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कारखाना विदेशी मुद्रा उदयपुर

कारखाना विदेशी मुद्रा उदयपुर

भारत के खनिज पदार्थ | Minerals of India

भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले प्रमुख भारत के खनिज पदार्थ लोहा, कोयला, खनिज तेल (पेट्रोलियम), सोना, तांबा, मैंगनीज़, अभ्रक, संगमरमर, जस्ता एंव सीसा, बॉक्साइट, मोनेज़ाइट बेरिलियम, थोरियम और पाइराइट्स हैं।

Table of Contents

भारत के खनिज पदार्थ | Minerals of India

लोहा

प्रमुख उत्पादक राज्य – बिहार, झारखण्ड, प. बंगाल,आंध्र प्रदेश, तेलंगाना ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, गोवा, राजस्थान।

आर्थिक महत्व – लोहा हर प्रकार की मशीनरी और कल-कारखाना निर्माण में काम आता है। सभी-धंधे उद्योग इसी पर निर्भर है।

प्रमुख उत्पादक राज्य – झारखण्ड (झरिया), छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल (रानीगंज), मध्य प्रदेश (पंचघाटी), असम (माकुम), मेघालय, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात तट।

आर्थिक महत्व – कोयला दैनिक जीवन के साथ-साथ रे ल के इंजन, कारखाने, जहाज़ आदि चलाने ताप बिजलीघरों और रसोई आदि के काम आता है।

खनिज तेल (पेट्रोलियम)

प्रमुख उत्पादक राज्य – असम (डिगबोई, सुरमाघाटी), मेघालय, गुजरात (खम्भात, अंकलेश्वर), मुम्बई-हाई और अरुणाचल प्रदेश।

आर्थिक महत्व – खनिज तेल का उपयोग यातायात के वाहन, जहाज़, मशीनें चलाने के काम आता है; रोशनी करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

प्रमुख उत्पादक राज्य – कर्नाटक (कोलार, हट्टी) और आंध्र प्रदेश (रामगिरि)। इसकी बिहार और झारखण्ड राज्य में खोज की जा रही है।

आर्थिक महत्व – अत्याधिक मूल्यवान धातु, आभूषण आदि बनाने एवं अंतरराष्ट्रीय कारखाना विदेशी मुद्रा उदयपुर विनिमय में प्रयोग किया जाता है।

तांबा

प्रमुख उत्पादक राज्य – झारखण्ड (सिंहभूम), राजस्थान (खेतड़ी, दरीबो), मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश (अग्निगुण्डल), उत्तराखण्ड (गढ़वाल), पश्चिम बंगाल (दार्जिलिंग), महाराष्ट्र (दौंड), कर्नाटक, गुजरात।

आर्थिक महत्व – बिजली की तारें बनाने तथा मुद्राऐं, बरतन और मशीनों के कल पुर्जे आदि बनाने के काम आता है।

मैंगनीज़

प्रमुख उत्पादक राज्य – मध्य प्रदेश (झाबुआ, छिन्दवाड़ा, बालाघाट), महाराष्ट्र (नागपुर), गुजरात (पंचमहल), आंध्र प्रदेश (विशाखापट्नम), कर्नाटक, गोवा, ओडिशा, बिहार, झारखण्ड, राजस्थान।

आर्थिक महत्व – यह इस्पात बनाने में तथा रासायनिक उद्योग में काम आता है। इसके निर्यात से विदेशी मुद्रा अर्जित की जाती है।

Note: भारत और राज्यों के सरकारी विभागों द्वारा आयोजित सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भारत के खनिज बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। भारत के खनिज विषय से सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न अवश्य पूछे जाते है।

अभ्रक

प्रमुख उत्पादक राज्य – झारखण्ड (हज़ारीबाग), बिहार (मुंगेर, गया), आंध्र प्रदेश और राजस्थान।

आर्थिक महत्व – यह बिजली का सामान, दवाइयाँ, गैस-लैंप की चिमनियाँ आदि बनाने में प्रयुक्त होता है। भारत में संसार भर का 75 प्रतिशत अभ्रक का उत्पादन होता है।

संगमरमर

प्रमुख उत्पादक राज्य – मध्य प्रदेश (जबलपुर), राजस्थान (अलवर, मकराना, जयपुर, अजमेर, जोधपुर)। राजस्थान का संगमरमर विश्व विख्यात है।

आर्थिक महत्व – सुन्दर और कीमती इमारतों तथा मूर्तियों के निर्माण में संगमरमर का उपयोग किया जाता है।

