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कॉल अनुपात

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नकद आरक्षित अनुपात के लिए वर्तमान दर 3% तय की गई है और इसे अंतिम बार 27 मार्च 2020 को अपडेट किया गया था।

Aamaadmi Patrika

कैश रिज़र्व रेशियो (CRR) - अर्थ, गणना, वर्तमान CRR और इसका कार्य कैसे होता है

कैश रिज़र्व रेशियो एक प्रमुख मौद्रिक नीति उपकरण है जो RBI की मौद्रिक नीति समिति द्वारा तय किया जाता है। समिति मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक में CRR को संशोधित करती है जो कॉल अनुपात हर छह से आठ सप्ताह में आयोजित की जाती है। CRR अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति, मुद्रा आपूर्ति, या तरलता को नियंत्रित करने के लिए RBI के प्रमुख उपकरणों में से एक है।

कैश रिजर्व रेशियो कुल जमा का एक प्रतिशत है जिसे प्रत्येक बैंक को RBI के पास नकदी के रूप में रिजर्व रखने की आवश्यकता होती है। यह बैंक में भारी निकासी के समय नकदी की कमी की स्थितियों का सामना करने में मदद करने के लिए किया जाता है। यदि मामले में, बैंकों को जमाकर्ताओं द्वारा भारी निकासी का सामना करना पड़ रहा है और ऐसी स्थिति हो सकती है जब बैंकों के पास निकासी को पूरा करने के लिए उनके पास पर्याप्त नकदी नहीं है, इसलिए RBI द्वारा कुल जमा या CRR का प्रतिशत बनाए रखना अनिवार्य है RBI के साथ एक नकदी आरक्षित के रूप में जिसका उपयोग ऐसी समस्याओं को पूरा करने के लिए किया जा सकता है।

CRR कैसे काम करता है?

CRR अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति, मुद्रा आपूर्ति और तरलता को नियंत्रित करने में मदद करता है। CRR अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति, मुद्रा आपूर्ति और तरलता दोनों को बढ़ाने और घटाने में मदद कर सकता है। यदि RBI अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति, धन की आपूर्ति और तरलता को बढ़ाना चाहता है, तो RBI कॉल अनुपात CRR को कम कर देता है जिसके कारण बैंक के पास अधिक कॉल अनुपात नकदी होती है और बैंकों की ऋण शक्ति बढ़ती है। और जब कॉल अनुपात बैंक अधिक धनराशि उधार देंगे, तो इससे लोगों की क्रय शक्ति बढ़ेगी जो अंततः मुद्रास्फीति, मुद्रा आपूर्ति और अर्थव्यवस्था में तरलता में वृद्धि का कारण बनेगी। और, यदि RBI अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति, धन की आपूर्ति और तरलता को कम करना चाहता है, तो RBI CRR को बढ़ाएगा जिससे बैंक के पास नकदी कम होगी और बैंकों की ऋण शक्ति घट जाएगी। और जब बैंक अधिक धनराशि उधार नहीं दे पाएंगे, तो कॉल अनुपात इससे लोगों की क्रय शक्ति घट जाएगी और इससे अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति, मुद्रा आपूर्ति और तरलता में कमी आएगी।

कैश रिजर्व रेशो का उद्देश्य

● नकद आरक्षित अनुपात का प्राथमिक उद्देश्य अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति, मुद्रा आपूर्ति और तरलता कॉल अनुपात पर नियंत्रण रखना है।

● CRR का उपयोग अर्थव्यवस्था में लोगों की क्रय शक्ति को नियंत्रित करने के लिए एक उपकरण के रूप में भी किया जाता है। जैसे जब लोगों की क्रय शक्ति बढ़ती है, RBI CRR को बढ़ाता है, जिससे लोगों की क्रय शक्ति पर नियंत्रण होता है और इसके विपरीत।

● जैसा कि बैंकों को कुल जमा का हिस्सा RBI के पास रखने की आवश्यकता है, यह लोगों की जमा राशि की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करता है। जैसे, अगर कोई मामला है कॉल अनुपात जब बैंक जमाकर्ताओं द्वारा निकासी को पूरा करने में सक्षम नहीं हैं, तो, उस स्थिति में, बैंक इस आरक्षित नकदी का उपयोग कर सकते हैं जो कि RBI के पास रखी गई है।

