल बिटकॉइन वर्तमान में कुल मूल्य के 60% से अधिक का प्रतिनिधित्व करता है।

कुछ प्रसिद्ध Cryptocurrency का List उसके Symbol और Logo के साथ निम्न प्रकार हैं –

क्रिप्टोकरेंसी कैसे बनाएं

आपके पास कई अलग-अलग तरीकों से क्रिप्टोकरेंसी बनाने का ऑप्शन होता है। इनमें से हर ऑप्शन क्रिप्टोकरेंसी बनाने के लिहाज़ से अलग होता है। अपेक्षाकृत सरल मेथड के लिए आपको अपना ब्लॉकचेन बनाना होगा जो आपकी क्रिप्टोकरेंसी का नेटिव हो। आप पहले से मौजूद ब्लॉकचेन के कोड में बदलाव भी कर सकते हैं। यदि इन दोनों मेथड में से कोई भी आपके लिए कारगर है, तो आपके पास अधिक जटिल तरीकों में शामिल होने का ऑप्शन होता है जिसके ज़रिये आप कोई क्रिप्टोकरेंसी बना सकते हैं। इन तरीकों से आप पहले से मौजूद ब्लॉकचेन पर एक नई क्रिप्टोकरेंसी बना सकते हैं जो या फिर ब्लॉकचेन डेवलपर को रख सकते हैं और वह आपके लिए क्रिप्टोकरेंसी बना सकता है।

इन ऑप्शन में से अधिकांश के लिए टेक्निकल कंप्यूटर नॉलेज होना ज़रूरी है। इसके अलावा, आपके पास फिनांशियल नॉलेज भी होना चाहिए और मानव संसाधन से निपटने में माहिर होना चाहिए। आपके द्वारा चुनी गई क्रिप्टोकरेंसी जितनी अधिक टेक्निकल होगी, उतना ही उसे आप अपने अनुकूल बना सकते हैं। कुछ क्रिप्टोकरेंसी डेवलपर्स की राय है कि अपने अनुकूल बनाने की कोशिश करनी चाहिए। चार तरीकों से संबंधित पेचीदगियों को समझने के लिए पढ़ना जारी रखें, यदि आप जानना चाहते हैं कि आप अपनी खुद की क्रिप्टोकरेंसी कैसे बना सकते हैं।

मेथड 1. किसी नेटिव क्रिप्टोकरेंसी के सपोर्ट के लिए ब्लॉकचेन बनाना

अपने लिए इसका कोड लिखकर और इसके लिए किसी नेटिव क्रिप्टोकरेंसी सपोर्ट हासिल कर अपना ब्लॉकचेन बनाना संभव है। हालांकि क्रिप्टोकरेंसी निर्माण को आगे बढ़ाने के लिए, व्यापक टेक्निकल प्रशिक्षण की ज़रुरत होगी ताकि आपके पास पर्याप्त कोडिंग कौशल हो। इन कौशलों का लाभ उठाकर और अपने फायदे के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी की समझ के साथ आप डिजाइन के साथ खेल सकते हैं। यह मेथड आपके लिए एक अच्छा ऑप्शन है यदि आप ऐसी क्रिप्टोकरेंसी बनाना चाहते हैं जिसमें इसका कोई बिल्कुल नया पहलू हो या क्षमता के हिसाब से इनोवेटिव हो।

अपने नेटिव क्रिप्टोकरेंसी के लिए पूरी तरह से नया ब्लॉकचेन बनाने के लिए, आपको इन स्टेप से गुज़रना होगा।

स्टेप 1. एक कन्सेंसस मैकेनिज्म चुनकर शुरू करें जो अनिवार्य रूप से ब्लॉकचेन का ऑपरेटिंग प्रोटोकॉल है। प्रूफ ऑफ स्टेक (या पीओएस) और प्रूफ ऑफ वर्क (पीओडब्ल्यू) कुछ सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले कन्सेंसस मैकेनिज्म हैं।

स्टेप 2. अपने ब्लॉकचेन और उसके आर्किटेक्चर के लिए लेआउट डिज़ाइन करें। इसमें आपको यह तय करना होगा कि आपका ब्लॉकचेन सार्वजनिक होगा या नहीं, अनुमति की ज़रुरत है या नहीं आदि।

