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IPO क्या होता है

IPO क्या होता है
IPO क्या होता है और IPO में Invest क्यों करते हैं? जाने सारी बाते आसान भाषा में।

क्या है IPO, जिसमें निवेश कर पा सकते हैं मल्टीबैगर रिटर्न

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। जब भी कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर, मार्केट में लाती है तो इस प्रक्रिया को IPO यानी इनीशियल पब्लिक ऑफरिंग कहते हैं। इस प्रक्रिया में निवेशक सीधे कंपनी से शेयर्स खरीदते हैं। जिसके बाद ये शेयर्स बाजार में आ जाते हैं जहां पर निवेशक दूसरे निवेशकों से इन्हें खरीदते व बेचते हैं। किसी निवेशक के लिए IPO काफी फायदे का सौदा हो सकते हैं, लेकिन उससे पहले IPO की पूरी प्रक्रिया को जानना बेहद आवश्यक है।

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चलिए जानते हैं IPO क्या है?

जिस तरह मार्केट में विभिन्न प्रोडक्ट को लॉन्च किया जाता है, उसी तरह स्टॉक्स भी लॉन्च होते हैं, जहां कंपनी पहली बार अपना नाम स्टॉक मार्केट में लिस्ट करवाती है, जिससे रिटेल इंनवेस्टर्स के लिए कंपनी में निवेश करने का रास्ता खुल जाता है। इसी प्रक्रिया को IPO यानी Initial Public Offering कहते हैं।

कोई कंपनी IPO लेकर क्यों आती है?

जब कंपनी को ग्रोथ के लिए या यूं IPO क्या होता है कहें कंपनी के विस्तार के लिए ज्यादा पैसे की जरूरत होती है, तब वह पहली बार स्टॉक मार्केट में इंटर करती है और पब्लिक से पैसा रेज करती है और बदले में वह पब्लिक के लिए शेयर जारी करती है।

आपके दिमाग में सवाल आएगा कि अगर कंपनी को पैसे की जरूरत है, तो वो बैंक से भी लोन ले सकती है। तो इसका जवाब है कि बैंक लोन का ब्याज दर आमतौर पर अधिक होता है। दूसरी ओर अगर कंपनी IPO लेकर आती है तो इससे उसे एक लम्पसम फंड प्राप्त करने में मदद मिलती है, जिसका इस्तेमाल अलग-अलग कामों के लिए किया जा सकता है जैसे कम्पनी का कर्ज चुकाना, रिसर्च ऐंड डेवलेपमेंट, बिजनेस को आगे बढ़ाना आदि।

IPO में निवेश करने के फायदे

IPO में निवेश करना अक्सर कई निवेशकों के लिए काफी फायदेमंद रहता है। इसमें रिटेल निवेशकों को शुरुआत में high growth potential वाली कंपनी में निवेश करने की सुविधा मिलती है। इसके जरिए आप कम दाम में शेयर खरीद सकते हैं और बड़े रिटर्न कमा सकते हैं। अगर कोई रिटेल निवेशक का स्टॉक मार्केट में नॉन-लिस्टेड किसी कंपनी की फ्यूचर ग्रोथ पर पूरा भरोसा है और वह उसमें निवेश करना चाहता है, तो वह जरूर उसके IPO का इंतजार करेगा।

आईपीओ और एफपीओ क्या हैं? इनको लाने का मुख्य उद्देश्य क्या होता है

IPO के जरिए कोई कंपनी पहली बार अपने शेयर आम निवेशकों को इश्यू करती है। आईपीओ के जरिए कंपनियां कारोबार बढ़ाने के लिए पैसा जुटाती हैं। आम तौर पर आईपीओ में नए शेयर जारी किए जाते हैं। कुछ मामलों में पब्लिक ऑफर के जरिए पुराने शेयर भी बेचे जाते हैं। पुराने शेयरों की बिक्री को ऑफर फॉर सेल कहा जाता है।

