मार्जिन क्या है?

Petrol-Diesel Update: डीजल को लेकर सरकार ने लिया बड़ा फैसला, पेट्रोल की कीमतों में आएगी तेज गिरावट! जानें क्या है प्लान?
Petrol Diesel Price Big Update: केंद्र सरकार (Central Government) ने डीजल को लेकर बड़ा फैसला लिया है. घरेलू बाजार में लगातार कई महीनों से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में किसी भी तरह की कटौती नहीं की गई है. ऐसे में सरकार ने डीजल पर लगने वाले विंडफॉल टैक्स (Windfall tax) में बड़ी कटौती कर दी है. वहीं, एक्सपर्ट का मानना है कि डोमेस्टिक मार्केट में जल्द ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बड़ी कटौती देखने को मिल सकती है.
किन लोगों पर होगा असर?
आपको बता दें हर 15 दिन में रिवाइज किए जान वाले विंडफॉल टैक्स में इस बार बड़ी कटौती करने का फैसला लिया गया है. हालांकि इसका फायदा आम जनता को नहीं मिलेगा. वहीं, जो भी कंपनियां निर्यात से कमाई करती हैं उन पर इसका असर दिखाई देगा.
कितना घटा टैक्स?
कच्चे तेल पर विंडफॉल टैक्स को कम करके 4900 रुपये यानी 60.34 डॉलर प्रति टन कर दिया गया है. इसके अलावा डीजल के निर्यात पर लगने वाले टैक्स को भी घटाकर 8 रुपये प्रति लीटर करने का फैसला लिया गया है.
क्या होता है विंडफॉल टैक्स?
बता दें यह एक तरह का ऐसा टैक्स होता है जोकि उत्पादक की ओर से किए जाने वाले एक फिक्स मुनाफे से ज्यादा कमाने पर लगाया जाता है. यह मार्जिन क्या है? टैक्स रिफाइनिंग कंपनियों पर लगाया जाता है. विदेशी शिपमेंट से मिलने वाले मार्जिन को देखते हुए इसको लगाया जाता है.
15 दिन में होता है रिव्यू
सरकार की ओर से हर 15 दिन में विंडफॉल टैक्स का रिव्यू किया जाता है. इस समय कई ऐसे देश हैं जो एनर्जी कंपनियों को होने वाली मोटी कमाई पर टैक्स की वसूली करते हैं.
जल्द सस्ता होगा पेट्रोल-डीजल
अगर पेट्रोल-डीजल की कीमतों में कटौती की बात की जाए तो जल्द ही पेट्रोल 14 रुपये और डीजल 12 रुपये तक सस्ता हो सकता है. ग्लोबल मार्केट में कच्चे तेल की कीमतों में बड़ी गिरावट आने की संभावना है. एक्सपर्ट के मुताबित, इस समय ब्रेंट क्रूड का भाव लगातार गिरकर जनवरी के स्तर पर पहुंच गया है. वहीं, इस दौरान घरेलू ऑयल की कीमतों में कोई भी कटौती नहीं हुई है तो ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द मार्जिन क्या है? ही पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी कटौती आएगी.
अभी मार्जिन किसे कहते हैं? जानिये इस की प्रक्रिया क्या है
अभी मार्जिन से तात्पर्य उस प्रक्रिया से है जिसमें भीड़ के रेशों की चिकनाई, धूल और गर्त हटा दिए जाते हैं। उन्हें प्राप्त करने के लिए, भेड़ की खाल से निकाले गए बालों को टंकियों में डाल दिया जाता है और अच्छी तरह से धोया जाता है, ताकि उन बालों पर मौजूद सभी ग्रीस, धूल, गंदगी, गंदगी आदि को अच्छी तरह से हटा दिया जाए। इस प्रक्रिया को ‘अभी मार्जिन’ कहा जाता है।
अभी मार्जिन की क्या प्रक्रिया है
अभी मार्जिन की प्रक्रिया में आज के व्यावसायिक समय में यह प्रक्रिया बड़ी-बड़ी मशीनों से की जाती है। पहले यह मानव द्वारा मैन्युअल रूप से किया जाता था। साफ करने के बाद साफ बालों को फैक्ट्रियों में भेजा जाता है। जहां अलग-अलग बनावट के बालों को छांटकर अलग किया जाता है और ऊन बनाने के लिए आगे की प्रक्रिया की जाती है।
GDP : जीडीपी ग्रोथ का अनुमान SBI रिसर्च ने दूसरी तिमाही में घटाया, जानें क्या कहते हैं आंकड़े?