स्टेप 3. इसके बाद, आपको अपने ब्लॉकचेन के कोड की जांच करने और किसी भी तरह की खामी के आकलन के लिए एक कुशल ब्लॉकचेन ऑडिटर रखना होगा।

स्टेप 4. अंत में, आपको एक कानूनी फर्म की सेवा लेने पर विचार करना चाहिए ताकि आपको किसी भी नई क्रिप्टोकरेंसी को बनाने से पहले कानूनी सलाह मिल सके। और वकीलों मौजूदा कानूनों और रेगुलेशन के अनुपालन की पुष्टि कर सकें।

मेथड 2. मौजूदा ब्लॉकचेन के कोड को बदलें

एक नया ब्लॉकचेन विकसित करने और अपनी नेटिव करेंसी का उपयोग करने के लिए आपके पास हमेशा किसी अन्य ब्लॉकचेन से संबंधित स्रोत कोड का उपयोग करने का ऑप्शन होता है। यह इस तथ्य पर ध्यान देने योग्य है कि आपको अभी भी इसके टेक्निकल पहलुओं में पारंगत होना होगा क्योंकि आपको उस डिज़ाइन को बनाने के लिए स्रोत कोड में बदलाव करना होगा जिस पर आपने अपनी जगहें सेट की हैं।

पहले से मौजूद ब्लॉकचेन के उक्त स्रोत कोड को डाउनलोड और मॉडिफाई कर लेते हैं, तो आपको खामियों की जाँच के लिए ब्लॉकचेन ऑडिटर की सेवाओं को लिस्ट करना होगा। यह सुनिश्चित करने के लिए कि कहीं आपने किसी कानून का उल्लंघन तो नहीं किया है, आपको पेशेवर कानूनी सलाह भी लेनी होगी। इन सारी प्रक्रियाओं से गुज़रने के बाद आप नई क्रिप्टोकरेंसी बना सकेंगे।

मेथड 3. नई क्रिप्टोकरेंसी बनाने के लिए मौजूदा ब्लॉकचेन का उपयोग करना

क्रिप्टोकरेंसी निर्माता के पास अपना ब्लॉकचेन बनाए बिना या मौजूदा ब्लॉकचेन को मॉडिफाई किए बिना नई क्रिप्टोकरेंसी बनाने का ऑप्शन हमेशा होता है। उदाहरण के लिए इथेरियम ब्लॉकचेन को देखते ही साफ़ हो जाता है कि इसे कई तरह के डेवलपर्स द्वारा बनाई गई क्रिप्टोकरेंसी को होस्ट करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। बनाई गई नई करेंसी टोकन की श्रेणी में आती है क्योंकि यह डिजिटल पैसा है जो उस ब्लॉकचेन की नेटिव नहीं है जिस पर वह काम करती है।

टोकन बनाने के लिए कुछ हद तक टेक्निकल विशेषज्ञता की ज़रुरत होती है, ज्यादातर मामलों में ठीक-ठाक सा कंप्यूटर नॉलेज बिना किसी मुश्किल के टोकन बनाने के लिए काफी होता है। टोकन कैसे बनता है, यह समझने के लिए नीचे दिए स्टेप पर गौर करें।

स्टेप 1. कोई ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म चुनें (उदाहरण के लिए बिनेंस स्मार्ट चेन या इथेरियम प्लेटफॉर्म लें) जिस पर आप अपना टोकन होस्ट करना चाहते हैं।

स्टेप 2 आप अपने टोकन को किस हद तक कस्टमाइज़ करना चाहते हैं, इसके आधार पर इसे बनाने के लिए आवश्यक उपाय अलग-अलग होंगे। आमतौर पर अत्यधिक कस्टमाइज़ टोकन के लिए एडवांस्ड टेक्निकल नॉलेज की ज़रुरत होती है। टोकन बनाने के तरीके को समझने के लिए वॉलेट बिल्डर जैसे टूल का उपयोग किया जा सकता है।

