तकनीकी विश्लेषण के मुख्य आंकड़े

एसएमई
जलवायु परिवर्तन के कारण ऊर्जा दक्ष मितव्ययता को अपनाना सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) सहित विनिर्माण क्षेत्र जो दुनिया के संसाधनों की व्यापक खपत करते हैं, के लिए अत्यधिक आवश्यक है। एमएसएमई क्षेत्र का भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण स्थान है, यह औद्योगिक उत्पादन में 45% से अधिक का योगदान देता है और देश के निर्यात के 40% का मूल्यवर्धन करता है।
एमएसएमई, जो भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण विकास चालक है, ऊर्जा-गहन उद्योगों के संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यद्यपि उनकी व्यक्तिगत ऊर्जा खपत कम है, लेकिन उनका सामूहिक उपयोग काफी अधिक है। नवीनतम तकनीकों तक पहुंच न होने से इस क्षेत्र को ऊर्जा सुरक्षा नहीं मिलती और यह वैश्विक बाजार में प्रतिस्पर्धा नहीं कर पाता है। ऊर्जा की अधिक खपत और पर्यावरण की स्थिति के बिगड़ने का सीधा संबंध इन उद्यमों में तकनीकी क्षमता की कमी से है, जो बेहतर प्रौद्योगिकियों और परिचालन प्रथाओं की पहचान और उपयोग करने, तालमेल स्थापित करने और इन्हें अपनाने पर निर्भर करता है।
एमएसएमई के ऊर्जा दक्षता तकनीकी विश्लेषण के मुख्य आंकड़े और प्रौद्योगिकी उन्नयन पर राष्ट्रीय कार्यक्रम
ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देने में एमएसएमई के महत्व को पहचानने के लिए ऊर्जा दक्षता ब्यूरो द्वारा 2007 में राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम और एमएसएमई के प्रौद्योगिकी उन्नयन की शुरुआत की गई थी। एमएसएमई के लिए वित्त की उपलब्धता की कमी ऊर्जा संरक्षण उपायों और ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकियों को लागू करने में एक सबसे बड़ी बाधा है। इसे ध्यान में रखते हुए, ब्यूरो ने 12वीं योजना के दौरान 4 एसएमई क्षेत्रों में वित्तीय सहायता देते हुए 21 प्रायोगिक ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकियों को लागू किया है। क्षेत्रों में इन तकनीकों का अनुकरण करने में सहायता देने के लिए, समूह स्तर की इकाइयां (अर्थात् स्थानीय सेवा प्रदाता, औद्योगिक संघ आदि) को भी मजबूत सुदृढ़ किया गया। इससे प्राप्त अनुभव को प्रभावी ढंग से पूरे देश में लागू करने के लिए, केस स्टडीज, ऑडियो विजुअल जैसे ज्ञान प्रबंधन उत्पादों को भी विकसित किया गया।
ब्यूरो, एसडीए और इसके हितधारकों के निरंतर प्रयासों के कारण, भारत में एमएसएमई ने पारंपरिक लागत और गुणवत्ता दृष्टिकोण के स्थान पर ऊर्जा दक्षता, शून्य अपशिष्ट और कम कार्बन उत्सर्जन पर ध्यान देना शुरू कर दिया है।
वर्तमान कार्यकलाप
- इसके अलावा, अधिक प्रतिस्पर्धा लाने और इस क्षेत्र को अधिक ऊर्जा दक्ष बनाने के लिए, ऊर्जा के उपयोग और यूनिट में इसके प्रवाह के साथ-साथ वर्तमान परिदृश्य में प्रक्रियाओं और उत्पादन आउटपुट के लिए इसके संबंध सहित ऊर्जा की खपत और इसके प्रवाह को समझना बेहद जरूरी है। इस प्रकार, ब्यूरो 10 क्षेत्रों की ऊर्जा रूपरेखा की निगरानी कर रहा है जिसमें ऊर्जा उपयोग पैटर्न, विस्तृत विश्लेषण और प्रौद्योगिकी अंतराल विश्लेषण शामिल होगा। ब्यूरो ने ज्ञान प्रदान करने के लिए बीस (20) से अधिक क्षेत्रों के लिए ऊर्जा दक्ष प्रौद्योगिकियों पर पचास (50) से अधिक मल्टीमीडिया ट्यूटोरियल विकसित किए हैं और इन तकनीकों को आसानी से अपनाया है।
- ब्यूरो ने एमएसएमई क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने पर हाल ही में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान डीसी, एमएसएमई के कार्यालय के साथ “एमएसएमई क्षेत्र की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने” नामक कार्यक्रम के संयुक्त कार्यान्वयन के लिए एक समझौता-ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन जल्द ही शुरू होगा।