  • जब कोई कंपनी पहली बार शेयर जारी करती है तो उसे आईपीओ कहते हैं। आईपीओ के बाद कुछ साल बाद कंपनी फिर से पब्लिक ऑफर लाती है तो उसे एफपीओ कहते हैं।
  • FPO (Foolow on Public offer) उसी कंपनी का होता है जो पहले आईपीओ ला चुकी है।
  • एफपीओ लिस्टिंग के बाद आता है जबकि आईपीओ के साथ कंपनी की बाजार में लिस्टिंग होती है।
  • कंपनियां पैसा जुटाने के मकसद से आईपीओ लाती हैं। प्रोमोटर या पुराने निवेशक अगर अपने शेयर बेचना चाहें तो आईपीओ लाते हैं। जब कंपनी अपना कर्ज चुकाने के लिए बाजार से पैसा जुटाती है तो भी आईपीओ लाया जाता है।
  • नए कारोबार या पुराने कारोबार के विस्तार के लिए भी आईपीओ लाया जाता है। दरअसल आईपीओ लाते वक्त पैसा जुटाने का मकसद निवेशकों को बताना पड़ता है।
  • लिस्टिंग के बाद कितने शेयर किसके पास हैं इसका लेखा-जोखा शेयर होल्डिंग पैटर्न से पता चलता है। सेबी के नियम के मुताबिक न्यूनतम 25 फीसदी शेयर आम निवेशक के पास होना जरूरी है। 25 फीसदी का नियम शेयर में लिक्विडिटी सुनिश्चित करने के लिए है।

★सेबी के मुताबिक पब्लिक इश्यू की कीमत निवेशक खुद तय करें। आईपीओ लाते वक्त कंपनी को उसकी कीमत एक दायरे में बतानी होती है। ये दायरा 20 फीसदी का होता है जिसे प्राइस बैंड कहा जाता है। न्यूनतम और अधिकतम कीमत में 20 फीसदी का फर्क ही हो सकता है। प्राइस बैंड का फैसला प्रोमोटर्स और मर्चेंट बैंकर मिलकर करते हैं।

★आईपीओ में अक्सर एंकर इन्वेस्टर्स का नाम सामने आता है। एंकर इन्वेस्टर्स से मतलब ऐसे निवेशक से है जो लंबे वक्त तक निवेश करते हैं। एंकर इन्वेस्टर्स कभी भी अपना शेयर बेचकर नहीं निकल सकते हैं। एंकर इन्वेस्टर्स को पब्लिक इश्यू खुलने से पहले ही शेयर दे दिए जाते हैं।
★एंकर इन्वेस्टर्स संस्थागत निवेशक होते हैं। एंकर इन्वेस्टर्स में बैंक, म्युचुअल फंड्स और विदेशी संस्थागत निवेशक यानि एफआईआई शामिल होते हैं।

★एंकर इन्वेस्टर्स से ही आईपीओ में बड़े निवेशकों की दिलचस्पी पता चलती है। एंकर इन्वेस्टर्स को शेयर देने का फैसला प्रोमोटर और मर्चेंट बैंकर मिलकर करते हैं। एंकर इन्वेस्टर्स अपने शेयर आईपीओ आने के बाद कम से कम 1 महीने तक नहीं बेच सकते हैं। वहीं प्रोमोटर अपने शेयर 1 साल या कुछ मामलों में 3 साल तक नहीं बेच सकते हैं।

★अब बात करते हैं रिटेल इन्वेस्टर्स बनाम एचएनआई की, रिटेल इन्वेस्टर्स छोटे निवेशक होते हैं। आईपीओ में 2 लाख रुपये तक लगाने वाले रिटेल इन्वेस्टर्स कहलाते हैं। पहले ये सीमा 50000 रुपये थी। आईपीओ में 2 लाख रुपये से ज्यादा लगाने वाले एचएनई कहलाते हैं। एचएनई का मतलब हाई नेटवर्थ इंजीविज्युअल। एचएनआई या रिटेल इन्वेस्टर्स का फैसला नेटवर्थ नहीं बल्कि आईपीओ एप्लिकेशन से होता है। 2 लाख रुपये तक की एप्लिकेशन लगाने वाले सारे निवेश रिटेल इन्वेस्टर्स कहलाएंगे।

IPO क्या होता है और IPO में Invest क्यों करते हैं? जाने सारी बाते आसान भाषा में।

Stock Market की दुनिया में Investor सुनने में काफी अच्छा लगता है लेकिन आपको एक Investor बनने के लिए सबसे पहले आपको एक Demat Account और Trading Account खोलना होता है ।अपना Demat Account और Trading Account खोलने के बाद एक Investor के लिए अपना पैसा Invest करने के लिए कई सारे रास्ते खुल जाते है जिनमे से एक होता है IPO।

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अब IPO होता क्या है? और इसमें पैसे कैसे Invest किये जाते है इन सभी बातो को जानकारी आपको इस आर्टिकल के माध्यम से दी जाएगी।

IPO क्या होता है और IPO में Invest क्यों करते हैं? जाने सारी बाते आसान भाषा में।

IPO क्या होता है और IPO में Invest क्यों करते हैं? जाने सारी बाते आसान भाषा में।

IPO क्या होता है?