स्टेप 3. अपनी क्रिप्टोकरेंसी बना लेने पर नए टोकन बनाना शुरू कर सकते हैं। स्टेप 1 में लिस्ट किये गए विश्वसनीय प्लेटफॉर्म का उपयोग कर आपको टोकन का एक सेट जारी करने से पहले ऑडिटर या वकील की सेवा लेने की ज़रुरत नहीं है।

टोकन सिक्कों के रूप में कस्टमाइज़ नहीं होता है, इसलिए यह क्रिप्टोकरेंसी बनाने का अपेक्षाकृत तेज़ और कहीं अधिक किफायती तरीका है। बनाए गए टोकन को उन सुरक्षा उपायों से फायदा हो सकता है जो पहले स्थापित ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म के पास हैं। इसके अलावा, उक्त प्लेटफॉर्म टोकन निर्माताओं को इनोवेटिव फीचर प्रदान कर सकते हैं। अपने टोकन को अच्छी तरह से स्थापित ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म के साथ जोड़कर आप अपने टोकन की विश्वसनीयता और वैल्यू बढ़ा सकते हैं।

मेथड 4. अपनी क्रिप्टोकरेंसी बनाने के लिए एक ब्लॉकचेन डेवलपर सूचीबद्ध करें

नया टोकन या करेंसी बनाने के लिए आप किसी ब्लॉकचेन डेवलपमेंट कंपनी की मदद ले सकते हैं। ऐसे एंटरप्राइज को ब्लॉकचेन-एज़-ए-सर्विस (या बीएएस) कंपनी कहा जाता है जो क्रिप्टोकरेंसी और ब्लॉकचेन नेटवर्क डेवलप करने और इसे बनाए रखने का काम करते हैं। इनमें से कुछ कंपनियां कस्टमाइज्ड ब्लॉकचेन बनाती हैं, अन्य अपने ब्लॉकचेन इंफ्रास्ट्रक्चर का उपयोग कर सकती हैं जो पहले से मौजूद हैं।

निष्कर्ष

अपनी क्रिप्टोकरेंसी बनाकर, आप इसे वैसे कस्टमाइज़ कर सकते हैं जैसा आपको ठीक लगता है और इस प्रक्रिया में, आप ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी के बारे में अधिक जानकारी हासिल कर पाते हैं। इसके अलावा, आपकी क्रिप्टोकरेंसी को वैल्यू मिल सकता है जो आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। मतलब, क्रिप्टोकरेंसी तभी बनानी चाहिए जबकि आपके पास पर्याप्त टेक्निकल नॉलेज हो या फिर आपके पास बीएएएस कंपनी की सर्विस लेने लिए पैसा हो। यह ध्यान रखना ज़रूरी है कि क्रिप्टोकरेंसी बनाने में बहुत समय लग सकता है और यह महंगी पहल है क्योंकि आपको इसका हमेशा रखरखाव करना होगा है ताकि यह सफल हो।

डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग का उद्देश्य है सिर्फ जानकारी देना न कि कोई सलाह/इन्वेस्टमेंट के बारे में सुझाव देना या किसी स्टॉक की खरीद-बिक्री की सिफारिश करना।

कितना सुरक्षित है क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना? कितना है प्रॉफिट और क्या हैं रिस्क?

cryptocurrencies: क्रिप्टोकरेंसी एक तकनीक का उपयोग करके काम करती है जिसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) कहा जाता है.

  • Paurav Joshi
  • Publish Date - October 18, 2021 / 04:37 PM IST

कितना सुरक्षित है क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करना? कितना है प्रॉफिट और क्या हैं रिस्क?

देश में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrencies) के कई फॉर्म Bitcoin, Ethereum, Tether, Dogecoin और न जाने क्या -क्या आ चुके हैं. हर तरफ क्रिप्टोकरेंसी को लेकर बहुत जोर-शोर से चर्चा हो रही है. कई लोग इसमें निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं. हाल ही में, क्रिप्टोकरेंसी में भारी गिरावट देखी गई है. भारत में क्रिप्टोकरेंसी (cryptocurrencies) को लेकर सबसे बड़ा सवाल यह है कि इसे कानूनन किस तरह की मान्यता प्राप्त अहि और इसमें निवेश करना कितना सुरक्षित है.

