करेंसी क्या है

CBDC डिस्ट्रीब्यूटेड लेज़र टेक्नोलॉजी (DLT) द्वारा समर्थित होगा, लेकिन यह एक लाइसेंस प्राप्त ब्लॉकचेन होगा जो इसे ऐसे क्रिप्टो एसेट्स से अलग करेगा, जिन्हें लाइसेंस प्राप्त नहीं होता है. सेंट्रल मॉनीटरी अथॉरिटी के पास ब्लॉकचेन का कंट्रोल होगा. कागजी मुद्रा के इस्तेमाल में लगातार कमी आ रही है अब आरबीआई इसके इलेक्ट्रॉनिक रूप को और अधिक लोकप्रिय बनाना चाहता है. डिजिटल मुद्रा अधिक एफिशिएंट होगी और प्राइवेट करेंसी के खतरे और होने वाले नुकसान से बचने में मदद करेगी. डिजिटल करेंसी को जलाया या डैमेज नहीं किया जा सकता है, इसलिए एक बार जारी किए जाने के बाद ये हमेशा रहेंगे.
क्रिप्टो करेंसी या डिजिटल करेंसी क्या है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बजट पेश किया. बजट घोषणा में निर्मला सीतारमण ने वर्चुअल एसेट पर टैक्स और भारतीय डिजिटल करेंसी लॉन्च करने की बात कही.
उन्होंने कहा, ''किसी भी तरह के वर्चुअल डिजिटल एसेट के लेनदेन से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत टैक्स लगाया जाएगा. वर्चुअल डिजिटल एसेट को ट्रांसफ़र करने पर भी एक प्रतिशत टीडीएस का भुगतान करना होगा. गिफ़्ट में वर्चुअल करेंसी लेने वाले व्यक्ति को टैक्स भरना होगा''.
वर्चुअल एसेट के अलावा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इस साल रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया की तरफ से डिजिटल रुपी लॉन्च करने की बात भी कही. बड़े-बड़े कंप्यूटर एक ख़ास फ़ॉर्मूले या कहें कि एल्गोरिथम को हल करते हैं, इसे माइनिंग कहा जाता है तब जाकर क्रिप्टोकरेंसी बनती है.
बिटकॉइन जैसी क़रीब चार हजार वर्चुअल करेंसी बाज़ार में उपलब्ध हैं. इन सब वर्चुअल करेंसी को क्रिप्टोकरेंसी कहते हैं. नॉर्मल करेंसी को कोई ना कोई संस्था कंट्रोल करती है.
क्रिप्टो करेंसी क्या है
प्रत्येक देश की अपनी एक करेंसी अर्थात मुद्रा होती हैं और उसका एक निश्चित नाम भी होता है, जैसे कि भारत में रूपया, अमेरिका में डालर, अरब का रियाल आदि | किसी भी देश की करेंसी के माध्यम से उस देश की अर्थव्यवस्था संचालित होती है |
इन सभी करेंसी को आप देख सकते करेंसी क्या है है, अपनें पास एकत्र कर सकते है परन्तु आज की इस डिजिटल दुनिया में एक नई तरह की करेंसी आ गयी है, जिसे न ही हम देख सकते है और ना ही हम छू सकते है, क्योंकि यह डिजिटल फॉर्म में होती हैं | इस डिजिटल करेंसी का नाम क्रिप्टोकरेंसी है | क्रिप्टो करेंसी क्या है, क्रिप्टो करेंसी के प्रकार व नाम के बारें करेंसी क्या है में आपको यहाँ पूरी जानकारी विधिवत रूप से दे रहे है |
क्रिप्टो करेंसी का क्या मतलब होता है ?
Table of Contents
क्रिप्टो करेंसी एक ऐसी मुद्रा है, जो कंप्यूटर एल्गोरिथ्म पर बनी होती है | यह एक ऐसी मुद्रा है, जिसे किसी भी देश की सरकार लागू नहीं करती है | इस मुद्रा पर किसी देश, राज्य या किसी अथॉरिटी का नियंत्रण नहीं होता है अर्थात यह एक स्वतंत्र मुद्रा है, जो डिजिटल रूप में होती है इसके लिए क्रिप्टोग्राफी का प्रयोग किया जाता है। क्रिप्टो करेंसी द्वारा आप किसी भी तरह की वस्तु या सेवाएं खरीद या बेच सकते हैं।
क्रिप्टो करेंसी की शुरुआत सबसे पहले जापान के सतोषी नाकमोतो नामक इंजीनियर नें वर्ष 2009 में की थी और पहली क्रिप्टो करेंसी का नाम बिटकॉइन है | हालाँकि शुरुआत में इसे कोई खास सफलता नहीं मिली परन्तु कुछ समय बाद यह करेंसी क्या है काफी प्रचलित हुई और इसकी कीमत आसमान छूने लगी और धीरे-धीरे यह पूरी दुनिया में फ़ैल गयी |
क्रिप्टो करेंसी के प्रकार (Types Of Crypto Currency)
वर्तमान समय में लगभग 1 हजार से अधिक क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में उपलब्ध हैं, परन्तु इनमें से कुछ क्रिप्टो करेंसी ऐसी है, जिनका उपयोग सबसे अधिक किया जा रहा है, इनके नाम इस प्रकार है-
बिटकाइन (Bitcoin)
बिटकॉइन दुनिया की सबसे महंगी क्रिप्टोकरेंसी है, मुख्य रूप से इसका उपयोग बड़े-बड़े सौदो में किया जाता है|
सिया कॉइन (Sia Coin)
सिया कॉइन को एससी के नाम से भी जाना जाता है, ग्रोथ करने के मामले में बिटकॉइन के बाद सियाकॉइन का नंबर आता है |
लाइटकॉइन (Lite Coin)
लाइटकॉइन का अविष्कार वर्ष 2011 में चार्ल्स ली द्वारा किया गया था, यह क्रिप्टोकरेंसी भी बिटकॉइन की तरह ही हैं, जोकि डीसेंट्रलाइज्ड भी हैं और साथ ही पीर टू पीर टेक्नोलॉजी के तहत कार्य करती हैं |
क्या है Digital Rupee, कैसे आप कर सकते हैं इस्तेमाल? जानिए हर सवाल का जवाब
- नई दिल्ली,
- 01 नवंबर 2022,
- (अपडेटेड 01 नवंबर 2022, 10:56 AM IST)
अब जेब में कैश लेकर चलता पुराने जमाने की बात होगी. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) का खास उपयोग के लिए आज 1 नवंबर से डिजिटल रुपया (E-Rupee) का पायलट लॉन्च करने जा रहा है. यानी मंगलवार से आरबीआई की अपनी डिजिटल करेंसी (RBI Digital Currency) हकीकत बनने जा रही है. आइए जानते हैं ये डिजिटल करेंसी कैसे काम करेगी और आपके लिए किस तरह फायदेमंद साबित होगी.
