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चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर

चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर
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यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान

यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान, जिसे आमतौर पर यूलिप पॉलिसी के रूप में जाना जाता है, निवेश और बीमा कवर का एक पूरा पैकेज है जो धन बढ़ाने में मदद करता है। आमतौर पर, यूलिप पारदर्शी और लचीले होते हैं, जिससे व्यक्ति को आवश्यकता के अनुसार अपनी योजना को अनुकूलित करने की अनुमति मिलती है। यह आपको बीमा कवरेज चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर प्रदान करता है और आपको योग्य निवेश विकल्पों में अपने प्रीमियम का एक हिस्सा निवेश करने की अनुमति देता है जिसमें स्टॉक, बॉन्ड, म्यूचुअल फंड और बहुत कुछ शामिल हैं। यूलिप इंश्योरेंस में निवेशक अपने निवेश को ऋण से इक्विटी में स्वैप कर सकते हैं और इसके विपरीत स्तंभ से पोस्ट तक चलने या दंडित होने की चिंता किए बिना भी कर सकते हैं।

यूलिप प्लान पहली बार 1971 में यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा पेश किए गए थे और तब से इन योजनाओं को भारतीय बीमा बाजार द्वारा सराहा गया है।

आज, अधिक प्रदाताओं ने यूलिप योजनाओं के खेल में टैप किया है और न्यूनतम शुल्क पर नए युग की सुविधाओं के साथ ऐसी योजनाओं की पेशकश करके अपने ग्राहकों की जरूरतों को सफलतापूर्वक पूरा कर रहे हैं। आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल, बजाज लाइफ, एचडीएफसी सहित सभी प्रमुख बीमा कंपनियां भारतीय उपभोक्ताओं को यूलिप प्लान के असंख्य ऑफर करती हैं।

आइए खरीदारी का निर्णय लेने से पहले यूलिप प्लान की विस्तृत जानकारी प्राप्त करें।

यूलिप प्लान का महत्व क्या है?

यूलिप प्लान आपको 18 साल की उम्र में जल्दी निवेश करने की अनुमति देता है। जब कोई पॉलिसीधारक यूलिप प्लान के लिए नियमित प्रीमियम का भुगतान करता है, तो बीमाकर्ता जीवन बीमा कवर के लिए इसके एक हिस्से का उपयोग करता है। शेष राशि का उपयोग विभिन्न ऋण और इक्विटी निवेशों के लिए किया जाता है, इस प्रकार आपके रिटायरमेंट के बाद के जीवन को वित्तीय रूप से समर्थन देने के लिए पर्याप्त धन जमा होता है। ऐसी योजनाओं का सबसे अनिवार्य हिस्सा यह है कि पॉलिसीधारक लॉक-इन अवधि के बाद किसी भी समय पॉलिसी का कार्यकाल निर्धारित कर सकता है और बाहर निकल सकता है। यूलिप रिटायर होने और रिटायरमेंट के बाद जीवन का आनंद लेना शुरू करने का निर्णय लेने की सुविधा प्रदान करता है।

यूलिप प्लान की बेहतर समझ के लिए यहां एक उदाहरण दिया गया है।

30 साल के कमल अपनी पत्नी के साथ यात्रा करने के लिए पर्याप्त धन के साथ 60 साल की उम्र में रिटायर होना चाहते हैं। वह नियमित और संभावित खर्चों जैसे कि घरेलू आवश्यक वस्तुओं, चिकित्सा बिलों, क्षति और मरम्मत आदि के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं, इस प्रकार, उन्होंने अनुमान लगाया कि सेवानिवृत्ति के बाद एक स्वतंत्र और आरामदायक जीवन जीने के लिए लगभग 5 करोड़ रुपये की आवश्यकता होनी चाहिए। कमल अब लगभग 15,000 रुपये के मासिक प्रीमियम के साथ यूलिप प्लान का विकल्प चुन सकते हैं। अपनी सेवानिवृत्ति के समय 60 वर्ष की आयु पर, वह अपनी आवश्यकताओं के आधार पर नियमित आय या एकमुश्त के रूप में रिटर्न प्राप्त करने का निर्णय ले सकता है। यूलिप प्लान आपको लाइफ़ कवर सुरक्षा प्रदान करते हुए आपके प्रीमियम को अपनी पसंद के फ़ंड के प्रकार में निवेश करके काम करते हैं।

यह कैसे काम करता है?