हालाँकि इस क्षेत्र में ऊर्जा की बचत की क्षमता बहुत अधिक है, जिसका बीईई भरपूर उपयोग करना चाहती है, लेकिन भारतीय एसएमई उद्यमियों को काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जो जोखिम नहीं लेना चाहते, दस्तावेज की प्रक्रिया जटिल है और जागरूकता/ प्रेरणा की कमी है। ऊर्जा प्रदर्शन में सुधार के लिए ब्यूरो के सामूहिक प्रयासों से इस क्षेत्र के लिए ऊर्जा दक्षता कार्यक्रमों के प्रति जागरूकता, अवधारणा और जवाबदेही की वर्तमान स्थिति पूरे देश में अहम बन गई है।
जांच के नाम पर मकानों पर बुलडोज़र चलाने का प्रावधान क़ानून में नहीं है: गौहाटी हाईकोर्ट
गौहाटी हाईकोर्ट ने नागांव ज़िले में एक घटना के आरोपी के मकान को गिराए जाने की घटना का स्वतः संज्ञान लिया था. सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने पुलिस को फटकारते हुए कहा एजेंसी भले ही किसी गंभीर मामले की जांच क्यों न कर रही हो, किसी के घर पर बुलडोज़र चलाने का प्रावधान किसी आपराधिक क़ानून में नहीं है. The post जांच के नाम पर मकानों पर बुलडोज़र चलाने का प्रावधान क़ानून में नहीं है: गौहाटी हाईकोर्ट appeared first on The Wire - Hindi.
गौहाटी हाईकोर्ट ने नागांव ज़िले में एक घटना के आरोपी के मकान को गिराए जाने की घटना का स्वतः संज्ञान लिया था. सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने पुलिस को फटकारते हुए कहा एजेंसी भले ही किसी गंभीर मामले की जांच क्यों न कर रही हो, किसी के घर पर बुलडोज़र चलाने का प्रावधान किसी आपराधिक क़ानून में नहीं है.
मई 2022 में बटाद्रवा थाने में लगी आग के बाद संदिग्ध आरोपियों के घरों को बुलडोज़र से गिराया गया था. (फोटो: पीटीआई)
गुवाहाटी: गौहाटी हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि भले ही कोई एजेंसी किसी बेहद गंभीर मामले की ही जांच क्यों न कर रही हो, किसी के मकान पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान किसी भी आपराधिक कानून में नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरएम छाया ने असम के नागांव जिले में आगजनी की एक घटना के आरोपी के मकान को गिराए जाने के संबंध में उच्च न्यायालय के स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
स्थानीय मछली व्यापारी सफीकुल इस्लाम (39) की कथित रूप से हिरासत में मौत के बाद भीड़ ने 21 मई को बटाद्रवा थाने में आग लगा दी थी. इस्लाम को एक रात पहले ही पुलिस लेकर गई थी. इसके एक दिन बाद जिला प्राधिकारियों ने इस्लाम सहित कम से कम छह लोगों के मकानों को ‘अवैध कब्ज़ा’ बताते हुए बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया था.
लाइव लॉ के अनुसार, जस्टिस छाया ने एसपी द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर कहा, ‘मुझे कोई आपराधिक कानून दिखाएं जहां लिखा हो कि पुलिस किसी अपराध की जांच के लिए बिना किसी आदेश के किसी व्यक्ति को उस जगह से हटा सकती है और बुलडोजर चला सकती है.’
उन्होंने कहा, ‘एजेंसी भले ही किसी गंभीर मामले की जांच क्यों न कर रही हो, किसी मकान पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान किसी आपराधिक कानून में नहीं है.’
अधिकारियों को फटकारते हुए पीठ ने मौखिक टिप्पणी की, ‘इसके लिए आपको अनुमति की जरूरत होती है. आप किसी भी जिले के एसपी हों, आईजी, डीआईजी या कोई भी सर्वोच्च अधिकारी हो, लेकिन उन्हें भी कानून के दायरे में रहना होगा. केवल इसलिए कि वे पुलिस विभाग के वरिष्ठ हैं, वे किसी के घर को नहीं तोड़ सकते. अगर जांच के नाम पर किसी के घर को गिराने की अनुमति दे दी जाती है तो कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा.’
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘प्रक्रिया का पालन करना होगा. एक प्राधिकरण दूसरे प्राधिकरण पर जिम्मेदारी डाल रहा है. एसपी का प्रतिनिधित्व कौन करेगा? क्या जवाब है आपका? कौन-सा कानून ऐसा करने की अनुमति देता है? कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना आप किसी घर की तलाशी भी नहीं ले सकते हैं.’