Table of Contents

IPO का पूरा नाम होता है initial public offering यानी की सरल भाषा में समझे तो एक कंपनी द्वारा पेश की गई अपने shares को बेचने की प्रक्रिया या एक प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश IPO कहलाती है । यह एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा एक निजी कंपनी अपने shares आम जनता को बेचकर पूंजी जुटाती है।

कंपनी के लिए IPO से धन जुटाना सबसे बढ़िया तरीका होता है। इसके अलावा, यह कंपनी को Growth और तेजी से बढ़ने में भी मदद करता है।

IPO की प्रक्रिया में कंपनी एक underwriter का चयन करती है और stock exchanges का चुनाव करती है ,stock exchanges हमारे देश में फ़िलहाल दो ही मौजूद है जिनमे से एक NSE और दूसरे है BSE जिस पर कंपनी के शेयर सार्वजनिक रूप से वितरित किए जा सकते हैं।

आपको IPO में Invest क्यों करना चाहिए?

एक Investor को नीचे बताये गए कारणों से IPO में Invest करना चाहिए:

  • शुरुआती चरण में सही IPO निवेश करने से, आपको एक ऐसी बेहतरीन कंपनी में हिस्सेदारी हासिल करने का शुरुआती मौका मिलता है, जो आने वाले सालो में आपको बेहतर Profit कमा कर दे सकती है।
  • Share Market में Long Term के Invest की तलाश कर रहे Investor के लिए IPO में Invest करना एक बढ़िया विकल्प है।
  • IPO भी Investment का ही दूसरा रूप होता है जिसमे Public Investors को एक अच्छे और सुरक्षित तरीके से पैसा कमाने का मौका मिलता है.

IPO में IPO क्या होता है Invest करने से पहले आपको क्या जानना चाहिए?

IPO में Invest शुरू करने से पहले आपको कुछ बातों पर जरूर गौर फरमाना चाहिए:

  • सबसे पहले, आप अपने आप से ये सवाल पूछे की आप कितना घाटा उठाने के तैयार है क्योकि IPO में Short Term और Long Term में घाटा होता है.
  • IPO Listing का चयन करने से पहले सावधानी बरतें जिसमें कंपनी के बारे में पूरी और सही जानकारी ले जैसे जिस कंपनी के IPO में आप पैसा Invest करने वाले है उस कंपनी का Management कैसे है ,उस कंपनी के Long Term Goal क्या है ,उस कंपनी ने पहले कैसे Perform किया है इत्यादि
  • IPO Listing के बारे में कई सारी वेबसाइट पर जानकारी मौजूद रहती है जैसे कि उनके जारी किए गए Financial Status, कंपनी की कार्य योजना, Growth करने के विचार, अन्य क्षेत्रों में प्रवेश और उनके Long Term Goal इत्यादि के बारे में सारी Detail देखे ।

IPO में Invest कैसे करते हैं?

IPO में Invest करने के लिए, आपको पहले Demat Account और साथ ही एक Trading Account खोलना होगा। IPO में Share Buy करने के लिए आमतौर पर केवल Demat Account की आवश्यकता होती है। हालांकि, यदि आप भविष्य में उन IPO में Buy ख़रीदे गए Share को Sell करना चाहते है , तो आपको Demat Account और Trading Account दोनों खोलना होगा।

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आईपीओ क्या है | आईपीओ कैसे खरीदें?

IPO काफी चर्चित शब्द है लेकिन अधिकांश लोगो को आईपीओ क्या है. नहीं पता आईपीओ कैसे खरीदे, नहीं पता ipo के नुकसान और आईपीओ के फायदे क्या है. नहीं पता होता है लेकिन इस लेख में मैं आपको विस्तृत जानकारी देने वाला हूँ यदि IPO Basic की जानकारी जानने में इंटरेस्टेड है तो यह लेख अंत तक पढ़े आईपीओ से जुडी सारी जानकारी मिल जाएँगी।