यूनिट-लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान के लिए आपके द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम का उपयोग धन और जीवन बीमा बनाने के लिए किया जाता है। प्लान के शुरुआती वर्षों में, प्लान के खर्चों के लिए प्रीमियम की एक बड़ी राशि का उपयोग किया जाता है। बाद में, प्रीमियम को दो अलग-अलग खंडों में विभाजित किया जाता है- निवेश और बीमा।

आपकी पसंद के फंड में निवेश की गई राशि के लिए इकाइयां जारी की जाती हैं; यह ऋण, इक्विटी या दोनों का संयोजन हो सकता है। इकाइयों का आवंटन मूल निधि के प्रदर्शन पर निर्भर करता है। शुरुआती 2 से 3 प्लान वर्षों में, उच्च खर्चों की कटौती के कारण, फंड का मूल्य कम रहेगा। इसके अलावा, मृत्यु दर में भी मासिक रूप से कटौती की जाएगी। यह किसी व्यक्ति को जीवन बीमा प्रदान करने के लिए बीमा राशि है और आपके द्वारा चुने गए फंड मूल्य के रूप में बदल जाएगी। इन फंडों के रखरखाव के लिए, एक राशि जिसे फंड प्रबंधन शुल्क के रूप में संदर्भित किया जाता है, काट लिया जाएगा।

बेस्ट इक्विटी म्यूचुअल फंड 2022 - 2023

Best Equity Funds

इक्विटी फ़ंड पसंद का वाहन होना चाहिए जबनिवेश लंबी अवधि के लक्ष्यों के लिए क्योंकि उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में निवेशकों के लिए भारी मुनाफा कमाया है। लेकिन चूंकि निवेशकों के सामने व्यापक विकल्प हैं, इसलिए सही इक्विटी फंड चुनना महत्वपूर्ण हो जाता है।

सही गुणात्मक और मात्रात्मक उपायों (नीचे चर्चा की गई) के साथ, कोई भी आदर्श रूप से सर्वोत्तम इक्विटी का चयन कर सकता हैम्यूचुअल फंड्स निवेश के लिए।

इक्विटी फंड में निवेश क्यों करें?

1. चलनिधि

चूंकि हर दिन सभी प्रमुख एक्सचेंजों में शेयरों का सक्रिय रूप से कारोबार होता है, यह इक्विटी फंड को अत्यधिक तरल निवेश बनाता है। यह निवेशकों को के आधार पर अपने शेयरों को खरीदने और बेचने की सुविधा प्रदान करता हैमंडी परिस्थिति। इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश करने से आमतौर पर पैसा आपके खाते में जमा हो जाता हैबैंक 3 दिनों में खाता।

2. लाभांश आय

ब्लू-चिप कंपनियों में निवेश करने से निवेशकों को स्थिर कमाई करने में मदद मिल सकती हैआय लाभांश के रूप में। ऐसी अधिकांश कंपनियां आमतौर पर अस्थिर बाजार स्थितियों में भी नियमित लाभांश का भुगतान करती हैं, आमतौर पर त्रैमासिक भुगतान किया जाता है। एक विविध पोर्टफोलियो होने से निवेशकों को वर्ष में एक स्थिर लाभांश आय मिल सकती है।

3. पोर्टफोलियो विविधीकरण

सर्वोत्तम इक्विटी म्यूचुअल फंड के साथ निवेशक नियमित रूप से निवेश करके अपने पोर्टफोलियो में विविधता ला सकते हैं। इसका मतलब है कि वे विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों के शेयरों में निवेश कर सकते हैं। इसलिए, भले ही कोई विशेष स्टॉक मूल्य में गिर जाए, अन्य शेयर बाजार की स्थिति के आधार पर निवेशकों को उस नुकसान की भरपाई करने में मदद कर सकते हैं।

4. आदर्श निवेश वाहन

कई मायनों में, इक्विटी फंड उन निवेशकों के लिए आदर्श निवेश माध्यम हैं जो वित्तीय निवेश में अच्छी तरह से वाकिफ नहीं हैं या जिनके पास बड़ी मात्रा में निवेश नहीं है।राजधानी जिसके साथ निवेश करना है। वे ज्यादातर लोगों के लिए व्यावहारिक निवेश हैं।

