मुक्त व्यापार क्षेत्र

भारतीय आईटी फर्मों को होगा फायदा
भारत के साथ मुक्त व्यापार को आस्ट्रेलियाई संसद ने दी मंजूरी, अकेले IT फर्म्स का हर साल 200 बिलियन डॉलर बचेगा
आस्ट्रेलिया और भारत ने बीते 2 अप्रैल को द्विपक्षीय मुक्त व्यापार समझौता पर हस्ताक्षर किया था। इस समझौते से ऑस्ट्रेलियाई बाजार में कपड़ा, चमड़ा, फर्नीचर, आभूषण और मशीनरी सहित 6,000 से अधिक व्यापक क्षेत्रों के भारतीय निर्यातकों को ड्यूटी फ्री व्यापार करने का अवसर मिलेगा।
Free trade in Australia: आस्ट्रेलियाई संसद ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते को मंजूरी दे दी गई है। दोनों देशों ने पारस्परिक रूप से मुक्त व्यापार समझौते पर एमओयू साइन किया था। इस मंजूरी के बाद दो तरफा ट्रेड में दुगुने से अधिक होने की संभावना है। यह समझौता जनवरी 2023 से लागू होने की उम्मीद है।
त्रिपक्षीय मुक्त व्यापार क्षेत्र
प्रश्न-हाल ही में अफ्रीकी देशों द्वारा अफ्रीका के सबसे बड़े मुक्त व्यापार क्षेत्र के निर्माण के लिए एक ऐतिहासिक ‘त्रिपक्षीय मुक्त व्यापार क्षेत्र (TFTA)’ समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। इस समझौते पर हस्ताक्षर करने वाले देशों की संख्या कितनी है?
(a) 24
(b) 12
(c) 26
(d) 16
उत्तर-(c)
संबंधित तथ्य
समझौतों का विस्तार
विभिन्न देशों के साथ द्विपक्षीय व्यापारिक संबंध स्थापित करने के क्रम में भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मुक्त व्यापार समझौते की स्वीकृति महत्वपूर्ण चरण है. ऑस्ट्रेलिया की संसद ने इस समझौते को हरी झंडी दे दी है. प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानिज ने बड़े उत्साह से इस मंजूरी की घोषणा की है. उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले बाली में आयोजित जी-20 समूह के शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भेंट करते हुए ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री ने यह भी जानकारी दी थी कि वे अगले मुक्त व्यापार क्षेत्र वर्ष मार्च में भारत की यात्रा करेंगे.
बीते कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच संबंधों में बड़ी निकटता आयी है. अमेरिका और जापान के साथ भारत एवं ऑस्ट्रेलिया भी क्वाड समूह के सदस्य हैं तथा इनके बीच सामरिक संबंध भी गहरे हो रहे हैं, जिसका एक बड़ा उदाहरण हर वर्ष होने वाला मालाबार संयुक्त नौसैनिक अभ्यास है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग को बढ़ाने पर विशेष ध्यान दे रही है.
भारत और जीसीसी मुक्त व्यापार समझौता वार्ता को दोबारा आगे बढ़ाने पर सहमत
नई दिल्ली (New Delhi), 25 नवंबर . केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के बीच मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को आगे बढ़ाने पर सहमति बन गई है. उन्होंने कहा कि इस संबंध में दोनों क्षेत्रों के बीच बातचीत फिर से शुरू की जाएगी.
पीयूष गोयल और जीसीसी के महासचिव महामहिम डॉ. नायफ फलह एम. अल-हजरफ ने गुरुवार (Thursday) को यहां एक संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में इंडिया-जीसीसी एफटीए पर चर्चा करने का इरादा मुक्त व्यापार क्षेत्र व्यक्त किया. मंत्रालय के मुताबिक दोनों पक्ष मुक्त व्यापार क्षेत्र इस बात पर सहमत हुए कि एफटीए वार्ता को औपचारिक रूप से दोबारा शुरू करने के लिए सभी कानूनी व तकनीकी आवश्यकताओं को जल्द से जल्द पूरा कर लिया जाए. एफटीए एक आधुनिक और समग्र समझौता है, जिसके दायरे में माल और सेवाओं को रखा गया है. दोनों पक्षों ने कहा कि एफटीए से नए रोजगार पैदा होंगे. इससे भारत तथा जीसीसी देशों में सामाजिक व आर्थिक अवसरों को विस्तार मिलेगा.
Free trade के सामने उत्पन्न चुनौतियाँ
विभिन्न देशों के बीच मुक्त व्यापार वर्तमान विश्व की आर्थिक आवश्यकता है और इसीलिये मुक्त व्यापार की राह में आने वाली बाधाओं को समाप्त किया जाना भी ज़रूरी है जिससे आर्थिक विकास का लाभ सभी देशों को प्राप्त हो सके। मुक्त व्यापार तथा व्यापार का उदारीकरण जिस रफ़्तार से होना चाहिये था वह नहीं हो पाया है। जिससे वैश्विक व्यापार व्यवस्था में गिरावट देखी जा रही है। टैरिफ वॉर (Tariff War or Customs War) को लेकर बढ़ती चिंता और विश्वभर में अपने उद्योगों के हितों की रक्षा के लिये अन्य देशों के सामने उत्पन्न बाधाओं से वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान होने की आशंका है। मुक्त व्यापार में कोई भी प्रतिबंध केवल कुछ पूंजीपतियों के हित में काम करता है और बड़े पैमाने पर यह जनता के हित में नहीं होता।
भारत द्वारा 1990 के दशक में अपनी अर्थव्यवस्था का उदारीकरण किया गया। जिसके तहत उन क्षेत्रों को खोला गया जो अब तक केवल सार्वजनिक क्षेत्रा के लिये संरक्षित माने जाते थे। विश्वभर के निवेशकों को भारत में निवेश करने के लिये आमंत्रित किया गया ताकि भारतीय अर्थव्यवस्था का समग्र आर्थिक मुक्त व्यापार क्षेत्र वातावरण उदार बन सके। भले ही ये कहना मुश्किल हो कि भारत अपने प्रयासों में कहाँ तक कामयाब हुआ है किन्तु कहा जा मुक्त व्यापार क्षेत्र सकता है कि निश्चित रूप से भारत ने एक सही दिशा की ओर क़दम बढ़ाया है।