नमक

प्रमुख उत्पादक राज्य – राजस्थान (साँभर झील), हिमाचल प्रदेश (सेंधा नमक की खानें), गुजरात (कच्छ और खम्भात की खाड़ी), तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, केरल (समुद्र तट के साथ-साथ)।

आर्थिक महत्व – नमक हमा रे भोजन में नित्य प्रयोग की वस्तु है। इसे पशुओं को भी खिलाते हैं। इसका उपयोग अनेक रासायनिक पदार्थ, अम्ल आदि बनाने में भी किया जाता है।

सीसा एवं जस्ता

प्रमुख उत्पादक राज्य – राजस्थान (उदयपुर), ओडिशा।

आर्थिक महत्व – मुख्यतया सीसे एवं जस्ते का उपयोग बर्तनों, बैट्रियों और छपाई में होता है। इसके अलावा लोहे की चादरों पर जंग लगने से बचाने के काम आता है।

बॉक्साइट

प्रमुख उत्पादक राज्य – आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, गोवा, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश।

आर्थिक महत्व – यह एल्यूमीनियम धातु बनाने के काम आने वाला प्रमुख अयस्क है।

मोनेज़ाइट बेरिलियम, थोरियम और पाइराइट्स

प्रमुख उत्पादक राज्य – झारखण्ड, केरल, राजस्थान।

आर्थिक महत्व – अणु शक्ति प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त होता है।

कर्नाटक में होगा एथेनॉल का उत्‍पादन : मुख्यमंत्री बोम्मई

कर्नाटक में होगा एथेनॉल का उत्पादक : मुख्यमंत्री बोम्मई

एस निजलिंगप्पा शुगर इंस्टीट्यूट, बेलागवी और बक्वेस्ट कंसल्टेंसी एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयोजित 'कर्नाटक में इथेनॉल उत्पादन' पर एक सेमिनार में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि राज्य में, 32 चीनी मिलें इथेनॉल का उत्पादन कर रही हैं, जबकि अन्य 60 कारखाने उत्पादन शुरू करने के लिए मंजूरी प्राप्त करने के विभिन्न चरण में हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एथनॉल नीति बना रही है।

बोम्मई ने कहा कि इथेनॉल उत्पादन के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा विशेष प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा, जो कि पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने के केंद्र के फैसले के आलोक में अगले डेढ़ साल में भारी वृद्धि देखेगा। यह देखते हुए कि न केवल गन्ने से, बल्कि धान, ज्वार और गेहूं की भूसी से भी इथेनॉल का उत्पादन किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, "दुनिया स्वच्छ ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ रही है। इथेनॉल उत्पादन और उपयोग पर अधिक शोध की आवश्यकता है। हाइड्रोजन हरित ऊर्जा के एक प्रमुख स्रोत के रूप में उभर रहा है। देश में लगभग 43 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन कर्नाटक में किया जा रहा है।

राज्य सरकार ने 1.30 लाख करोड़ रुपये के बड़े निवेश प्रवाह वाले हरित ऊर्जा के उत्पादन के लिए 3 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें समुद्र के पानी से अमोनिया का उत्पादन शामिल है। बोम्मई ने कहा कि ये पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊर्जा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मिशन को एक बड़ा धक्का देगी और भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगी।

कर्नाटक की अर्थव्यवस्था में चीनी कारखानों का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि राज्य की 72 चीनी मिलों ने लाखों लोगों को रोजगार दिया है और किसानों की आय में वृद्धि की है।

बोम्मई ने कहा कि वाहनों के लिए जीवाश्म ईंधन में इथेनॉल मिश्रण बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले से न केवल देश के लिए कीमती विदेशी मुद्रा की बचत होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।

भारत के खनिज पदार्थ | Minerals of India

भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले प्रमुख भारत के खनिज पदार्थ लोहा, कोयला, खनिज तेल (पेट्रोलियम), सोना, तांबा, मैंगनीज़, अभ्रक, संगमरमर, जस्ता एंव सीसा, बॉक्साइट, मोनेज़ाइट बेरिलियम, थोरियम और पाइराइट्स हैं।

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भारत के खनिज पदार्थ | Minerals of India

लोहा

प्रमुख उत्पादक राज्य – बिहार, झारखण्ड, प. बंगाल,आंध्र प्रदेश, तेलंगाना ओडिशा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, महाराष्ट्र, गोवा, राजस्थान।