RBI ने निवेशकों को किया है कई बार सतर्क

सरकार ने “RBI द्वारा जारी आधिकारिक डिजिटल मुद्रा के लिए एक सुविधाजनक ढांचा बनाने” और “भारत में सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी को प्रतिबंधित करने” के लिए द क्रिप्टोकरेंसी एंड रेगुलेशन ऑफ ऑफिशियल डिजिटल करेंसी बिल 2021 का प्रस्ताव पेश किया है. भारत में क्रिप्टोकरेंसी के भविष्य को लेकर अलग-अलग तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं. भारतीय रिजर्व बैंक ने समय-समय पर निवेशकों को सतर्क किया है और उन्हें आभासी मुद्राओं से जुड़े जोखिमों के बारे में चेतावनी दी है.

क्रिप्टोकरेंसी क्या है?

क्रिप्टोकरंसी एक प्रकार का पेमेंट है जिसके बदले में आप सामान और सेवाएं ऑनलाइन खरीद सकते हैं. क्रिप्टोकरेंसी एक तकनीक का उपयोग करके काम करती है जिसे ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (Blockchain Technology) कहा जाता है.

बाजार में कितनी क्रिप्टोकरेंसीज मौजूद हैं?

मार्केट रिसर्च वेबसाइट CoinMarketCap.com के अनुसार, बाज़ार में 6,700 से अधिक विभिन्न क्रिप्टोकरेंसी उपलब्ध हैं और हररोज नयी करेंसी मार्किट में आ रही है. CoinMarketCap.com के अनुसार, 13 अप्रैल 2021 को, सभी क्रिप्टोकरेंसी का कुल मूल्य $2.2 ट्रिलियन से अधिक हो गया था और सबसे लोकप्रिय डिजिटल मुद्रा मतलब बिटकॉइन का कुल मूल्य, लगभग $1.2 ट्रिलियन था.

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के लाभ

दुनिया की सबसे पॉपुलर और सबसे पुरानी क्रिप्टोकरेंसी बिटकॉइन ने वित्त वर्ष 2020-21 में 800 फीसदी का रिटर्न दिया है. अप्रैल, 2020 में यह 6,640 डॉलर के रेट पर ट्रेड कर रहा था और फिर एक साल की अवधि में यानी अप्रैल, 2021 तक यह 65,000 डॉलर पर पहुंच गया. बिटकॉइन के अलावा और भी कई अन्य क्रिप्टो कॉइन्स में जबरदस्त उछाल आई और निवेशकों ने बढ़िया रिटर्न कमाया.

क्रिप्टोकरेंसी में निवेश के खतरे

इस साल अप्रैल में बाजार ऐतिहासिक ऊंचाई पर पहुंचा था. लेकिन अप्रैल के अंत में क्रिप्टो मार्केट क्रैश हो गया. अधिकतर करेंसी की वैल्यू गिर गई. बिटकॉइन $30,000 के अंदर आ गया. अभी बिटकॉइन $62,000 पर है. ऐसे में यह समझना जरूरी है कि क्रिप्टो कॉइन्स बहुत ही ज्यादा वॉलटाइल यानी उतार-चढ़ाव का शिकार होती हैं और निवेश के पैसे डूबने का खतरा रहता है. दूसरी कमी यह है कि आप क्रिप्टोकरेंसी को हर जगह फ्लैट करेंसी यानी कि रुपया, डॉलर वगैरह की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. फिलहाल ऐसी बहुत कम जगहें हैं, जहां आप क्रिप्टोकरेंसी को पेमेंट के लिए इस्तेमाल कर सकें यानी कि इसे रुपये के अल्टरनेट की तरह इस्तेमाल कर सकें. ऊपर से इसपर कोई सरकारी रेगुलेशन नहीं है, तो वो किसी अप्रत्याशित स्थिति को न्यौता दे सकता है.

नए जमाने के ‘करेंसी नोट’ पर काम कर रहा है RBI, लेकिन इसे जेब में लेकर नहीं घूम सकेंगे… जानें डिटेल्स

बीते महीने आरबीआई और वित्त मंत्रालय कह चुका है कि वे भारत की डिजिटल करेंसी और उसके के लिए क़ानून बनाने पर विचार करेंगे. लेकिन भारत की ख़ुद की डिजिटल करेंसी लाना आसान है.