अगर आप शेयर मार्किट स्टॉक मार्किट या NSE / BSE से जुडी जानकारी रखते है तो आपको आईपीओ नाम ज़रूर सुनाई दिया होगा कई कंपनी अपने स्टॉक को मार्किट में सेल करने के लिए आईपीओ लॉन्च करती है अधिकांश स्टॉक निवेशक आईपीओ का इंतिजार करते है जैसे आईपीओ मार्किट में लॉन्च होता है वैसे निवेशक उसे खरीद लेते है।

IPO से जुड़ा कई डाउट आपके मन में होगा जैसे आईपीओ क्यों लॉन्च में किया जाता है इससे कंपनी का क्या फायदा होता है बड़ी निजी स्वामित्त वाली कंपनी ही क्यों आईपीओ लॉन्च करती है ऐसी ही पूर्ण जानकारी हम लोग हिंदी में जानेगे इसके लिए आपको यह पूरा पोस्ट पढ़ना होगा।

आईपीओ क्या है?

IPO का पूरा नाम Initial Public Offering और हिंदी में प्रथम सार्वजनिक प्रस्ताव होता है जब कोई कंपनी पहली बार stock जनता के लिए जारी करती है उसे ही इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग कहते है अधिकांश छोटी नयी कंपनीयो के द्वारा आईपीओ लॉन्च किया जाता है वही निजी स्वामित्त वाली बड़ी कम्पनिया भी आईपीओ जारी करके बिज़नेस के लिए पूंजी (Capital) इकठ्ठा करती है।

अधिकतर कम्पनिया सावर्जनिक बाजार में अपना व्यापार बढ़ाने के लिए सामन्य स्टॉक जनता में पहली बार आईपीओ के जरिये जारी करती है और यहाँ से पूंजी इकठ्ठा करते है उस पूजी को अपने व्यापार में लगाकर व्यापार को बढाती है इससे निवेशकों को फायदा होता है किसी निवेशक के द्वारा ख़रीदे आईपीओ को रेट बढ़ने पर बेचा भी जा सकता है उससे वह मुनाफा कमा सकता है।

आईपीओ में निवेश एक जोखिम भरा निवेश है इसमें निवेशक को रिस्क लेना होता है कई आईपीओ की भविष्यवाणी सही नहीं निकलती है अधिकांश लोगो को तो यही नहीं पता होता है की किसी भी स्टॉक की भविष्यवाणी कैसे करे लेकिन पहले किसी भी आईपीओ में निवेश करने से पहले आपको भविष्यवाणी ज़रूर कर लेनी चाहिए।

कुछ ऐसी कम्पनिया भी होती है जो आईपीओ जारी करती है लेकिन उनके पास कोई डेटा नहीं होता है जिसके आधार पर किसी कम्पनी का विश्लेषण किया सके इसीलिए शेयर मार्किट को अनिश्चितता का मार्किट कहा जाता है पता नहीं होता है की कब मूल्य ऊपर जाता है कब निचे जाता है पल पल भर में मूल्य बलता रहता है इसलिए अपने रिस्क पर किसी आईपीओ में निवेश करे।

आईपीओ क्यों जारी किया जाता है?

जैसा की मैंने आपको ऊपर बताया की अधिकतर नयी कंपनी आईपीओ लॉन्च करती है लेकिन इसका कारण क्या है क्या आवश्यकता होती है आइये जानते है।

कंपनी अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए आईपीओ लॉन्च करती है जब कोई कंपनी लगातार अच्छा परफॉर्म करती है तो उसे अपने बिज़नेस को बढ़ाने के लिए या क्वालिटी में सुधार करने के लिए पैसे की शख्त ज़रुरत होती है लेकिन उतना पैसा कंपनी के पास नहीं होता है अब कंपनी के पास दो विकल्प है बैंक से लोन लेना और आईपीओ जारी करना अगर बैंक से कंपनी लोन लेती है तो उसे व्याज देना होगा एक निश्चित समय के बाद उसे वापस भी करना होगा।

वही अगर कंपनी आईपीओ लॉन्च करती है तो निवेशक अगर कंपनी के आईपीओ खरीदते है और कंपनी के पास अच्छा फण्ड इकठ्ठा हो जाता है तो उस पैसे पर कंपनी को कोई व्याज भी नहीं देना होता है इसे कंपनी अपनी तरक्की के लिए खर्च करती है अब निवेशक (Investor) का क्या फायदा है IPO क्या होता है तो मैं आपको बता दू निवेशक को कुछ प्रतिशत हिस्सेदारी मिल जाती है उस हिस्सेदारी को निवेशक मूल्य बढ़ने पर सेल करके मूल्य धन के साथ मुनाफा भी कमा सकता है इस तरह निवेशक और कंपनी का फायदा होता है।