केंद्र सरकार (Central Govt) की ओर से वित्तीय वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर अवधि के लिए आंकड़े जारी किए जा सकते हैं। हालांकि उससे पहले एसबीआई रिसर्च (SBI Research) ने अपनी रिपोर्ट में जुलाई-सितंबर तिमाही की जीडीपी को औसत से 0.30 प्रतिशत कम करते हुए उसे 5.8 मार्जिन क्या है? प्रतिशत कर दिया है।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central Govt) की ओर से वित्तीय वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही जुलाई से सितंबर अवधि के लिए आंकड़े जारी किए जा सकते हैं। हालांकि उससे पहले एसबीआई रिसर्च (SBI Research) ने अपनी रिपोर्ट में जुलाई-सितंबर तिमाही की जीडीपी को औसत से 0.30 प्रतिशत कम करते हुए उसे 5.8 प्रतिशत कर दिया है।
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एसबीआई के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष (Soumya Kanti Ghosh, Chief Economic Advisor, SBI) की अगुवाई वाली टीम का कहना है कि दूसरी तिमाही में बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र को छोड़कर बाकी कंपनियों के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 14 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई। पिछले वर्ष इसी तिमाही में 35 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई थी।
एसबीआई रिसर्च (SBI Research) की रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों के राजस्व में वृद्धि दिखी है पर उनके लाभ में पिछले वर्ष की तुलना में 23 प्रतिशत की गिरावट आई है। बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र को छोड़कर अन्य लिस्टेड कंपनियों के मार्जिन पर दबाव दिखा है। रिपोर्ट के अनुसार दूसरी तिमाही में कंपनियों का उत्पादन लागत बढ़ने से ऑपरेटिंग मार्जिन (Operating Margin) घटकर 10.9 फीसदी रह गया, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 17.7 प्रतिश्त था।
रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में जीडीपी (GDP) अपने औसत अनुमान 6.1 प्रतिशत से घटकर 5.8 प्रतिशत रह सकती है। साथ ही, रिपोर्ट के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष में ओवरऑल जीडीपी 6.8 प्रतिशत रह सकती है। यह भारतीय रिजर्व बैंक के पिछले अनुमान से 0.20 प्रतिशत कम है। बता दें कि एसबीआई रिसर्च (SBI Research) ने ये अनुमान 41 अग्रणी संकेतकों के समूह पर आधारित समग्र सूचकांक पर आधारित है।
SBI Research ने भारत की इकोनॉमिक ग्रोथ रेट के अनुमान को घटाया, बताया यह कारण
News18 हिंदी 6 दिन पहले News18 Hindi
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नई दिल्ली. एसबीआई रिसर्च (SBI Research) ने मैन्युफैक्चरिंग गतिविधियों में कमजोरी और मार्जिन के बढ़ते दबाव को देखते हुए जुलाई-सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) के अनुमान को घटाकर 5.8 फीसदी कर दिया है. एसबीआई रिसर्च की तरफ से सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ रेट 5.8 फीसदी रह सकती है जो औसत अनुमान से 0.30 फीसदी कम है. सरकार की तरफ से जुलाई-सितंबर, 2022 तिमाही के जीडीपी आंकड़े 30 नवंबर को जारी किए जाने हैं.
एसबीआई रिसर्च की प्रमुख सौम्य कांति घोष की अगुवाई वाली टीम के मुताबिक, दूसरी तिमाही में बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर को छोड़कर बाकी कंपनियों के ऑपरेटिंग प्रॉफिट में 14 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है जबकि एक साल पहले की समान तिमाही में 35 फीसदी बढ़ोतरी हुई थी.
प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ने से कंपनियों का ऑपरेटिंग मार्जिन घटा
रिपोर्ट के मुताबिक, रिपोर्टिंग तिमाही में इन कंपनियों के रेवेन्यू में ग्रोथ रेट अच्छी रही है लेकिन उनके लाभ में एक साल पहले की तुलना में करीब 23 फीसदी की गिरावट आई है. इसके अलावा बैंकिंग और फाइनेंशियल सेक्टर को छोड़कर अन्य लिस्टेड कंपनियों के मार्जिन पर दबाव भी देखा गया है. प्रोडक्शन कॉस्ट बढ़ने से कंपनियों का ऑपरेटिंग मार्जिन दूसरी तिमाही में घटकर 10.9 फीसदी रह गया जबकि पिछले साल की समान अवधि में यह 17.7 फीसदी था.
दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट औसत बाजार अनुमान से कम
पीटीआई के मुताबिक, एसबीआई रिसर्च का मानना है कि ऐसी परिस्थितियों में दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट औसत बाजार अनुमान (6.1 फीसदी) से कहीं कम 5.8 फीसदी रह सकती है. इसके साथ ही चालू वित्त वर्ष की समूची अवधि में ग्रोथ रेट 6.8 फीसदी रह सकती है जो भारतीय रिजर्व बैंक के पिछले अनुमान से 0.20 फीसदी कम है. एसबीआई रिसर्च का यह अनुमान 41 लीडिंग इंडिकेटर के बॉस्केट पर आधारित समग्र इंडेक्स पर आधारित है.
तीसरी तिमाही में आंकड़े बेहतर होने की उम्मीद
घोष ने कहा कि यह अनुमान दर्शाता है कि जून और सितंबर के बीच आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती रही लेकिन अक्टूबर में आर्थिक गतिविधियों के सुधरने से तीसरी तिमाही में आंकड़े बेहतर होने की उम्मीद बंधती है. उन्होंने कहा कि कई इंडिकेटर वैश्विक झटकों, बढ़ती महंगाई और एक्सटर्नल डिमांड में कमी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था के जुझारू चरित्र को दर्शाते हैं.