नए जमाने के

पिछले महीने आरबीआई ने फिर एक बार दोहराया था कि वो खुद की क्रिप्टो करेंसी लाने जा रहे है. अभी इसके चलन को लेकर ऑप्शन पर काम जारी है. हालांकि, सरकार पिछले कुछ महीनों से क्रिप्टोकरंसी के खिलाफ कार्रवाई की योजना बना रही है. अगर नया विधेयक कानून का रूप लेता है तो यह निवेशकों के लिए चिंता का विषय होगा. अगर ऐसा होता है तो भारत क्रिप्टोकरेंसी को अवैध बनाने वाली पहली बड़ी अर्थव्यवस्था होगी. यहां तक ​​कि चीन में भी इसे लेकर सजा का प्रावधान नहीं है. भारत में 70 लाख किस प्रकार की क्रिप्टोकरेंसी मौजूद हैं? से अधिक लोगों ने क्रिप्टोकरंसी में 100 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है.

सबसे पहले जानते हैं क्रिप्टोकरेंसी के बारे में…

डिजिटल या क्रिप्टो करेंसी इंटरनेट पर चलने वाली एक वर्चुअल करेंसी हैं. बिटकॉइन के अलावा दुनिया में सैकड़ों अन्य क्रिप्टो करेंसी भी मौजूद हैं जैसे- रेड कॉइन, सिया कॉइन, सिस्कॉइन, वॉइस कॉइन और मोनरो.

बिटकॉइन (Bitcoin) भी क्रिप्टोकरेंसी है. इसे सातोशी नकामोति ने 2008 में बनाया था. हालांकि आजतक यह नहीं पता चल पाया है कि सातोशी नकामोति कौन है.

इसे पहली बार 2009 में ओपन सोर्स सॉफ्टवेयर के रूप में जारी किया गया था. इसको कोई बैंक या सरकार कंट्रोल नहीं करती है.

भारत में रिजर्व बैंक ने इसे मान्यता नहीं दी है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने वर्चुअल करेंसी के माध्यम से क्रिप्टोकरेंसी में लेन देन की इजाज़त दे दी है. यानी भारत में भी बिटकॉइन की खरीद-फरोख्त हो सकती है.

क्रिप्टोकरेंसी का मुनाफा काफ़ी अधिक होता है, ऑनलाइन खरीदारी से लेन-देन आसान होता है. क्रिप्टो करेंसी के लिए कोई नियामक संस्था नहीं है, इसलिए नोटबंदी या करेंसी के अवमूल्यन जैसी स्थितियों का इस पर कोई असर नहीं पड़ता.

साल 2009 में जब बिटकॉइन को लांच किया गया था तब उसकी वैल्यू 0 डॉलर थी. 2010 में भी इसकी वैल्यू 1 डॉलर तक नहीं पहुंची. लेकिन आज एक बिटकॉइन का रेट करीब 45 लाख रुपये के करीब है.

अब क्या कर रहा है RBI

इसको लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है कि कितने भारतीयों के पास क्रिप्टो करेंसी है या कितने लोग इसमें व्यापार करते हैं लेकिन कई मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि करोड़ों लोग डिजिटल करेंसी में निवेश कर रहे हैं और महामारी के दौरान इसमें बढ़ोतरी हुई है.

बीते महीने आरबीआई और वित्त मंत्रालय कह चुका है कि वे भारत की खुद की डिजिटल करेंसी और उसके के लिए कानून बनाने पर विचार करेंगे. लेकिन भारत की खुद की डिजिटल करेंसी लाना आसान है.

सरकार केवल किसी प्रकार के लेन-देन को एक लीगल टेंडर का दर्जा देगी जो कि भारत की भारी जनसंख्या इस्तेमाल कर सकती है.

हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि डिजिटल लीगल टेंडर (मान्याता देना) को जारी करना चुनौतीपूर्ण है. अगर आसान शब्दों में कहें तो आम लोगों तक इसे पहुंचाना एक बड़ा टास्क होगा.