आर्थिक महत्व – लोहा हर प्रकार की मशीनरी और कल-कारखाना निर्माण में काम आता है। सभी-धंधे उद्योग इसी पर निर्भर है।

प्रमुख उत्पादक राज्य – झारखण्ड (झरिया), छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल (रानीगंज), मध्य प्रदेश (पंचघाटी), असम (माकुम), मेघालय, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, गुजरात तट।

आर्थिक महत्व – कोयला दैनिक जीवन के साथ-साथ रे ल के इंजन, कारखाने, जहाज़ आदि चलाने ताप बिजलीघरों और रसोई आदि के काम आता है।

खनिज तेल (पेट्रोलियम)

प्रमुख उत्पादक राज्य – असम (डिगबोई, सुरमाघाटी), मेघालय, गुजरात (खम्भात, अंकलेश्वर), मुम्बई-हाई और अरुणाचल प्रदेश।

आर्थिक महत्व – खनिज तेल का उपयोग यातायात के वाहन, जहाज़, मशीनें चलाने के काम आता है; रोशनी करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

प्रमुख उत्पादक राज्य – कर्नाटक (कोलार, हट्टी) और आंध्र प्रदेश (रामगिरि)। इसकी बिहार और झारखण्ड राज्य में खोज की जा रही है।

आर्थिक महत्व – अत्याधिक मूल्यवान धातु, आभूषण आदि बनाने एवं अंतरराष्ट्रीय विनिमय में प्रयोग किया जाता है।

तांबा

प्रमुख उत्पादक राज्य – झारखण्ड (सिंहभूम), राजस्थान (खेतड़ी, दरीबो), मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश (अग्निगुण्डल), उत्तराखण्ड (गढ़वाल), पश्चिम बंगाल (दार्जिलिंग), महाराष्ट्र (दौंड), कर्नाटक, गुजरात।

आर्थिक महत्व – बिजली की तारें बनाने तथा मुद्राऐं, बरतन और मशीनों के कल पुर्जे आदि बनाने के काम आता है।

मैंगनीज़

प्रमुख उत्पादक राज्य – मध्य प्रदेश (झाबुआ, छिन्दवाड़ा, बालाघाट), महाराष्ट्र (नागपुर), गुजरात (पंचमहल), आंध्र प्रदेश (विशाखापट्नम), कर्नाटक, गोवा, ओडिशा, बिहार, झारखण्ड, राजस्थान।

आर्थिक महत्व – यह इस्पात बनाने में तथा रासायनिक उद्योग में काम आता है। इसके निर्यात से विदेशी मुद्रा अर्जित की जाती है।

Note: भारत और राज्यों के सरकारी विभागों द्वारा आयोजित सभी प्रतियोगी परीक्षाओं की दृष्टि से भारत के खनिज बहुत ही महत्वपूर्ण विषय है। भारत के खनिज विषय से सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में प्रश्न अवश्य पूछे जाते है।

अभ्रक

प्रमुख उत्पादक राज्य – झारखण्ड (हज़ारीबाग), बिहार (मुंगेर, गया), आंध्र प्रदेश और राजस्थान।

आर्थिक महत्व – यह बिजली का सामान, दवाइयाँ, गैस-लैंप की चिमनियाँ आदि बनाने में प्रयुक्त होता है। भारत में संसार भर का 75 प्रतिशत अभ्रक का उत्पादन होता है।

संगमरमर

प्रमुख उत्पादक राज्य – मध्य प्रदेश (जबलपुर), राजस्थान (अलवर, मकराना, जयपुर, अजमेर, जोधपुर)। राजस्थान का संगमरमर विश्व विख्यात है।

आर्थिक महत्व – सुन्दर और कीमती इमारतों तथा मूर्तियों के निर्माण में संगमरमर का उपयोग किया जाता है।

नमक

प्रमुख उत्पादक राज्य – राजस्थान (साँभर झील), हिमाचल प्रदेश (सेंधा नमक की खानें), गुजरात (कच्छ और खम्भात की खाड़ी), तमिलनाडु, महाराष्ट्र, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, केरल (समुद्र तट के साथ-साथ)।

आर्थिक महत्व – नमक हमा रे भोजन में नित्य प्रयोग की वस्तु है। इसे पशुओं को भी खिलाते हैं। इसका उपयोग अनेक रासायनिक पदार्थ, अम्ल आदि बनाने में भी किया जाता है।