छोटे व्यक्तिगत निवेशकों के लिए इक्विटी फंड को सबसे उपयुक्त बनाने वाली विशेषताएँ हैं फंड के पोर्टफोलियो विविधीकरण के परिणामस्वरूप जोखिम में कमी और इक्विटी फंड के शेयरों को हासिल करने के लिए आवश्यक पूंजी की अपेक्षाकृत कम राशि। एक व्यक्ति के लिए बड़ी मात्रा में निवेश पूंजी की आवश्यकता होगीइन्वेस्टर प्रत्यक्ष स्टॉक होल्डिंग्स के पोर्टफोलियो के विविधीकरण के माध्यम से जोखिम में कमी की समान डिग्री प्राप्त करने के लिए। छोटे निवेशकों की पूंजी को पूल करना एक इक्विटी फंड को बड़ी पूंजी आवश्यकताओं के साथ प्रत्येक निवेशक पर बोझ डाले बिना प्रभावी ढंग से विविधता लाने की अनुमति देता है।

इक्विटी एनएवी

इक्विटी फंड की कीमत फंड के नेट एसेट वैल्यू पर आधारित होती है (नहीं हैं) अपनी देनदारियों को कम करें। एक अधिक विविध फंड का मतलब है कि समग्र पोर्टफोलियो पर और इक्विटी फंड के शेयर की कीमत पर एक व्यक्तिगत स्टॉक के प्रतिकूल मूल्य आंदोलन का कम नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

इक्विटी फंड का प्रबंधन अनुभवी पेशेवर पोर्टफोलियो प्रबंधकों द्वारा किया जाता है, और उनका पिछला प्रदर्शन सार्वजनिक रिकॉर्ड का मामला है। इक्विटी फंड के लिए पारदर्शिता और रिपोर्टिंग आवश्यकताओं को भारतीय सुरक्षा विनिमय बोर्ड द्वारा अत्यधिक विनियमित किया जाता है (सेबी)

MUTUAL FUND INVESTMENT : निवेश से पहले इन 8 बातों का रखें ध्यान, वरना सकता है नुकसान

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बीते कुछ समय में म्यूचुअल फंड ने अच्छा रिटर्न दिया है। इसके चलते निवेशकों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में अगर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो इससे पहले कुछ बातों को समझना आपके लिए बहुत जरूरी है।

तय करें कि पैसा कहां लगाना है

निवेशक को सबसे पहले निवेश सूची तैयार कर लेनी चाहिए कि उसे कहां और कितने पैसे निवेश करने हैं। इस प्रक्रिया को असेट एलोकेशन कहते हैं। असेट एलोकेशन वो तरीका है जो यह तय करता है कि आप अपने पैसे को विभिन्न निवेशों में कैसे चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर लगाएं जिसमें सम्पत्ति के सभी वर्गों का सही मिश्रण हो।

असेट एलोकेशन के कुछ नियम हैं जो आपको यह बताते हैं कि किस उम्र में कितना धन जुटाना है। उदाहरण के लिए- यदि किसी निवेशक की उम्र 25 साल है तो उसे अपने निवेश का 25% डेट इंस्ट्रूमेंट और बाकि इक्विटी में लगाना चाहिए। यह एक सामान्य नियम है किंतु हर निवेशक की जोखिम सहने की क्षमता अलग हो सकती है और परिस्थितियों के अनुसार बदल भी सकती है।

जितना जोखिम उतना फायदा

वास्तविकता यह है कि हर व्यक्ति की परिस्थितियां और फाइनेंशियल कंडीशन अलग-अलग होती हैं। असेट एलोकेशन को समझने के लिए आपको जैसे-उम्र, व्यवसाय और आप पर निर्भर परिवार के सदस्यों की संख्या आदि की जानकारी होनी चाहिए। आप जितने युवा हैं उतने ही जोखिम भरे निवेश रख सकते हैं जिनसे आपको बेहतर रिटर्न मिल सकता है।

सही फंड चुनें

आप वही फंड चुनें जो आपकी जरूरतों के लिए उपयुक्त हो। इसके लिए सबसे पहले आपका आर्थिक लक्ष्य तय करें। उसी के हिसाब से निवेश करें। निवेश करने के पहले आपको तय कर लेना चाहिए कि किस फंड में निवेश करना है। सभी तरह के फंड निवेश के लिए अच्छे होते हैं। इनके बारे में जानकारी रखना जरूरी होता है।

पोर्टफोलियो में विविधता जरूरी

एक पोर्टफोलियो में कई असेट क्लास शामिल करना चाहिए। विविधता आपको किसी निवेश के खराब प्रदर्शन के दुष्प्रभाव से बचाती है। कभी-कभी किसी कंपनी या सेक्टर का प्रदर्शन बाकी बाजार की तुलना में ज्यादा खराब होता है। ऐसी स्थिति में अगर आपका पूरा पैसा उसी में नहीं लगा हो, तो निश्चित रूप से यह आपके लिए मददगार होता है। हालांकि ज्यादा तरह के फंडों में निवेश करना भी सही नहीं है।