वकील के यह कहने पर कि तलाशी के लिए इजाज़त ली गई थी, मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘यहां बार में मेरे सीमित करिअर में मैंने किसी पुलिस अधिकारी को सर्च वॉरंट में बुलडोजर इस्तेमाल करते हुए नहीं देखा.’
अदालत ने तब कहा कि यह एक हिंदी फिल्म की तरह लग रहा है जिसमें दो गैंग एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे. अदालत ने कहा, ‘मजाक में कहूं, तो ऐसा मैंने शेट्टी की किसी हिंदी फिल्म में भी नहीं देखा. अपने एसपी की यह कहानी उन्हें भेजिए, रोहित शेट्टी इस पर फिल्म बना सकते हैं. है क्या यह? यह गैंगवार है या पुलिस का ऑपरेशन? गैंगवार में ही ऐसा होता है कि एक गिरोह का आदमी दूसरे का घर बुलडोजर से गिरा देता है.’
इस पर वकील ने कहा कि यह इरादा नहीं था, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि ‘इरादा कुछ भी हो सकता है. अपने एसपी से इसका कोई हल निकालने के लिए कहें.’
मुख्य न्यायाधीश ने आगे जोड़ा, ‘कानून और व्यवस्था- इन दोनों शब्दों का एक साथ प्रयोग एक उद्देश्य के लिए किया जाता है. हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हैं. आपको बताने के लिए इतना ही काफी है. हो सकता है कि आपके डीजी को भी इस बारे में पता न हो. इसे उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाएं. एसपी खुद को बचाने के तकनीकी विश्लेषण के मुख्य आंकड़े लिए अपनी रिपोर्ट पर कायम रहेंगे.’
उन्होंने जोड़ा, ‘कल के दिन अगर कोई जबरदस्ती कोर्ट रूम में घुस जाए और यहां घुसकर बैठ जाए तो आपके पुलिस अधिकारी जांच की आड़ में इसे भी हटवा देंगे? आप किस तरह की जांच कर रहे हैं?
उन्होंने कहा, ‘यह तरीका नहीं है जिससे आप कानून और व्यवस्था को नियंत्रित करते हैं. कृपया इसे गृह विभाग के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाएं. आप किसी व्यक्ति पर उसके द्वारा किए गए किसी भी अपराध के लिए मुकदमा चला सकते हैं, लेकिन आपके एसपी को घर पर बुलडोजर चलाने की शक्ति किसने दी?’
इसके बाद वरिष्ठ सरकारी अधिवक्ता ने निर्देश प्राप्त करने के लिए और समय देने का अनुरोध किया, जिसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 13 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी.
जांच के नाम पर मकानों पर बुलडोज़र चलाने का प्रावधान क़ानून में नहीं है: गौहाटी हाईकोर्ट
गौहाटी हाईकोर्ट ने नागांव ज़िले में एक घटना के आरोपी के मकान को गिराए जाने की घटना का स्वतः संज्ञान लिया था. सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने पुलिस को फटकारते हुए कहा एजेंसी भले ही किसी गंभीर मामले की जांच क्यों न कर रही हो, किसी के घर पर बुलडोज़र चलाने का प्रावधान किसी आपराधिक क़ानून में नहीं है. The post जांच के नाम पर मकानों पर बुलडोज़र चलाने का प्रावधान क़ानून में नहीं है: गौहाटी हाईकोर्ट appeared first on The Wire - Hindi.
गौहाटी हाईकोर्ट ने नागांव ज़िले में एक घटना के आरोपी के मकान को गिराए जाने की घटना का स्वतः संज्ञान लिया था. सुनवाई में मुख्य न्यायाधीश ने पुलिस को फटकारते हुए कहा एजेंसी भले ही किसी गंभीर मामले की जांच क्यों न कर रही हो, किसी के घर पर बुलडोज़र चलाने का प्रावधान किसी तकनीकी विश्लेषण के मुख्य आंकड़े आपराधिक क़ानून में नहीं है.
मई 2022 में बटाद्रवा थाने में लगी आग के बाद संदिग्ध आरोपियों के घरों को बुलडोज़र से गिराया तकनीकी विश्लेषण के मुख्य आंकड़े गया था. (फोटो: पीटीआई)
गुवाहाटी: गौहाटी हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि भले ही कोई एजेंसी किसी बेहद गंभीर मामले की ही जांच क्यों न कर रही हो, किसी के मकान पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान किसी भी आपराधिक कानून में नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश जस्टिस आरएम छाया ने असम के नागांव जिले में आगजनी की एक घटना के आरोपी के मकान को गिराए जाने के संबंध में उच्च न्यायालय के स्वत: संज्ञान वाले मामले की सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की.