सीसा एवं जस्ता

प्रमुख उत्पादक राज्य – राजस्थान (उदयपुर), ओडिशा।

आर्थिक महत्व – मुख्यतया सीसे एवं जस्ते का उपयोग बर्तनों, बैट्रियों और छपाई में होता है। इसके अलावा लोहे की चादरों पर जंग लगने से बचाने के काम आता है।

बॉक्साइट

प्रमुख उत्पादक राज्य – आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, गोवा, गुजरात, जम्मू और कश्मीर, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश।

आर्थिक महत्व – यह एल्यूमीनियम धातु बनाने के काम आने वाला प्रमुख अयस्क है।

मोनेज़ाइट बेरिलियम, थोरियम और पाइराइट्स

प्रमुख उत्पादक राज्य – झारखण्ड, केरल, राजस्थान।

आर्थिक महत्व – अणु शक्ति प्राप्त करने के लिए प्रयुक्त होता है।

कर्नाटक में होगा एथेनॉल का उत्‍पादन : मुख्यमंत्री बोम्मई

कर्नाटक में होगा एथेनॉल का उत्पादक : मुख्यमंत्री बोम्मई

एस निजलिंगप्पा शुगर इंस्टीट्यूट, बेलागवी और बक्वेस्ट कंसल्टेंसी एंड इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आयोजित 'कर्नाटक में इथेनॉल उत्पादन' पर एक सेमिनार में अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि राज्य में, 32 चीनी मिलें इथेनॉल का उत्पादन कर रही हैं, जबकि अन्य 60 कारखाने उत्पादन शुरू करने के लिए मंजूरी प्राप्त करने के विभिन्न चरण में हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार एथनॉल नीति बना रही है।

बोम्मई ने कहा कि इथेनॉल उत्पादन के लिए राज्य और केंद्र सरकार द्वारा विशेष प्रोत्साहन प्रदान किया जाएगा, जो कि पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण को 20 प्रतिशत तक बढ़ाने के केंद्र के फैसले के आलोक में अगले डेढ़ साल में भारी वृद्धि देखेगा। यह देखते हुए कि न केवल गन्ने से, बल्कि धान, ज्वार और गेहूं की भूसी से भी इथेनॉल का उत्पादन किया जा सकता है।

उन्होंने कहा, "दुनिया स्वच्छ ऊर्जा, नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढ़ रही है। इथेनॉल उत्पादन और उपयोग पर अधिक शोध की आवश्यकता है। हाइड्रोजन हरित ऊर्जा के एक प्रमुख स्रोत के रूप में उभर रहा है। देश में लगभग 43 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन कर्नाटक में किया जा रहा है।

राज्य सरकार ने 1.30 लाख करोड़ रुपये के बड़े निवेश प्रवाह वाले हरित ऊर्जा के उत्पादन के लिए 3 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए हैं। इसमें समुद्र के पानी से अमोनिया का उत्पादन शामिल है। बोम्मई ने कहा कि ये पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ऊर्जा क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के मिशन को एक बड़ा धक्का देगी और भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद करेगी।

कर्नाटक की अर्थव्यवस्था में चीनी कारखानों का बड़ा योगदान है। उन्होंने कहा कि राज्य की 72 चीनी मिलों ने लाखों लोगों को रोजगार दिया है और किसानों की आय में वृद्धि की है।

बोम्मई ने कहा कि वाहनों के लिए जीवाश्म ईंधन में इथेनॉल मिश्रण बढ़ाने के केंद्र सरकार के फैसले से न केवल देश के लिए कीमती विदेशी मुद्रा की बचत होगी, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिलेगी।

कारखाना विदेशी मुद्रा उदयपुर

गांवो में बढ़े रोजगार के अवसर

गांवो में बढ़े रोजगार के अवसर

भारत को कभी गांवो का देश कहा जाता था। देश की 80 प्रतिशत आबादी गांवो में निवास करती थी। पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह भी कहा करते थे कि देश की तरक्की का रास्ता गांवो के खेतो और खलिहानो से होकर गुजरता है। मगर धीरे-धीरे समय ने करवट बदली। पिछले कुछ सालों से देश में शहरीकरण की रफ्तार तेज हुई है। लोग गांवो से निकलकर शहरों की तरफ पलायन करने लगे। देखते ही देखते शहरों की आबादी बेहताशा ढंग से बढ़ने लगी। जीविकोपार्जन के चक्कर में लोग गांव छोड़कर कारखाना विदेशी मुद्रा उदयपुर शहरों में आकर रहने लगे। जहां ना तो उनके लिए ढंग से रहने की जगह थी ना ही सही ढंग का कोई रोजगार था। मगर शहरों की चकाचैंध से प्रभावित होकर गांव का युवा वर्ग तेजी से शहरों की ओर रुख करने लगा।

