भारत में इक्विटी में व्यापार कैसे करें

क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
  • नए पोर्टल में आयकर रिटर्न (आईटीआर) की प्रोसेसिंग तुरंत होगी और करदाताओं को रिफंड भी जल्द जारी किया जा सकेगा।
  • इसमें करदाताओं के लिए जरूरी हिदायत और उनके लंबित मामलों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध होगी। साथ ही प्री-फिल्ड फॉर्म (पहले से भरे हुए फॉर्म) भी उपलब्ध होंगे।

क्रिप्टोकरेंसी का समुचित नियमन कैसे हो?

जब भी वित्तीय क्षेत्र में कोई नई परिस्थिति पैदा होती है तो चार सवालों के जवाब हमें समुचित वित्तीय नियामकीय डिजाइन तक ले जाते हैं। जब हम इन्हें स्वामित्व और क्रिप्टोकरेंसी के इस्तेमाल पर लागू करते हैं तो उपभोक्ता संरक्षण को लेकर कुछ चिंताएं उभरती हैं और एक सामान्य रणनीति है जिसे उस समय लागू किया जा सकता है जब भारतीय वित्तीय सेवा प्रदाताओं का सामना भारतीयों से होता है।

कई लोगों के लिए वित्तीय नियमन वह है जो आज के वित्तीय नियामक करते हैं, जिससे ताकतवर राजनीतिक लॉबी संतुष्ट होती हैं या ऐसी चीजों में हस्तक्षेप करती हैं जो उन्हें पसंद नहीं होतीं। वित्तीय नियमन में क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न राज्य के दबाव का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए। एक ढांचागत और अनुशासित रुख होना चाहिए जिसकी मदद से हम हालात का विश्लेषण कर सकें तथा वित्तीय नियमन की उपयोगी भूमिका तलाश कर सकें। इसके लिए चार सवालों का पूछा जाना आवश्यक है।

व्यवस्थागत जोखिम: क्या एक वित्तीय फर्म या बाजार डिफॉल्ट की स्थिति में वित्तीय तंत्र की समग्र मजबूती के लिए समस्या खड़ी करता है? यदि ऐसा होता है तो मासूम प्रत्यक्षदर्शियों पर नकारात्मक बाह्यता थोपे जाने के रूप में बाजार की विफलता सामने आ सकती है। यह सरकार के हस्तक्षेप की वजह हो सकती है। वह विफलता की संभावना कम करने वाले नियमन या फिर निस्तारण को व्यवस्थित बनाने वाले नियमों के माध्यम से ऐसा कर सकती है। क्रिप्टोकरेंसी के मामले में भारत में अभी कारोबार का आकार बहुत छोटा है क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और व्यवस्थित जोखिम का कोई संकेत नहीं है। जब किसी एक कारोबारी की बैलेंस शीट करीब 3 लाख करोड़ रुपये या जीडीपी के एक प्रतिशत के बराबर हो जाए तो यह अवश्य विचारणीय हो जाता है।

निस्तारण: क्या कोई वित्तीय फर्म ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता (आईबीसी) के रास्ते निस्तारण की स्थिति में अहम कठिनाइयां पेश करती है? उदाहरण के लिए ऐसी वित्तीय फर्म का निस्तारण समझ में आता है जिसके पास खुदरा जमाकर्ता न हों। मसलन डीएचएफएल का मामला जहां आईबीसी प्रक्रिया के तहत कर्जदाताओं की समिति को अधिकार सौंप दिए गए। परंतु जब हमारा सामना बैंक के खुदरा निवेशकों से हो तो हमें विशिष्ट वित्तीय निस्तारण निकाय की आवश्यकता होती है।

जब हमारा सामना ऐसे भारतीय वित्तीय सेवा प्रदाताओं से होता है जो बैंक के समान तरीकों से क्रिप्टोकरेंसी जमा स्वीकार करते हैं तब इसके लिए वित्तीय निस्तारण निकाय में कवरेज की आवश्यकता होती है। परंतु क्रिप्टोकरेंसी के स्वामित्व और कारोबार की सहज प्रक्रिया में निस्तारण के प्रश्न नहीं खड़े होते हैं।