RBI ने पिछले महीने की थी घोषणा
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अक्टूबर महीने की शुरुआत में घोषणा करते हुए कहा था कि वह जल्द ही खास इस्तेमाल के लिए डिजिटल रुपया (E-Rupee) का पायलट लॉन्च शुरू करेगा. इसके लिए केंद्रीय बैंक ने 1 नवंबर 2022 की तारीख तय की थी. यह फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट (Pilot Project) के तौर पर शुरू किया जा रहा है. RBI होलसेल ट्रांजैक्शन और क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट के लिए अपने डिजिटल रूपी की शुरुआत कर रहा है.
Explainer : डिजिटल रुपी क्या है और यह कैसे काम करती है, किप्टोकरेंसी से कितना अलग है भारत का डिजिटल रुपया
आरबीआई ने डिजिटल रुपये के ट्रायल के लिए 9 बैंकों को दिया नया प्लेटफॉर्म.
Digital Rupee-सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रुपी (Digital Rupee) केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक वैध मुद्रा है. साधारण शब्दों में कहें तो, डिजिटल करेंसी आरबीआई द्वारा डिजिटल फॉर्म में जारी करेंसी नोट्स हैं. भारत में डिजिटल करेंसी दो तरह की होगी.
- News18Hindi
- Last Updated : November 01, 2022, 18:48 IST
वित्त मंत्री ने अपने बजट करेंसी क्या है भाषण में डिजिटल रुपी लाने की घोषणा की थी.
होलसेल सेगमेंट के लिए करेंसी क्या है रुपी पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च कर दिया गया है.
डिजिटल रुपी को बैंक मनी और कैश में आसानी से बदला भी जा सकेगा.
नई दिल्ली. भारत का पहला सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) या डिजिटल रुपी (Digital Rupee) पायलट प्रोजेक्ट आज यानि मंगलवार, 1 नवंबर से शुरू हो गया है.भारतीय करेंसी क्या है रिजर्व बैंक ने (RBI) मंगलवार को होलसेल सेगमेंट को ध्यान में रखते हुए डिजिटल रुपी का पायलट प्रोजेक्ट लॉन्च किया है. आरबीआई की रिटेल सेगमेंट के लिए डिजिटल रुपी का पहला पायलट प्रोजेक्ट चुनिंदा जगहों में एक महीने के भीतर लॉन्च करने की योजना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने फरवरी में अपने बजट भाषण में डिजिटल करेंसी लाने की घोषणा की थी.
CBDC के क्या हैं फायदे
सीबीडीसी फाइनल पेमेंट होगा और फाइनेंशियल सिस्टम, खास तौर पर बैंकों में सेटलमेंट के जोखिम को समाप्त करेगा. सीबीडीसी वैल्यू का एक्चुअल स्टोर होगा और वैल्यू को एक एंटिटी से दूसरे में ट्रांसफर करेगा. इससे लेन-देन की लागत कम होगी और पैसे का फ्लो आसान होगा. सीबीडीसी के ज़रिए रियल टाइम ट्रांजेक्शन और एक ग्लोबलाइज़ कॉस्ट इफेक्टिव पेमेंट सेटलमेंट सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा. उदाहरण के लिए, इसके ज़रिए भारतीय आयातक किसी बिचौलिए के बिना ही डिजिटल डॉलर में रियल टाइम में निर्यात किए गए अमेरिकी सामान का भुगतान कर सकते हैं. इसमें यह भी जरूरी नहीं होगा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व सिस्टम सेटमेंट के लिए खुली हो. करेंसी सेटलमेंट में टाइम जोन के अंतर से अब कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. यह लेन-देन फाइनल होगा.
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) द्वारा जारी एक नोट के अनुसार, सीबीडीसी में पैसे के मौजूदा फॉर्म की तुलना में लिक्विडिटी, एक्सेप्टेंस, लेनदेन में आसानी और फास्ट सेटलमेंट में मदद मिलेगी. यह निकट भविष्य में कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर एक व्यावहारिक बदलाव हो सकता है. सीबीडीसी को अपनाने से लोगों के लिए सरकार द्वारा प्रदान किए गए सपोर्टिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का इस्तेमाल करना आसान हो जाएगा. यह डिजिटल इकनॉमी की ओर बढ़ने में सरकार की मदद करेगा.