इस साल 8000 करोड़पति छोड़ गए भारत? इन देशों को बना रहे नया ठिकाना

Aamaadmi Patrika

दुनिया भर में अमीरों की संख्या बढ़ रही है. भारत (India) में भी करोड़पतियों की लिस्ट में लगातार नए नाम जुड़ते जा रहे हैं. वहीं, अब ख़बर ये भी है कि करोड़पति देश छोड़कर जा रहे हैं. वे दूसरे देशों में अपना आशियाना बसा रहे हैं. ब्रिटेन (Britain) की इन्वेस्टमेंट माइग्रेशन कंस्लटेंसी कंपनी Henley and Partners की रिपोर्ट के मुताबिक, सालभर में भारत के 8,000 करोड़पतियों ने देश छोड़ दिया है. इस आंकड़े के साथ अब भारत अमीरों के पलायन के मामले में टॉप-3 देशों कॉल अनुपात में शामिल हो गया है. एक ओर जहां दुनिया के शीर्ष अमीरों की लिस्ट में भारतीय उद्योगपतियों का डंका बज रहा है, वहीं बड़ी संख्या में भारतीय रईसों का देश से मोहभंग होता नजर आ रहा है. Henley and Partners की रिपोर्ट के पर गौर करें तो साफ है कि भारत समेत कई देशों के करोड़पति अपना देश छोड़कर दूसरे मुल्कों में बसने को ज्यादा तरजीह दे रहे हैं. अमीरों के पलायन कॉल अनुपात करने में सबसे आगे रूस का नाम है. यहां से निकलकर दूसरे देशों में बसने वाले करोड़पतियों की संख्या इस साल 15,000 रही है, जबकि चीन से इस अवधि में 10,000 करोड़पति लोगों ने कॉल अनुपात पलायन किया है.

8 करोड़ का सरकारी धान खा गए तीन राइस मिलर्स, कलेक्टर ने एफआईआर दर्ज करने के साथ ही वसूली के दिए निर्देश

कवर्धा। छत्तीसगढ़ के कवर्धा (कबीरधाम) में तीन राइस मिलर्स ने राज्य सरकार को सात करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान किया है। यह राइस मिलें शासन का करीब दो हजार मीट्रिक टन धान हड़प गए। इसके बाद कलेक्टर ने तीनों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं। साथ ही कहा है कि इन राइस मिलर्स से नुकसान की वसूली की जाएगी। कलेक्टर जन्मेजय महोबे ने जिले के तीन राइस मिलर लालपुर कला स्थित राज राइस मिल, डबराभाट स्थित हीराफूड राइस मिल और महाराजपुर स्थित जनक राइस मिल के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। आरोप है कि इन तीनों राइस मिलों ने मिलकर राज्य सरकार के 07 करोड़ 85 लाख रुपये के धान का घपला किया है। अफ सरों की ओर से बताया गया कि खरीफ वितरण वर्ष 2021-22 अंतर्गत 2104 मीट्रिक टन चावल राइस मिलों को प्रशासन के पास जमा करना कॉल अनुपात था। इसके बाद भी 30 नवंबर 2022 तक जमा नहीं किया गया। इसे लेकर कई बार राइस मिलों को नोटिस भी जारी हुआ, लेकिन उन्होंने न तो कोई जवाब दिया और धान जमा कराया।

पूरक कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात कक्षा 10 (Trigonometric Ratio of Complementary Angles Class 10th)

जब दो कोणों का योग 90° होता है तो उन्हें पूरक कोण कहा जाता है। यदि कोई न्यून कोण A है तो उसका पूरक कोण (90° – A) होगा। समकोण त्रिभुज में, पूरक कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात (Trigonometric Ratio of Complementary Angles) निम्न प्रकार ज्ञात करते है।

सूत्र की उत्पत्ति और व्याख्या

माना △PQR एक समकोण त्रिभुज है जिसमें ∠Q समकोण है और ∠R न्यून कोण है।

इसलिए ∠P और ∠R पूरक कोण हैं।

पूरक कोणों के त्रिकोणमितीय अनुपात (TRIGONOMETRIC RATIO OF COMPLEMENTARY ANGLES)

अब कोण ϴ के ​​लिए त्रिकोणमितीय अनुपात

sin ϴ = PQ/PR cos ϴ = QR/PR tan ϴ = PQ/QR

कोरोना की वजह से भारी कर्ज जाल में देश, 90 फीसदी हुआ डेट-जीडीपी अनुपात

आईएमएफ की रिपोर्ट में जानकारी

  • नई दिल्ली ,
  • 08 अप्रैल 2021,
  • (अपडेटेड 08 अप्रैल 2021, 1:46 PM IST)
  • कोरोना संकट में बिगड़ा गण‍ित
  • देश का कर्ज बोझ बढ़ता गया

कोरोना संकट की वजह से देश का कर्ज-जीडीपी अनुपात ऐतिहासिक लेवल पर पहुंच गया है. साल 2020 में देश का कर्ज-जीडीपी अनुपात 74 फीसदी से बढ़कर 90 फीसदी तक पहुंच गया है. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

इसका मतलब यह है कि साल 2020 में भारत का कुल उत्पादन अगर 100 रुपये का था, तो कर्ज का बोझ बढ़कर 90 रुपया हो गया. गौरतलब है कि साल 2020 में भारत का कुल जीडीपी करीब 189 लाख करोड़ रुपये और कर्ज करीब 170 लाख करोड़ रुपये था. हालांकि आईएमएफ ने यह भी कहा है कि देश की अर्थव्यवस्था में अब जो सुधार हो रहा है, उसकी वजह से यह अनुपात घटकर 80 फीसदी तक आ सकता है.

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