बुद्धिमतापूर्ण नियमन: क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न यदि बैंक जैसा कोई संस्थान सुनिश्चित प्रतिफल की बात करता है या कोई बीमा कंपनी भविष्य में भुगतान का वादा करती है तो उपभोक्ताओं के मन में प्राय: यह चिंता रहती है कि ये वादे किस हद तक निभाये जाएंगे। ऐसे ग्राहकों के समक्ष मौजूद जोखिम का बचाव करने के लिए सरकार समझदारी भरे नियमन लागू कर सकती है ताकि नाकामी की संभावनाओं को कम किया क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न जा सके। ये चिंताएं उस समय नहीं उत्पन्न होती हैं जब क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों की खरीद या स्वामित्व या हस्तांतरण की प्रक्रिया से निपटा जाता है।

उपभोक्ता संरक्षण: वित्तीय फर्म अक्सर उपभोक्ताओं के साथ उचित आचरण नहीं करतीं। इसकी वजह से उपभोक्ता औपचारिक वित्त से दूरी बनाते हैं और अनौपचारिक वित्त या सोने अथवा विदेशी परिसंपत्तियों का रुख करते हैं। वित्तीय तंत्र के कामकाज में नियामकीय हस्तक्षेप की मदद से बेहतरी लाने का प्रयास जरूरी है।

हजारों क्रिप्टोकरेंसी परिसंपत्तियों जिनमें कुछ धोखाधड़ी वाली भी हैं, के साथ दिक्कत यह है कि कुछ उपभोक्ता गलती करते हैं और उसके बाद एक परिसंपत्ति वर्ग के रूप में क्रिप्टोकरेंसी से दूरी बनाते हैं। यह वैसा ही है जैसे कुछ गलत लोगों के कारण पूरे क्षेत्र से दूरी बना ली जाए।

भारतीय नियामक मुद्रा प्रबंधन जैसी सहज तकनीक अपनाकर मामला हल कर सकते हैं। मुद्रा प्रबंधन में सीधे-साधे उपयोगकर्ताओं को अत्यधिक नियमित म्युचुअल फंड में निवेश करना चाहिए लेकिन अगर एक बार उपयोगकर्ता का न्यूनतम आकार बढ़ जाता है तो माना जाता है कि वे जानकार होंगे या उनके पास जानकारी जुटाने के संसाधन होंगे। ऐसे में वे हेज फंड जैसी परिसंपत्ति का रुख कर सकते हैं।

यह तरीका क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में भी उपयोगी हो सकता है। भारतीय नियामक क्रिप्टोकरेंसी पेश कर रही वित्तीय कंपनियों को कह सकती हैं कि कम से कम पांच लाख रुपये के कारोबार की इजाजत हो। ऐसा करने से नौसिखिया दूर रहेंगे और केवल समझदार और विवेकवान कारोबारी ही आगे आएंगे।

वित्तीय क्षेत्र में घाटा होना आम बात है। जब कोई शेयर बाजार में शेयर खरीदता है तो 50 फीसदी गुंजाइश यही होती है कि अगले दिन शेयर कीमत नीचे जाएगी। अगर कोई व्यक्ति एक रुपया कमाता है तो कोई अन्य व्यक्ति इतना ही पैसा गंवाता है। घाटा होना बाजार की विफलता नहीं है। अगर जोखिम को पूरी तरह समाप्त करना है तो अमेरिकी सरकार के बॉन्ड खरीदने होंगे।

सभी को लाभ प्राप्त हो यह तय करना नियामक का काम नहीं है। उसका काम यह भी नहीं है कि लोगों को घाटे से बचाये। वह बेवकूफियां करने से भी नहीं रोक सकता। वित्तीय और आर्थिक नीति का काम है बाजार की नाकामी को रोकना। व्यवस्था के जोखिम, निस्तारण, समझदारी भरे नियमन और उपभोक्ता संरक्षण इसी सिलसिले क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न का हिस्सा हैं।

वित्तीय नियमन और वित्तीय सलाह के बीच बहुत अंतर है। हम यह सोच सकते हैं कि क्रिप्टोकरेंसी रखना अमुक व्यक्ति के लिए ठीक नहीं है लेकिन यह मशविरे का क्षेत्र है। मैंने कभी क्रिप्टोकरेंसी नहीं रखी और मुझे उसकी मौजूदा स्थिति को लेकर तमाम संदेह हैं। लेकिन मैं अचल संपत्ति और सोने जैसे निवेश को लेकर भी आशंकित रहता हूं। परंतु परिसंपत्तियों के अच्छा या बुरा होने को लेकर मेरे विचार केवल विचार ही तो हैं।