गांव से लोगों के शहरों की तरफ पलायन से गांवो में रहने वाले लोगों का भी खेती में रुझान कम होने लगा। गांव की युवा पीढ़ी भी खेती से विमुख होकर शहरों की ओर दौड़ने लगी। मगर अचानक ही आए कोरोना संकट ने शहरों की ओर बेहताश दौड़ रहे लोगों को एक बार फिर से गांवों में आने को मजबूर कर दिया। गांव से शहरों में रोजगार के लिए गए सभी लोग इस वक्त यही प्रयास कर रहें है कि कैसे भी करके अपने गांव में अपने घर पहुंचा जाए। साधन नहीं मिलने से लाखों लोग सैकड़ों किलोमीटर दूर स्थित अपने घरों को पैदल ही निकल पड़े हैं। शहरों में रह रहे लोगों को यकायक ही वर्षों पूर्व छोड़ा अपने गांव और घर याद आने लगे हैं। आज देश में शहरों से गांव की ओर तेजी से उल्टा पलायन हो रहा है। जो हमें इस बात का एहसास कराता है कि हमने गांव को छोड़कर शहरों की तरफ जाने कि जो प्रवृत्ति बनाई थी वह सही नहीं थी।

हालांकि लोगों को मजबूरी कारखाना विदेशी मुद्रा उदयपुर में गांव छोड़कर शहरों में रोजगार के लिए जाना पड़ा था। लगातार पड़ रहे अकाल, अतिवृष्टि के कारण खेती में गुजर-बसर करने लायक आमदनी नहीं हो पा रही थी। वही गांव के आसपास रोजगार के कोई कल कारखाने या अन्य साधन भी नहीं थे। जहां काम कर लोग अपना पेट भर सके। इसलिए लोगों को मजबूरी में दूसरे प्रदेशों में जाकर काम करना पड़ रहा था। कोरोना संकट के चलते लाखों लोगों का अपने मूल गांव की तरफ लौटने का सिलसिला अनवरत जारी है। सरकार द्वारा भी दूसरे प्रदेशों में काम कर रहे प्रवासी श्रमिकों को उनके घरों तक छोड़ने के लिए श्रमिक विशेष रेलगाड़ियां चलाई जा रही है। जिनके माध्यम से बड़ी संख्या में लोग अपने घरों तक पहुंच पा रहे हैं।

कोरोना संकट के कारण लंबे समय से चल रही तालाबंदी के दौरान सरकारों को भी यह सोचने को मजबूर कर दिया है की रोजगार के साधन कल कारखानो को यदि शहरों तक ही सीमित न रखकर उनका गांवो तक विस्तार किया जाए तो लोगों को अपने आसपास अपने ही प्रदेशों में ही रोजगार मिल सकेगा। जिससे उनको अन्य प्रदेशों में रोजगार के लिए पलायन नहीं करना पड़ेगा। भविष्य में फिर कभी कोई ऐसी स्थिति बनती है तो देश को इस तरह के पलायन का सामना नहीं करना पड़ेगा। वैसे भी देश में उद्योग धंधों के लिए अधिकतर कच्चा माल ग्रामीण क्षेत्रों से ही आता है। ऐसे में यदि सरकार कच्चे माल की उपलब्धता को देखते हुए उसी क्षेत्र में उससे संबंधित कल कारखाने व स्वरोजगार के अन्य साधन उपलब्ध करवा देवे तो लोगों को बेवजह दूसरे प्रदेशों में पलायन नहीं करना पड़ेगा।

सरकार को खेती में भी नवाचार करना चाहिए। यूरोपियन देशों की तरह हमारे देश में भी वैज्ञानिक विधि से खेती करने को प्रोत्साहन देना चाहिए। किसान को कम समय में अधिक फसल मिलने से उसकी आमदनी बढ़ेगी। जिससे खेती की तरफ उनका रुझान बढ़ेगा। खेती में अच्छी आय होने से उन्हे रोजगार के लिए अन्यत्र नहीं भटकना पड़ेगा। खेती के साथ सरकार को पशुपालन को भी बढ़ावा देना चाहिए। खेती कारखाना विदेशी मुद्रा उदयपुर के साथ पशुपालन बहुत ही आसानी से किया जा सकता है। पशुपालन किसानो की आय बढ़ाने का एक बहुत बड़ा जरिया बन सकता है।