कर्ज में डूबी कम्पनिया भी आईपीओ जारी करती है अपना कर्ज कम करने के लिए आईपीओ जारी करती है जिससे कंपनी अपना कर्ज उतार सकती है और निवेशक हिस्सेदारी को प्राप्त करके मुनाफा कमा सकती है।

नए वस्तु के लॉन्च पर आईपीओ जारी किया जाता है किसी भी कंपनी को नए प्रोजेक्ट के लिए अधिक पैसो की आवश्यकता होती है उस समय कंपनी के पास दो रास्ते होते है पहला बैंक से लोन और दूसरा आईपीओ जारी करना इसमें अधिकतर कम्पनिया आईपीओ लॉन्च करती है और उसमे निवेशक निवेश करते है उस पैसे से कंपनी नए प्रोजेक्ट पर कार्य करती है।

आईपीओ कैसे खरीदें?

IPO में निवेश कैसे करे, यह थोड़ा जोखिम भरा कार्य है इस लिए इसमें ध्यान देने की ज़रुरत है प्रत्येक आईपीओ लॉन्च करने वाली कंपनी पहले मार्किट में सभी निवेशकों तक पहुँचती है इसके लिए कम्पनिया विज्ञापन करती है ब्रोकरेज के द्वारा भी आईपीओ निवेशको एकत्र करती है जिसमे अधिक निवेशक कंपनी के आईपीओ को ख़रीदे।

आईपीओ में निवेश करने के लिए आपको पहले तय करना होगा किस कंपनी के आप आईपीओ खरीदना चाहते है उस कंपनी के आईपीओ लॉन्च करने का वेट करना है जब आईपीओ लॉन्च हो तब आप उस कंपनी के वेबसाइट पर जाकर आईपीओ ले सकते है नहीं तो रजिस्टर्ड ब्रोकरेज के माध्यम से आईपीओ में निवेश कर सकते है।

बेस्ट ब्रोकरेज ऐप के लिए इसे पढ़े..

IPO जारी करने वाली कंपनी 3 से 10 तक ओपन करती है कई कम्पनिया खाली 3 दिनों के लिए ओपन करती है इन दिनों के भीतर ही आपको आईपीओ में निवेश IPO क्या होता है करना है निवेश करने से पहले उस कंपनी के बारे में जनना ज़रूरी है जिसमे आप निवेश कर रहे हो।

आईपीओ के फायदे।

IPO से पैसे जुटाकर कंपनी अपने कार्य में तरक्की करती है यह कंपनी के लिए काफी फायदेमंद साबित होता है वही निवेशक के लिए भी हिस्सेदारी को बेचकर पैसे कमा सकता है।

पूंजी एकत्र करना छोटी कम्पनियो के लिए पूजी एकत्र करने का सबसे बेहतरीन रास्ता है वही निवेशक अपने समान्य स्टॉक हिस्सेदारी को होल्ड करके कुछ समय बाद अच्छा रिटर्न कमा सकता है।

कर्मचारीयो के लिए बेहतरीन रास्ता है आईपीओ में निवेश करके अच्छा पैसा कमा सकते है।

अच्छे कम्पनियो के आईपीओ मूल्य बड़ी जल्दी बढ़ जाते है क्योकि वो सारी कम्पनिया प्रॉफिट में होती है और जल्दी ग्रो करती है इसलिए निवेशक को फायदा होता है।

ipo के नुकसान।

आईपीओ लॉन्च होते समय काफी लोगो में उत्सुक्ता होती है आईपीओ खरीदने में, जिस कारण से आईपीओ का मूल्य हाई होता है वही कुछ समय बाद आईपीओ की मांग कम होने पर मूल्य कम होने लगता है अगर कम्पनी पूंजी से मजबूत नहीं है तो।

अगर आप किसी ऐसी कंपनी के आईपीओ में निवेश निवेश करते है जो कर्ज में डूबी है यह कम्पनिया निवेशक को नुकसान पंहुचा सकती है क्योकि आईपीओ मूल्य बढ़ने के चांस कम हो जाते है।

यदि कम्पनी के पिछले चार्ट को नहीं देखते है की कैसा इसका परफॉरमेंस रहा है तो आपको नुकसान हो सकता है।

