अध्ययन का सामग्री

एसेट क्लास के रूप में मुद्रा

एसेट क्लास के रूप में मुद्रा
फंड की कुछ शीर्ष होल्डिंग्स (31 जुलाई 2018 तक) गवर्नमेंट स्टॉक 2022, गोल्ड - मुंबई, आरएमजेड इंफोटेक प्राइवेट लिमिटेड, हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड, क्लिक्स हैं।राजधानी सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, आदि।

देश में कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या कम होकर 4,767 हुई

एसबीआई मल्टी एसेट एलोकेशन फंड बनाम एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड

एसबीआई मल्टीपरिसंपत्ति आवंटन फंड बनाम एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड दोनों एसेट क्लास के रूप में मुद्रा मल्टी एसेट एलोकेशन श्रेणी के हैंम्यूचुअल फंड्स. मल्टी एसेट एलोकेशन फंड हाइब्रिड कैटेगरी का हिस्सा हैं। इस स्कीम की खास बात यह है कि फंड तीन एसेट क्लास में निवेश कर सकता है। इसका मतलब है कि मल्टी एसेट एलोकेशन डेट, इक्विटी और एक और एसेट क्लास में निवेश कर एसेट क्लास के रूप में मुद्रा सकता है। नियमों के मुताबिक, फंड को हर एसेट क्लास में कम से कम 10 फीसदी निवेश करना चाहिए। हालांकि एसबीआई मल्टी एसेट एलोकेशन फंड और एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड दोनों एक ही श्रेणी के हैं; उनके बीच कई अंतर मौजूद हैं। तो, आइए इस लेख के माध्यम से दोनों योजनाओं के बीच के अंतरों को समझते हैं।

एसबीआई मल्टी एसेट एलोकेशन फंड, जिसे पहले एसबीआई मैग्नम के नाम से जाना जाता थामासिक आय योजना फ्लोटर, वर्ष 2005 में लॉन्च किया गया था। इस योजना का उद्देश्य नियमित प्रदान करना हैआय, आकर्षक रिटर्न औरलिक्विडिटी के सक्रिय रूप से प्रबंधित पोर्टफोलियो के माध्यम से ब्याज दर जोखिम के प्रभाव को कम करने के अलावाअस्थाई दर और निश्चित दर ऋण साधन,मुद्रा बाजार उपकरण, डेरिवेटिव और इक्विटी।

एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड (पूर्ववर्ती एचडीएफसी मल्टीपल यील्ड फंड - प्लान 2005)

एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड, जिसे पहले एचडीएफसी मल्टीपल यील्ड फंड - प्लान 2005 के रूप में जाना जाता था, को वर्ष 2005 में लॉन्च किया गया था। इस योजना का उद्देश्य मध्यम समय सीमा में कम जोखिम के साथ सकारात्मक रिटर्न उत्पन्न करना है।पूंजी हानि मध्यम समय सीमा में।

फंड की कुछ शीर्ष होल्डिंग्स (30 जुलाई 2018 तक) गोल्ड बार 1 किलोग्राम (0.995 शुद्धता), कोटक महिंद्रा प्राइम लिमिटेड, एचडीएफसी हैं।बैंक लिमिटेड, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, श्रीराम ट्रांसपोर्ट फाइनेंस कंपनी लिमिटेड, आदि।

एसबीआई मल्टी एसेट एलोकेशन फंड बनाम एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड

कई मापदंडों पर एसबीआई मल्टी एसेट एलोकेशन फंड बनाम एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड के बीच कई अंतर हैं। तो, आइए नीचे दिए गए चार वर्गों की मदद से इन योजनाओं के बीच के अंतर को समझते हैं।

मूल बातें अनुभाग

फिनकैश रेटिंग, वर्तमाननहीं हैं, एयूएम, व्यय रायटो, योजना श्रेणी, आदि, कुछ तुलनीय तत्व हैं जो मूलभूत अनुभाग का हिस्सा हैं। योजना श्रेणी के संबंध में, दोनों योजनाएँ बहु संपत्ति आवंटन की एक ही श्रेणी की हैं-हाइब्रिड फंड.

फिनकैश रेटिंग की तुलना से पता चलता है कि, एसबीआई मल्टी एसेट एलोकेशन फंड है a4-सितारा रेटेड योजना और एचडीएफसी मल्टी-एसेट फंड है a3-सितारा रेटेड योजना*.