पता करते रहें आपके निवेश का प्रदर्शन कैसा है

निवेश करने के बाद उसे भूलने जैसी लापरवाही न करें। इसके लिए जरूरी है कि पता करते रहें कि आपका निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहा है? इस तरह की जानकारी के लिए म्यूचुअल फंड मंथली और क्वार्टरली फैक्ट शीट और न्यूजलैटर प्रकाशित होते हैं जिनमें इसके प्रदर्शन से जुड़ी जानकारी रहती है। इसके अलावा म्यूचुअल फंड की वेबसाइट पर प्रदर्शन के आंकड़े भी देख सकते हैं।

निवेश को बंद करना सही नहीं

कई बार देखा जाता है कि लोग कोरोना काल जैसे विपरीत समय या अन्य उतार-चढ़ाव वाले समय में स्कीम से पैसे को निकाल लेते हैं। लेकिन डर और लालच के आधार पर निवेश का फैसला नहीं लेना चाहिए। इसके लिए निवेशकों को म्यूचुअल फंड के असेट एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज कैटेगरी का रास्ता अपनाना चाहिए। बीच में निवेश को बंद करना सही नहीं है।

SIP के जरिए निवेश करना रहेगा सही

म्यूचुअल फंड में एक साथ पैसा लगाने की बजाए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP द्वारा निवेश करना चाहिए। SIP के जरिए आप हर महीने एक निश्चित अमाउंट इसमें लगाते हैं। इससे रिस्क और कम हो जाता है क्योंकि इस पर बाजार के उतार चढ़ाव का ज्यादा असर नहीं पड़ता।

लंबे समय के लिए निवेश करें

इन स्कीमों में कम से कम 5 साल के टाइम पीरियड को ध्यान में रख कर निवेश करना चाहिए। ध्यान रहे कि छोटे समय में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का असर आपके निवेश पर ज्यादा पड़ सकता है जबकि लंबे समय में यह खतरा कम हो जाता है।

Asset Allocation Scheme बाजार के मौजूदा उतार-चढ़ाव भरे हालात का लाभ लेने के लिए एसेट एलोकेशन स्कीम सबसे अच्छी स्थिति में

After the announcement of Russia's army operation, investors lost more than eight lakh crore rupees in the initial business

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By : एस नरेन, ईडी और सीआईओ, आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल एएमसी

पूरे देश में कोरोना संक्रमण फैलने की भयावह तेजी के साथ ही भारतीय शेयर बाजार में भारी दबाव का आलम दिखा है। लगातार बढ़ते संक्रमण से पैदा हालातों ने अभी शक्ल ही लेनी शुरू की है इसिलए आने वाले कुछ समय में मार्केट का सेंटिमेंट कमजोर ही रहने वाला है। चूंकि एक साल पहले भी हम इस तरह के हालात से गुजर चुके हैं, इसलिए हमारा मानना है कि कॉरपोरेट सेक्टर और निवेशक, दोनों अब आऩे वाली चुनौतियों से बेहतर तरह से निपटने की स्थिति में है।

हमें उम्मीद है कि आने वाले कुछ समय में कोरोना संक्रमण के बढ़ती तेजी की तुलना में वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज होगी। भारत में भी वैक्सीनेशन विकसित देशों की तरह ही रफ्तार पकड़ सकेगी।

एक बार महामारी के नियंत्रण में आते ही बाजार में रिकवरी तेज हो जाएगी। हमारा मानना है कि हम इकनॉमिक रिकवरी का चक्र देख सकते हैं क्योंकि अमेरिकी केंद्रीय बैंक यानी फेडरल रिजर्व को हम आगे लगातार ऐसा रुख अपनाते देख सकते हैं, जिससे इसे समर्थन मिलता रहे। लेकिन यह दौर ज्यादा देर तक टिकने वाला नहीं लगता क्योंकि बाजार के सामने कोरोना की चुनौतियों के अलावा फेडरल रिजर्व की ओर से बढ़ाई गई ब्याज दरों का सामना करना पड़ सकता है । इसके अलावा फेडरल रिजर्व की ओर से क्वांटेटिव इजिंग को वापस लेने की स्थिति में भी हालात मुश्किल भरे हो सकते हैं। इनमें से कोई भी स्थिति अमेरिकी और पूरे ग्लोबल मार्केट को पटरी से उतार सकती है।