वित्तीय नियमन विचार का मामला नहीं है। यह वित्तीय क्षेत्र में बाजार की विफलता कम करने, राज्य के बल प्रयोग को नियंत्रित करने, विभिन्न प्रकार की समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य द्वारा व्यवस्थित हस्तक्षेप करने जैसे कदमों से संबंधित है। ऐसे हर कदम, हर हस्तक्षेप के पीछे उपयुक्त तर्क, प्रमाण और कारण होना चाहिए। यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि राज्य की शक्ति का प्रयोग क्यों किया गया।

Income Tax New Portal: 18 से कीजिए पोर्टल के माध्यम से आयकर भुगतान, नई वेबसाइट आज से शुरू

नया पोर्टल लॉन्च करेगा आयकर विभाग: (प्रतीकात्मक तस्वीर)

करदाताओं को भुगतान में आसानी और आधुनिक सुविधाओं का लाभ देने के उद्देश्य से वित्त मंत्रालय सोमवार को आयकर विभाग का नया पोर्टल जारी करेगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने शनिवार को इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि नया पोर्टल सोमवार से लाइव हो जाएगा। हालांकि इस पोर्टल पर नई कर भुगतान प्रणाली 18 जून से शुरू होगी। साथ ही बोर्ड ने कहा कि पोर्टल के साथ ही इसका ऐप भी जारी किया जाएगा। बता दें, मौजूदा पोर्टल में टैक्स भरने की तय तारीख के करीब कामकाज में परेशानी आने के मामले देखे गए हैं।

सीबीडीटी ने बयान में कहा गया है कि कर भुगतान की नई प्रणाली का आदि होने में करदाता को कुछ समय लग सकता है। हम चाहते है कि इस्तेमाल करने से पहले सभी करदाता इसकी विशेषताओं को अच्छी तरह से समझ लें। हम अपने सभी करदाताओं और शेयर धारकों से इनकम टैक्स का नया पोर्टल शुरू होने के बाद शुरुआत में धैर्य बनाए रखने की अपील करते हैं। ये एक बहुत बड़ा बदलाव है और कर भुगतान के नए सिस्टम समेत इसकी अन्य सभी सुविधाएं भी जल्द ही शुरू हो जाएंगी।

सुविधाजनक और आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराना है उद्देश्य
सीबीडीटी ने कहा कि नई वेबसाइट का उद्देश्य करदाताओं को सुविधाजनक और आधुनिक तकनीक उपलब्ध करना है। इस नए पोर्टल पर करदाता तत्काल आयकर रिटर्न को भर सकते हैं इस से करदाताओं के रिफंड जल्द जारी हो सकेंगे। मुफ्त आईटीआर तैयार करने के लिए सॉफ्टवेयर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से उपलब्ध होगा और इसमें अक्सर पूछे जाने वाले सवाल होंगे ताकि करदाता टैक्स की जानकारी नहीं होने पर भी आसानी से अपने आईटीआर दाखिल कर सकें।

करदाता वेतन, गृह संपत्ति, व्यवसाय/पेशे सहित आय के कुछ विवरण प्रदान करने के लिए अपनी प्रोफाइल को सक्रिय रूप से अपडेट करने में सक्षम होंगे, जिसका उपयोग नए वेब पोर्टल में अपने आईटीआर को पूर्व-भरने में किया जाएगा। करदाताओं के प्रश्नों के त्वरित उत्तर के लिए करदाता सहायता के लिए एक नए कॉल सेंटर की भी योजना है और पोर्टल में विस्तृत अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न, उपयोगकर्ता मैनुअल, वीडियो और चैटबॉट/लाइव एजेंट भी होंगे। सीबीडीटी ने कहा कि आयकर फॉर्म दाखिल करने, कर पेशेवरों को जोड़ने, नोटिस के जवाब को फेसलेस जांच या अपील में जमा करने की सुविधा उपलब्ध होगी।

मिलेंगी ये सुविधाएं
इसमें करदाताओं को आईटीआर 1, 4 (ऑनलाइन और ऑफलाइन) और आईटीआर 2 (ऑफलाइन) दाखिल करने में मदद करने के लिए हमेशा पूछे जाने वाले प्रश्नों के साथ एक मुफ्त आईटीआर तैयारी सॉफ्टवेयर भी होगा और आईटीआर 3, 5, 6, 7 की तैयारी की सुविधा होगी। जल्द ही उपलब्ध कराया जाएगा। करदाता क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न वेतन, गृह संपत्ति, व्यवसाय/पेशे सहित आय के कुछ विवरण प्रदान करने के लिए अपनी प्रोफाइल को सक्रिय रूप से अपडेट करने में सक्षम होंगे, जिसका उपयोग नए वेब पोर्ट में अपने आईटीआर को पूर्व-भरने में किया जाएगा।

विस्तार

करदाताओं को भुगतान में आसानी और आधुनिक सुविधाओं का लाभ देने के उद्देश्य से वित्त मंत्रालय सोमवार को आयकर विभाग का नया पोर्टल जारी करेगा। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने शनिवार को इस बात की जानकारी देते हुए कहा कि नया पोर्टल सोमवार से लाइव हो जाएगा। हालांकि इस पोर्टल पर नई कर भुगतान प्रणाली 18 जून से शुरू होगी। साथ क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ही बोर्ड ने कहा कि पोर्टल के साथ ही इसका ऐप भी जारी किया जाएगा। बता दें, मौजूदा पोर्टल में टैक्स भरने की तय तारीख के करीब कामकाज में परेशानी आने के मामले देखे गए हैं।

सीबीडीटी ने बयान में कहा गया है कि कर भुगतान की नई प्रणाली का आदि होने में करदाता को कुछ समय लग सकता है। हम चाहते है कि इस्तेमाल करने से पहले सभी करदाता इसकी विशेषताओं को अच्छी तरह से समझ लें। हम अपने सभी करदाताओं और शेयर धारकों से इनकम टैक्स का नया पोर्टल शुरू होने के बाद शुरुआत में धैर्य बनाए रखने की अपील करते हैं। ये एक बहुत बड़ा बदलाव है और कर भुगतान के नए सिस्टम समेत इसकी अन्य सभी सुविधाएं भी जल्द ही शुरू हो जाएंगी।

सुविधाजनक और आधुनिक तकनीक उपलब्ध कराना है उद्देश्य
सीबीडीटी ने कहा कि नई वेबसाइट का उद्देश्य करदाताओं को सुविधाजनक और आधुनिक तकनीक उपलब्ध करना है। इस नए पोर्टल पर करदाता तत्काल आयकर रिटर्न को भर सकते हैं इस से करदाताओं के रिफंड जल्द जारी हो सकेंगे। मुफ्त आईटीआर तैयार करने के लिए सॉफ्टवेयर ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरीके से उपलब्ध होगा और इसमें अक्सर पूछे जाने वाले सवाल होंगे ताकि करदाता टैक्स की जानकारी नहीं होने पर भी आसानी से अपने आईटीआर दाखिल कर सकें।

करदाता वेतन, गृह संपत्ति, व्यवसाय/पेशे सहित आय के कुछ विवरण प्रदान करने के लिए अपनी प्रोफाइल को सक्रिय रूप से अपडेट करने में सक्षम होंगे, जिसका उपयोग नए वेब पोर्टल में अपने आईटीआर को पूर्व-भरने में किया जाएगा। करदाताओं के प्रश्नों के त्वरित उत्तर के लिए करदाता सहायता के लिए एक नए कॉल क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न सेंटर की भी योजना है और पोर्टल में विस्तृत अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न, उपयोगकर्ता मैनुअल, वीडियो और चैटबॉट/लाइव एजेंट भी होंगे। सीबीडीटी ने कहा कि आयकर फॉर्म दाखिल करने, कर पेशेवरों को जोड़ने, नोटिस के जवाब को फेसलेस जांच या अपील में जमा करने की सुविधा उपलब्ध होगी।


मिलेंगी ये सुविधाएं
इसमें करदाताओं को आईटीआर 1, 4 (ऑनलाइन और ऑफलाइन) और आईटीआर 2 (ऑफलाइन) दाखिल करने में मदद करने के लिए हमेशा पूछे जाने वाले प्रश्नों के साथ एक मुफ्त आईटीआर तैयारी सॉफ्टवेयर भी होगा और आईटीआर 3, 5, 6, 7 की तैयारी की सुविधा होगी। जल्द क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न ही उपलब्ध कराया जाएगा। करदाता वेतन, गृह संपत्ति, व्यवसाय/पेशे सहित आय के कुछ विवरण प्रदान करने के लिए अपनी प्रोफाइल को सक्रिय रूप से अपडेट करने में सक्षम होंगे, जिसका उपयोग नए वेब पोर्ट में अपने आईटीआर को पूर्व-भरने में किया जाएगा।

आयकर विभाग का पोर्टल क्रैश: वित्त मंत्री खफा, वेबसाइट तैयार करने के लिए इंफोसिस ने लिए 4242 करोड़ रुपये

आयकर विभाग के नए पोर्टल में लॉन्च होने के तुरंत बाद तकनीकी समस्या देखने को मिली, जिसकी वजह से करदाता परेशान हैं। वेबसाइट तैयार करने का कॉन्ट्रैक्ट इंफोसिस को 4242 करोड़ रुपये में मिला था।

आयकर विभाग का नया ई-फाइलिंग पोर्टल

करदाताओं की आसानी के लिए वित्त मंत्रालय ने सोमवार को आयकर विभाग का नया पोर्टल जारी किया। इसमें करदाताओं को कई तरह की नई सुविधाएं मिलेंगी। आयकर विभाग ने http://incometax.gov.in नाम से करदाताओं के लिए नई वेब साइट पेश की है। लेकिन लॉन्च के तुरंत बाद वेबसाइट में तकनीकी समस्या देखने को मिली, जिसकी वजह से करदाता परेशान हैं। बिना किसी समस्या के आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए लॉन्च हुई नई वेबसाइट में दिक्कतें आने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उपभोक्ताओं की ओर से मोर्चा संभाला। आयकर विभाग ने उपभोक्ताओं को जल्द समाधान का भरोसा दिलाया।

वेबसाइट के लिए इंफोसिस को मिले 4242 करोड़
इंफोसिस को 2019 में आयकर विभाग की नई वेबसाइट तैयार करने का कॉन्ट्रैक्ट 4242 करोड़ रुपये में मिला था। इससे पहले 2015 में जीएसटी पोर्टल बनाने का ठेका भी इंफोसिस को 1380 करोड़ रुपये में दिया गया था। 2017 में पोर्टल शुरू होने के बाद कई तकनीकी समस्या आई और 2018 में सरकार ने कंपनी को इसे दूर करने का निर्देश दिया। बावजूद इसके पांच मार्च 2020 तक कंपनी जीएसटी पोर्टल में आई समस्या खत्म नहीं कर पाई।

इंफोसिस से वित्त मंत्री ने कहा, दूर करें तकनीकी खामियां
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंफोसिस और उसके चेयरमैन नंदन निलेकणि से आयकर विभाग की नई ई-फाइलिंग वेबसाइट में आ रही तकनीकी खामियों को दूर करने को कहा। ट्विटर पर भारी संख्या में उपयोगकर्ताओं की शिकायतों के बाद वित्त मंत्री ने यह कदम उठाया। उन्होंने एक उपयोगकर्ता के ट्वीट का हवाला देते हुए लिखा, 'करदाताओं के लिए अनुपालन में सुगमता हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उपयोगकर्ता ने अपने ट्वीट में नए ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगइन में दिक्कत होने की शिकायत की थी।'

नंदन नीलेकणि ने ट्वीट का दिया जवाब
निर्मला सीतारमण के ट्वीट का जवाब देते हुए नंदन नीलेकणि ने कहा कि उनकी कंपनी को इन शुरुआती गड़बड़ियों पर पछतावा है, लेकिन सिस्टम कुछ दिनों में सामान्य हो जाएगा। उन्होंने कहा कि नया ई-फाइलिंग पोर्टल फाइलिंग प्रक्रिया को आसान करेगा और उपयोगकर्ता के अनुभव को बढ़ाएगा। उम्मीद है कि सिस्टम एक सप्ताह के अंदर सामान्य हो जाएगा।

नई वेबसाइट का मकसद उन्नत तकनीक के जरिए आयकर रिफंड की प्रक्रिया 63 दिन से घटाकर एक दिन करना था। आइए जानते हैं नए पोर्टल की खास बातें-

  • नए पोर्टल में आयकर रिटर्न (आईटीआर) की प्रोसेसिंग तुरंत होगी और करदाताओं को रिफंड भी जल्द जारी किया जा सकेगा।
  • इसमें करदाताओं के लिए जरूरी हिदायत और उनके लंबित मामलों के बारे में भी जानकारी उपलब्ध होगी। साथ ही प्री-फिल्ड फॉर्म (पहले से भरे हुए फॉर्म) भी उपलब्ध होंगे।
  • इसमें करदाताओं को आईटीआर एक, चार (ऑनलाइन और ऑफलाइन) और आईटीआर दो (ऑफलाइन) दाखिल करने में मदद करने के लिए हमेशा पूछे जाने वाले प्रश्नों के जवाब के साथ सॉफ्टवेयर डाला गया है। विभाग ने इस संबंध में जारी बयान में कहा है कि आईटीआर तीन, पांच, छह और सात के लिए भी सुविधाओं को जल्द उपलब्ध कराया जाएगा।
  • करदाताओं के प्रश्नों के त्वरित उत्तर के लिए करदाता सहायता के लिए एक नए कॉल सेंटर की भी योजना है और पोर्टल में विस्तृत अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न, उपयोगकर्ता मैनुअल, वीडियो और चैटबॉट/लाइव एजेंट भी होंगे।
  • सीबीडीटी ने कहा कि आयकर फॉर्म दाखिल करने, कर पेशेवरों को जोड़ने, नोटिस के जवाब को फेसलेस जांच या अपील में जमा करने की सुविधा उपलब्ध होगी।

विस्तार

करदाताओं की आसानी के लिए वित्त मंत्रालय ने सोमवार को आयकर विभाग का नया पोर्टल जारी किया। इसमें करदाताओं को कई तरह की नई सुविधाएं मिलेंगी। आयकर विभाग ने http://incometax.gov.in नाम से करदाताओं के लिए नई वेब साइट पेश की है। लेकिन लॉन्च के तुरंत बाद वेबसाइट में तकनीकी समस्या देखने को मिली, जिसकी वजह से करदाता परेशान हैं। बिना किसी समस्या के आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए लॉन्च हुई नई वेबसाइट में दिक्कतें आने पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उपभोक्ताओं की ओर से मोर्चा संभाला। आयकर विभाग ने उपभोक्ताओं को जल्द समाधान का भरोसा दिलाया।

वेबसाइट के लिए इंफोसिस को मिले 4242 करोड़
इंफोसिस को 2019 में आयकर विभाग की नई वेबसाइट तैयार करने का कॉन्ट्रैक्ट 4242 करोड़ रुपये में मिला था। इससे पहले 2015 में जीएसटी पोर्टल बनाने का ठेका भी इंफोसिस को 1380 करोड़ रुपये में दिया गया था। 2017 में पोर्टल शुरू होने के बाद कई तकनीकी समस्या आई और 2018 में सरकार ने कंपनी को इसे दूर करने का निर्देश दिया। बावजूद इसके पांच मार्च 2020 तक कंपनी जीएसटी पोर्टल में आई समस्या खत्म नहीं कर पाई।

इंफोसिस से वित्त मंत्री ने कहा, दूर करें तकनीकी खामियां
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इंफोसिस और उसके चेयरमैन नंदन निलेकणि से आयकर विभाग की नई ई-फाइलिंग वेबसाइट में आ रही तकनीकी खामियों को दूर करने को कहा। ट्विटर पर भारी संख्या में उपयोगकर्ताओं की शिकायतों के बाद वित्त मंत्री ने यह कदम उठाया। उन्होंने एक उपयोगकर्ता के ट्वीट का हवाला देते हुए लिखा, 'करदाताओं के लिए अनुपालन में सुगमता हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। उपयोगकर्ता ने अपने ट्वीट में नए ई-फाइलिंग पोर्टल पर लॉगइन में दिक्कत होने की शिकायत की थी।'

नंदन नीलेकणि ने ट्वीट का दिया जवाब
निर्मला सीतारमण के ट्वीट का जवाब देते हुए नंदन नीलेकणि ने कहा कि उनकी कंपनी को इन शुरुआती गड़बड़ियों पर पछतावा है, लेकिन सिस्टम कुछ दिनों में सामान्य हो जाएगा। उन्होंने कहा कि नया ई-फाइलिंग पोर्टल फाइलिंग प्रक्रिया को आसान करेगा और उपयोगकर्ता के अनुभव को बढ़ाएगा। उम्मीद है कि सिस्टम एक सप्ताह के अंदर सामान्य हो जाएगा।

The new e-filing portal will ease the filing process क्रिप्टोकरेंसी से संबंधित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न and enhance end user experience. @nsitharaman ji, we have observed some technical issues on day one, and are working to resolve them. @Infosys regrets these initial glitches and expects the system to stabilise during the week. https://t.co/LocRBPCzpP

— Nandan Nilekani (@NandanNilekani) June 8, 2021

नई वेबसाइट का मकसद उन्नत तकनीक के जरिए आयकर रिफंड की प्रक्रिया 63 दिन से घटाकर एक दिन करना था। आइए जानते हैं नए पोर्टल की खास बातें-

  • नए पोर्टल में आयकर रिटर्न (आईटीआर) की प्रोसेसिंग तुरंत होगी और करदाताओं को रिफंड भी जल्द जारी किया जा सकेगा।
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