मूल बातें अनुभाग का सारांश इस प्रकार है।

Parameters
BasicsNAV
Net Assets (Cr)
Launch Date
Rating
Category
Sub Cat.
Category Rank
Risk
Expense Ratio
Sharpe Ratio
Information Ratio
Alpha Ratio
Benchmark
Exit Load

लॉन्ग टर्म के निवेश के लिए इक्विटी अब भी सबसे बेहतर विकल्प, ये फैक्टर्स दे रहे संकेत

स्टॉक (Stocks) में जोख‍िम ज्यादा रहता है लेकिन इसमें एक अच्‍छी बात यह है कि जितनी लंबी अवध‍ि तक निवेश बनाए रहें, उतार-चढ़ाव का असर सीमित होता जाता है. इसलिए लॉन्ग टर्म में इक्विटी सबसे बेहतर एसेट क्‍लास हैं.

भारतीय शेयर बाजार में करीब 18 महीने तक की तेजी के बाद पिछले एक साल में मिलाजुला रुख देखा गया. बाजार में उतार-चढ़ाव वाला रहा है लेकिन इसके लिए यह कोई असामान्‍य बात नहीं है. एक एसेट क्‍लास के रूप में देखें तो स्टॉक (Stocks) में जोख‍िम ज्यादा रहता है लेकिन इसमें एक अच्‍छी बात यह है कि जितनी लंबी अवध‍ि तक निवेश बनाए रहें, उतार-चढ़ाव का असर सीमित होता जाता है. इसलिए लॉन्ग टर्म में इक्विटी सबसे बेहतर एसेट क्‍लास हैं.

कमोडिटीज की कीमतों में आई गिरावट

अब इस पर बहस की जा सकती है कि खासकर विकसित देशों में मंदी या सुस्‍ती का असर कम रहेगा या व्‍यापक रहेगा, या महंगाई टिकने वाला होगा या कुछ समय के लिए. लेकिन कमोडिटीज और एनर्जी की कीमतों (ऊर्जा आयात का हिस्‍सा जीडीपी के 4 फीसदी तक होता है) में कमी आई है जो कुछ राहत की बात है. हम पूरे भरोसे से यह नहीं कह सकते कि मार्जिन का दबाव कम हुआ है, लेकिन यह जरूर कह सकते हैं कि अब चीजें सही दिशा में जा रही हैं, कम से कम कमोडिटी उपभोग के मामले में.

हालांकि, कई ऐसे जोख‍िम हैं जिनका हमें ध्‍यान रखना होगा. पहला- अनिश्चित जियो-पॉलिटिकल चिंताएं और सप्‍लाई चेन की निरंतरता के मसले लंबे समय तक बने रहने वाले हैं. दूसरा- अब करीब एक दशक के कम ब्‍याज दरों और आसान नकदी के माहौल से ऊंची ब्‍याज दरों और नकदी में सख्‍ती वाले माहौल की तरफ बढ़ा जा रहा है. पहले जोख‍िम की वजह से महंगाई न सिर्फ भारत बल्कि पूरी दुनिया के लिए चिंता है और हमनें यह देखा है कि केंद्रीय बैंक सख्‍त मौद्रिक नीतियों से इस पर अंकुश के लिए कोशिश में लगे हुए हैं.

शॉर्ट टर्म में बाजार भी दूसरे बाजारों के साथ ही चलेंगे

भारत में हमें कुछ और समस्‍याओं के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं- विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट आ रही है, व्‍यापार घाटा ऊंचाई पर है और रुपए में काफी कमजोरी है. महंगाई लगातार ऊंचाई पर बनी हुई है और पिछले करीब तीन तिमाहियों से यह रिजर्व बैंक के 6% के सुविधाजनक स्‍तर से ऊपर है. कई दूसरे देशों के मुकाबले हमने बेहतर प्रदर्शन किया है और हमारी ग्रोथ रेट भी बहुत अच्‍छी है, लेकिन अर्थव्‍यवस्‍था की इस अलग राह या बेहतरीन प्रदर्शन से जरूरी नहीं कि बाजार एक-दूसरे से जुड़े नहीं हों, भले ही प्रदर्शन कितना ही बढ़ि‍या हो. इसलिए इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि शॉर्ट टर्म में हमारे बाजार भी दूसरे बाजारों के साथ ही चलेंगे.

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वैश्विक तरक्‍की में मौजूदा अनिश्चिचता के माहौल को देखते हुए बाजारों के लिए मौजूदा साल काफी चुनौतियों वाला हो सकता है. वैश्विक स्‍तर पर और भारत में ऊंची ब्‍याज दरों की वजह से शेयरों के वैल्‍युएशन में उस बढ़त पर जोख‍िम आ सकता है, जिसका हाल में भारतीय बाजारों को फायदा मिला है. इसके अलावा भारत के कई राज्‍यों में मानसून अनियमित रहने की वजह से खाद्य महंगाई भी ऊंचाई पर रहने की आशंका है.