आईपीओ के बारे पूर्ण जानकारी न होने के वजह से भी आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है इसलिए आईपीओ के बारे विस्तृत जानकारी प्राप्त कर ले ऐसे कई प्रकार के नुकसान हो सकते है।

निष्कर्ष

आशा है यह लेख आपको पसंद आया होगा इसमें मैंने बताया है कि आईपीओ क्या है. आईपीओ कैसे खरीदें, इसके बारे बेसिक जानकारी इस आर्टिकल के माध्यम से मैंने देने की कोशिश की है यदि आपको इस लेख से सम्बंधित कोई जानकारी छूट गयी हो या आपका कोई प्रश्न हो तो आप कमेंट करके पूछ सकते है।

यह आर्टिकल आपको पसंद आया हो इससे सहायता मिला हो आईपीओ की जानकारी मिल गयी हो तो इसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर शेयर करना न भूले ताकि ऐसी जानकारी और लोगो तक पहुंच सके।

क्या आईपीओ को लेकर आप भी हैं भ्रम के शिकार?

कई निवेशकों को आईपीओ के बारे में पूरी जानकारी नहीं होती. इसके चलते वे गलतफहमियों का शिकार हो जाते हैं.

क्या आईपीओ को लेकर आप भी हैं भ्रम के शिकार?

क्या है आईपीओ?
जब कोई कंपनी शेयर बाजार पर सूचीबद्ध होना चाहती है या फिर बाजार से फंड जुटाना चाहती है, तो वह आईपीओ पेश करती है. इसके लिए सेबी की मंजूरी जरूरी है. आईपीओ के जरिए आम निवेशकों को कंपनी का शेयरधारक बनने का मौका मिलता है.

पहला भ्रम: शेयर पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर मिलते हैं. लिस्टिंग से मोटी कमाई की जा सकती है.

सच: लिस्टिंग से मोटी कमाई संभव है, मगर किसी भी सूरत में इसे अनिवार्य नहीं माना जा सकता. वैसे भी अधिकतर निवेशक खुद को कतार के अंत में पाते हैं. उनसे पहले पहले एंजेल निवेशक, वेंचर कैपिटल IPO क्या होता है और निजी इक्विटी फर्म्स को कंपनी के बारे में पूरी जानकारी होती हैं.

दूसरा भ्रम: सूचीबद्ध होने वाली कंपनियों की ग्रोथ और प्रदर्शन शानदार रहता है.

सच: इसकी भी गारंटी नहीं है. ऐसा कई बार हुआ है कि सूचीबद्ध होने वाली कंपनियों ने शानदार प्रदर्शन किया और बेहतरीन रिटर्न भी दिए हैं. मगर कई कंपनियों ने शुरुआती दौर में ही दम तोड़ा है. इसलिए किसी भी कंपनी को खुद को सूचीबद्ध कराने में जल्दीबाजी नहीं करनी चाहिए.

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कंपनी आईपीओ से होने वाली कमाई का इस्तेमाल कर्ज कम करने के लिए कर सकती है. वह इसका इस्तेमाल ग्रोथ के लिए भी कर सकती है. मगर ग्रोथ में निवेश तभी लाभदायक है, यदि कंपनी अपने बिजनेस मॉडल को लेकर पूर्णत: आश्वस्त हो.

तीसरा भ्रम: इश्यू प्राइस ही शेयर की फेयर वैल्यू है. कोई शेयर इससे नीचे नहीं गिर सकता.

सच: यह बात सच से मीलों दूर है. कंपनी के शेयरों की फेयर वैल्यू कंपनी के वित्तीय स्थिति समेत कई अन्य आंकड़ों पर निर्भर करती है. ऐसा अकसर होता है कि कंपनी के मौलिक सिद्धांत कंपनी के पक्ष में नहीं होते और लिस्टिंग के समय बाजार पर ये शेयर अपने इश्यू प्राइस से नीचे खिसक जाते हैं.

चौथा भ्रम: ओवरसब्सक्रिप्शन का मतलब है उस आईपीओ को जरूर खरीदना चाहिए

सच: किसी भी इश्यू के ओवरसब्सक्रिप्शन का अर्थ यह बिल्कुल नहीं है कि उस इश्यू को खरीदा ही जाना चाहिए. कई बार तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जाता है और निवेशक भेड़चाल में इश्यू पर टूट पड़ते हैं. किसी भी आईपीओ में निवेश करने से पहले अपने विवेक का इस्तेमाल करें.

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