चूंकि हम एक ग्लोबल दुनिया में रहते हैं इसलिए शेयर बाजार की स्थिति के लिए सिर्फ स्थानीय हालात ही नहीं बल्कि ग्लोबल हालात भी जिम्मेदार होते हैं। इसलिए ग्लोबल हालात में बदलाव के साथ भी भारतीय मार्केट में भी करेक्शन दिखने को मिल सकता है। लेकिन यहां से निश्चित तौर पर ऊंची वोलेटिलिटी के लिए जगह बनती दिखती है। निवेशक इस जोखिम से सिर्फ डायनेमिक एसेट एलोकेशन के जरिये ही निपट सकते हैं।

जहां तक मैक्रो इकोनॉमिक हालात जैसे, महंगाई का सवाल है तो इसमें थोड़ी सी तेजी चिंता की बात नहीं है। इतिहास में अगर देखें तो पाएंगे कि अगर महंगाई ऐसी है, जिसे नियंत्रित किया जा सकता है तो इससे आर्थिक गतिविधियों में तेजी आती है। ऐसे समय में चीजों की बिक्री ज्यादा होती है। इसका हाल का उदाहरण रियल एस्टेट सेक्टर की बिक्री में आई तेजी है। इससे महंगाई को कारोबारी लेनदेन या ट्रांजेक्शन या इससे बढ़ाने में नकारात्मक चीज नहीं मानना चाहिए।

इस वक्त हम चुनिंदा बैंकों, बिजली, टेलीकॉम, सॉफ्टवेयर और मेटल सेक्टर को लेकर सकारात्मक हैं। हमारा मानना है कि कोविड के बाद आईटी तमाम सेक्टरों में एक ऐसा सेक्टर है, जिसके शेयरों ने पिछले साल की तुलना में अपनी री-रेटिंग करवाई है। सवाल यह है कि मौजूदा कीमतों पर इसने कितनी बढ़त हासिल की है। इसके अलावा हमारा यह भी मानना है कि कमोडिटी कंपनियों की ओर से प्रदर्शन की अच्छी गुंजाइश बनी हुई है। हम मानते हैं कि काफी समय से किसी भी कमोडिटी में पर्याप्त निवेश नहीं हुआ है। इसलिए कमोडिटी शेयरों में तेजी की पर्याप्त संभावना है। इस वक्त कमोडिटी से जुड़ी किसी भी इंडस्ट्री में शायद ही कोई बड़ा निवेश दिख रहा है।

इस वक्त जो निवेशक शेयरों में निवेश का एक्सपोजर चाहते हैं वह लंबी अवधि ( कम से कम दस साल) को ध्यान में रखते हुए एसआईपी के जरिये म्यूचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं।

जो लोग पांच साल से कम निवेश अवधि का चुनाव करना चाहते हैं वे हाइब्रिड किस्म की स्कीमों जैसे एसेट अलोकेशन स्कीम या बैलेंस्ड एडवांटेज कैटेगरी में निवेश कर सकते हैं।

इस कैटेगरी के फंड बाजार के उतार-चढ़ाव और इसके बदलते माहौल का फायदा लेने के हिसाब से अच्छी स्थिति में होते हैं। इसमें फंड मैनेजरों के पास इक्विटी और डेट के बीच एसेट आवंटित करने के लिए काफी गुंजाइश होती है। उन्हें डेट और इक्विटी की बेहतर स्थिति के आधार पर दोनों के बीच एसेट आवंटित करने में लचीलेपन का लाभ मिल जाता है।

MUTUAL FUND INVESTMENT : निवेश से पहले इन 8 बातों का रखें ध्यान, वरना सकता है नुकसान

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बीते कुछ समय में म्यूचुअल फंड ने अच्छा रिटर्न दिया है। इसके चलते निवेशकों में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में अगर आप भी म्यूचुअल फंड में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो इससे पहले कुछ बातों को समझना आपके लिए बहुत जरूरी है।

तय करें कि पैसा कहां लगाना है

निवेशक को सबसे पहले निवेश सूची तैयार कर लेनी चाहिए कि उसे कहां और कितने पैसे निवेश करने हैं। इस प्रक्रिया को असेट एलोकेशन कहते हैं। असेट एलोकेशन वो तरीका है जो यह तय करता है कि आप अपने पैसे को विभिन्न निवेशों में कैसे लगाएं जिसमें सम्पत्ति के सभी वर्गों का सही मिश्रण हो।

असेट एलोकेशन के कुछ नियम हैं जो आपको यह बताते हैं कि किस उम्र में कितना धन जुटाना है। उदाहरण के लिए- यदि किसी निवेशक की उम्र 25 साल है तो उसे अपने निवेश का 25% डेट इंस्ट्रूमेंट और बाकि इक्विटी में लगाना चाहिए। यह एक सामान्य नियम है किंतु हर निवेशक की जोखिम सहने की क्षमता अलग हो सकती है और परिस्थितियों के अनुसार बदल भी सकती है।

जितना जोखिम उतना फायदा

वास्तविकता यह है कि हर व्यक्ति की परिस्थितियां और फाइनेंशियल कंडीशन अलग-अलग होती हैं। असेट एलोकेशन को समझने के लिए आपको जैसे-उम्र, व्यवसाय और आप पर निर्भर परिवार के सदस्यों की संख्या आदि की जानकारी होनी चाहिए। आप जितने युवा हैं उतने ही जोखिम भरे निवेश रख सकते हैं जिनसे आपको बेहतर रिटर्न मिल सकता है।

सही फंड चुनें

आप वही फंड चुनें जो आपकी जरूरतों के लिए उपयुक्त हो। इसके लिए सबसे पहले आपका आर्थिक लक्ष्य तय करें। उसी के हिसाब से निवेश करें। निवेश करने के पहले आपको तय कर लेना चाहिए कि किस फंड में निवेश करना है। सभी तरह के फंड निवेश के लिए अच्छे होते हैं। इनके बारे में जानकारी रखना जरूरी होता है।

पोर्टफोलियो में विविधता जरूरी

एक पोर्टफोलियो में कई असेट क्लास शामिल करना चाहिए। विविधता आपको किसी निवेश के खराब प्रदर्शन के दुष्प्रभाव से बचाती है। कभी-कभी किसी कंपनी या सेक्टर का प्रदर्शन बाकी बाजार की तुलना में ज्यादा खराब होता है। ऐसी स्थिति में अगर आपका पूरा पैसा उसी में नहीं लगा हो, तो निश्चित रूप से यह आपके लिए मददगार होता है। हालांकि ज्यादा तरह के फंडों में निवेश करना भी सही नहीं है।

पता करते रहें आपके निवेश का प्रदर्शन कैसा है

निवेश करने के बाद उसे भूलने जैसी लापरवाही न करें। इसके लिए जरूरी है कि पता करते रहें कि आपका निवेश कैसा प्रदर्शन कर रहा है? इस तरह की जानकारी के लिए म्यूचुअल फंड मंथली और क्वार्टरली फैक्ट शीट और न्यूजलैटर प्रकाशित होते हैं जिनमें इसके प्रदर्शन से जुड़ी जानकारी रहती है। इसके अलावा म्यूचुअल फंड की वेबसाइट पर प्रदर्शन के आंकड़े भी देख सकते हैं।

निवेश को बंद करना सही नहीं

कई बार देखा जाता है कि लोग कोरोना काल जैसे विपरीत समय या अन्य उतार-चढ़ाव वाले समय में स्कीम से पैसे को निकाल लेते हैं। लेकिन डर और लालच के आधार पर निवेश का फैसला नहीं लेना चाहिए। इसके लिए निवेशकों को म्यूचुअल फंड के असेट एलोकेशन या बैलेंस्ड एडवांटेज कैटेगरी का रास्ता अपनाना चाहिए। बीच में निवेश को बंद करना सही नहीं है।

SIP के जरिए निवेश करना रहेगा सही

म्यूचुअल फंड में एक साथ पैसा लगाने की बजाए सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान यानी SIP द्वारा निवेश करना चाहिए। SIP के जरिए आप हर महीने एक निश्चित अमाउंट इसमें लगाते हैं। इससे रिस्क और कम हो जाता है चढ़ाव की स्थिति में बैलेंस्ड फंड बेहतर क्योंकि इस पर बाजार के उतार चढ़ाव का ज्यादा असर नहीं पड़ता।

लंबे समय के लिए निवेश करें

इन स्कीमों में कम से कम 5 साल के टाइम पीरियड को ध्यान में रख कर निवेश करना चाहिए। ध्यान रहे कि छोटे समय में शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव का असर आपके निवेश पर ज्यादा पड़ सकता है जबकि लंबे समय में यह खतरा कम हो जाता है।

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