इसके साथ ही सरकार को ग्रामीण कुटीर उद्योगों को भी प्रोत्साहन देना चाहिए। देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत से ऐसे कुटीर उद्योग स्थापित किए जा सकते हैं। जिनके लिए कच्चा माल व दक्ष कारीगर स्थानीय स्तर कारखाना विदेशी मुद्रा उदयपुर पर ही आसानी से सुलभ हो सकते हैं। ऐसा करने से गांवो के लोगों का रोजगार के लिए शहरों की तरफ पलायन तो रुकेगा ही साथ ही घर परिवार के सभी लोग मिलकर अपने घर में ही कुटीर उद्योग में काम करने लगेंगे जिससे पूरे परिवार के सदस्य घर बैठे पैसे कमा सकेगें।

इस संकट की घड़ी में हमारे देश के बहुत से उद्यमियों ने दिखा दिया है कि यदि सरकार हमें प्रोत्साहित करे व पर्याप्त पूंजी उपलब्ध कराएं तो हम हर उस वस्तु का उत्पादन कर सकते हैं जिस पर अब तक हम विदेशों से आयात पर निर्भर रहते आये हैं। कोरोना संकट से पहले हमारे देश में चिकित्सा से संबंधित अधिकांश वस्तुओं का विदेशों से आयात किया जाता था। लेकिन केंद्र सरकार के प्रोत्साहन के चलते आज देश में हजारों स्वदेशी कंपनियां चिकित्सा से जुड़ी बहुत सी वस्तुओं का निर्माण कर रही है।

स्वदेशी कंपनियों द्वारा निर्मित वस्तुओं की गुणवत्ता भी विदेशों से मंगाए गए सामान से कहीं बढ़कर है। देश में ही बनने से हमारी विदेशी मुद्रा की बचत होती है। इसके साथ आयात करने में जो समय लगता है उसकी भी बचत होती है। साथ ही देश के लोगों को रोजगार भी उपलब्ध होता है। आज देश के गांव में घरेलू महिलाएं विभिन्न प्रकार का मास्क बना रही है। जिससे हमारे देश में मास्क की कमी काफी हद तक कम हो गई है। इसी तरह हम गांव में विभिन्न सहायता समूह बनाकर उनके माध्यम से लोगों को जोड़कर उनसे विभिन्न प्रकार की वस्तुओं का निर्माण करवाया जा सकता है।

कोरोना के कारण विदेशों में नौकरियां कर रहे लाखों लोग अपनी नौकरियों से हाथ धो सकते हैं। विदेशों में काम कर रहे भारतीयों कारखाना विदेशी मुद्रा उदयपुर के लौटने की स्थिति में उनकी योग्यता के अनुरूप उन्हें रोजगार के अवसर उपलब्ध करा पाना भी सरकार के सामने एक बड़ी चुनौती होगी। आने वाला समय दुनिया के सभी देशों के लिए बहुत भारी रहेगा। जब कोरोना संक्रमण का दौर कम होगा तो बेरोजगारी का संकट मुंह बाये खड़ा होगा। अगर समय रहते अभी उसका निदान नही खोजा गया तो आने वाले समय में स्थिति और अधिक भयावह हो सकती है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की समस्या से निबटने के लिए सरकार को ऐसी योजना बनानी होगी जो कामगार को उसके गाँव के नजदीक ही रोजगार उपलब्ध करवा सके। जिससे उनको बड़े शहरो में जलालत भरी जिन्दगी की ओर वापस नहीं लौटना पड़े।

बड़े शहरो से गांवो में लौट रहे लागों को राज्य सरकारें नरेगा में काम उपलब्ध करवा रही है। लेकिन सभी लोग नरेगा में भी काम नहीं कर सकते हैं। फिर नरेगा में कार्य दिवसों की संख्या भी निश्चित रहती है। ऐसे में लोग लम्बे समय तक सिर्फ नरेगा के भरोसे नहीं रह सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की अर्थव्यवस्था को कोरोना संकट से बचाने के लिये केन्द्र सरकार की तरफ से बीस लाख करोड़ रूपये के आर्थिक पैकेज देने की घोषणा की है। इसमें देश के सभी वर्गों का ख्याल रखा गया है। इसमें ग्रामीण क्षेत्र को स्वावलम्बी बनाने पर विषेष जोर रहेगा। इस राहत पैकेज से देश की अर्थव्यवस्था को निश्चय ही बहुत बड़ा सहारा मिलेगा। जिसका असर हमें आने वाले समय में देखने को मिल सकता है।

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