रूस जल्द ही क्रिप्टो एसेट को मुद्रा के रूप में दे सकता है मान्यता

बिजनेस डेस्कः रूस जल्द क्रिप्टोकरेंसी को कानूनी मुद्रा के रूप में मान्यता दे सकता है। बुधवार को रूस की कुछ स्थानीय मीडिया की रिपोर्यों में यह दावा किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस की सरकार और केंद्रीय बैंक, वर्चअुल एसेट्स के रेगुलेशन को लेकर एक समझौते पर पहुंच गए हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस सरकार आगामी 18 फरवरी को एक ड्राफ्ट कानून पेश करेगी, जिसमें क्रिप्टो को "करेंसी के एनालॉग" के रूप में मान्यता देने का प्रस्ताव होगा।

इस पहले पिछले महीने रिपोर्ट आई थी कि रूस के केंद्रीय बैंक, बैंक ऑफ रूस ने देश के फाइनेंशियल सिस्टम पर क्रिप्टोकरेंसी से पड़ने वाले "अस्थिर प्रभाव" का हवाला देते हुए इस पर पूरी तरह से बैन लगाने की मांग की थी। हालांकि अब जो नया ड्राफ्ट कानून आ रहा है, वह इस मांग के ठीक उलट है।

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भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था, फिर भी जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी

पिछले एक साल में भारत और वैश्विक स्तर पर इक्विटी बाजार अस्थिर रहा हैं। लगातार बढ़ती महंगाई को विश्व के सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में वृद्धि करके नियंत्रित कर रहे एसेट क्लास के रूप में मुद्रा हैं। इन चुनौतियों और अस्थिर बाहरी वातावरण के बावजूद एक सकारात्मक बात यह है कि भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था का आनंद ले रहा है।

भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था, फिर भी जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी

पिछले एक साल में भारत और वैश्विक स्तर पर इक्विटी बाजार अस्थिर रहा हैं। लगातार बढ़ती महंगाई को विश्व के सेंट्रल बैंक ब्याज दरों में वृद्धि करके नियंत्रित कर रहे हैं। इन चुनौतियों और अस्थिर बाहरी वातावरण के बावजूद एक सकारात्मक बात यह है कि भारत एक स्थिर अर्थव्यवस्था का आनंद ले रहा है। भारत एक साल या पांच साल के आधार पर लगभग सभी उभरते बाजारों से बेहतर प्रदर्शन करते हुए सभी प्रमुख बाजारों में एक अलग मुकाम बनाए हुए है। भारतीय इक्विटी वैल्यूएशन अभी भी उनके लॉंग टर्म एवरेज और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है। भारत का सेंट्रल बैंक, भारत सरकार और कॉरपोरेट्स सभी ने मिलकर अब तक स्थिति को बहुत अच्छी तरह से संभाला है। इसके बावजूद, जोखिम के प्रति सचेत रहना समझदारी है क्योंकि मार्केट मूल्यांकन सस्ता नहीं है। आज दुनिया पहले की तुलना में बहुत अधिक आपस में जुड़ी हुई है और इस लिहाज से अगर दुनिया में कोई समस्या आती है तो भारत में इक्विटी निवेशकों के लिए सफर इतना आसान भी नहीं हो सकता है। हमारा मानना है कि जब यूएस फेड यह घोषणा करता है कि मुद्रा को सख्ती से साथ निपटा जा चुका है तो यह इक्विटी के लिए एक बड़े असेट क्लास के रूप में उभरने का बड़ा मौका होगा। हमें नहीं पता कि ऐसा कब होगा और तब तक हम उम्मीद करते हैं कि मार्केट में उतार-चढ़ाव बना रहेगा।

विस्तार

पिछले एक साल से भारत और वैश्विक स्तर पर शेयर बाजार अस्थिर रहे हैं। लगातार बढ़ती महंगाई का मुकाबला करने के लिए ब्याज दरों में वृद्धि जारी है। इन चुनौतियों के बावजूद भारत बेहतर प्रदर्शन करते हुए एक अलग मुकाम बनाए हुए है। यहां बाजारों में गिरावट नियंत्रण में है। इससे भारतीय बाजार का मूल्यांकन अभी भी उसके लंबे समय के औसत और दूसरे बाजारों की तुलना में अच्छा रहा है।

डेट म्यूचुअल फंड में निवेश करें
ऊंची ब्याज को देखते हुए, एक एसेट क्लास-डेट फिर से आकर्षक लग रहा है। उम्मीद है कि आने वाली बैठकों में रेपो दर में बढ़ोतरी होगी, क्योंकि उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें ऊंची है। इसने लगभग सभी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं के साथ भारत में भी महंगाई और आरबीआई के समक्ष चुनौती खड़ी की है।

भविष्य में ऊंची अक्रूअल स्कीम और डायनॉमिक ड्यूरेशन वाली स्कीम निवेश के लिए बेहतर हैं। एक प्रकार का डेट जो आगे बेहतर प्रदर्शन कर सकता है वह है फ्लोटिंग रेट बांड अर्थात एफआरबी।

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