एक्सपर्ट्स बताते हैं कि कानून बनाना आसान नहीं होगा. भारत में इसको लेकर कई चुनौतियां है. यहां पर सबसे बड़ा सवाल ये उठता है क्या ये आम चलन में इस्तेमाल होगी. क्या ये डिजिटल लीगल टेंडर होंगे या इनका आम जनता भी इस्तेमाल कर सकेगी.

इसके अलावा देश के बैंकिंग सिस्टम के सामने मनी लॉन्ड्रिंग टाटा प्रोटेक्शन जैसे कई मामले खड़े हो जाएंगे. लेकिन कोरोना काल में भारत में तेजी से डिजिटल अर्थव्यवस्था बढ़ी है. इसीलिए इसको लेकर उम्मीदें बढ़ रही है.

RBI ने इन चीज़ों को लेकर जताई चिंता

आरबीआई ने हाल में कहा था कि किसी देश की करेंसी उसका सोवरन राइट है और यह किसी एक व्यक्ति के साथ नहीं जोड़ा जा सकता. अब तक इस तरह के इंस्ट्रूमेंट को कानूनी जामा पहुंचा पहनाने की कोशिश सफल नहीं हो पाई है.

इसीलिए RBI ने केंद्र सरकार को सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं से भी अवगत कराया है. आरबीआई ने कहा है कि क्रिप्टो करेंसी को देश में इजाजत देने की वजह से मनी लॉन्ड्रिंग और टेरर फाइनेंसिंग को बढ़ावा मिल सकता है.

क्रिप्टो करेंसी के ट्रांजैक्शन में लेन-देन करने वाले के नाम का पता नहीं लगता, इसलिए इसका उद्देश्य देश विरोधी गतिविधियों के लिए किया जा सकता है.

हाल में एक इंटरव्यु में आरबीआई के अधिकारी ने कहा था कि इसमें बहुत सारे कोड हैं और बहुत से ट्रांजैक्शन होते हैं, इसमें सोर्स का पता लगाना बहुत मुश्किल है क्योंकि इस तरह के इंस्ट्रूमेंट का नेचर बहुत जटिल होता है.

आरबीआई के एक अन्य अधिकारी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय चलन के अनुसार इस तरह के ट्रांजैक्शन की रिपोर्टिंग में काफी मुश्किलें आ सकती हैं. वास्तव में क्रिप्टोकरेंसी में लाभ पाने वाले की पहचान करना और ट्रांजैक्शन को ट्रैक करना बहुत मुश्किल काम है.

आइए जानें सरकार का क्या कहना है?

वित्त राज्य मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने संसद में बताया कि बिटकॉइन, सहित सभी क्रिप्टोकरेंसी के साथ जुड़े जोखिमों को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने 6 अप्रैल , 2018 को एक परिपत्र के माध्यम से देश की सभी संस्थाओं को सलाह दी है कि क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े कोई भी काम नहीं करें.

लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने दिनांक 04 मार्च , 2020 को अपने एक फैसले में 2018 के डब्ल्यूपी ( सी ) सं . 528 और 2018 के डब्ल्यूपी ( सी ) सं . 373 में दिनांक 06 अप्रैल , 2018 के उपर्युक्त परिपत्र को खारिज कर दिया है.

उन्होंने बताया कि वित्त वर्ष 2018-19 के बजट भाषण में यह घोषणा की गई कि सरकार क्रिप्टो करेंसियों को वैध मुद्रा या सिक्का नहीं मानती और इन क्रिप्टो के उपयोग को समाप्त करने के लिए सरकार सभी उपाय करेगी.

सरकार डिजिटल अर्थव्यवस्था में प्रवेश करने हेतु ब्लॉक चेन टेक्नोलॉजी का सक्रिय रूप से उपयोग करके उसका पता लगाएगी.

अब क्या है सरकार की तैयारी

क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित मुद्दों का अध्ययन करने को लेकर केंद्र सरकार ने एक कमेटी बनाई है. देश में अभी प्रचलित सभी निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाया जाएगा. सिर्फ सरकार के पास ही इसे चलाने का अधिकार होगा.

इसको लेकर विशिष्ट कार्रवाई करने के प्रस्ताव के लिए सचिव ( आर्थिक कार्य ) की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय स्तरीय समिति का गठन किया गया है.

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