स्थानीय मछली व्यापारी सफीकुल इस्लाम (39) की कथित रूप से हिरासत में मौत के बाद भीड़ ने 21 मई को बटाद्रवा थाने में आग लगा दी थी. इस्लाम को एक रात पहले ही पुलिस लेकर गई थी. इसके एक दिन बाद जिला प्राधिकारियों ने इस्लाम सहित कम से कम छह लोगों के मकानों को ‘अवैध कब्ज़ा’ बताते हुए बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया था.
लाइव लॉ के अनुसार, जस्टिस छाया ने एसपी द्वारा की गई कार्रवाई को लेकर कहा, ‘मुझे कोई आपराधिक कानून दिखाएं जहां लिखा हो कि पुलिस किसी अपराध की जांच के लिए बिना किसी आदेश के किसी व्यक्ति को उस जगह से हटा सकती है और बुलडोजर चला सकती है.’
उन्होंने कहा, ‘एजेंसी भले ही किसी गंभीर मामले की जांच क्यों न कर रही हो, किसी मकान पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान किसी आपराधिक कानून में नहीं है.’
अधिकारियों को फटकारते हुए पीठ ने मौखिक टिप्पणी की, ‘इसके लिए आपको अनुमति की जरूरत होती है. आप किसी भी जिले के एसपी हों, आईजी, डीआईजी या कोई भी सर्वोच्च अधिकारी हो, लेकिन उन्हें भी कानून के दायरे में रहना होगा. केवल इसलिए कि वे पुलिस विभाग के वरिष्ठ हैं, वे किसी के घर को नहीं तोड़ सकते. अगर जांच के नाम पर किसी के घर को गिराने की अनुमति दे दी जाती है तो कोई भी सुरक्षित नहीं रहेगा.’
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘प्रक्रिया का पालन करना होगा. एक प्राधिकरण दूसरे प्राधिकरण पर जिम्मेदारी डाल रहा है. एसपी का प्रतिनिधित्व कौन करेगा? क्या जवाब है आपका? कौन-सा कानून ऐसा करने की अनुमति देता है? कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना आप किसी घर की तलाशी भी नहीं ले सकते हैं.’
वकील के यह कहने पर कि तलाशी के लिए इजाज़त ली गई थी, मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ‘यहां बार में मेरे सीमित करिअर में मैंने किसी पुलिस अधिकारी को सर्च वॉरंट में बुलडोजर इस्तेमाल करते हुए नहीं देखा.’
अदालत ने तब कहा कि यह एक हिंदी फिल्म की तरह लग रहा है जिसमें दो गैंग एक दूसरे के खिलाफ लड़ रहे थे. अदालत ने कहा, ‘मजाक में कहूं, तो ऐसा मैंने शेट्टी की किसी हिंदी फिल्म में भी नहीं देखा. अपने एसपी की यह कहानी उन्हें भेजिए, रोहित शेट्टी इस पर फिल्म बना सकते हैं. है क्या यह? यह गैंगवार है या पुलिस का ऑपरेशन? गैंगवार में ही ऐसा होता है कि एक गिरोह का आदमी दूसरे का घर बुलडोजर से गिरा देता है.’
इस पर वकील ने कहा कि यह इरादा नहीं था, जिस पर मुख्य न्यायाधीश ने जवाब दिया कि ‘इरादा कुछ भी हो सकता है. अपने एसपी से इसका कोई हल निकालने के लिए कहें.’
मुख्य न्यायाधीश ने आगे जोड़ा, ‘कानून और व्यवस्था- इन दोनों शब्दों का एक साथ प्रयोग एक उद्देश्य के लिए किया जाता है. हम एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में हैं. आपको बताने के लिए इतना ही काफी है. हो सकता है कि आपके डीजी को भी इस बारे में पता न हो. इसे उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाएं. एसपी खुद को बचाने के लिए अपनी रिपोर्ट पर कायम रहेंगे.’
उन्होंने जोड़ा, ‘कल के दिन अगर कोई जबरदस्ती कोर्ट रूम में घुस जाए और यहां घुसकर बैठ जाए तो आपके पुलिस अधिकारी जांच की आड़ में इसे भी हटवा देंगे? आप किस तरह की जांच कर रहे हैं?
उन्होंने कहा, ‘यह तरीका नहीं है जिससे आप कानून और व्यवस्था को नियंत्रित करते हैं. कृपया इसे गृह विभाग के उच्चाधिकारियों के संज्ञान में लाएं. आप किसी व्यक्ति पर उसके द्वारा किए गए किसी भी अपराध के लिए मुकदमा चला सकते हैं, लेकिन आपके एसपी को घर पर बुलडोजर चलाने की शक्ति किसने दी?’
इसके बाद वरिष्ठ सरकारी अधिवक्ता ने निर्देश प्राप्त करने के लिए और समय देने का अनुरोध किया, जिसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 13 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी.