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वित्तीय उपकरण

वित्तीय उपकरण

उपकरण और उपस्कर क्रय में वित्तीय अनियमितता

सुपौल। प्रयोगशाला उपकरण और उपस्कर क्रय मामले में प्रयोगशाला उपकरण और उपस्कर क्रय मामले में जिले में हुई सात करोड़ 69 लाख की वित्तीय अनियमितता की जांच का मामला पिछले 18 महीनों से फाइलों में ही घूम रहा है।

सुपौल। प्रयोगशाला उपकरण और उपस्कर क्रय मामले में जिले में हुई सात करोड़ 69 लाख की वित्तीय अनियमितता की जांच का मामला पिछले 18 महीनों से फाइलों में ही घूम रहा है। जांच कमेटी ने अभिलेख और कागजात शिक्षा विभाग द्वारा समर्पित नहीं किए जाने को लेकर जिलाधिकारी को प्रतिवेदन समर्पित कर दिया है। शिक्षा विभाग द्वारा उपलब्ध कागजात को समर्पित कर देने एवं शेष कागजात कार्यालय में उपलब्ध नहीं रहने का दावा किया जा रहा है।

जिले के 131 माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में वित्तीय वर्ष 2017-18 में राज्य सरकार द्वारा प्रयोगशाला उपकरण और उपस्कर क्रय के लिए राशि आवंटित की गई थी। जिसमें बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता को लेकर जांच दल गठित की गई थी। जांच कमेटी और शिक्षा विभाग के बीच अभिलेख लेन-देन पर ही मंथन चल रहा है। विडंबना तो यह है कि अपर मुख्य सचिव शिक्षा विभाग के आदेश पर जिलाधिकारी सुपौल द्वारा वरीय उप समाहर्ता की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय जांच दल के द्वारा 18 माह बीत जाने के बावजूद जांच प्रतिवेदन समर्पित नहीं किया गया है।

जिला पदाधिकारी ने जांच दल के तीनों सदस्यों को एक सप्ताह में स्पष्टीकरण सहित जांच प्रतिवेदन उपलब्ध कराने का आदेश दिया था। जांच प्रतिवेदन प्राप्त नहीं होने की स्थिति में अनुशासनिक कार्रवाई प्रारंभ कर देने की बात कही थी। जांच पदाधिकारी ने शिक्षा विभाग के द्वारा अभिलेख नहीं देने का प्रतिवेदन समर्पित किया है। वहीं दूसरी ओर निदेशक माध्यमिक शिक्षा ने जिला शिक्षा पदाधिकारी का वेतन स्थगित कर उपस्कर एवं प्रयोगशाला उपकरण से संबंधित विद्यालयों की सूची उपयोगिता प्रमाण पत्र के साथ 16 सितंबर तक समर्पित करने का आदेश दिया है। निर्धारित समय तक विहित प्रपत्र में सूचना उपलब्ध नहीं वित्तीय उपकरण कराने वाले जिला शिक्षा पदाधिकारी के विरुद्ध् नियमानुकूल कार्रवाई की जाएगी।

अपर मुख्य सचिव का क्या था आदेश

बिहार सरकार शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव ने अपने कार्यालय पत्रांक 594 दिनांक 14 मार्च 2019 के द्वारा परिवाद के आलोक में जिला पदाधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि राज्य सरकार द्वारा माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में प्रयोगशाला उपकरण एवं उपस्कर क्रय करने के लिए उपलब्ध कराए गए राशि के अपव्यय शिकायत विभिन्न स्तरों से पूर्व में प्राप्त हुए हैं। अपर मुख्य सचिव जिला पदाधिकारी को वरीय उप समाहर्ता के नेतृत्व में तीन सदस्यीय जांच टीम का गठन कर जांच दो माह में पूर्ण करा कर जांच प्रतिवेदन वित्तीय उपकरण विभाग को समर्पित करने का आदेश दिया।

---------------- डीएम ने जांच दल से मांगा था स्पष्टीकरण

जिला पदाधिकारी के आदेश पर उप विकास वित्तीय उपकरण आयुक्त ने वरीय उप समाहर्ता वीरेंद्र कुमार, जिला योजना पदाधिकारी सुपौल एवं वरीय कोषागार पदाधिकारी सुपौल को पत्र लिखकर जांच प्रतिवेदन समय पर समर्पित नहीं करने की स्थिति में स्पष्टीकरण भी मांगा गया। लेकिन जांच पदाधिकारी के द्वारा स्पष्टीकरण का जवाब नहीं दिया गया। पुन एक सप्ताह में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। प्रतिवेदन प्राप्त होने पर अनुशासनिक कार्रवाई की जाएगी। ------------------

नियमावली में उल्लंघन कर उपस्कार का क्रय

डीपीओ के द्वारा 31 मार्च 2018 को कोषागार से राशि की निकासी कर विद्यालय के प्रधान के खाता में न भेज कर अपने निजी बैंक के खाता में जमा कर दिया। कई महीनों के बाद राशि विद्यालय को भेजी गई। राशि के खर्च हेतु विद्यालय के प्रधानाध्यापक की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया। विभागीय पदाधिकारी, आपूर्तिकर्ता वित्तीय उपकरण एवं कई विद्यालय के प्रधानाध्यापक ने बिहार नियमावली का उल्लंघन कर बिना निविदा का उपस्कर क्रय किया। जो सरकार के आदेश का उल्लंघन है।

PCA (बैंकों के सही वित्तीय स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पर्यवेक्षी उपकरण) निम्नलिखित हैं:

The RRB Group D Results are expected to be out soon! The Railway Recruitment Board released the RRB Group D Answer Key on 14th October 2022. The candidates will be able to raise objections from 15th to 19th October 2022. The exam was conducted from 17th August to 11th October 2022. The RRB (Railway Recruitment Board) is conducting the RRB Group D exam to recruit various posts of Track Maintainer, Helper/Assistant in various technical departments like Electrical, Mechanical, S&T, etc. The selection process for these posts includes 4 phases- Computer Based Test Physical Efficiency Test, Document Verification, and Medical Test.

कोविड सम्बन्धित क़र्ज़ पर मुद्रा कोष और विश्व बैंक के उपायों वित्तीय उपकरण का स्वागत

भारत के मध्य प्रदेश में एक परिवार, जिसकी आय अर्जन क्षमता, कोविड-19 के कारण, बहुत की नीचे चली गई है.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कोविड-19 के असर से उबरने की कोशिश में लगी अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों के सामने, क़र्ज़ राहत और अन्य वित्तीय दबाल के हालात में मदद करने के लिये, अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और विश्व बैंक समूह की विकास समिति द्वारा उठाए गए क़दमों का स्वागत किया है. उन्होंने इन विश्व संगठनों के क़दमों को, “आशा के संकेत और नवीनीकृत बहुपक्षवाद क़रार दिया है.”

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने अपने प्रवक्ता द्वारा शुक्रवार को जारी एक वक्तव्य में कहा कि विकासशील अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों को, कोरोनावायरस संकट से उबरने के प्रयासों में, पर्याप्त वित्तीय संसाधनों का इन्तज़ाम करने के लिये संघर्ष करना पड़ा है, उनके लिये, इससे उबरना तो दूर की बात है.

वक्तव्य में कहा गया है कि यूएन महासचिव ने, इस संकट के शुरू से ही, विशेष रक़म निकासी अधिकारों (SDRs) के ज़रिये धन की उपलब्धता बनाए रखे जाने का आहवान किया है.

ये अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा, ज़रूरतमन्द देशों की मदद करने के लिये तैयार किया गया एक विशेष वित्तीय उपकरण है. इसके तहत, अप्रयुक्त अधिकारों का पुनः आबंटन किये जाने का भी प्रावधान है.

एंतोनियो गुटेरेश ने क़र्ज़ बोझ का सामना करने के लिये, तीन स्तरीय उपायों का प्रस्ताव रखा है: क़र्ज़ वसूली में यथास्थिति बनाए रखना, सबसे कमज़ोर हालात वाले देशों को लक्षित क़र्ज़ राहत, और अन्तरराष्ट्रीय क़र्ज़ ढाँचे में सुधार किया जाना.

नई कोषों का संकल्प

यूएन महासचिव ने अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष द्वारा , विशेष रक़म निकासी अधिकारों (SDRs) के नए आबंटन, व ज़रूरतमन्द देशों को, स्वैच्छिक पुनः आबंटन की ठोस पुकार का स्वागत किया है.

उन्होंने कहा कि वो क़र्ज़ सेवा स्थगन पहल के लिये दिये गए समर्थन को देखकर भी उत्साहित हैं, जिसके तहत कमज़ोर हालात वाले देशों को 5 अरब डॉलर की अस्थाई राहत मुहैया कराई गई है.

उन्होंने साथ ही, जी20 अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों द्वारा सहमत, क़र्ज़ स्थगन के लिये सामान्य ढाँचे पर भी ऐसा ही उत्साह महसूस किया है.

वक्तव्य में कहा गया है, “क़र्ज़ यथास्थिति और राहत, उन देशों तक बढ़ानी होगी जिन्हें इनकी सबसे ज़्यादा आवश्यकता है – इनमें मध्य आय वाले देश शामिल हैं, जहाँ विश्व भर के कुल निर्धन लोगों की लगभग 60 प्रतिशत आबादी बसती है."

"और ऐसा, कोई कलंकित छवि बनाए बिना या उनके सम्प्रभु दर्जे पर कोई नकारात्मक छाप छोड़े बिना करना होगा.”

क़र्ज़ ढाँचे में बदलाव

यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने रेखांकित करते हुए कहा कि कोविड-19 आपदा, टिकाऊ विकास लक्ष्यों की प्राप्ति को, पहुँच से बाहर कर देगी, ऐसे हालात में, अन्तरराष्ट्रीय क़र्ज़ ढाँचे में सुधार किया जाना बहुत हम है.

“अन्तरराष्ट्रीय क़र्ज़ ढाँचे पर इस सप्ताह हुआ विचार-विमर्श, सही दिशा में उठाया गया एक प्रमुख क़दम है.”

महासचिव ने तमाम देशों व संस्थानों से, आज के दौर को परिभाषित करने वाले क़र्ज़ ढाँचे के सिद्धान्तों के बारे में, नए सिरे से सोचे जाने के वैश्विक प्रयासों में शामिल होने का आहवान किया.

साथ ही, उन्होंने मौजूदा वित्तीय उपकरणों को, क़र्ज़ संकट की ज़्यादा प्रभावशाली समाधान प्रणाली से मेल खाने के लिये, कार्रवाई किये जाने का भी आग्रह किया.

उन्होंने, अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक द्वारा, एक टिकाऊ, समावेशी, स्मार्ट और हरित पुनर्बहाली पर ज़ोर दिये जाने को भी, उत्साहजनक क़रार दिया है.

सभी पुराने IT उपकरणों को कबाड़ में भेजेगी केंद्र सरकार, आखिर क्या है इरादा! जानिए इसका असली कारण

केंद्र सरकार का सभी पुराने आईटी उपकरणों को कबाड़ में भेजने का फैसला. (ANI)

केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों और विभागों को पुराने पड़ चुके ऑपरेटिंग सिस्टम और आईटी उपकरणों को तत्काल कबाड़ में भेजने के लिए कहा है. News18 के पास इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सचिव अल्केश कुमार शर्मा के इन नए निर्देशों के संबंध में सभी सचिवों को लिखे गए एक लेटर की एक कॉपी है.

  • News18Hindi
  • Last Updated : November 12, 2022, 09:50 IST

हाइलाइट्स

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सचिव ने सभी सचिवों को लिखा पत्र.
सरकार ने कहा कि आउट डेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम और आईटी उपकरण का उपयोग बंद किया जाना चाहिए.
ये संवेदनशील सरकारी आईटी सिस्टम को साइबर अटैक के लिए अतिसंवेदनशील बना देते हैं.

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने सभी मंत्रालयों और विभागों को पुराने पड़ चुके वित्तीय उपकरण ऑपरेटिंग सिस्टम और आईटी उपकरणों को तत्काल कबाड़ में भेजने के लिए कहा है. सरकार ने चेतावनी देते हुए कहा है कि ऐसे पुराने पड़ चुके आईटी उपकरण गंभीर साइबर अटैक के लिए आसान निशाना साबित हो सकते हैं. इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सचिव अल्केश कुमार शर्मा ने इन नए निर्देशों के बारे में सभी सचिवों को एक पत्र लिखा है. News18 के पास इस लेटर की कॉपी है.

शर्मा ने चेतावनी दी है कि आउट डेटेड ऑपरेटिंग सिस्टम और आईटी उपकरण का उपयोग बंद किया जाना चाहिए. क्योंकि यह संवेदनशील सरकारी आईटी सिस्टम को साइबर अटैक के लिए अतिसंवेदनशील बना देता है. सरकारी सिस्टम में साइबर हमले के मामले बढ़ते जा रहे हैं. News18 ने पहले ही खबर दी थी कि अप्रैल में संसद में पेश किए गए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक पिछले पांच साल में सरकार से संबंधित 641 ट्विटर अकाउंट, ई-मेल और वेबसाइटों को हैक किया गया था. ‘पैगंबर विवाद’ के बाद जून में भारत में सरकारी संस्थाओं और निजी संस्थानों की 500 से अधिक वेबसाइटों को हैक कर लिया गया था.

इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सचिव का नया लेटर सर्वर, पर्सनल कंप्यूटर, वित्तीय उपकरण प्रिंटर, यूपीएस, लैपटॉप, नोटबुक और टैबलेट, डेटा संचार उपकरण, LAN स्विच, राउटर और डेटा केबल जैसे उपकरणों की जांच करने के बारे वित्तीय उपकरण में है. सभी सचिवों को MeitY सचिव के इस लेटर में कहा गया है कि बढ़ते डिजिटलीकरण और ऑनलाइन गवर्नेंस के साथ साइबर अटैक से निपटना गवर्नेंस का एक अभिन्न और महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है.

सचिव के पत्र में कहा गया है कि हैकर्स अज्ञानता या सुरक्षा प्रक्रियाओं का पालन न करने, प्रक्रियाओं में खामियों या प्रौद्योगिकी (हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर दोनों) में कमजोरियों का फायदा उठाते हैं. सभी मंत्रालयों को हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर, दोनों तरह के आईटी उपकरणों की लाइफ टाइम का पालन करने वित्तीय उपकरण के लिए कहा गया है. पत्र में कहा गया है कि इससे सरकार के मंत्रियों/विभागों में साइबर जोखिम से मुक्त वातावरण बनाए रखने में मदद मिलेगी. News18 ने शुक्रवार को खबर थी कि केंद्र सरकार के तहत सभी मंत्रालयों और विभागों के अधिकारी साइबर सुरक्षा पर एक व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजर रहे हैं. ताकि वे फिशिंग, वित्तीय धोखाधड़ी, हैकिंग आदि जैसे सामान्य साइबर अपराधों से निपटने के लिए अच्छी तरह से तैयार हो सकें.

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काश्तकारों के लिए 'वरदान' साबित हो रही सौर ऊर्जा, बिजली की चिंता खत्म

हिमांशु धवल@राजसमंद. किसानों के लिए पीएम कुसुम योजना वरदान साबित हो रही है। इससे काश्तकारों को सिंचाई के लिए विद्युत सप्लाई पर निर्भर नहीं रहना पडेगा और आर्थिक भार भी घटता है। जिले में इस वित्तीय वर्ष में अब तक 290 के करीब सौर ऊर्जा संयत्र लग चुके हैं, जबकि आगामी दिनों में 30-40 और लगने वाले हैं।
प्रदेश में प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा उत्थान (पीएम कुसुम योजना) योजना संचालित की जा रही है। इसके तहत काश्तकारों के खेतों में अनुदान पर सौर ऊर्जा उपकरण लगाए जा रहे हैं। इसके तहत किसानों को खेती के लिए सौर सिंचाई पंप स्थापित करने के लिए सब्सिडी दी वित्तीय उपकरण जाती है। काश्तकार को नलकूप और पंप सेट स्थापित करने के लिए 60 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जा रही है। काश्तकारों को सिंचाई के लिए डीजल पंप चलाने के लिए विद्युत सप्लाई पर निर्भर रहना पड़ता था। सिंचाई के समय बिजली की सप्लाई रात्रि में दिए जाने से भी परेशानी होती थी। इससे बचाने और किसानों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पीएम कुसुम योजना संचालित की जा रही है। इसके तहत सौर ऊर्जा संयत्र लगाए जा रहे हैं। इसका कनेक्शन नलकूप और कुएं आदि करने से सिंचाई आदि आसानी से हो रही है। इसके लिए विभाग की ओर से नियमानुसार अनुदान भी उपलब्ध कराया जा रहा है।

 राजसमंद के निकट एक गांव में लगे सौर ऊर्जा उपकरण।, राजसमंद के निकट एक गांव में लगे सौर ऊर्जा उपकरण।

फैक्ट फाइल
- 590 पीएम कुसुम योजना के तहत टारगेट
- 289 के अब तक लग चुके है सौर ऊर्जा
- 30-40 वर्क ऑर्डर हो वित्तीय उपकरण चुके हैं जारी
- 186 सामान्य वर्ग के किसानों ने लगाए उपकरण
- 48 अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसानों ने लगाए
- 48 टीएसपी वर्ग के किसानों ने लगाए उपकरण
- 07 अनुसूचित जाति वर्ग के खेतों में लगे उपकरण

खेतों में सौर ऊर्जा संयत्र लगाने के लिए कर रहे प्रेरित
जिले में पीएम कुसुम योजना के तहत खेतों में सौर ऊर्जा उपकरण लगाने पर नियमानुसार सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है। इसके तहत जिले में 590 का टारगेट दिया गया था, इसमें से 289 किसानों के खेतों में सौर ऊर्जा संयत्र लग चुके हैं। किसानों को इसके लिए प्रेरित किया जा रहा है।
- डॉ. खुमान सिंह रूपावत, सहायक निर्देशक उद्यान कृषि विभाग राजसमंद

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